भारत घरेलू स्तर और वैदेशिक स्तर पर “एक पृथ्वी ,एक परिवार और एक भविष्य” की दिशा में नेतृत्व कर रहा है ।भारत संपूर्ण संसार और पृथ्वी के उत्तम स्वास्थ्य के सुरक्षा के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत “समानता “और “जलवायु न्याय “के साथ सभी देशों के सुरक्षित भविष्य के लिए सामूहिक यात्रा का मजबूत संकल्प रखता है। भारत का सभी देशों के साथ ‘ क्रियान्वयन एक साथ के सिद्धांत ‘ पर काम किया है। भारत ग्रीनहाउस गैस (GHG) का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है। भारत की आबादी 140 करोड़ है ,अर्थात वैश्विक स्तर पर आबादी के आधार पर दूसरा सबसे बड़ा सभ्य राष्ट्र है, जिसके आधार पर कहा जाए तो प्रति व्यक्ति खपत के आधार पर तीसरा उत्सर्जक नहीं है, लेकिन भारत का कर्तव्य आभार है कि भारत स्वयं तीसरा सर्वाधिक उत्सर्जक राष्ट्र मानता है ।
वैश्विक स्तर पर भारत विकास की पहिया की गति को तेज करना चाहता है, क्योंकि भारत औद्योगिक क्रांति के दौरान पराधीन और अल्प विकसित राष्ट्र था।भारत को ऐतिहासिक स्तर पर उत्सर्जक नहीं कहा जा सकता है जिसके लिए अधिकांश विकसित देश जिम्मेदार है ।बदलते परिप्रेक्ष्य में भारत वैश्विक स्तर की संस्थाओं और सभी बहुपक्षी संस्थानों में नियम- निर्धारक की भूमिका का निष्पादन कर रहा है। भारत G-20 की सफल अध्यक्षता किया है। एससीओ की अध्यक्षता में भी सफलता प्राप्त किया है। भारत वैश्विक स्तर पर दक्षिण और विकासशील देशों का सफल नेतृत्व कर रहा है। वैश्विक स्तर पर भूमंडलीय तापन और जलवायु परिवर्तन से जुड़े सामयिक समस्याओं पर भारत चिंतित है ।एक सभ्य और जी-21 का प्रतिनिधित्व करने वाले देश का यह नैतिक आभार भी है।
भारत की दलील है की सरल जीवन शैली और व्यक्तिगत प्रथाएं, जो प्रकृति के लिए टिकाऊ है। पृथ्वी माता के दीर्घायु के लिए मदद कर सकती हैं ।भारत निश्चित स्तर पर भूमंडलीय तापन और जलवायु परिवर्तन के जोखिम को कम कम करने का प्रयास सराहनीय है।भारत द्वारा किया गया प्रयास विकासशील देशों के उन्नयन में आशा की किरण है। भारत ने अपनी दीर्घकालिक उत्सर्जन विकास कार्य योजना प्रस्तुत किया है ,और वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के मौलिक उपादेयता को अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्य( एनडीपी) को भी अद्यतन किया है ।भारत में जलवायु परिवर्तन की दिशा में कई लक्ष्यों पर भी कम कर रहा है। जो इस प्रकार है:-
1.भारत विकसित देशों(बी5=पी5) अर्थात बड़े पांच = स्थाई पांच से वित्तीय सहायता की मांग कर रहा है, जिससे विकासशील देशों, निर्धन देशों और पुनर्निर्माण की ओर अद्यतन देश को मुख्य धारा में लाया जा सके;
2. भारत जलवायु प्रेरित आपदाओं के प्रति संवेदनशील और नुकसान और क्षति का प्रबल समर्थक रहा है ;
3.भारत ने वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन में कटौती पर भी दोहराया है;
4. व्यक्तिगत स्तर,परिवार के स्तर और वैश्विक समुदाय को एक साथ लाकर जलवायु न्याय को सफलतम स्तर पर पहुंचने का यह यथोचित सामूहिक प्रयास करना है;
5. भारत का मंतव्य है कि ग्रीन हाउस गैसों की कटौती के लिए पहले से ही प्रयासरत है;
6. भारत में वैश्विक पटल पर जीवाश्म ईंधन से संक्रमण के लिए अपने दीर्घकालिक रणनीति का क्रियान्वयन किया है;
7. इस दीर्घकालिक रणनीति में नवीकरणीय ऊर्जा, E – मोबिलिटी, एथेनॉल मिश्रित धन और हरित हाइड्रोजन में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में दूरगामी नई पहलू पर भारत के प्रयासों का उल्लेख किया गया है ;
8.भारत ने अंतरराष्ट्रीय पहलों ,अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा लचीलापन बुनियादी ढांचे के गठबंधन का भी उल्लेख किया है।
पृथ्वी पर मानव जाति की जीवन शैली है जो पर्यावरण पर सभी प्रकार के नुकसान का कारण बनी हुई है जो पर्यावरण पर समस्त नुकसान का कारण बनी हुई है,जिसे सामान्यतौर पर’ मानव जनित हस्तक्षेप’ कहा जाता है।
(लेखक प्राध्यापक एवँ राजनीतिक विश्लेषक हैं)