लोकतंत्र में युवा मतदाताओं की भूमिका

वर्ष 2024 के आम चुनाव में युवा मतदाताओं की निर्णायक भूमिका है, क्योंकि मुद्दाविहीन विपक्ष दिशाहीन दिखाई दे रहा है। वर्तमान सरकार का यह आम चुनाव अग्नि परीक्षा है, क्योंकि बहुमत प्राप्त करना जन समर्थन और जन आस्था का विषय होता है। आम चुनाव, 2024 के कुल मतदाताओं में 49.7 करोड़ पुरुष मतदाता है और 47.1 करोड़ महिलाएं हैं।

यह भारत की आबादी का 66.8 प्रतिशत है। आम चुनाव 2024 में 21.6 करोड़ मतदाता 18 से 29 वर्ष के है।इनकी संख्या कुल मतदाताओं के 22 प्रतिशत से अधिक है। इस तरह आम चुनाव में ‘मेरा पहला वोट मेरे देश के लिए’ की उपादेयता,अहमियत,दायित्व और प्रासंगिकता बढ़ रही हैं।प्रथम आम चुनाव, 1952 में 17.32 करोड़ मतदाता थे। अमृत काल वाले वर्ष में 94.5 करोड़ लोग वोट देंगे।

कुल मिलाकर वर्तमान चुनाव भारत के लोकतंत्र के लिए अद्भुत और सर्वाधिक प्रतिनिधित्व पूर्ण होगा। यही मतदाता भारत के लोकतंत्र को वृहद और लोकतांत्रिक देश में अग्रसर बनाते हैं। 2024 का चुनाव युगांतरकारी और युगांत कारी सिद्ध होगा। इससे लोकमत को मजबूती प्राप्त होगी। लोकमत की मजबूती लोकतांत्रिक शासन की मजबूती का आधार होता है। मत परिणाम युवाओं की आत्म चेतना का आधार होगा।

सवाल यह है युवा मतदाता शासकीय व्यवस्था में सहभागिता से कैसा महसूस कर रहे हैं?

शासकीय व्यवस्था से नए वोटरों की अपेक्षाएं क्या है?

वर्तमान में देश के चुनाव में युवा मतदाताओं की सहभागिता बढ़ रही है, इससे भारत के स्वर्णिम भविष्य के प्रति आशावान हुआ जा सकता हैं, अपितु भारत के लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देखा जा सकता है। निर्वाचन आयोग की ऊर्जावान सक्रियता से युवा महिला मतदाताओं की प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुआ है। भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या की उम्र 65 साल से कम है।

भारत में 15 से 20 साल के आयु वर्ग में लगभग 25 करोड़ आबादी के साथ भारत वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक युवा लोकतांत्रिक देश है। देश के चुनाव में युवा आबादी बढ़ रही है तो इससे भारत के स्वर्णिम भविष्य के प्रति आशावान हुआ जा सकता है। यह भारतीय लोकतंत्र के प्रति शुभ संकेत है।


(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)