बिहार के मधेपुरा और मढ़ौरा में लोकोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रियों की स्थापना के लिए दुनिया की दिग्गज कंपनियों अलस्टम और जीई ट्रांसपॉर्ट के साथ रेल मंत्रालय ने औपचारिक करार पर हस्ताक्षर किया है। यह प्रॉजेक्ट 40,000 करोड़ रुपये का है और ‘मेक इन इंडिया’ का यह पहला प्रॉजेक्ट्स है जिसे आगे बढ़ाने की हरी झंडी मिली है।
समारोह में वित्त मंत्री अरुण जेटल और रेल मंत्री सुरेश प्रभु समेत सात कैबिनेट मंत्री उपस्थित थे जिसमें करारों की अहमियत पर प्रकाश डाला गया। करीब एक दशक पहले लालू यादव जब रेल मंत्री थे तो इन दो प्रॉजेक्ट्स की घोषणा की थी और अब इसका फाइनल कॉन्ट्रैक्ट्स दिया गया है। इस दौरान कई बार फैक्ट्रियों का टेंडर जारी किया गया और उसे कैंसल किया गया।
जीई के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा और अलस्टम के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित फ्रांस के राजदूत फ्रैंकिस रिचियर ने रेलवे अधिकारियों के साथ करार पर हस्ताक्षर किया। जेडीयू लीडर शरद यादव ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की जो बिहार सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर वहां मौजूद थे।
जेटली ने कहा कि यह ‘मेक इन इंडिया’ के लिए यादगार अवसर और मील का पत्थर है क्योंकि दुनिया की दिग्गज कंपनियों ने देश के अंदर इंफास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए कदम आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा, ‘यह सभी हितधारकों के लिए जीत वाली स्थिति है। इससे रेलवे के आधुनिकीकरण में सहायता मिलेगी, बिहार की इकॉनमी के ग्रोथ को रफ्तार मिलेगी और देश में ग्रोथ के लिए अनुकूल इकोसिस्टम बनेगा।’
श्री प्रभु ने कहा कि जीएम और अलस्टम के रेलवे में साथ आने से देश में अन्य सामानों और सहायक सामग्रियों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक माहौल बनेगा।
जीई ट्रांसपॉर्ट रेलवे के साथ जॉइंट वेंचर के तौर पर अगले 11 सालों में 14,656 करोड़ की बुनियादी लागत से मढ़ौरा में 1,000 विशिष्ट डीजल लोकोमोटिव्स की का निर्माण करेगा। इसी अवधि में अलस्टम 19.904 करोड़ रुपये की लागत से 800 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स का निर्माण करेगा। दोनों फैक्ट्रियों के निर्माण और रखरखाव का खर्च करीब 40,000 करोड़ रुपये होगा।
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से