Saturday, April 27, 2024
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भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को सम्मान

“गरबा” यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में

संयुक्त राष्ट्र (UN) की विशिष्ट संस्था यूनेस्को (UNESCO) ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में गुजरात के “गरबा” को शामिल किया है। गरबा लोक नृत्य सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक है। यह लोक नृत्य सामाजिक और लैंगिक समानता को समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रत्यय को गत्यात्मक दिशा और उर्जित सामर्थ्य प्रदान करने के लिए यह अमूल्य एवं महत्वपूर्ण योगदान है। समकालीन में “गरबा” को विश्व सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किए जाने से भारतीय समाज समावेशिता, समरसता और वैश्विक स्तर पर भारत का मार्गदर्शन करने के लिए धारित हो रहा है।

भारत के सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर वह प्रधान स्थान प्राप्त हो रहा है जो भारतीयों के बौद्धिक और सांस्कृतिक पहचान का उन्नयन कर रहा है। यह अखंड भारत के गौरवशाली धरोहर का प्रतीक है। विश्व विरासत में स्थान पाने पर सांस्कृतिक धरोहरों का स्थान विशिष्ट है। इसके गौरवशाली सांस्कृतिक धरोहर में शामिल होने से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन संस्कृति का उन्नयन होगा, जो भारतवर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) के वृद्धि में समावेशी सहयोगी होगा। इससे भारत का दक्षिण एशिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका के व्यक्तियों को देशातन संस्कृति के लिए आकर्षित करेगा।

गुजरात का “गरबा” लोक नृत्य विश्व धरोहर विरासत में शामिल होने वाला भारत का 15 वां अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। यह लोक नृत्य सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण उपादेयता को रेखांकित करता है। एक लोक नृत्य के प्राकट्य शैली के रूप में गरबा लोक-लोक की जमीनी धरातल से जुड़ा हुआ है जिसमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लोग शामिल हैं जो भारत में रह रहे विभिन्न समुदायों को बिना किसी भेदभाव (धर्म, जाति, लिंग और रंग का निषेध) के एक साथ लाने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रही है। यह सूची हमारे समृद्धि संस्कृति परंपराओं, धरोहरों और विरासत को वैश्विक स्तर पर गौरव बढ़ाने का प्रयास है।

भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और समृद्ध विरासत को वह प्रमुखता नहीं मिली थी जो वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के ऊर्जावान उपादेयता के कारण प्राप्त हो रहा है। वर्तमान सरकार अपने देश की समृद्ध सभ्यता पर गर्व कर रही है जो और अपने देश के सांस्कृतिक विरासत को उच्चतर स्थान दिलाने के लिए ऊर्जावान प्रयास कर रही है। राजनीतिक स्थिरता, ईमानदारी, सच्चचरित्र व्यक्तिव और कर्तव्य निष्ठा सरकार के वह प्रमुख कारण है जो जबाबदेही, उत्तरदायित्व और चमत्कारिक नेतृत्व को मजबूती प्रदान करते हैं। सरकार देश की समृद्ध संस्कृति और समृद्ध विरासत को लेकर अतिउत्साहित एवं जागरूक है और यही प्रमुख वजह है कि देश की समृद्ध विरासत के सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जावान कदम उठाए जा रहे हैं।

वर्तमान शासन कलाऔर त्वरित निर्णय से परिपूर्ण सरकार भारतीय संस्कृति और मूल्यों को उन्नयन करने में सार्थक ऊर्जावान और निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार वैश्विक स्तर के गणमान्य व्यक्तियों को उपहार देने और वैश्विक नेतृत्व को जिन जगहों का देशाटन कराते हैं ,कार्यक्रम रखवाते हैं वह एक प्रकार से हमारी सांस्कृतिक विरासत की शाश्वत अभिव्यक्ति है। सरकार महत्वपूर्ण और प्रासंगिक स्थलों का संरक्षण अपना पुनीत कर्तव्य समझती हैं, चाहे वह किसी भी क्षेत्र, विचारधारा और धर्म के हो। भारत सरकार “प्रसाद योजना” के तहत प्रत्येक धार्मिक स्थलों को वैकासिक आयाम प्रदान कर रही है। गुजरात का गरबा लोक नृत्य मानव जीवन के उत्सव, एकता और परंपराओं में हमारी गहरी आस्था का प्रतीक है।

हमें इन परंपराओं का सम्मान एवं आदर करते हुए अगली पीढ़ी (नेक्स्ट जेनरेशन) के लिए संरक्षण करना चाहिए। गरबा लोक नृत्य समकालीन में वैश्विक स्तर पर उभरता हुआ परंपरागत लोक नृत्य है। नवरात्र पर्व के दौरान गुजरात और देश के विविध राज्यों में शक्ति और भक्त की प्रतीक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए गरबा नृत्य किया जाता है। इस पर्व में गाने वाले गीत अधिकांशतः देवी मां पर आधारित होते हैं। इस सामूहिक लोक नृत्य में तालियों के थाप के साथ घड़ों पर रखे दिए के इर्द-गिर्द एक घेरे में अधिकांशतः महिलाएं परंपरागत वेशभूषा में लोक नृत्य करती हैं। भक्तिवाद और शक्ति (ऊर्जा) की प्रतीक माता अंबाजी/ दुर्गाजी की आराधना के लिए पूरे नवरात्र तक गरबा किया जाता है। गुजरात के अतिरिक्त अन्य कई राज्यों एवं विदेशों में भी गरबा नृत्य किया जाता है। गरबा लोक नृत्य को देश और दुनिया में काफी स्वीकृति मिली है। देश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर भारत की सांस्कृतिक चेतना को गति देने वाले जितने भी सांस्कृतिक स्थान है, उनके पुनरुद्धार की प्रक्रिया सतत चल रही है।

इन सभी का मौलिक उद्देश्य संपूर्ण देशवासियों का ध्यान/संकेंद्रण एक स्थान पर संकेंद्रित हो। भारतवर्ष में अनेक विराट प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। लोकतंत्र में सभी समुदायों, पंथों, जातियों एवं सभी वर्गों में समानता, स्वतंत्रता और न्याय का तत्व विकसित हो ।वर्तमान में भारतीयता का संप्रत्यय/ विचार वैश्विक मंचों पर अभिव्यक्त हो रहा है। अभी हाल में जी-20 का सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसका प्राकट्य नारा -“एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य था।” आज भारत अपने विचारधारा, नीति प्रबलता और वैदेशिक नीति के सफल प्रेरणा का संदेश दे रहा है।

(लेखक, दिल्ली प्रांत के गंगा समग्र के प्रचार प्रमुख हैं)

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