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रचना श्रीवास्तव अमरीका से - search results
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मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी कि मुझे आउट कर दो:- सुमित्रा अय्यर
इसके आलावा आपने स्टार प्लस 'जो जीता वह सुपरस्टार' ,और' उस्तादों के उस्ताद' रियल्टी शो में भाग लिया है।
लॉस एंजेल्स में हिंदी कविताओं की गूँज
हर साल की तरह इस बार भी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति के तत्वाधान में हास्य कवि सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है, जिसको अपार...
कैलिफ़ोर्निया में ‘क्राय’ की होली में भारत कुमार याद आए
काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
सबसे पहले CRY के बारे में तब सुना था जब जगजीत सिंह जी का 1995...
रीना इस्माइल के “मल्हार” में कैलिफ़ोर्निया भीगा
हम अक्सर बॉलीवुड की चकाचौंध दुनिया में इस कदर खोये रहते हैं की अपने आस-पास की आवाज़ भी ठीक तरह से सुनाई नहीं देती।...
शिकागो में काव्यांजलि ने मनाया अपना जन्मदिवस
शिकागो, (अमरीका)। 13 नवम्बर 2022 को शिकागो में रूट्स टू हिन्दी की प्रस्तुति “काव्यांजलि” ने अपने एक वर्ष पूरे किये। काव्यांजलि की यह ऑनलाइन सातवीं...
कैलिफ़ोर्निया में दीदी माँ ऋतम्भरा जी के परम शक्ति पीठ के लिए तीन मिलियन डॉलर की सहयोग राशि जुटाई गई
सुन्दर कार्यक्रम स्थल, स्वादिष्ट भोजन, शानदार वक्ता और फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने इस कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। कार्यक्रम की शुरुआत मैं प्रमुख वक्ताओं ने अपनी बात कही और इस आयोजन के बारे में अपने विचार रखे।
रोशनी में नहाई आवाज के झुरमुट में एक शाम नेहा कक्कड़ के साथ
इसके बाद नेहा कक्कड़ को उनका परिचय देते हुए मंच पर आमंत्रित किया गया। यहाँ मैं आप सभी को नेहा जी के बारे में थोड़ा बताती चलूँष ऋषिकेश में जन्मी नेहा जी ने चार साल की उम्र से ही गाना प्रारम्भ कर दिया था।
भारत में विश्व शान्ति केंद्र की स्थापना के लिए शान्ति वार्ता
श्री विवेक आनन्द जी ने जब श्री श्री रविशंकर जी से पूछा कि आज का युवा अहिंसा और असहमति विचारों से बहुत दुखी और परेशान है। तो कृपा करके बताइये कि नियंत्रित और अनियंत्रित संघर्षों और झगड़ों से कैसे निपटा जाय, तो गुरुदेव जी ने कहा कि समाज मैं अनादि काल से संघर्ष रहा है.
कथा-गोरखपुर का गोरखधंधा
तो जिस गोरखपुर में प्रेमचंद पढ़े , नौकरी किए और गांधी का भाषण सुन कर सरकारी नौकरी छोड़ कर स्वतंत्रता की लड़ाई में कूदे , कहानी की शुरुआत गोरखपुर में प्रेमचंद से ही मान लिया। ईदगाह , पंच परमेश्वर , रंगभूमि जैसी कई कालजयी रचनाएं प्रेमचंद ने गोरखपुर में ही लिखीं।
लावारिस अस्थियों की वारिस बीना बुदकी
सामजिक ताने-बाने के अनुसार अभी भी अधिकतर महिलाओं को अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने का अधिकार नहीं है।
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