रायपुर। छत्तीसगढ़ आदिवासी लोक कला अकादमी की ओर से 9 दिवसीय नाचा समारोह के छठवें दिन मंगलवार की शाम महंत घासीदास संग्रहालय परिसर रायपुर के मुक्ताकाशी मंच पर ‘घुरवा’ का मंचन हुआ। यह गम्मत हंसी-मजाक से भरपूर था लेकिन इसमें देशभक्ति के संदेश के साथ सामाजिक विडंबनाओं पर चोट भी थी।
अमर गंगा छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी टोहडा रायपुर के प्रमुख अमर सिंह लहरे के नेतृत्व में हुए इस प्रहसन ने खूब तालियां बटोरीं। शुरूआत में सभी कलाकारों का आदिवासी लोक कला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल व अन्य लोगों द्वारा अभिनंदन किया गया।
गम्मत ‘घुरवा’के संबंध में नाचा दल प्रमुख अमर सिंह लहरे के अनुसार यह एक सत्य घटना पर आधारित प्रहसन है। जिसमें अवैध संबंधों की परिणति में होने वाले बच्चे की कहानी दिखाई गई है। आमतौर पर नाचा में पुरुष ही सभी किरदार निभाते हैं लेकिन इस प्रहसन में महिलाएं भी विभिन्न महिला किरदारों के साथ मंच पर उतरीं।
इस प्रहसन में कथानक के अनुसार गांव की लड़की किसी अजबनी के प्यार में पड़ जाती है। लेकिन जैसे ही वह लड़की गर्भवती होती है, उसे वह परदेशी छोड़ चले जाता है। इसके बाद लड़की बच्चे को जन्म देती है और लोकलाज के डर से उस दुधमुंहे को घुरवा (कचरा फेंकने की जगह) में फेंक देती है। एक बेऔलाद बुजुर्ग महिला उसे अपने घर ले आती है और उसका नाम रखा जाता है घुरवा। आगे चल कर घुरवा सेना में जाता है और आतंकवादियों के हाथों शहीद हो जाता है। उसकी लाश घर पहुंचाई जाती है तो वास्तविक मां-बाप भी वहां आते हैं। जिस जगह पर उसे जन्म लेते ही छोड़ा गया था, उसी जगह उसका स्मारक बनाया जाता है।
इस गम्मत में संगीत पक्ष से ललित कंवर- आर्गन, गजेंद्र कुमार-हारमोनियम, दीपक लहरी- तबला, प्रवीण कालियारे-पैड, टिकेश्वर ध्रुव- नाल, भानु गंधर्व- बांसुरी सहित गजेंद्र कुमार, गंगा यादव व तनु वर्मा शामिल थे। अभिनय पक्ष के कलाकारों में जोकर- मंतेराम कोसले व गणेश साहू, परी-गायत्री विश्वकर्मा व ममता धुर्वे, घुरवा के पिता अमर सिंह लहरे, माता-भूमि, घुरवा- आकाश देवदास, गुरुजी-लोकेश्वर साहू, घुरुवा के सहपाठी- बिट्टू डहरिया, विजय साहू, नवेंद्र विश्वकर्मा, गायत्री विश्वकर्मा, मंजू विश्वकर्मा, ममता धुर्वे, फौजी- आकाश देवदास, गणेश साहू, बिट्टू डरिया लहरिया, नक्सलाइट ओम नागवंशी व सुरेश यादव शामिल थे।