अहमदाबाद। गुजरात के आणंद की एक लोकल चर्च में करीब 8 साल पहले अपने बेटे को बैप्टाइज करने के आरोप में एक महिला के खिलफ मामला दर्ज किया गया है। इस सिंगल मदर ने बिना जिला कलेक्टर की इजाजत के बेटे का धर्म परिवर्तन कराया जिसके चलते गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।
पुलिस ने आणंद कलेक्टरेट में 2013 में फोरम फॉर पीस ऐंड जस्टिस नाम का संगठन चलाने वाले धर्मेंद्र राठौड़ की याचिका पर कार्रवाई की है। राठौड़ ने आरोप लगाया था कि महिला ने बच्चे का धर्म परिवर्तन कराने से पहले अलग हो चुके पति या जिला मैजिस्ट्रेट की सहमति नहीं ली थी। राठौड़ ने कहा, ‘जांच 6 साल से चल रही है। आणंद जिला कलेक्टर आरजी गोहिल ने 3 जनवरी, 2020 को पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।’
गोहिल ने कहा कि एक हिंदू पैरंट का अपने बच्चे को बिना आधिकारिक इजाजत के बैप्टाइज कराना गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन ऐक्ट का उल्लंघन है। इस ऐक्ट का उद्देश्य है कि किसी भी तरह के दबाव, लालच या फर्जीवाड़े के चलते धर्म परिवर्तन किए जाने के मामलों को रोका जा सके। सामाजिक कार्यकर्ता मंजुला प्रदीप ने बताया है कि 8 अप्रैल, 2012 को 42 साल की महिला बेटे को चर्च लेकर गई और कैथलिक पादरी से बैप्टिजम करने को कहा।
उन्होंने कहा, ‘कोई भी बच्चा अपना धर्म नहीं चुन सकता। वह अपने माता-पिता का धर्म अपनाता है। बच्चा बड़ा होने पर धर्म बदल सकता है। सिर्फ इसलिए कि एक मां ने अपने बच्चे को बैप्टाइज करा दिया, एफआईआर दर्ज करने का कोई मतलब नहीं है। ‘
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से