Friday, May 10, 2024
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ब्रह्म समाज: मतभेदों का इतिहास

सुप्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ने राजा राममोहन राय की “ब्रह्मसमाज” की विरासत को आगे बढ़ाया, पर उनके कामों की विशेषता यह रही कि उन्होंने वेदों के अध्ययन को एक अविभाज्य अंग माना। उनके अनुसार प्राचीन हिन्दू धर्म ग्रंथों में हिब्रू धर्म ग्रंथों से भी अधिक जोश और उत्साह से एकेश्वरवाद का प्रतिपादन किया गया है। हिन्दू धर्म के ‘अहं ब्रह्मास्मि’ वचन से वे सहमत नहीं थे, जिसमें यह प्रतिपादित किया गया है कि मानव की आत्मा ईश्वर में विलीन हो जाती है। उन्हें यह कल्पना ही अगम्य-गूढ़ प्रतीत हुई कि पुजारी और पूज्य इन दोनों का अस्तित्व एक हो जाता है।
“आदि ब्रह्मसमाज” के नेता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर (१८१७-१९०५) स्वामी दयानन्द सरस्वती जी से आठ वर्ष बड़े थे। आपने ही प्रयाग के कुंभ मेले में उन्हें कोलकाता पधारने का निमन्त्रण दिया था। उसी समय स्वामी जी ने देवेन्द्रनाथ जी के सामने कोलकाता में वेद-विद्यालय की स्थापना का अनुरोध किया था। यहाँ हमें यह स्मरण रखना चाहिये कि श्री देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने कुछ विद्यार्थियों को वेद पढऩे के लिए काशी भेजा था। स्वामीजी को कोलकाता पहुँचने पर हावड़ा रेलवे स्टेशन से लाकर ‘प्रमोद कानन’ नामक उद्यान में ठहराया गया। वहाँ पर लगे देवेन्द्रनाथ जी के चित्र को देखकर स्वामी दयानन्द जी ने कहा था- ‘इनका झुकाव तो स्वाभाविक रूप से ऋषित्व की ओर दिखलाई देता है।’ वैसे वे नौ पुत्रों और पांच पुत्रियों समेत कुल चौदह संतानों के जनक थे।
स्वामी जी के कोलकाता पहुँचने के पांच दिन बाद रविवार २२ दिसम्बर १८७२ को देवेन्द्रनाथ ठाकुर के क्रमश: प्रथम और तृतीय पुत्र सर्वश्री द्विजेन्द्रनाथ और हेमेन्द्रनाथ के स्वामी जी महाराज के दर्शनार्थ उनके डेरे पर पहुँचने का लिखित रूप में प्रमाण मिलता है। संभव है इससे पूर्व भी वे एकाधिक बार उनसे मिले होंगे। पं. लेखराम के अनुसार धर्मचर्चा के अवसर पर द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर  हमेशा दयानन्द जी का पक्ष लिया करते थे। मंगलवार २१ जनवरी १८७३ को ब्रह्मसमाज के त्रिदिवीय मोघात्सव-वार्षिकोत्सव समापन समारोह पर महर्षि के ज्येष्ठ पुत्र श्री द्विजेन्द्रनाथ ही स्वामी जी को उनके डेरे से ‘जोडासांको राजवाड़ी’ मुहल्ले में स्थित अपने पिताश्री के ‘ठाकुर बाड़ी’ नामक घर पर अगवानी करते हुए लेकर पधारे थे। तत्कालीन दृश्य का वर्णन करते हुए मराठी साहित्यकार स्वर्गीय प्राचार्य शिवाजीराव भोसले जी ने लिखा है-
”देवेन्द्रनाथ जी का वह जोडासांको स्थित ‘ठाकुर बाड़ी’ आगंतुकों की भीड़ से भरी हुई थी। सारा वातावरण प्रसन्न था। महर्षि दयानन्द और महर्षि देवेन्द्रनाथ आपस में मिलने वाले थे। इन दोनों महापुरुषों के मिलाप का दृश्य आँखें भर-भर कर देखने के लिए बहुत से लोग पहिले ही आकर बैठे गए थे। दयानन्द आये। सभी ने उठकर सम्मान किया। स्वामीजी निर्दिष्ट स्थान पर विराजमान हुए। देवेन्द्र जी ने अपने पुत्रों को आज्ञा दी। उन्होंने सामने आकर वेद मंत्रों का मधुर-सुंदर स्वर में गायन किया। जिसे सुनकर स्वामीजी संतुष्ट हुए। उन्होंने आशीर्वाद के लिए हाथ उठाया। तब उनके पास खड़ा था कल का महाकवि देवेन्द्रजी का प्रिय रवि।” तत्कालीन बारह वर्षीय रवीन्द्रनाथ ठाकुर अपने संस्मरणों में लिखते हैं, ‘स्वामीजी के उज्जवल तेजस्वी चक्षु, उनके मुखमंडल पर सुशोभित होने वाली प्रसन्नता, उनका तेजस्वी विवेचन-वार्तालाप, उनका सादा रहन-सहन और उनकी उदात्त विचारधारा, उनका समग्र व्यक्तित्व हमारे मन में अनेक प्रकार की भावनात्मक तरंगों का निर्माण कर गया।”
दयानन्द जी की इस कोलकाता यात्रा में न जाने कितने बंग भूमि के सुपुत्रों ने उन्हें अभिवादन किया? दयानन्द जी के अधिकार और योग्यता को पहचानकर नगर के सभी क्रियावान् पुरुष उनसे मिले बिना न रहे। यह एक आश्चर्य की बात थी कि एक विरक्त के, संन्यस्त के, निष्कांचन यति के दर्शनार्थ महापुरुष भी पंक्तिबद्ध खड़े हो गए थे। उनके दर्शन के लिए सामान्य लोगों की उत्सुकता तो और भी चरम सीमा पर पहुँच गई थी। इस अवसर पर स्वामी जी ने ‘वेद और ब्रह्मसमाज’ विषय पर अपनी विचारधारा का प्रतिपादन किया। वे जीना चढ़कर ‘ठाकुर बाड़ी’ की तीसरी मंजिल पर भी गए। महर्षि देवेन्द्र ने स्वामी जी से घर के ऊपरी हिस्से में रहने का अनुरोध किया, पर घर-परिवार और भीड़-भाड़ से दूर एकांत में साधनारत रहने वाले स्वामीजी ने उसे अस्वीकार कर दिया।
श्री केशवचन्द्र सेन की तुलना में महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर स्वामी दयानन्द जी के विचारों के अधिक नजदीक थे। केशव का झुकाव बाइबिल की ओर था, तो देवेन्द्रनाथ का झुकाव वेद की ओर। ब्रह्मसमाज से मतभेद होने के कारण देवेन्द्रनाथ ने “आदि ब्रह्मसमाज” की स्थापना की, तो केशवचन्द्र सेन ने “नवविधान समाज” की। स्थूल रूप में दोनों भी ब्रह्मसमाज के नेता के रूप में ही लोकप्रसिद्ध हुए। बाबू केशवचन्द्र सेन भी महर्षि के वेदभाष्य मासिक के ग्राहक थे और महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर के ज्येष्ठ सुपुत्र बाबू द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर के पते पर भी वेदभाष्य मासिक पहुँचता था। उनकी ग्राहक संख्या ५७ थी। महर्षि देवेन्द्रनाथ ने “शांति-निकेतन” की स्थापना से पूर्व ‘ब्रह्मचर्याश्रम’ की स्थापना की थी। पं. दीनबन्धु शास्त्री के अनुसार शांति-निकेतन में प्रति रविवार आर्य विद्वान् हवन करवाने भी जाते थे।
संदर्भ:
१. “वेदवाणी” मासिक: दयानन्द विशेषांक: नवम्बर १९८३
२. “दीपस्तम्भ: प्राचार्य शिवा जी राव भोसले”, अक्षर ब्रह्म प्रकाशन ३८३-अ, शनिवार पेठ, पुणे-४११०३०, संस्करण २००३
स्रोत: “परोपकारी” पत्रिका (फरवरी प्रथम, २०११)
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बीके इलेवन ने मलबार हिल कप 2024 जीता

मुंबई।   महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर मलबार हिल स्थित स्वतंत्रता सेनानी एसएम जोशी मैदान में मलबार हिल डिवीजन क्रिकेट मैच का आयोजन किया गया। मलबार हिल डिवीजन की 54 टीमों ने भाग लिया और मैच अलग-अलग दिनों में खेले गए। बीके इलेवन ने मलबार हिल कप 2024 जीता।
इस अवसर पर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, शिवसेना दक्षिण मुंबई प्रभाग प्रमुख दिलीप नाइक और दादी शेठ चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी बायराम और संजय शिर्के फाउंडेशन के ट्रस्टी संजय शिर्के, सतीश मोसम, बबलू शेख, गणेश कवाटिया, आशीष तिवारी, निखिल चौधरी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और ये सभी पुरस्कार गणमान्य व्यक्तियों द्वारा वितरित किये गये।
प्रथम पुरस्कार बीके इलेवन, द्वितीय पुरस्कार रूपेश इलेवन और तृतीय पुरस्कार ओजीएससी को दिया गया। गेंदबाज रामाशु, बल्लेबाज प्रभात बावकर को मैन ऑफ द सीरीज से पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।
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भारत 77वें कान फिल्म महोत्सव (14-25 मई) में भाग लेगा

77वें कान फिल्म महोत्सव में ‘भारत पर्व’ मनाया जाएगा

एनआईडी, अहमदाबाद द्वारा डिजाइन भारत मंडप को क्रिएट इन इंडिया की इस वर्ष की थीम को दर्शाने के लिए ‘द सूत्रधार’ नाम दिया गया है

पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ एक भारतीय फिल्म है जिसे प्रतियोगिता अनुभाग में 30 वर्षों बाद शामिल किया गया है

इसमें नवंबर 2024 में होने वाले 55वें आईएफएफआई और प्रथम विश्व ऑडियो-विजुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) के ‘सेव द डेट’ के पोस्टर और ट्रेलर लॉन्च होंगे

कान फिल्म महोत्सव में यह भारत के लिए एक विशेष वर्ष है क्योंकि देश इस प्रतिष्ठित महोत्सव के 77वें संस्करण के लिए तैयार है। भारत सरकार, राज्य सरकारों, फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों वाला कॉर्पोरेट भारतीय प्रतिनिधिमंडल महत्वपूर्ण पहलों की एक श्रृंखला के माध्यम से दुनिया के अग्रणी फिल्म बाजार मार्चे डु फिल्म्स में भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन करेंगे।

ऐसा पहली बार होगा जब देश 77वें कान फिल्म महोत्सव में “भारत पर्व” की मेजबानी करेगा जिसमें इस महोत्सव में भाग लेने वाले दुनिया भर के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति और प्रतिनिधि फिल्मी हस्तियों, फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, खरीदारों और बिक्री एजेंटों के साथ जुड़ सकेंगे। इसमें विभिन्न स्तरों पर रचनात्मक अवसरों के साथ ही रचनात्मक प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। इस भारत पर्व में 20 से 28 नवंबर, 2024 तक गोवा में आयोजित होने वाले 55वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के आधिकारिक पोस्टर और ट्रेलर का अनावरण किया जाएगा। भारत पर्व में 55वें आईएफएफआई के साथ आयोजित होने वाले प्रथम विश्व ऑडियो-विजुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) के लिए “सेव द डेट” का विमोचन भी होगा।

108 विलेज इंटरनेशनल रिवेरा में 77वें कान फिल्म महोत्सव में भारत मंडप का उद्घाटन 15 मई 2024 को प्रख्यात फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में किया जाएगा। कान में भारत मंडप भारतीय फिल्म समुदाय के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें उत्पादन कार्य में सहयोग को बढ़ावा देना, क्यूरेटेड ज्ञान सत्र, वितरण सौदे कराना, स्क्रिप्ट की सुविधा, बी2बी बैठकें और दुनिया भर के प्रमुख मनोरंजन व मीडिया कर्मियों के साथ नेटवर्किंग शामिल है। इस मंडप का आयोजन राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) उद्योग भागीदार के रूप में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के सहयोग से करेगा। भारतीय फिल्म उद्योग को अन्य फिल्मी हस्तियों से जुड़ने और सहयोग प्रदान करने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के माध्यम से मार्चे डु कान में एक ‘भारत स्टॉल’ लगाया जाएगा।

राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद द्वारा डिजाइन भारत मंडप को इस वर्ष की थीम “क्रिएट इन इंडिया” को दर्शाने के लिए इसे ‘द सूत्रधार’ नाम दिया गया है। इस वर्ष कान फिल्म महोत्सव में भारत की उपस्थिति खास है जो इसके समृद्ध इतिहास और रचनात्मकता के परिदृश्य को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक दिशा को दर्शाता है।

सुर्खियों में, पायल कपाड़िया की प्रसिद्ध कृति “ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट” दर्शकों को लुभाने और प्रतिष्ठित पाल्मे डी’ओर के लिए प्रतिस्पर्धा करने को तैयार है। यह विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि तीन दशकों के बाद एक भारतीय फिल्म कान फिल्म महोत्सव के आधिकारिक चयन के प्रतियोगिता खंड में शामिल हुई है। यह सिनेमाई परिदृश्य ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी की “संतोष” में मार्मिक कथा, डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में अन सर्टेन रिगार्ड के साथ-साथ करण कंधारी की विचारोत्तेजक “सिस्टर मिडनाइट” और एल’एसिड में मैसम अली की सम्मोहक “इन रिट्रीट” से समृद्ध हुआ है।

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के छात्र की फिल्म “सनफ्लॉवर्स वेयर फर्स्ट वन्स टू नो” को ला सिनेफ प्रतिस्पर्धा खंड में चुना गया है। कन्नड़ में बनी यह लघु फिल्म दुनिया भर से आई प्रविष्टियों के बीच चुनी गई और अब अंतिम चरण में पहुंची 17 अन्य अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी।

इसके अलावा, इस महोत्सव में श्याम बेनेगल की ‘मंथन’, जो अमूल डेयरी सहकारी आंदोलन पर केंद्रित फिल्म है, को शास्त्रीय अनुभाग में प्रस्तुत किया जाएगा जो इस महोत्सव के भारतीय लाइनअप में ऐतिहासिक महत्व का स्पर्श जोड़ेगी। इस फिल्म के रीलों को मंत्रालय की एक इकाई एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएफएआई) के फिल्म वॉल्ट में कई दशकों तक संरक्षित किया गया था, और अब फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (एफएचएम) द्वारा सुरक्षित किया गया है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन को कान फिल्म महोत्सव में प्रतिष्ठित पियरे एंजनीक्स ट्रिब्यूट से सम्मानित किया जाएगा। वह कान प्रतिनिधियों के लिए एक मास्टरक्लास भी देंगे। इस गौरव से सम्मानित होने वाले सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन ऐसे पहले भारतीय बन जाएंगे।

भारत के विविध स्थानों और फिल्म प्रतिभा को प्रदर्शित करने में मदद के लिए गोवा, महाराष्ट्र, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड और दिल्ली सहित कई भारतीय राज्यों के भाग लेने की संभावना है।

भारत के सहयोग से फिल्म निर्माण के अवसरों की खोज पर “प्रचुर प्रोत्साहन और निर्बाध सुविधाएं- आओ, भारत में बनाएं” शीर्षक से 15 मई को दोपहर 12 बजे मुख्य मंच (रिवेरा) में एक सत्र आयोजित किया जा रहा है। पैनल चर्चा में फिल्म निर्माण, सह-निर्माण के अवसरों और शीर्ष स्तर की पोस्ट-प्रोडक्शन सुविधाओं के लिए भारत के विशाल प्रोत्साहनों पर प्रकाश डाला जाएगा। पैनल यह बताएगा कि फिल्म निर्माता इन पहलों का कैसे स्वागत कर रहे हैं, भारत में फिल्मांकन के लिए जमीनी स्तर पर वास्तविक अनुभव क्या हैं और कौन सी रोमांचक कहानियां साझा की जा रही हैं।

पूरे महोत्सव के दौरान आयोजित भारत मंडप में संवादात्मक सत्र में भारत में फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन, फिल्म समारोहों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, फिल्मांकन स्थल के रूप में भारत, भारत और स्पेन, ब्रिटेन, और फ्रांस जैसे अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय फिल्म सह-निर्माण जैसे विषयों शामिल होंगे। इन सत्रों का उद्देश्य सशक्त भारतीय फिल्म उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ने के इच्छुक फिल्म निर्माताओं के लिए चर्चा, नेटवर्किंग और सहयोग के अवसरों को सुविधाजनक बनाना है।

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वाइस एडमिरल संजय भल्ला,ने भारतीय नौसेना के चीफ़ ऑफ पर्सनल का कार्यभार ग्रहण किया

वाइस एडमिरल संजय भल्ला, एवीएसएम, एनएम ने 10 मई, 2024 को भारतीय नौसेना के चीफ़ ऑफ पर्सनल का कार्यभार ग्रहण किया। उन्हें 01 जनवरी, 1989 को भारतीय नौसेना में नियुक्त किया गया था। 35 वर्षों के करियर में, उन्होंने जल और तट दोनों पर कई विशेषज्ञ, कर्मचारी और परिचालन नियुक्तियों में कार्य किया है।

संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में अपनी विशेषज्ञता पूरा करने के बाद, उन्होंने कई सीमावर्ती युद्धपोतों पर एक विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया। बाद में उन्हें समुद्र में चुनौतीपूर्ण, पूर्णकालिक और घटनापूर्ण कमान संभालने का सौभाग्य मिला, जिसमें आईएनएस निशंक, आईएनएस तारागिरी, आईएनएस ब्यास और फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट (एफओसीईएफ) की प्रतिष्ठित नियुक्ति शामिल है। एफओसीईएफ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वह प्रतिष्ठित राष्ट्रपति के बेड़े की समीक्षा (पीएफआर- 22) और भारतीय नौसेना के प्रमुख बहुराष्ट्रीय अभ्यास मिलन-22, जिसमें मित्र विदेशी देशों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई थी के समुद्री चरण के लिए सामरिक कमान में अधिकारी थे ।

उन्होंने नौसेना मुख्यालय में सहायक कार्मिक प्रमुख (मानव संसाधन विकास) सहित महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों पर कार्य किया है। नौसेना अकादमी में अधिकारियों के प्रशिक्षण का नेतृत्व किया और विदेशों में राजनयिक कार्यभार भी संभाला। सीओपी के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, वह पश्चिमी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ थे और उन्होंने ऑपरेशन संकल्प जैसे ऑपरेशन और सिंधुदुर्ग में नेवी डे ऑपरेशन डेमो 2023 जैसे कार्यक्रमों का निरीक्षण किया था।

रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज, लंदन, नेवल वॉर कॉलेज और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन; के पूर्व छात्र रहे, उनकी शैक्षिक उपलब्धियों में एम फिल (रक्षा और रणनीतिक अध्ययन), किंग्स कॉलेज, लंदन से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक अध्ययन में स्नातकोत्तर, मद्रास विश्वविद्यालय से एम.एससी (रक्षा और रणनीतिक अध्ययन) और सीयूएसएटी से एम.एससी (दूरसंचार) शामिल है।

उनकी विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें नौसेना स्टाफ के प्रमुख और फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ द्वारा अति विशिष्ट सेवा पदक, नाव सेना पदक और प्रशस्ति से सम्मानित किया गया है।

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ख्यांत्से नोरबू की “पिग एट द क्रॉसिंग” का विश्व स्तरीय वर्चुअल प्रीमियर 11 मई को

थिम्पू, भूटान। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता ख्यांत्से नोरबू, जिन्हें “द कप” और “ट्रैवलर्स एंड मैजिशियंस” जैसे मौलिक कार्यों के लिए जाना जाता है, ने युवा भूटानी फिल्म निर्माताओं के एक कैडर के सहयोग से तैयार की गई अपनी नवीनतम सिनेमा कृति, “पिग एट द क्रॉसिंग” का अनावरण किया। पारंपरिक फिल्म निर्माण के तरीकों को छोड़कर एक साहसिक प्रयास, यह प्रोजेक्ट उभरती हुई प्रतिभा को प्रदर्शित करती है, जिनमें से कईयों ने इसके साथ अपनी पहली सिनेमाई यात्रा शुरू की है।

पिग एट द क्रॉसिंग का प्रीमियर

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30 प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों से अस्वीकृति का सामना करने के बावजूद, “पिग एट द क्रॉसिंग” एक वर्चुअल प्रीमियर के माध्यम से दुनिया भर के दर्शकों के साथ अपनी कहानी साझा करने के लिए तैयार है। पारंपरिक वितरण चैनलों से बचते हुए, फिल्म बिचौलियों को दरकिनार कर दर्शकों को अपने निर्माताओं से सीधा संबंध स्थापित करती है।

11 मई, 2024 को विभिन्न टाइम ज़ोन में वर्चुअल प्रीमियर की पांच स्क्रीनिंग की जाएंगी जिससें दर्शकों को अपनी सुविधा के अनुसार स्लॉट चुनने का विकल्प दिया जाएगा। टिकट और वर्चुअल प्रीमियर के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया विज़िट करें www.pigcrossing.film/worldpremiere.

ऐसे समय में जब गेटकीपर अक्सर कलात्मक सामग्री को नियंत्रित करते हैं, पारंपरिक तरीकों को दरकिनार करने का निर्णय फिल्म निर्माताओं की प्रमाणिकता और अपने दर्शकों के साथ सीधे जुड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दर्शकों को पहली बार “पिग एट द क्रॉसिंग” का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करके निर्माता भौगोलिक सीमाओं को पार करने वाली एक नई यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं।

पिग एट द क्रॉसिंग (2024) के बारे में

अवधि: 119 मिनट

भाषाएँ: Dzongkha और अंग्रेजी

लेखक और निर्देशक: ख्यांत्से नोरबू

प्रोडक्शन: नॉर्लिंग स्टूडियो, थिम्पू, भूटान

लॉगलाइन: एक दुर्घटना में एक युवक की अचानक मृत्यु हो जाने के बाद, वह मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच की जगह की एक अपरिचित दुनिया से जूझता है।

रूपरेखा

29 वर्षीय डोलोम, एक मेहनती यूट्यूब निर्माता और भूटान में नव नियुक्त स्कूल शिक्षक है जो एक 32 वर्षीय विवाहित महिला डेकी के साथ एक रात बिताता है। जब उसे पता चलता है कि वह गर्भवती है, तो डोलोम अफेयर को कवर करने और उसकी प्रतिष्ठा बचाने की योजना बनाता है। डेकी के साथ मिलने के रास्ते में डोलोम एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में घायल हो जाता है और एक विचित्र, और अराजक दुनिया में चला जाता है।

धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगता है कि वह वास्तव में मर चुका है। एक रहस्यमयी गाइड की मदद से डोलोम इस बीच के दायरे को नेविगेट करता है और अपने अतीत और अपने कर्मों के परिणामों का सामना करता है। जैसे-जैसे समय उसके चारों ओर ढलता है, उसे अपनी गलतियों को सही करने का विकल्प चुनना पड़ता है और अपने पिछले जन्म के प्रति अपने लगाव को छोड़ना पड़ता है या फिर उसे अनिश्चित काल के लिए सपने की तरह इस स्थिति में भटकने के लिए फंसना पड़ेगा।

अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: www.pigcrossing.film.

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पश्चिम रेलवे चलाएगी दो जोड़ी समर स्‍पेशल ट्रेन

पश्चिम रेलवे द्वारा यात्रियों की सुविधा तथा उनकी यात्रा मांग को पूरा करने के उद्देश्य से विशेष किराये पर दो जोड़ी समर स्‍पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया गया है।

पश्चिम रेलवे के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इन स्‍पेशल ट्रेनों का विवरण इस प्रकार है:-

1.  ट्रेन संख्‍या 09019/09020 सूरत-खोरधा रोड-उधना स्पेशल [02 फेरे]

ट्रेन संख्‍या 09019 सूरत-खोरधा रोड स्पेशल गुरुवार 16 मई2024 को सूरत से 23.50 बजे प्रस्थान करेगी और शनिवार को 12.00 बजे खोरधा रोड पहुंचेगी। इसी प्रकारट्रेन संख्‍या 09020 खोरधा रोड-उधना स्पेशल शनिवार 18 मई2024 को खोरधा रोड से 16.30 बजे प्रस्थान करेगी और सोमवार 01.00 बजे उधना पहुंचेगी।

यह ट्रेन दोनों दिशाओं में नंदुरबारजलगांवभुसावलअकोलाबडनेरावर्धानागपुरगोंदियाराजनांदगांवदुर्गरायपुरकांटाबांजीटिटलागढ़बलांगीरहीराकुडसंबलपुररायराखोअंगुलतालचेरढेंकनाल और भुवनेश्वर स्टेशनों पर रुकेगी। ट्रेन संख्या 09019 का उधना स्टेशन पर अतिरिक्त ठहराव होगा।

इस ट्रेन में स्लीपर क्लास और जनरल सेकेंड क्लास कोच होंगे।

2.  ट्रेन संख्‍या 09423/09424 अहमदाबाद-खोरधा रोड-उधना स्पेशल [08 फेरे]

ट्रेन संख्‍या 09423 अहमदाबाद-खोरधा रोड स्पेशल 151722 और 29 मई2024 को अहमदाबाद से 19.10 बजे प्रस्थान करेगी और तीसरे दिन 12.00 बजे खोरधा रोड पहुंचेगी। इसी तरहट्रेन संख्‍या 09424 खोरधा रोड-उधना स्पेशल 171924 और 31 मई2024 को खोरधा रोड से 16.30 बजे रवाना होगी और तीसरे दिन 01.00 बजे उधना पहुंचेगी।

यह ट्रेन दोनों दिशाओं में नंदुरबारजलगांवभुसावलअकोलाबडनेरावर्धानागपुरगोंदियाराजनांदगांवदुर्गरायपुरकांटाबांजीटिटलागढ़बलांगीरहीराकुडसंबलपुररायराखोअंगुलतालचेरढेंकनाल और भुवनेश्वर स्टेशनों पर रुकेगी। ट्रेन संख्या 09423 का वडोदरासूरत और उधना स्टेशनों पर अतिरिक्त ठहराव होगा।

इस ट्रेन में स्लीपर क्लास और जनरल सेकेंड क्लास कोच होंगे।

ट्रेन संख्या 09019 एवं 09423 की बुकिंग 11 मई, 2024 से सभी पीआरएस काउंटरों और आईआरसीटीसी वेबसाइट पर शुरू होगी। ट्रेनों के ठहराव के समय और संरचना के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए यात्री कृपया www.enquiry.indianrail.gov.in पर जाकर अवलोकन कर सकते हैं।

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भोपाल में दो दिवसीय मातृभाषा समारोह 11 व 12 मई को

भोपाल। सुभाष खेल मैदान, शक्ति नगर में 11 एवं 12 मई 2024 (शनिवार एवं रविवार) को मातृभाषा मंच के द्वारा मातृभाषा समारोह-24 का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर सायं 6 बजे से सांस्कृतिक आयोजन एवं पारंपरिक भोजनों के स्टॉल लगाये जायेंगे। मातृभाषा मंच प्रतिवर्ष यह आयोजन करता है। समारोह में भोपाल नगर के 17 भाषायी परिवार भाग ले रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मातृभाषा के महत्व को अंतरराष्ट्रीय जगत द्वारा मान्यता प्रदान करते हुये संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया है। इस अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की जनक भारत की बाँग्ला भाषा है। समाज में मातृभाषा के व्यवहारिक प्रयोग को बढ़ाने, मातृभाषा के प्रयोग से परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत की धरोहर को सहेज कर उसे नवीन पीढ़ी को सौंपने की आवश्यकता है। मातृभाषा मंच, भोपाल शहर में इसी दिशा में विगत छः वर्षों से सक्रिय संस्था है। पूर्व में किये गये सफल आयोजनों में भाषायी समाजों के कलाकारों ने सांस्कृतिक छटा बिखेरी थी और लोगों ने भाषायी संस्कृतियों के पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाया था। बौद्धिक सत्रों में भी देश के प्रतिष्ठित चिंतक व विचारकों ने संबोधित किया।

अमिताभ सक्सेना
संयोजक
मातृभाषा मंच
मोबाइल- 9977409005, 9827057845

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल
डी- 100 /45, शिवाजी नगर, भोपाल दूरभाष /फैक्स  :
0755-2763768*

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ओरिएंटक्राफ्ट ने ऋण मुक्त स्थिति की घोषणा की, विकास के लिए झारखंड अगला ठिकाना

नई दिल्ली। वस्त्र निर्माण एवं निर्यात उद्योग में भारत की अग्रणी कंपनीओरिएंटक्राफ्ट लिमिटेड ने आज 100% ऋण-मुक्त स्थिति की घोषणा की है। कंपनी ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई), एचडीएफसी और यस बैंक सहित 11 बैंकों के एक समूह के साथ मिलकर 850 करोड़ रुपये के कुल कर्ज का भुगतान करने के लिए अपनी मार्की भूमि और कारखाने की संपत्ति का सफलतापूर्वक मॉनेटाइज़ेशन किया है। इसने कोविड महामारी से हुए वित्तीय घाटे के बाद ‘वन टाइम रीस्ट्रक्चरिंग’ के संकल्प को पूरा किया। ओरिएंटक्राफ्टने अपनी इच्छा से गैर-बंधक संपत्तियों का मुद्रीकरण करकेएवं बिना किसी कटौती के बकाया राशि का भुगतान किया है। इन प्रयासों की बैंकिंग कंसोर्टियम के सदस्यों द्वारा सराहना की गई है।

ओरिएंट क्राफ्ट अब नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) की स्थिति से मुक्त हो चुका है और अपने संस्थापक, अध्यक्ष और एमडी, सुधीर ढींगरा के नेतृत्व में अपने बिज़नेस पुनर्निर्माण पर फोकस कर रहा है। ओरिएंट क्राफ्ट एक नए अवतार के रूप में वस्त्र निर्माण और निर्यात में अपनी विरासत को जारी रखेगा जो अब रांची (झारखंड) में स्थापित होगा। यह एक विशाल एवं विश्व स्तरीय, अत्याधुनिक और देश में इस प्रकार का पहला सेट अप है। यह 3.5 लाख वर्ग फुट उत्पादन क्षमता के साथ एक पूर्णतः एकीकृत विनिर्माण परिसर है, जिसमें 2500+ मशीनें हैं जो डबल शिफ्ट में प्रभावी रूप से 5000+ मशीनों का काम करती हैं। इसमें कढ़ाई, धुलाई और छपाई जैसी इन-हाउस एकीकृत सुविधा उपलब्ध हैं, जो 1200 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व अर्जित करने में सक्षम हैं।

ओरिएंट क्राफ्ट के विकास पर अपने दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए संस्थापक, अध्यक्ष और एमडी सुधीर ढींगरा ने बताया, “बैंकों और अन्य सभी व्यावसायिक स्टेकहोल्डरस के प्रति हमारी वित्तीय प्रतिबद्धताओं की हाल ही में हुई पूर्ति से हमारे व्यवसाय को प्रोत्साहन मिला है। ओरिएंट क्राफ्ट में हम हमेशा वित्तीय संस्थानों और समकक्ष बिज़नेस के साथ दीर्घकालिक साझेदारी पर केंद्रित मजबूत व्यावसायिक नैतिकता पर विश्वास करते हैं। वित्तीय तनाव को पीछे छोड़ते हुए हम आने वाले वर्षों में तरक्की के अपार अवसर देख रहे हैं। यह एक उपयुक्त समय है जब परिधान निर्यात उद्योग कई दशकों के विकास के उच्च शिखर पर है। सुधीर ने कहा कि कोविड के बाद दुनिया भर के फैशन ब्रांड भारत से सोर्सिंग बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल ही में हुआ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), और यूके और यूरोपीय संघ के साथ एफटीए भी व्यापार विकास के अवसर पैदा करेगा।”

पांच दशकों से अधिक समय तक भारत में अपनी उपस्थिति के बाद भारतीय परिधान निर्यात उद्योग का कुलआकार 16 बिलियन** डॉलर है जबकि वैश्विक परिधान बाजार***1.36 ट्रिलियन डॉलर है। कुछसंरचनात्मक बदलाव और नियामक समर्थन के साथ भारत 2027**** तक इस आकार को दोगुना करके 30 बिलियन डॉलर करने के लिए तैयार है। ओरिएंटक्राफ्ट,रांची (झारखंड) में अपनी नई फैसिलिटी के माध्यम से इस अवसर का एक बड़ा हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य रखता है।

2024 में भारत में टेक्सटाइल और वस्त्र उद्योग देश की जीडीपी में लगभग 2.3% का योगदान दिया है। भारत सरकार की कपड़ा उद्योग के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं, जिसमें वैश्विक कपड़ा बाजार का एक बड़ा हिस्सा हासिल करना महत्वपूर्ण है। इसका लक्ष्य है कि निर्यात में 45 बिलियन डॉलर से 100 बिलियन डॉलर की वृद्धि की जाए। ओरिएंट क्राफ्ट इस अवसर को समझते हुए यह फोकस करता है कि उद्योग में कुशल कर्मियों को लाया जाए और इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे और कुशल प्रतिभा में निवेश किया जाए।

ओरिएंट क्राफ्ट के बारे में 

1978 में स्थापित ओरिएंट क्राफ्ट भारत का अग्रणी प्रीमियम रेडी-टू-वियर गारमेंट्स और होम फर्निशिंग का निर्यातक व निर्माता है। इनोवेशन से प्रेरित ओरिएंट क्राफ्ट का परिधान डिजाइन हाउस एक बड़े और विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे से युक्त है जो फैशन सेगमेंट और उपभोक्ता विक्रय चक्र में व्यापक मल्टीप्रोडक्ट प्रोडक्टस का निर्माण करता है। ओरिएंट क्राफ्ट के पास डिजाइन और उत्पाद विकास के लिए एक विशाल इन-हाउस क्षमता है, जो अपने खरीदार को बेहतर व व्यापक उत्पाद समाधान प्रदान करता है।

कंपनी भारत में परिधान विनिर्माण और निर्यात उद्योग की शक्ति को एक प्रमुख रोजगार क्षेत्र के रूप में बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है। यह अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए स्थानीय क्षेत्रों से विकलांग व्यक्तियों और गैर-शिक्षित और पिछड़ी महिलाओं व श्रमिकों को कौशल व रोजगार देने की अपनी रणनीति पर काम कर रहा है।

कोविड से पूर्व ओरिएंट क्राफ्ट में 32,000 कर्मचारी कार्यरत थे जो 5 राज्यों में 24 फैसिलिटीस में फैले हुए एवं अमेरिका, यूरोप, यूके और ऑस्ट्रेलिया में 40+ प्रीमियम मेन-स्ट्रीम फैशन ब्रांड्स की सेवा कर रहे हैं।

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स्नेहलता शर्मा के दिल की धड़कनों से गूंजते हैं स्वर….

वो दिन-दिनांक,वो स्याह वार
यूं तो उस दिन था पावन त्यौहार!
कायर- डायर के क्रूर वार
से मच गया सभा में हाहाकार!
वैसाखी की थी  पावन वेला
उफ! खेल,खूनी वो दानव खेला!
अनवरत गोलियों की हुई बौछार
भीषण-वीभत्स था नर-संहार!
राष्ट्रवाद और देश प्रेम के भाव लिए जलियांवाला बाग की घटना को आधार बना कर “जलियांवाला बाग़ शहादतों का पुण्य संस्मरण” लिखी गई इस कविता में बलिदान और शाहदत बेकार नहीं जाते, आओ नमन करें उनको जिन्हें स्वदेश की माटी से प्यार है का संदेश देते हुए आगे लिखती हैं….
मासूम -सा बचपन, बन क्रंदन
यौवन की घायल चीत्कार!
भर गये कूप सब लाशों से,
बह चली मार्ग पर रक्त थार!
उत्सव फिर मातम में बदला,
उस बाग की उजड़ी बहार!
माटी में रक्तिम बीज मिले,
स्वातंत्र्य – फसल को देने आधार!
बलिदान अकारथ नहीं जाते,
होतीं  ना  शहादते  बेकार!
लो आज नमन कर लें उनको,
जिनको स्वदेश की मिट्टी से प्यार!
देश प्रेम, देश की माटी से प्यार, देश पर बलिदान होने वाले वीर सपूत,स्वतंत्रता सेनानियों के किरदारों पर लिख कर राष्ट्रवाद से प्रेरित काव्य सृजन के साथ- साथ विभिन्न विषयों और जीवन के मीठे- कड़वे अनुभवों एवं अनुभूतियों को सहेजते समेटते हुए भावनाओं को कागज़ पर उकेर कविता लिखने में सिद्धहस्त रचनाकार स्नेह लता शर्मा ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। यह कहें कि कविता लेखन इनकी अभिरुचि ही नही इनकी धड़कन है अतिश्योक्ति नहीं होगी। इनकी कविता की एक और बानगी देखिए…………..
पीर- प्रसूता होती कविता
इससे रहे ना कोई अछूता!
भाव जो उर में नहीं समाते
कागज़ पर सैलाब उमड़ता!
दुख से कातर,टीस से आकुल
विरह से व्याकुल,आहें भरता!
हो अधीर,मन चंचल होकर,
कभी ग़ज़ल, कभी गीत है बुनता!
चित्त खिन्न, कभी हो उद्विग्न,
मन की कारा तोड़ निकलता!
कलम सहचरी,क्रोध जो कहता,
कर प्रहार, कागज़ जो सहता!
शब्द बनावट,लगे सजावट,
कहीं उपमा, अलंकार से सजता!
शब्द मात्र ना होती कविता,
प्राण कवि का निहित ही रहता!
अंतर्मन की व्यथा -कथा का
कलम कूंची से चित्रण करता!
आन -मान जब राष्ट्र-धर्म का
रक्त से स्वाभिमान ही लिखता!
अपने विद्यार्थी जीवन से ही इन्होंने कविता लिखना,  विद्यालय में विशेष अवसरों पर स्वरचित कविता सुनाना इनकी हॉबी बन गया।विद्यालय और महाविद्यालय की पत्र-पत्रिकाओं में निबंध, कहानी, एकांकी, कविता आदि प्रकाशित होने पर हौंसले को पंख लग गए। शिक्षकों और साथियों का लगातार प्रोत्साहन मिलने से लेखनी में निखार आता गया।
इनके लेखन की मुख्य विधा कविता ही रही,यदा-कदा कहानी, निबंध, शोध-पत्र भी  लिखती हैं। मुख्यत: हिंदी भाषा ही लेखन और अभिव्यक्ति का माध्यम बनी परंतु कभी – कभी कुछ कविताएं, एकांकी व शोध-पत्र अंग्रेज़ी भाषा में भी लिखे हैं। इनकी रचनाएं अधिकांशतः छंद मुक्त हैं । कुछ रचनाएं ग़ज़लें, नज़्में,व गीत शैली में लिखे हैं जिनमें उर्दू व हिंदी दोनों भाषाओं के शब्दों का प्रयोग किया गया है। समाज को विविध प्रकार सावचेत करने  वाली अब तक लगभग 200 कविताओं का सृजन करने वाली रचनाकार की जीवन संघर्ष पर आधारित कविता की बानगी कुछ इस प्रकार है…
जीवन का संघर्ष अकेले लड़ना है
ढ़ूंढो ना अवलंब, अकेले बढ़ना है!
कंटक -पथ पर चलने से क्यों डरते हो?
निर्भय हो ओ इतने कि भय को डरना है!
संग कभी परछाई भी ना चल पाती,
भ्रम ना पालो ,साथ किसी को चलना है!
राहों में बारूद बिछाए जाएंगे,
कदम संभल के, हौले -हौले धरना है!
माना मंज़िल दूर बहुत अंधेरा है,
बुझते-बुझते मन का दीपक जलना है!
 ये अमृता प्रीतम, शिवानी अज़ीज़ आज़ाद, मुंशी प्रेमचंद,नीरज, हरिशंकर परसाई आदि से प्रभावित हैं, जिनका समकालीन लेखन आज भी प्रासंगिक हैं । इनका मानना है कि लेखन की कोई भी विधा हो, साहित्यकार को ऐसी रचनाओं का सृजन करना चाहिए जो समाज को एक दिशा दे,मंथन और चिंतन के विषय दे जिन पर सभी अपनी  सकारात्मक अभिव्यक्ति दे सकें। इसकी बानगी हाल ही में प्रकाशित इनके काव्य संग्रह, “सुनो, पत्थरों के भीतर नदी बहती है ” है। इसके अतिरिक्त कुछ आधा दर्जन साझा संकलनों व पत्र-पत्रिकाओं पत्रिकाओं में प्रकाशित इनकी कविताएं हैं। इन्होंने इनके स्वर्गीय ससुर  शिवप्रसाद शर्मा के काव्य संकलन  “आस्था का दीप” का संपादन भी किया गया है।
इनके काव्य संग्रह में “सुनो, पत्थरों के भीतर नदी बहती है” में पत्थर शीर्षक से बहुत सारी रचनाएं हैं,जैसे “पत्थरों के शहर में”,”दरिया और पत्थर”, “पत्थर का श्रृंगार”, “काश, जज़्बात पत्थर हो जाते”, “पत्थर को पूजते हो” आदि रचनाओं में प्रतीक्षा,परीक्षा, जीवन-दर्शन,मंथन, विविध अनुभूतियों के साथ भावनाओं की बहती अविरल धारा,नदी बहती दिखाई देती है। इनकी मर्यादा पुरुषोत्तम राम, श्रीकृष्ण, भक्तों के भक्त हनुमान पर लिखी कविताएं आकंठ भक्ति रस से सराबोर कर देने वाली और शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों, तिरंगे , गणतंत्र दिवस जैसे विषयों पर ओज व वीर रस से  ओतप्रोत रचनाएं देशभक्ति के रंग में रंगी हैं। इनका कवि मन कह उठता है…
मैं अपनी कविताओं में श्रृंगार कहां से लाऊं
सजल नयन में दिखा ना भरपूर प्यार कहां से लाऊं?
सर्दी – गर्मी वर्षा सूखा के कहर जिन्हें सहने हैं
भूख बिलखती  देख ,मधुर आहार, कहां से से लाऊं?
रोज अस्मिता लुटती देखी,और रोती विधवाएं!
आर्यवीर स्वयं साक्षी हैंतो शर्मसार कहां से लाऊं?
सच को रौंद रहे हैं, न्याय पुजारी,प्रतिपल ऐसे,
झूठ की डोली विदा कराने  कहार कहां से लाऊं?
परिचय :
साहित्य में राष्ट्रवाद के स्वर बिखेरती स्नेहलता शर्मा का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर में 4 अगस्त 1967 को पिता स्व. गोपाल कृष्ण  एवं माता स्व. सीता रानी के परिवार में तीसरी संतान के रूप में हुआ। एक भाई व बहन इनसे बड़े और दो भाई छोटे हैं। जब ये ढ़ाई वर्ष की रही होंगी जब इनके पिता इन्दौर से कोटा पत्थर का व्यवसाय करने के लिए आ गए और यहीं बस गए । स्वयंपाठी छात्रा के रूप में आपने अर्थशास्त्र,राजनीति विज्ञान, अंग्रेजी में स्नातकोत्तर एवं एम.एड.की शिक्षा प्राप्त की और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भाग्य आजमाती रही।
आपने बारां जिले में अध्यापिका के साथ शिक्षा विभाग में राजकीय सेवा शुरू की। वर्ष 1994 में राजस्थान लोक सेवा आयोग से व्याख्याता अंग्रेजी पद पर चयनित होकर चेचट में लगभग दो वर्ष रही। इसी दौरान अगस्त 1995 में पीयूष शर्मा से विवाह हो गया। कविता लेखन के साथ-साथ मंच संचालन, एंकरिंग, रंगमंच और टी वी सीरियलों में अभिनय और नाट्य लेखन में भी आप प्रवीण हैं। कोटा आकाशवाणी से लंबे अरसे तक जुड़े रहकर महिला जगत तथा बाल संसार के लिए कार्यक्रमों में एंकरिंग भी की। सीमा कपूर के निर्देशन में दूरदर्शन पर प्रसारित”एकलव्य” सीरियल में प्रमुख भूमिका निर्वहन का अवसर मिला। वर्तमान में कोटा जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बोरदा इटावा कोटा में प्रधानाचार्या के पद पर सेवारत होने के साथ- साथ निरंतर साहित्य सृजन में लगी हुई हैं।
चलते – चलते ………….
पद-यश- कीर्ति मृग-मरीचिका से प्रतीत हों!
कर्म श्रेष्ठ करते हुए यदि जीवन व्यतीत हो!
मोह-राग- द्वेष से प्रचार से निर्लिप्त हो!
राष्ट्र- धर्म सर्वोपरि व्यक्तित्व गुणातीत हो!
वो रहें ना रहें, पर पीढ़ियां प्रदीप्त हों!
नेतृत्व आज राष्ट्र के ऐसे ही अभीष्ट हों।
संपर्क :
मकान न. 2, महावीर नगर विस्तार योजना,
6 सेक्टर के सामने, सुभाष सर्किल के पास,
कोटा ( राजस्थान )
मोबाइल : 9602943772
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा
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फ़िल्म “श्री रामायण कथा” का टीजर पोस्टर जारी

अंजली अरोड़ा अब अभिषेक सिंह के डायरेक्शन में बन रही फिल्म “श्री रामायण कथा” में  सीता के किरदार में नज़र आएंगी। अभिषेक सिंह के डायरेक्शन में बन रही फिल्म श्री रामायण कथा अगले साल 2025 में सिल्वर स्क्रीन पर आने के लिए तैयार है।

इसके टीज़र पोस्टर में सबसे आगे, हनुमान का शक्तिशाली चेहरा नजर आता है, उनकी अभिव्यक्ति शक्ति और भक्ति से गूंजती है। हनुमान के माथे पर भगवान राम का पवित्र नाम अंकित है, जो उनकी अटूट निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है। यह राम और हनुमान के बीच के गहरे बंधन की ओर इशारा करता है, जो महाकाव्य के आध्यात्मिक और भावनात्मक पहलुओं में गहराई से उतरने वाली कथा के लिए एक स्वर निर्धारित करता है।

निर्देशक अभिषेक सिंह के इस प्रोजेक्ट के सिनेमैटोग्राफर कुणाल कदम हैं। देव व आशीष ने बेहतरीन संगीत दिया है। श्री रामायण कथा 2025 में स्क्रीन पर आने वाली है, जो एक लाजवाब सिनेमाई अनुभव का वादा करती है।

महोबिया फ़िल्म प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बन रही इस फ़िल्म का निर्माण प्रकाश महोबिया और संजय बुंदेला ने किया है। फ़िल्म के लेखक सचिन कुमार सिंह हैं और अभिषेक सिंह ने निर्देशित किया है।
Ashwani Shukla
Altair Media
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