Saturday, April 27, 2024
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Homeजियो तो ऐसे जियोजीवन अमूल्य है, इसका एक एक क्षण कीमती है

जीवन अमूल्य है, इसका एक एक क्षण कीमती है

प्रज्ञा गौतम, कोटा

‘”ना पूछो कि मेरी मंजिल कहां है
अभी तो सफर का इरादा किया है
ना हारूंगा मैं कभी अपना हौसला
मैंने ये खुद से वादा किया है”
दोपहर दो बजे भोजनावकाश के समय या फिर शाम को नए कोटा की गलियों- सड़कों से गुजरिये, कितने ही रंगों की यूनिफॉर्म पहने, छतरियों को ताने हुजूम के हुजूम बच्चे नजर आ जाएंगे। जैसे, गलियों – सड़कों पर एक सैलाब आ गया हो। अब तो यही स्थिति कुन्हाड़ी और बोरखेड़ा क्षेत्र में भी हो गई है।

प्रतिवर्ष लाखों बच्चे जिनके चेहरे मासूम है, आँखों में ढेरों सपने है और जिनके कंधों पर माता पिता की आकांक्षाओं का बोझ है, स्वर्णिम भविष्य की चाह में कोटा आ जाते हैं। ज्यादातर बच्चे बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से आते हैं। अपने स्कूलों में होशियार कहे जाने वाले ये बच्चे कोटा आकर प्रतिभाओं के महा समुद्र में खो जाते हैं। और, समस्या यहीं से शुरू हो जाती है। अनावश्यक दबाव का प्रभाव उनकी दक्षता पर पड़ता है।

ट्रेन में सफर करते समय कितनी ही बार बाहर से आए बच्चों के अभिभावकों से मुलाकात हुई। वे भ्रमित से दिखते हैं। जब मैं उन्हें समझाने का प्रयास करती हूं कि बच्चे की अपनी क्षमताएं भी होती हैं। आप उन पर दबाव मत डालिए तो जवाब सुनने को मिलते – ‘ दबाव तो रहता ही है जी। दुख तो तब और ज्यादा होता है जब डॉक्टर – इंजीनियर तैयार करने के इन संस्थानों में कक्षा 6-7 के मासूम बच्चों को भी झोंक दिया जाता है।अभिभावकों को इस बात को समझना होगा।

अभिभावकों से अपील-कक्षा 10 में अच्छे अंक अर्जित कर लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि बच्चे को डॉक्टर या इंजीनियर ही बनाया जाए। बच्चे की रुचि जानिए, क्षमताओं की परखिए, हो सके तो करियर काउंसलिंग कराइए। करियर के बहुत सारे अन्य आकर्षक विकल्प भी है। बच्चे को अपने शहर या निकटस्थ शहर में ही कोचिंग दिलवाइए। बच्चे से निरंतर सम्पर्क में रहें। उसको भावनात्मक संबल दें। बच्चे पर दबाव न बनाएँ। किशोर बच्चों से मित्रवत रहें ताकि वह खुल कर अपनी समस्याएं कह सकें। कमजोर आर्थिक क्षमता वाले अभिभावक अपनी संपत्ति बेच कर मंहगे कोचिंग के चक्कर में न पड़ें। अनेक कोचिंग ऐसे हैं जो प्रतिभावान विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग देते हैं। ऐसे संस्थानों का पता लगाएँ।

बच्चों से अपील-पढ़ाई के साथ – साथ स्वस्थ मनोरंजन, खेलकूद और कुछ समय योग- प्राणायाम पर भी ध्यान दें। माता-पिता से खुल कर बात करें। अपनी समस्याएं बताएँ। निराशा को अपने ऊपर हावी न होने दें। करियर के ढेरों आकर्षक विकल्प हैं उन पर भी विचार करें।

जीवन अमूल्य है। आप अपने अभिभावकों के लिए पूरा संसार हैं। अपना जीवन नष्ट कर के उन्हें जीते जी मरने पर विवश न करें।

(लेखिका शिक्षिका है)

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