वाशिंगटन। विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ ने सोलर ऊर्जा कार्यक्रम को लेकर भारत के खिलाफ फैसला दिया है। इस मसले पर भारत और अमेरिका के बीच विवाद में संगठन ने अमेरिका की आपत्तियों को सही ठहराया है।
एक रिपोर्ट में अज्ञात अधिकारी के हवाले से दावा किया गया है कि वाणिज्य मंत्रालय ने डब्ल्यूटीओ के फैसले को चुनौती देने की योजना बनाई है। एक खास नियम के तहत डब्ल्यूटीओ किसी भी मामले में फैसला सार्वजनिक करने से पहले संबंधित पक्षों को मामले की पूरी जानकारी देता है।
अमेरिका ने भारत के सोलर पावर प्रोजेक्ट को लेकर शिकायत की थी कि भारत इसमें घरेलू चीजों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है, जो वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ है।
अमेरिका की आपत्ति पर भारत की दलील थी कि आगामी पांच वर्षों के दौरान देश में ऊर्जा की मांग मौजूदा मांग के मुकाबले तकरीबन दोगुनी हो जाएगी, जो फिलहाल 1,40,000 मेगावॉट है। सरकार यह बड़ी मांग पूरी करने के लिए एक लाख मेगावॉट क्षमता के सोलर पैनल्स लगाएगी। इसमें से 8,000 मेगावॉट बिजली घरेलू सेल्स से तैयार की जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूटीओ पैनल ने गोपनीय रिपोर्ट में कहा है कि उसने अपनी ओर से कराई गई जांच में पाया है कि भारत सोलर प्रोजेक्ट्स में लोकल कंटेंट का इस्तेमाल करके वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन कर रहा है। मामला यहीं खत्म नहीं होता। सरकार की ओर से सोलर प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाली कंपनियों को सब्सिडी दिए जाने और सेल्स व सोलर मॉड्यूल्स तैयार करने के लिए इन्सेंटिव नीति को भी गलत करार दिया गया है।