Friday, April 26, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तितालाबों को नष्ट कर बस्तियां बसाने से बाढ़ एवं अकाल दोनों की...

तालाबों को नष्ट कर बस्तियां बसाने से बाढ़ एवं अकाल दोनों की संभावनाए बढ़ी

उदयपुर 11 जुलाई ,तालाबों को नष्ट कर बस्तियां बसाने से बाढ़ एवं अकाल दोनों की संभावनाए बढ़ी है। बादलो का फटना एक प्राकृतिक नियम है लेकिन उससे होने वाली बदहाली के पीछे मानवीय कृत्य। जब तक सतही पानी की संरचनाओं को ठीक नहीं किया जायेगा तब तक अकाल और बाढ़ का सिलसिला चलता रहेगा। उक्त विचार प्रसिद्ध गांधीवादी अनुपम मिश्र ने विद्याभवन में राज,समाज एवं पर्यावरण विषयक व्याख्यान में व्यक्त किये।

व्याख्यान का आयोजन डॉ मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट , झील संरक्षण समिति,शिक्षान्तर,पी एन चोयल आर्ट ट्रस्ट तथा टेक्नो एन जे आर इंस्टीटूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी द्वारा किया गया।

अनुपम मिश्र ने कहा कि  पारम्पारिक एवं वैज्ञानिक दोनों ही द्रष्टि से भारत में शहर के आकार एवं समृद्धी का परिचय उसके  तालाबों की संख्या से आंका जाता था। शहरो को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि पिने का पानी दो सो चारसो किलोमीटर से आ जाएगा। शहरो को अपने पानी के लिए पुराने तालाबों, बावड़ियों को सम्हालना होगा। नया निर्माण करना होगा।  शहर के जल में सुधार पनपते टेंकर माफिया पर भी लगाम लगाएगा। जल असीमित नहीं है इसकी एक एक बून्द को रोकने के साथ ही जल का किफ़ायत से उपयोग करना होगा। संग्रहण की पारम्परिक तकनीको को पुनर्स्थापित करने की जरुरत है।

पानी के इंटर बेसिन ट्रांसफर से सभ्यताओ के तबाह होने के साथ साथ और भी कई खतरे है। मिश्र ने राजनीती पर कटाक्ष हुए कहा कि जलस्तर निचे जाने की तुलना में राजनीती का स्तर तेजी से निचे जा रहा है। इस अवसर पर अन्न बचाओ जल बचाओ विषयक पेम्पलेट का विमोचन अनुपम मिश्र ने किया। मिश्र ने पारम्परिक जलस्त्रोतों के प्रतिक को यूआईटी सचिव राम निवास मेहता को भेंट किया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में झील संरक्षण समिति के डॉ तेज राजदान ने उदयपुर की झीलों की समस्याओ पर प्रकाश डाला। धन्यवाद शैल चोयल ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने किया।

अनिल मेहता

नन्द किशोर शर्मा

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार