लंदन। सुनहरे भविष्य के सपने ले कर जब भारतीय ब्रिटेन में पहुँचते हैं तो काम काम और व्यवसाय के लिए अंग्रेज़ी में ही काम करना पड़ता है वैसे भी अन्य कार्य व्यवहार में भी अंग्रेज़ी को ही अपनाना पड़ता है . इस सबके वावज़ूद भारत भूमि से हज़ारों मील की दूरी पर कुछ कवि-हृदय अपनी कविताओं के माध्यम से अपनी मातृभाषा के लिए नया अध्याय लिख रहे हैं . ऐसे ही कुछ कवियों की रचनाओं को सुनने का आज नेहरू केंद्र में अवसर मिला. सुन कर भरोसा हुआ कि वे अपने अपनाए हुए देश में रह कर भी अपनी रचनाओं से हिंदी भाषा समृद्ध कर रहे हैं , कथाकार और ग़ज़लगो तेजेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस कवि कुंभ में सुश्री नंदिता साहू , आशुतोष कुमार , आशीष मिश्रा, सुश्री शिखा वार्ष्णेय, सुश्री इन्दु बारोट आदि कवियों की रचनाओं को सराहा गया.मौक़े पर नेहरू केंद्र के निदेशक अमीश त्रिपाठी और भारतीय उच्चायोग के मिनिस्टर कोआर्डिनेशन दीपक चौधरी भी उपस्थित थे.
विदेशों में हिन्दी की मशाल ले कर चलने वाले कवियों का लन्दन में कुंभ
एक निवेदन
ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।
RELATED ARTICLES