डायबिटीज, हायपरटेंशन और निमोनिया जैसी बीमारियों के इलाज में काम आने वाली नई दवाएं इस दिवाली से सस्ते दाम में बिकेंगी। ड्रग प्राइस रेगुलेटर नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग आथॉरिटी ने जरूरी दवाओं की श्रेणी में आने वाली 18 नए ब्रांड की दवाओं के दाम तय किए हैं। रेगुलेटर ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के पैराग्राफ पांच का उपयोग करते हुए इन दवाओं को प्राइस रेगुलेशन के तहत लाया है। इन दवाओं की एमआरपी उस श्रेणी की बाजार में मुहैया सभी दवाओं की औसत एमआरपी के आधार पर तय की गई है।
शीर्ष फार्मा कंपनियों जैसे सिप्ला, मेर्क, फ्रांको इंडियन, एलिंबिक फार्मा और यूनिचेम आदि की दवाओं की कीमतों को एनपीपीए के द्वारा तय किया गया है। यदि कोई कंपनी एनपीपीए द्वारा बताई गए रिटेल प्राइस को पूरा नहीं करती है, तो संबंधित कंपनी को डीपीसीओ 2013 के प्रावधानों के तहत ओवर चार्ज एमाउंट और इंट्रेस्ट (हर्जाना) भरना होगा।
साथ ही यदि कोई दवा कंपनी किसी दवा का उत्पादन बंद करना चाहती है, तो उसे छह महीने पहले रेगुलेटर से इसकी इजाजत लेनी होगी। गौरतलब है कि वर्तमान में करीब 97 हजार 600 करोड़ रुपए के फार्मा बाजार में 30 फीसद सीधेतौर पर सरकारी प्राइस कंट्रोल नीति के अधीन है।