काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
सबसे पहले CRY के बारे में तब सुना था जब जगजीत सिंह जी का 1995 में एक अल्बम आया था “CRY for CRY” जो CRY को समर्पित था। सिज़ा रॉय का गाया वो गीत “माँ सुनाओ मुझे वो कहानी” मुझे अब भी याद है पर इस दुनिया में कितने ही बच्चों को माँ ही नसीब नहीं है तो उस माँ की कहानियाँ वो कैसे सुनेगें? CRY उन्हीं बच्चों के जीवन को खुद ही एक खूबसूरत कहानी बनाने का काम कर रही है। CRY मतलब (चाइल्ड राइट्स एंड यू), एक ऐसी संस्था है जो बच्चों के लिए काम करती है। CRY, सुविधा से वंचित बच्चों के अधिकार और सुरक्षा के लिए काम करती है। इस संस्था का उद्देश्य भारत में बच्चों पर हो रहे शारीरिक और मानसिक अत्याचारों को रोकना है। CRY एक ऐसे संसार की कामना करती है कि जहाँ सारे बच्चों को अपनी सम्पूर्ण क्षमता के साथ अपने सपनों को पूरा करने का समान अधिकार हो। यह संस्था भारत में वहाँ के विभिन्न समूहों के साथ मिल कर काम करती है और उनकी सहायता करती है।
जब मानवीय मूल्यों की बात आती है, सहायता की बात आती है तो अमेरिका उनमें सबसे अग्रणी रहा है और इसी भावना के तहत यहॉं CRY के लिए सोचने वालों की, CRY के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करने वालों की कमी नहीं है। अकेले कैलिफ़ोर्निया में इसकी तीन बड़ी शाखाएँ काम कर रहीं हैं। उत्तरी कैलिफ़ोर्निया में सैनफ्रांसिस्को और साउथ में ऑरेंज काउंटी और सैनडिआगो पूरी तन्मयता से CRY के लिए काम कर रहें हैं। इनके वार्षिक फण्डरेजिंग कार्यक्रमों के अतिरिक्त होली भी इनका एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसमेँ बेरंग बच्चों की दुनिया में रंग और सपने बिखेरने के लिए रास्ते बनते हैं।
एक अनुमान के अनुसार ५०० से ज्यादा लोगों ने CRY के इस आयोजन का लाभ उठाया और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जिससे जो बन पड़ा उसने वो किया। CRY के स्टाल से लोगों ने रंग और टीशर्ट खरीदे और स्वादिस्ट समोसों और छोले-भटूरों का मज़ा लिया। एक बात जो दिल को छू गयी कि इस त्यौहार में सिर्फ और सिर्फ भारतीय ही नहीं थे, पर रंग-भेद से जूझने वाली दुनिया के लोग अपने सारे मत-भेद भूलकर सिर्फ एक ही रंग में रंगे थे और वो था होली का रंग, प्यार का रंग और भारतीय परम्पराओं का रंग। हर रंग और जाति के लोगों को रंग में डूबते देखकर बरबस ही मनोज कुमार यानि भारत कुमार का वो गाना याद गया “काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है, कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है। सच में भारत की प्रीत नज़र आयी हमें इस होली में और मुझे पूरा विश्वास है कि ये सिर्फ एक शुरुआत है। फ्लावर फील्ड में हज़ारों की तादाद में घूम रहे लोग, विस्मय से झांक रहे लोग, आज भले ही इस रंग में न रंगें हों पर अगली बार वे भी इसका हिस्सा होंगें, ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। कल इनकी संख्या सैकड़ों में नहीं होगी बल्कि इनकी संख्या हज़ारों में होगी और वो दिन बच्चों के लिए और बेहतर कल लेकर आएगा।
पर्सी प्रेसवाला, जो CRY के ऑरेंज काउंटी के प्रमुख कर्ता-धर्ता हैं और पूरी लगन से वो CRY के लिए काम करते हैं, मेरी उनसे बात हुई। उन्होंने बताया की यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा, बहुत से लोग आये और सारे स्वयंसेवकों ने बहुत ही मेहनत की। होली के रंगों से कोई प्रदूषण न हो इसलिए रसायन रहित और पर्यावरण को नुक्सान न पहुंचने वाले रंगों का प्रयोग किया गया। होली के रंगों के साथ डीजे डान राज ने होली से सम्बंधित बहुत खूबसूरत गाने लगाये। सौम्या और ख़ुशी अग्रवाल ने विभिन्न भाषाओँ के मिले जुले गानों पर बहुत सुन्दर नृत्य किया जिसको वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने बहुत सराहा और उनके साथ उनके जैसा ही नृत्य किया।
यदि आप CRY के ज़रिये, दुनिया भर के बच्चों का जीवन बेहतर करना चाहते हैं तो आप https://cryamerica.org/site/
(रचना श्रीवास्तव अमरीका में रहती हैं व वहाँ रहने वाले भारतीयों के बारे में व भारतीय समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के बारे में नियमित रूप से लिखती है)
फोटो क्रेडिट: अविनाश श्रीवास्तव