ऋतु गोयल बहुत से प्रमुख समाचार पत्रों और टी वी चैनलों से जुडी हैंl संस्कृति क्रियेशन नाम की इनकी एक एडवरटाइजिंग कम्पनी हैl दिशा फाउंडेशन.नाम का एन जी ओ भी चलlती हैंl भारत और भारत के बाहर १००० से भी ज्यादा कविसम्मेलनों में भाग ले चुकी हैंl दिल्ली हिंदी अकादमी से इन्हे पुरस्कार मिला हैl ये टी वी और रेडियो पर लगातार कविता पाठ करती रहती हैl इनकी कवितायेँ भारत की प्रमुख पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में छपती रहतीं हैंl अमेरिका और कनाडा की ये इनकी पहली यात्रा हैl प्रस्तुत है उनसे एक यादगार बातचीत।
आपने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है, इसके साथ कविता का संगम कैसे हुआ?
पढ़ाई तो मैने बाद मेँ की है, कविता तो मै बचपन से लिखती थी जब मै ६ साल की थीl मेरा जन्म कलकत्ता में हुआ थाl वहां पर जो भी हिंदी की पत्रिकाएं थी उन में मेरी कवितायेँ छपती थीl पत्रकारिता में भी तो सृजनात्मकता चाहिए ही होती है,वो भी लेखन से ही जुड़ा होता है तो शायद इसीलिए मैने पत्रकारिता की पढ़ाई कीl
आप कविता की किस विधा में लिखना ज्यादा पसंद करती है?
मै गीत विधा मेँ लिखती हूँ और छंद मुक्त कवितायेँ भी लिखती हूँl जिस भी विधा में भाव आते हैं उसी में लिखती हूँl
आपकी अपनी एक कम्पनी है 'संस्कृति क्रियेशन 'इसके बैनर तले आपने कौन कौन सी डाक्यूमेंट्री बनायी है?
मैने साहित्य अकादमी के लिए राष्ट्रीय कलि रामधारी सिंह दिनकर जी पर वृतचित्र (डाक्यूमेंट्री )बनाया हैl पहले बहुत ज्यादा बनाती थी पर अभी समय काम होने के कारण कम बना पाती हूँl बहुत सी प्राइवेट सेक्टर के लिए भी काम किया हैl मैने दूरदर्शन के लिए बहुत सी प्रोग्राम बनायें हैl बहुत से प्रोग्राम की मै निर्देशिका भी रही हूँl
आपकी कविताओं के विषय रिश्तों पर आधारित होते हैंl कोई खास कारण l
रिश्तों पर मैने बहुत लिखा हैl कहीं न कहीं मेरी कविरातें भावनाओं पर आधारित हैl जहाँ भावनाओं की बात आती है, वहां रिश्ते, घर -परिवार आ ही जातें हैंl पिता, माँ, ,बेटियों ,घर ये सभी कवितायेँ लोगों को बहुत पसंद हैl मैने आज के जो विषय हैं उस पर भी लिखा है जैसे एस एम एस, इ मेल इसका उपयोग करते हुए हमने अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को पीछे छोड़ दिया है, उस पर लिखा है, संयुक्त परिवार पर भी लिखा है, वृद्धा आश्रम में माँ-पिता को छोड़ दिया जाता है, वो भी मेरा विषय है इस तरह से मैने बहुत से सामाजिक विषय भी उठाये हैl
आपका 'दिशा फाउंडेशन' नाम का एक एन जी ओ भी है, उसके बारे में बताइयेl
एन जी ओ तो बाद में बना, मैने तो छोटी उम्र से ही समाज सेवा का कार्य शुरू कर दिया थाl मेरा जन्म कोलकाता में हुआ थाl रामकृष्ण परमहंस का जो बेल्लूर मठ है बिलकुल वहीँ बगल में मेरा घर हैl हर रविवार को पिता जी मुझे वहाँ पुस्तकालय में ले कर जाते थेl .रास्ते में बहुत से भीख मांगते हुए लोग मिलते थे, तो मै अपने पैसे इकठ्ठा कर के उनको देती थीl रास्ते में कोई जा रहा हो तो उसको सड़क पार करवाना इत्यादिl जब बड़ी हुयी शादी कर के दिल्ली आई तो जी झुग्गी झोपड़ियां थी वहाँ जा कर लोगों को पढ़ाना, सिलाई केंद्र खुलवाना ये सब कार्य करती थीl मै संयुक्त परिवार से आई थीl शादी के बाद दिल्ली में तो हम दोनों ही थे तो मेरा मन नहीं लगता था, अतः मैने अपना लेखन बढ़ा दिया और समाज सेवा का कार्य बढ़ा दियाl पहले समाज सेवा का कार्य ऐसे ही करती थी, फिर दिशा फाउंडेशन बनाया और उसके बैनर तले काम करने लगीl इसमें हमने बहुत से ड्रग निरोधक कैम्प लगाये हैं, बहुत से लोगों को पूरी तरह से नशा मुक्त भी किया हैl महिलाओं के लिए ५ -६ दिनों का ट्रेनिंग कैम्प भी लगाया हैl साहित्यिक रुझान है तो कई सालों से दिल्ली में नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिल कर एक बहुत बड़ा पुस्तक मेला भी लगाती हूँl मेरा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है 'लड़कियों के सपने ' जिन लड़कियों में प्रतिभा है और उनके परिवार के पास पैसे नहीं उनकी सहायता करना lये काम अभी शुरू किया है इसको मै और बढ़ाना चाहूँगी ये मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट हैl
इन सभी कार्यों को करने के लिए धन की भी आवश्यकता पड़ती होगीl
जी हाँ बहुत पड़ती है पर मै सच्चाई से कहूँगी कि आज तक मैने एक रुपया भी किसी से नही लिया हैl अभी तक जो भी कर रही हूँ खुद ही कर रही हूँl
अपनी पुस्तकों के बारे में बताइयेl
अनन्या कविताओं का संकलन है और 'यहीं हो आसपास' में मेरी ५० – ७० कवितायेँ हैंl
आपने बहुत से साक्षात्कार भी किये हैं किसका साक्षात्कार करने में बहुत अच्छा लगाl
मुझे चुनौती भरे साक्षात्कार करने में बहुत अच्छा लगता हैl जो कुछ न कहे उसको बुलवाना बहुत अच्छा लगता हैl निर्मल वर्मा जी बहुत काम बोलते थेl मै बहुत पढ़ाई करके गयी थीl उनका साहित्य पूरा पढ़ कर गयी थी, तो निर्मल वर्मा जी को भी मैने बुलवा दिया थाl ,फूलन देवी का साक्षात्कार बहुत चुनौती भरा थाl जैसा की मैने पहले बताया की रामधारी सिंह दिनकर जी पर वृत्तचित्र बनाया था, तो पहले उनके परिवार वालों को लग रहा था की ठीक नहीं बनेगाl फिल्म डिवीज़न ने कोई फिल्म बनायीं होगी जो ज्यादा ठीक नहीं थीl दिनकर जी के परिवार में कुछ विवाद थे जो उनके रहते ही शुरू हो गए थे उन्होंने कई बार अपने जीतेजी उसका ज़िक्र भी किया थाl शुरू में उन्होंने सहयोग मुश्किल से किया उनके पोते हैं अरविन्द जी उन्होंने बहुत प्रशंसा की बोले ऋतु जी आपने जो फिल्म बनायीं है वो बहुत अच्छी बनायीं हैl इसमें पूरे परिवार को बहुत तवज्जो दिया गया हैl
आपकी कविताओं को सुनकर बहुत लोगों ने तारीफ की होगी कोई ऐसी तारीफ जो आपको याद होl
जी क्या है, के मेरी कविताओं को सुन कर लोगों की आँखें भर जाती हैंl यहाँ भी ऐसा हो रहा हैl जब मेरी कवितायेँ लोगों के दिलों तक पहुँचती है तो बहुत अच्छा लगता है कार्यक्रम के बाद लोग आकर कहते हैं बहुत भावपूर्ण कविता सुनाई l
आपने भारत में कविता पाठ किया है और अभी यहाँ अमेरिका में भी कविता पाठ कर रही है, दोनों जगहों में कविता पाठ करने में क्या अन्तर है?
जो यहाँ सुना जा रहा है, ये तो अद्भुत ही मामला हैl यहाँ के श्रोता बहुत संवेदनशील हैंl भारत में भी अच्छा सुनते हैं, पर भारत में कवि सम्मेलन शायद ज्यादा होते हैं इसी लिए वो बात नहीं होती जो यहाँ होती हैl वहाँ पर कवि सम्मेलन दूसरी चीजों के लिए भी किया जाता है, जैसे रामलीला है तो वहाँ कर लिया, होली है तो वहाँ कर लिया l कभी कभी किसी दूसरे आयोजन को सहयोग देने के लिए कवि सम्मेलन कर लिया जाता हैl पर यहाँ कवि सम्मेलन सिर्फ कवि सम्मेलन हैl यहाँ जो श्रोता हैं,वो सिर्फ कवितायेँ सुनने के लिए ही आया होता हैl यहाँ आकर मुझे ये भी लगा की व्यक्ति चाहे कहीं भी चला जाये वो दिलों में अपने देश को ज़िंदा रखता हैl
आप घर -परिवार, कविसम्मेलन और आपका समाजसेवा का कार्य इन सबके बीच सामंजस्य कैसे करती है?
सभी के बीच संतुलन बहुत अच्छे से हो जाता हैl मेरे परिवार का बहुत सहयोग हैl मेरे पति और मेरी बेटी का बहुत सहयोग रहता है, जैसे अभी यहाँ आने का हो रहा था तो मैने सोचा की पचास दिन तो बहुत ज्यादा होते हैंl पर मेरी बेटी ने कहा कि आप जाइये ऐसा मौका बार बार तो नहीं आता है, तो मेरा तो कहना है परिवार का सहयोग होना बहुत जरूर हैंl बिना उसके सहयोग के तो इतनी सारी चीजें हो ही नहीं सकती हैंl .अभी यहाँ से जाने के बाद भारत में कोई काम नहीं लूँगी सारा समय अपने परिवार के साथ बताउंगीl ऐसा भी समय अाया की काम छोड़ कर साल -साल भर घर में बैठ कर घर भी देखा हैl
अमेरिका में श्रोताओं से आप क्या कहना चाहेंगी?
यहाँ के श्रोताओं से मै कहना चाहूँगी कि आप जरूर आएं इस कविसम्मेलन में हास्य, व्यंग, करुणा, गीत सभी कुछ हैl आपको बहुत ही अच्छा लगेगाl