Wednesday, June 26, 2024
spot_img
Home Blog Page 1732

मसालेदार और रोमांचक मनोरंजन का आनंद लीजिए, इस साल के आखिरी हफ्ते में

ज़ूम मना रहा है 2013 का उत्सव इन कार्यक्रमों के साथ 

26 दिसंबर से 1 जनवरी तक

प्लेनेट बॉलीवुड न्यूज-प्रतिदिन रात 7 बजे

टेंटलाइज़-2013 के मोस्ट स्कैंडलस स्टार्स

26 दिसंबर-शाम 6.30 बजे- रॉकर्स एंड शॉकर्स, 2013-ए ज़ूम रिव्यू शो स्पेशल

27 दिसंबर-शाम 6.30 बजे- टेली टॉक-बेस्ट मोमेंटस एंड टॉप स्कैंडल्स ऑफ 2013

28 दिसंबर-दोपहर 1.00 बजे -ज़ूमर्स एंड डूमर्स-न्यूजमेकर्स ऑफ 2013!

28 दिसंबर-शाम 6.30 बजे-पेज 3-हैड टर्नर्स एंड पार्टी पोपर्स ऑफ 2013

28 दिसंबर-रात 7.30 बजे

फॉलीवुड-ब्लॉपर्स बॉय बॉलीवुड सेलेब्स इन 2013-29 दिसंबर-दोपहर 6.30 बजे

 

बिजनेस ऑफ बॉलीवुड-बिगेस्ट हिट्स एंड फ्लॉप्स ऑफ 2013 और 2014 की संभावित हिट फिल्में

29 दिसंबर-रात 7.30 बजे -स्टाइल स्टनर्स एंड सिनर्स

30 दिसंबर-रात 7.30 बजे- ज़ूम मबास्टिक टॉप 100

31 दिसंबर-सुबह 8 बजे -ज़ूम बास्टिक टॉप 50

1 जनवरी-सुबह 8 बजे

 

मनाए एक ‘ज़ूम’लिशस 2013’. 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक ज़ूम के खास कार्यक्रमों के साथ

नेशनल, दिसंबर, 2013ः साल समाप्त होने जा रहा है और ज़ूम 2013 के सरप्राइज बने बेहद रोमांचक और यादगार पलों को साल के अंत में प्रस्तुत करने जा रहा है। नव वर्ष के आगमन को और भी मनोरंजक और मसालेदार बनाने के लिए बॉलीवुड का नंबर 1 चैनल संजोकर लाया है, कुछ बिल्कुल खास! शानदार कार्यक्रमों का ये सिलसिला 26 दिसंबर, 2013 से शुरू हो रहा है।

चाहे बला की खूबसूरत कंगना रानौत हो या जानलेवा अदाओं वाली करीना कपूर हो या सीधी-सादी सोनाक्षी सिन्हा या अमृता राव, शामिल हो जाए जूम के साथ उन सभी को शाबाशी देने, जिन्होंने इस साल को अपने हटके अंदाज से शानदार बनाया। ‘रॉकर्स और शॉकर्स, 2013- ए ज़ूम रिव्यू शो स्पेशल’ में इस साल की धमाकेदार हिट्स और कभी ना भुला सकने वाली शॉकिंग रिलीजज का रीकैप एक खास अंदाज में किया जाएगा, जिसमें  ‘भाग मिल्खा भाग’,  ‘काई पो चे’, ‘मटरू की बिजली का मंडोला ‘ ‘बुलेट राजा’ आदि शीर्षक शामिल हैं।

वहीं ड्रामे से भरपूर बॉलीवुड के इस साल में हुए कई धमाकों का वर्णन भी होगा। सबसे हिट फिल्मों से लेकर कुछ सबसे बड़ी खबरों और कैटफाइट्स से लेकर इंडस्ट्री में आए उतार-चढ़ाव का भी जिक्र होगा। देखिए इंडस्ट्री के न्यूजमेकर्स जिनमें सलमान खान, शाहरुख खान, संजय दत्त, रणबीर, साजिद खान और कई अन्य को ‘ज़ूमर्स एंड डूमर्स 2013’ में।

लुत्फ उठाइए बॉलीवुड सितारों की हंसी की फुहारें छोड़ने वाले कुछ ऐसे किस्सों का, एक नायाब काउंटडाउन ‘फॉलीवुड’ में। देखिए रणवीर सिंह, सैफ अली खान, कैटरीना कैफ, राकेश रौशन, साजिद खान और कई अन्य पसंदीदा सितारों को कुछ ऐसे पलों में, जब उनकी ज़ुबान ने फिसलकर बहुत ही मसालेदार गॉसिप छलकाया है। 

इतना ही नहीं, संगीत में भी 2013 के सबसे बेहतरीन से लेकर सबसे खराब संगीत, गॉसिप और कई अन्य खबरों को ‘ज़ूमबास्टिक’,  ‘टेंटालाइज़’,  ‘पेज 3’,  ‘बिजनेस ऑफ बॉलीवुड’ और  ‘टेली टॉक बेस्ट मोमेंट्स’  में देखा जा सकेगा। ज़ूम‘लिशस 2013 के साथ 8 दिनों तक जारी रहने वाले पावर पैक्ड पार्टी को 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक शानदार ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा।

.

image_print

पत्र सूचना कार्यालय से बजट 2015 की वेबसाइट हिन्दी में भी हो

सेवा में,
सम्बन्धित अधिकारी 
वित्त मंत्रालय/पत्र सूचना कार्यालय एवं राजभाषा विभाग 
भारत सरकार 
नई दिल्ली 

महोदय/महोदया 

भारत के राष्ट्रपति जी के २ जुलाई २००८ के आदेश के अनुसार सभी केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के लिए अनिवार्य है कि जब भी कोई वेबसाइट/वेबपृष्ठ बनाएँ वह "द्विभाषी" होना चाहिए इसलिए आपसे अनुरोध है कि बजट 2015 सम्बन्धी वेबसाइट को द्विभाषी रूप में तैयार करवाने की कृपा करें, हिन्दी अंग्रेजी में अलग-२ नहीं होना चाहिए। यदि-२ अलग बनाना है तो हिन्दी का पृष्ठ बाई डिफाल्ट खुलने का प्रबंध करें क्योंकि हिन्दी भारत की राजभाषा है। 

आपसे विनम्र अनुरोध है कि आगे से ध्यान रखें कि राष्ट्रपति जी के आदेश का उल्लंघन ना हो और हर पृष्ठ द्विभाषी रूप में ही आरंभ किया जाए। बजट २०१५ सम्बन्धी पृष्ठ  फिलहाल अंग्रेजी में है इसे द्विभाषी बनाने हेतु निर्देश दें तथा ऑनलाइन जन सुझाव के फॉर्म को भी द्विभाषी रूप में बनवा दें ताकि आम जनता भी इसमें भाग ले सके और हिन्दी में ऑनलाइन सुझाव भेज सके। इस कार्य को तुरंत किया जाना चाहिए। 

अनुलग्नक में बजट 2015 के मुखपृष्ठ का द्विभाषी अनुवाद सहित स्क्रीनशॉट अवश्य देखें।

शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा के साथ

भवदीय 
प्रवीण जैन 
पता: ए -103, आदीश्वर सोसाइटी 
श्री दिगंबर जैन मंदिर के पीछे,
सेक्टर-9ए, वाशी, नवी मुंबई – 400 703

.

image_print

साढ़े 5 हजार ईसाईयों ने हिन्दू धर्म में वापसी की

उत्तर प्रदेश के आगरा, कासगंज, बरेली, बदायूं, बिजनौर, शाहजहांपुर, मैनपुरी और फीरोजाबाद में बुधवार को साढ़े पांच हजार से अधिक लोगों ने ईसाई धर्म को अलविदा कहते हुए हिंदू धर्म में वापसी की। सभी जगहों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन धर्म जागरण समिति ने क्रिसमस के दिन इन सभी का शुद्धिकरण व वैदिक मंत्रों से यज्ञ-अनुष्ठान कराकर हिंदू धर्म ग्रहण कराया। हिंदू धर्म ग्रहण करने वाले लोगों में ज्यादातर का कहना था कि उन्होंने कुछ प्रलोभनों में आकर ईसाई धर्म अपना लिया था। शाहजहांपुर में सात मुस्लिमों ने भी हिंदू धर्म अपनाया।

सबसे ज्यादा धर्मांतरण अलीगढ़ में हुए, जहां दो हजार लोग हिंदू बने। अलीगढ़ में बरसों पहले हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई बने ५०० परिवार के करीब दो हजार लोग बुधवार को फिर अपने धर्म में लौटे। महाऊरु पूर्व माध्यमिक विद्यालय में इन परिवारों की हिंदू धर्म में विधि विधान से वापसी कराई गई। आगरा, कासगंज तथा फीरोजाबाद के पांच सौ से अधिक परिवार (करीब १६०० लोग), मैनपुरी के १८ गांवों के २०६ लोगों ने हिंदू धर्म में वापसी की। आगरा में हुए कार्यक्रम में मेयर इंद्रजीत आर्य भी मौजूद थे। कासगंज के सरस्वती विद्या मंदिर में हुए समारोह में साढ़े तीन सौ परिवार (करीब एक हजार लोग) और फीरोजाबाद में ६६ परिवारों (२०० लोगों) ने ईसाइयत का त्याग कर हिंदू धर्म में फिर से आस्था जताई।

कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल हिंदूवादी संगठनों के नेता मौजूद रहे। बरेली में छह सौ लोगों ने हिंदू धर्म अंगीकार किया। आर्य समाजी स्वामी यशस्वी आर्य ने इन पर गंगाजल छिड़का और जनेऊ पहनाया। बदायूं में धर्म रक्षा यज्ञ एवं घर वापसी कार्यक्रम तके धर्मांतरण कर ईसाई बने दो सौ बीस परिवारों के ९१८ लोगों को हिंदू धर्म ग्रहण कराया। इसी प्रकार से शाहजहांपुर के मदनापुर गांव के रामलीला मैदान में श्रीमद्‌भागवत कथा एवं धर्मरक्षा यज्ञ के अंतिम दिन मुस्लिमों समेत २५ लोगों ने स्वेच्छा से सनातन हिंदू धर्म अपना लिया।

 

साभार- दैनिक जागरण से

.

image_print

रामनाथ गोयनका पुरस्कार के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवार्ड्स के लिए एंट्रीज आमंत्रित की हैं। अखबार के 16 फरवरी के अंक में इस संबंध में एक विज्ञापन छपा है जिसमें मीडिया कर्मियों से अपनी एंट्री भेजने को कहा गया है। एंट्रीज भेजने की आखिरी तारीख 20 फरवरी है।
 
पत्रकारिता के क्षेत्र में साल 2013 और साल 2014 के लिए इन अवार्ड्स कई श्रंणियों में हैं। रामनाथ गोयनका जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर के लिए पुरस्कार की राशि ढाई लाख रुपए है। इसके बाद रिपोर्टिंग फ्रॉम जेएंडके एंड नॉर्थ ईस्ट, एनवायरमेंटल रिपोर्टिंग, बिजनेस एंड इकनॉमिक जर्नलिज्म, अनकवरिंग इंडिया इनविसिबल, रिपोर्टिंग ऑन पॉलिटिक्स एंड गर्वमेंट, ऑन द स्पॉट रिपोर्टिंग, इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट कवरिंग इंडिया, फीचर राइटिंग, फोटो जर्नलिज्म की कैटेगरीज में पुरस्कार राशि एक-एक लाख रुपए है। इसके अतिरिक्त हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार भी अपनी-अपनी श्रेणियों में एंट्रीज भेज सकते हैं। सिविक जर्नलिज्म के लिए प्रकाश करदाले मैमोरियल अवार्ड और बुक्स (नॉन फिक्शन) की दो अलग श्रेणियां भी हैं। इन श्रेणियों के लिए भी पुरस्कार राशि एक-एक लाख रुपए है।
 
इन पुरस्कारों के लिए प्रिंट-न्यूजपेपर, मैगेजीन और ऑनलाइन, ब्रॉडकास्ट- रेडियो और टेलिविजन, किसी भी जगह काम करने वाले पत्रकार अपनी एंट्रीज भेज सकते हैं।
 
इंडियन एक्सप्रेस के ऑनलाइन एडिशन www.indianexpress.com/rngf पर या [email protected] पर मेल द्वारा एंट्रीज भेजी जा सकती हैं। इसके अलावा रामनाथ गोयनका मेमोरियल फाउंडेशन, एक्सप्रेस बिल्डिंग, 9-10, बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली-110002 के पते पर भी एंट्रीज भेजी जा सकती हैं।

.

image_print

सांसद जयाप्रदा को कोई होटल वाला कमरा ही नहीं देता!

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां को सियासत में चुनौती दे कर रामपुर से सांसद बनीं फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा अब मंत्री के खौफ के चलते जिलाबदर जैसी स्थिति में आ गई हैं। उन्हें उनके ही संसदीय क्षेत्र में न तो कोई होटलवाला कमरा दे रहा है और न अधिकारी लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में ही ठहरने दे रहे हैं। ऐसे में वह दिन तो किसी तरह अपने क्षेत्र में काट लेती हैं, लेकिन रात होते ही रामपुर छोड़ देती है। उनकी हर रात अब मुरादाबाद शहर में कटती है और दिन अपने क्षेत्र में पीड़ा बताते हुए।

कुछ ऐसा ही हुआ बुधवार को। आजम के विरोध के बावजूद सांसद बनीं जयाप्रदा अपने संसदीय क्षेत्र में पहुंची तो उनकी पीड़ा जुबान पर आ गई। आजम खां के खौफ को जुल्म की इंतेहा बताते हुए उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री आजम मुझे संसदीय क्षेत्र रामपुर में नहीं रहने दे रहे हैं। मैं अपने दौरे के वक्त यहां मोदी होटल में रुकती थीं, लेकिन मंत्री ने उसके मालिक को धमका दिया कि सांसद को होटल में रोका तो होटल तुड़वा दिया जाएगा। इसके बाद होटल वालों ने मुझको कमरा देना बंद कर दिया। उनके खौफ से पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में भी अफसर कमरा नहीं देते। मजबूरन मुरादाबाद में रात बितानी पड़ती है।

सांसद की पीड़ा उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। उनकी बातों में इस दुख से पार पाने की तड़प भी दिख रही थी। पर खौफ सब पर भारी था। शायद इस खौफ से मुक्त होने के लिए ही उन्होंने अपनी पीड़ा से आजम के धुर विरोधी नवेद मियां की पीड़ा को जोड़ लिया। वह आजम पर आक्रामक होते हुए बोलीं, आजम विरोधियों की दुकानों व मकानों को तुड़वा रहे हैं। नवाबी दौर में बने तमाम गेट तोड़े गए हैं। किला तो कोर्ट से स्टे मिलने की वजह से बच गया है। इस संबंध में मैंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिखाहै। गेट तोड़ने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यहां जो गेट तोड़े गए हैं, उन्हें सांसद निधि से बनवाने की कोशिश करूंगी।

इस हौसले के बावजूद आजम खां का डर उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था, जिसे वह चाह कर भी छिपा नहीं पाई और बोलीं, लोग विरोध करते हैं तो आजम उनको जेल भिजवा देते हैं। अगर मैं भी विरोध करूं तो मुझे भी बुलडोजर से फिंकवा देंगे।

.

image_print

मुर्गे-मुर्गी के प्यार पर मुर्गी मालिक ने मुर्गे पर तीर चलाया!

मध्य प्रदेश में प्यार का एक अनोखा मामला सामने आया है। आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के गांव ढेकाकुंड में छोटे भाई के मुर्गे को अपनी मुर्गी से इश्क लड़ाता देख एक व्यक्ति आपा खो बैठा। उसने मुर्गे को तीर मारकर घायल कर दिया। गत 23 दिसंबर को हुई इस घटना के बाद से आरोपी फरार है। पुलिस मुर्गा मालिक की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर उसकी तलाश कर रही है।

पुलिस के अनुसार, जगलिया भील का मुर्गा घर से निकलकर दालान में दाना चुग रहा था। इसी दौरान उसके छोटे भाई ज्ञानसिंह भील की मुर्गी भी बाहर आ गई। मुर्गी को देख मुर्गा इश्क फरमाने उसके पास जा पहुंचा। मुर्गे को अपनी मुर्गी के साथ चोंच लड़ाना ज्ञानसिंह को बेहद नागवार गुजरा। वह घर के अंदर से धनुष-तीर लेकर आया और मुर्गे पर तीर से वार कर दिया। तीर मुर्गे के शरीर के आर-पार हो गया।

मुर्गा मालिक जगलिया भील को जब यह पता चला तो वह हैरान रह गया। वह तुरंत अपने घायल मुर्गे को लेकर पुलिस थाने जा पहुंचा। पुलिस ने मुर्गे को पशु चिकित्सालय भेजा। डॉक्टरों ने तीर निकालने से पहले मुर्गे की हालत में सुधार होने का इंतजार किया। उनका कहना था कि अगर तीर तुरंत शरीर से निकाल दिया जाता तो अधिक मात्रा में खून बहने से मुर्गे की मौत हो जाती। फिलहाल प्राथमिक उपचार के बाद मुर्गा स्वास्थ्य लाभ ले रहा है।

थाना प्रभारी आशाराम वर्मा ने बताया कि आरोपी ज्ञानसिंह भील के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसकी तलाश की जा रही है।

.

image_print

अटलजी, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी

अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर विशेष

टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा
रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं…

यह कविता है देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की, जिन्हें सम्मान एवं स्नेह से लोग अटलजी कहकर संबोधित करते हैं. कवि हृदय राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी ओजस्वी रचनाकार हैं. अटलजी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शिंके का बाड़ा मुहल्ले में हुआ था. उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापन का कार्य करते थे और माता कृष्णा देवी घरेलू महिला थीं. अटलजी अपने माता-पिता की सातवीं संतान थे. उनसे बड़े तीन भाई और तीन बहनें थीं. अटलजी के बड़े भाइयों को अवध बिहारी वाजपेयी, सदा बिहारी वाजपेयी तथा प्रेम बिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाता है. अटलजी बचपन से ही अंतर्मुखी और प्रतिभा संपन्न थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा बड़नगर के गोरखी विद्यालय में हुई. यहां से उन्होंने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की. जब वह पांचवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने प्रथम बार भाषण दिया था. लेकिन बड़नगर में उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें ग्वालियर जाना पड़ा. उन्हें विक्टोरिया कॉलेजियट स्कूल में दाख़िल कराया गया, जहां से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. इस विद्यालय में रहते हुए उन्होंने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया तथा प्रथम पुरस्कार भी जीता. उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण की. कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दिया था. आरंभ में वह छात्र संगठन से जुड़े. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ता नारायण राव तरटे ने उन्हें बहुत प्रभावित किया. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में कार्य किया. कॉलेज जीवन में उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं. वह 1943 में कॉलेज यूनियन के सचिव रहे और 1944 में उपाध्यक्ष भी बने. ग्वालियर की स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद वह कानपुर चले गए. यहां उन्होंने डीएवी महाविद्यालय में प्रवेश लिया. उन्होंने कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की. इसके बाद वह पीएचडी करने के लिए लखनऊ चले गए. पढ़ाई के साथ-साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य भी करने लगे. परंतु वह पीएचडी करने में सफलता प्राप्त नहीं कर सके, क्योंकि पत्रकारिता से जुड़ने के कारण उन्हें अध्ययन के लिए समय नहीं मिल रहा था. उस समय राष्ट्रधर्म नामक समाचार-पत्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय के संपादन में लखनऊ से मुद्रित हो रहा था. तब अटलजी इसके सह सम्पादक के रूप में कार्य करने लगे. पंडित दीनदयाल उपाध्याय इस समाचार-पत्र का संपादकीय स्वयं लिखते थे और शेष कार्य अटलजी एवं उनके सहायक करते थे. राष्ट्रधर्म समाचार-पत्र का प्रसार बहुत बढ़ गया. ऐसे में इसके लिए स्वयं की प्रेस का प्रबंध किया गया, जिसका नाम भारत प्रेस रखा गया था.

कुछ समय के पश्चात भारत प्रेस से मुद्रित होने वाला दूसरा समाचार पत्र पांचजन्य भी प्रकाशित होने लगा. इस समाचार-पत्र का संपादन पूर्ण रूप से अटलजी ही करते थे. 15 अगस्त, 1947 को देश स्वतंत्र हो गया था. कुछ समय के पश्चात 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या हुई. इसके बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया. इसके साथ ही भारत प्रेस को बंद कर दिया गया, क्योंकि भारत प्रेस भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रभाव क्षेत्र में थी. भारत प्रेस के बंद होने के पश्चात अटलजी इलाहाबाद चले गए. यहां उन्होंने क्राइसिस टाइम्स नामक अंग्रेज़ी साप्ताहिक के लिए कार्य करना आरंभ कर दिया.  परंतु जैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगा प्रतिबंध हटा, वह पुन: लखनऊ आ गए और उनके संपादन में स्वदेश नामक दैनिक समाचार-पत्र प्रकाशित होने लगा.  परंतु हानि के कारण स्वदेश को बंद कर दिया गया.  इसलिए वह दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र वीर अर्जुन में कार्य करने लगे. यह दैनिक एवं साप्ताहिक दोनों आधार पर प्रकाशित हो रहा था. वीर अर्जुन का संपादन करते हुए उन्होंने कविताएं लिखना भी जारी रखा.  

अटलजी को जनसंघ के सबसे पुराने व्यक्तियों में एक माना जाता है. जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लग गया था, तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारतीय जनसंघ का गठन किया था. यह राजनीतिक विचारधारा वाला दल था. वास्तव में इसका जन्म संघ परिवार की राजनीतिक संस्था के रूप में हुआ. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके अध्यक्ष थे. अटलजी भी उस समय से ही इस दल से जुड़ गए. वह अध्यक्ष के निजी सचिव के रूप में दल का कार्य देख रहे थे. भारतीय जनसंघ ने सर्वप्रथम 1952 के लोकसभा चुनाव में भाग लिया. तब उसका चुनाव चिह्न दीपक था. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ को कोई विशेष सफ़लता प्राप्त नहीं हुई, परंतु इसका कार्य जारी रहा. उस समय भी कश्मीर का मामला अत्यंत संवेदनशील था. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अटलजी के साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों को जागरूक करने का कार्य किया. परंतु सरकार ने इसे सांप्रदायिक गतिविधि मानते हुए डॉ. मुखर्जी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया, जहां 23 जून, 1953 को जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई.  अब भारतीय जनसंघ का काम अटलजी प्रमुख रूप से देखने लगे. 1957 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ को चार स्थानों पर विजय प्राप्त हुई. अटलजी प्रथम बार बलरामपुर सीट से विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे. वह इस चुनाव में 10 हज़ार मतों से विजयी हुए थे. उन्होंने तीन स्थानों से नामांकन पत्र भरा था. बलरामपुर के अलावा उन्होंने लखनऊ और मथुरा से भी नामांकन पत्र भरे थे. परंतु वह शेष दो स्थानों पर हार गए. मथुरा में वह अपनी ज़मानत भी नहीं बचा पाए और लखनऊ में साढ़े बारह हज़ार मतों से पराजय स्वीकार करनी पड़ी. उस समय किसी भी पार्टी के लिए यह आवश्यक था कि वह कम से कम तीन प्रतिशत मत प्राप्त करे, अन्यथा उस पार्टी की मान्यता समाप्त की जा सकती थी. भारतीय जनसंघ को छह प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. इस चुनाव में हिन्दू महासभा और रामराज्य परिषद जैसे दलों की मान्यता समाप्त हो गई, क्योंकि उन्हें तीन प्रतिशत मत नहीं मिले थे. उन्होंने संसद में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी. 1962 के लोकसभा चुनाव में वह पुन: बलरामपुर क्षेत्र से भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी बने, परंतु उनकी इस बार पराजय हुई. यह सुखद रहा कि 1962 के चुनाव में जनसंघ ने प्रगति की और उसके 14 प्रतिनिधि संसद पहुंचे. इस संख्या के आधार पर राज्यसभा के लिए जनसंघ को दो सदस्य मनोनीत करने का अधिकार प्राप्त हुआ. ऐसे में अटलजी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्यसभा में भेजे गए. फिर 1967 के लोकसभा चुनाव में अटलजी पुन: बलरामपुर की सीट से प्रत्याशी बने और उन्होंने विजय प्राप्त की. उन्होंने 1972 का लोकसभा चुनाव अपने गृहनगर अर्थात ग्वालियर से लड़ा था. उन्होंने बलरामपुर संसदीय चुनाव का परित्याग कर दिया था. उस समय श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं, जिन्होंने जून, 1975 में आपातकाल लगाकर विपक्ष के कई नेताओं को जेल में डाल दिया था. इनमें अटलजी भी शामिल थे. उन्होंने जेल में रहते हुए समयानुकूल काव्य की रचना की और आपातकाल के यथार्थ को व्यंग्य के माध्यम से प्रकट किया. जेल में रहते हुए ही उनका स्वास्थ्य ख़राब हो गया और उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया. लगभग 18 माह के बाद आपातकाल समाप्त हुआ. फिर 1977 में लोकसभा चुनाव हुए, परंतु आपातकाल के कारण श्रीमती इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं. विपक्ष द्वारा मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व में जनता पार्टी की सरकार बनी और अटलजी विदेश मंत्री बनाए गए. उन्होंने कई देशों की यात्राएं कीं और भारत का पक्ष रखा.  4 अक्टूबर, 1977 को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में हिंदी में संबोधन दिया. इससे पूर्व किसी भी भारतीय नागरिक ने राष्ट्रभाषा का प्रयोग इस मंच पर नहीं किया था. जनता पार्टी सरकार का पतन होने के पश्चात् 1980 में नए चुनाव हुए और इंदिरा गांधी पुन: सत्ता में आ गईं. इसके बाद 1996 तक अटलजी विपक्ष में रहे. 1980 में भारतीय जनसंघ के नए स्वरूप में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ और इसका चुनाव चिह्न कमल का फूल रखा गया. उस समय अटलजी ही भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता थे. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात् 1984 में आठवीं लोकसभा के चुनाव हुए, परंतु अटलजी ग्वालियर की अपनी सीट से पराजित हो गए. मगर 1986 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुन लिया गया.

13 मार्च, 1991 को लोकसभा भंग हो गई और 1991 में फिर लोकसभा चुनाव हुए. फिर 1996 में पुन: लोकसभा के चुनाव हुए.  इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. संसदीय दल के नेता के रूप में अटलजी प्रधानमंत्री बने. उन्होंने 21 मई, 1996 को प्रधानमंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की. 31 मई, 1996 को उन्हें अंतिम रूप से बहुमत सिद्ध करना था, परंतु विपक्ष संगठित नहीं था. इस कारण अटलजी मात्र 13 दिनों तक ही प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद वह अप्रैल, 1999 से अक्टूबर, 1999 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे. 1999 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ और 13 अक्टूबर, 1999 को अटलजी ने प्रधानमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. इस प्रकार वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा किया.

पत्रकार के रूप में अपना जीवन आरंभ करने वाले अटलजी को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. राष्ट्र के प्रति उनकी समर्पित सेवाओं के लिए वर्ष 1992 में राष्ट्रपति ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया. वर्ष 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि प्रदान की. उन्हें 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार दिया गया. वर्ष 1994 में श्रेष्ठ सासंद चुना गया तथा पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अटलजी ने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें कैदी कविराय की कुंडलियां, न्यू डाइमेंशन ऒफ़ एशियन फ़ॊरेन पॊलिसी, मृत्यु या हत्या, जनसंघ और मुसलमान, मेरी इक्यावन कविताएं, मेरी संसदीय यात्रा (चार खंड), संकल्प-काल एवं गठबंधन की राजनीति सम्मिलित हैं.
 
अटलजी को इस बात का बहुत हर्ष है कि उनका जन्म 25 दिसंबर को हुआ. वह कहते हैं- 25 दिसंबर! पता नहीं कि उस दिन मेरा जन्म क्यों हुआ?  बाद में, बड़ा होने पर मुझे यह बताया गया कि 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन है, इसलिए बड़े दिन के रूप में मनाया जाता है. मुझे यह भी बताया गया कि जब मैं पैदा हुआ, तब पड़ोस के गिरजाघर में ईसा मसीह के जन्मदिन का त्योहार मनाया जा रहा था. कैरोल गाए जा रहे थे. उल्लास का वातावरण था. बच्चों में मिठाई बांटी जा रही थी. बाद में मुझे यह भी पता चला कि बड़ा धर्म पंडित मदन मोहन मालवीय का भी जन्मदिन है. मुझे जीवन भर इस बात का अभिमान रहा कि मेरा जन्म ऐसे महापुरुषों के जन्म के दिन ही हुआ. 

***

‘स्टार न्यूज़ एजेंसी’

***

(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में प्राध्यापक हैं)

 

.

image_print

लोक सभा चुनाव में भी अपना रंग जमाएगी आप

दिल्ली में सरकार बनाने जा रही आम आदमी पार्टी (आप) अब लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के लिए आवेदन खिड़की खोलने जा रही है। शुक्रवार से तयशुदा शर्तों के तहत देशभर की 543 सीटों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा।

पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर आवेदकों को फॉर्म अपलोड करना होगा। जनवरी के आखिरी हफ्ते से उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया जाने लगेगा।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मुख्य रूप से देश के उन 309 जिलों पर नजर रहेगी, जहां दिल्ली चुनाव से पहले पार्टी की शाखाएं काम कर रही हैं। इनमें भी पार्टी का पूरा जोर देश की करीब 200 शहरी सीटों पर होगा।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह का कहना है कि देशभर के कई नामचीन चेहरे हमारे संपर्क में हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति शुक्रवार से वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। जितना जल्दी संभव हो उम्मीदवारों का नाम तय करने की हमारी कोशिश है। दिल्ली चुनाव में अपनाई गई प्रक्रिया में मामूली संशोधन के साथ उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।

.

image_print

कोल्हू के बैल बिजली भी पैदा करेंगे

रायपुर । भले ही बैलों की मदद से चलने वाले कोल्हू अब कम नजर आते हों, लेकिन यह तकनीक अभी भी कारनामा करने का माद्दा रखती है। भिलाई में कोल्हू से बिजली पैदा करने की तकनीक ईजाद कर ली गई है। भिलाई के शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल विभाग की टीम ने कोल्हू तकनीक से विद्युत उत्पादन इकाई तैयार कर ग्रामीण भारत के लिए एक उपयोगी यंत्र उपलब्ध कराया है। पशुओं की मदद से चलने वाली यह मशीन न केवल सस्ती है, बल्कि इसके प्रयोग से बिजली की कमी से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में भी बिजली लाई जा सकती है। शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के मेकेनिकल विभाग के प्रवक्ता शरद कुमार चंद्राकर, एमई के छात्र धनंजय कुमार यादव, ललित कुमार साहू और धीरज लाल सोनी ने तीन महीने की मेहनत के बाद इस सस्ते यंत्र को विकसित किया। गौरतलब है कि दल के सभी सदस्य किसान वाली पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या को ध्यान में रखकर ही इसे विकसित किया है।

3 हजार रुपए आती है लागत

इसे बनाने में उतना ही खर्च आ रहा है, जितना कि एक किसान का सालभर का बिजली खर्च आता है। चंद्राकर के अनुसार, इस संयंत्र को बनाने में 23 हजार रुपये की लागत आती है। इसके अलावा यह प्रदूषण मुक्त भी है।

बैल की एक घंटे की मेहनत से पैदा होती है 5 घंटे 40 मिनट की बिजली

चंद्राकर ने बताया कि कोल्हू की तर्ज पर बनाए गए इस प्रोजेक्ट में चार जोड़े विभिन्न आकार के गियर, एक जोड़ी पुल्ली और बेयरिंग का इस्तेमाल किया गया है। एक हैंडल को कोल्हू की शक्ल दी गई है, जिसे बैल घुमाते हैं। उन्होंने बताया कि बैलों के घुमाने पर आठों गियर घूमने लगते हैं और उससे पुल्ली के माध्यम से जुड़ा कार का अल्टरनेटर घूमने लगता है। अल्टरनेटर से डीसी वोल्ट पैदा होने लगता है, जो एक बैटरी को चार्ज करता है। बैटरी पूरी तरह चार्ज होने के बाद इनवर्टर के माध्यम से एसी करंट पैदा कर उसे इस्तेमाल में लाया जाता है। इस यंत्र के माध्यम से बैल की एक घंटे की मेहनत से 5 घंटे 40 मिनट की बिजली पैदा की जा सकती है। बैलों के एक चक्कर में अल्टेरनेटर 1500 बार घूमता है। इस तरह बैटरी जल्दी चार्ज हो जाती है। एक घंटे में तैयार हुई बिजली से 0.5 एचपी पंप को 5 घंटे 40 मिनट तक चलाया जा सकता है और 14 हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है। इसके अलावा इससे पैदा हुई बिजली से अन्य घरेलू काम भी किए जा सकते हैं।

.

image_print

क्रिसमस पर 500 ईसाई हिन्दू बनेंगे

हाथरस में क्रिसमस के मौके ईसाई समुदाय के लोगों की हिंदू धर्म में वापसी कराई जाएगी। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हो रहे इस आयोजन से जुड़े लोगों का कहना है कि 500 ईसाई हिंदू धर्म अपनाएंगे।

शहर के लेबर कॉलोनी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में यह कार्यक्रम होगा। इस मौके पर 500 ईसाई समाज के लोगों को फिर से हिंदू धर्म ग्रहण कराने की तैयारी की गई है। इन्हें वैदिक रीति रिवाज के साथ हिंदू धर्म ग्रहण कराया जाएगा। संघ, विहिप, बजरंग दल आदि हिंदू संगठन इस आयोजन में लगे हैं। यह कार्यक्रम धर्म जागरण समिति के तहत होगा

.

image_print
image_print