Tuesday, November 26, 2024
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लोनावला में बच्ची की हत्या से नाराज लोग गृह राज्यमंत्री से मिले

मुंबई। लोनावला में हुई सात साल की बच्ची अनुषा जैन की हत्या के मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी जांच और तेज की जाएगी। गृह राज्य मंत्री राम शिंदे ने विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा के नेतृत्व में मिले अलीबाग एवं रायगड़ से आए पीड़ित परिवार एवं समाज के प्रमुख लोगों को आश्वस्त किया कि अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा।

गृह राज्य मंत्री से विधायक लोढ़ा ने बताया कि इस शर्मनाक घटना के कारण लोगों में काफी रोष है। साथ ही असुरक्षा की भावना भी फैल रही है। लोढ़ा ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आईजी स्तर के अधिकारी को घटना स्थल पर भेजकर जांच कराने की मांग की। जिसे तत्काल स्वीकारते हुए गृह राज्य मंत्री ने इस बारे में आदेश जारी दिए। विधायक लोढ़ा के साथ आए पीड़ित परिवार के रिश्तेदार एवं अनिल चौपड़ा एवं आकाश जैन सहित रायगढ़ जिले के जैन समाज के प्रमुख लोग भी गृह राज्य मंत्री से मिले। उन्होंने मांग की कि घटना की जांच में तेजी लाई जाए। गृह राज्य मंत्री ने इस प्रतिनिधि मंडल को यह भी आश्वासन दिया कि इस घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे नाराज लोगों पर जो केस बने गए हैं, उनमें भी मानवीय पहलू का खयाल रखा जाएगा।

लोनावला के इस रिसॉर्ट में आयोजित एक विवाह समारोह में रायगढ़ से एक जैन परिवार अपने सात साल की बच्ची अनुषा के साथ आया था। रात को 9 बजे यह बच्ची गायब हो गई थी। तो उसके परिजनों ने खोजबीन की, मगर वह नहीं मिली। फिर परिजनों ने पुलिस शिकायत दर्ज करवाई। रविवार को गायब हुई इस बच्ची की दो दिन बाद गला कटी हुई लाश छत पर मिली। इस घटना से लोगों में काफी रोष व्याप्त है। उल्लेखनीय है कि विवाह समारोहों के लिए लोनावला इन दिनों एक प्रमुख जगह बनता जा रहा है। ऐसे में इस तरह की घटना से लोगों में काफी डर व्याप्त है।  

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यू ट्यूब पर भी होगा बजट का प्रसारण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आम लोगों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर जोर दिए जाने के बीच वित्त मंत्री व रेल मंत्री के बजट बाद पहले इंटरव्यू का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण होगा।
 
इन मंत्रियों के बजट के बाद पहले इंटरव्यू यूट्यूब पर लाइव दिखाए जाएंगे. इसके लिए लोग ‘ट्विटर’ के जरिए सवाल पूछ सकेंगे।
 
मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब, ट्विटर व फेसबुक जैसी सोशल मीडिया वेबसाइटों का एक साथ इस्तेमाल करना शुरू किया है। मंत्रालय की अब बजट के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली, रेल मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा के साक्षात्कार प्रसारित करने की योजना है।
 
ऐसा माना जाता है कि बजट बाद के साक्षात्कार दूरदर्शन करेगा जबकि आम लोग भी मंत्रियों से सवाल कर सकेंगे।
 
सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने इसकी पुष्टि की कि मंत्रालय बजट बाद इंटरव्यू के लिए ‘टाकाथन’ का इस्तेमाल कर सकता है।

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हिन्दुस्तान में रहना है तो सरकार को हिन्दी में मत लिखो

 अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का संकल्प : हम हिन्दी वेबसाइट कभी नहीं बनाएँगे और राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन जारी रहेगा.

आदरणीय महोदय/महोदया,
 
हम लोग पिछले तीन साल में मंत्रालय को कई बार हिंदी वेबसाइट, द्विभाषी मोबाइल एप  और द्विभाषी ऑनलाइन सेवाओं के लिए लिख रहे हैं, कई बार आरटीआई आवेदन लगा चुके हैं पर मंत्रालय के अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं और हमेशा एक ही जवाब मिलता है कि जल्द ही वेबसाइट और ऑनलाइन सेवाएँ द्विभाषी रूप में शुरू की जाएँगी पर तीन साल बीतने के बाद भी "जल्द ही" नहीं हो पाया. 

देश के नागरिकों पर पर अंग्रेजी को बुरी तरह थोपा गया है इसलिए आपकी योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल पाता। जब नागरिक को योजना की जानकारी उसकी भाषा में नहीं मिलेगी तो वह उसका लाभ कैसे उठा पाएगा? आपकी कितनी भी योजनाएं लागू कर दीजिए उनका लाभ जनता तक नहीं पहुंचेगा जब तक सरकारी अधिकारी उन योजनाओं के दस्तावेज, फॉर्म, ऑनलाइन आवेदन, वेबसाइट आदि की सुविधा हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं करवा देते। आपने हिन्दी में नहीं बताया तो समझ लीजिए आपने कुछ भी नहीं बताया, आपकी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी। 

सरकार ने राजभाषा अधिनियम के पालन के लिए एक भी ठोस कदम नहीं उठाया, स्थिति तो इतनी बुरी है प्रधानमंत्री कार्यालय से आम नागरिकों के हिन्दी में लिखे पत्रों और आवेदनों के जवाब अंग्रेजी भेजे जाते हैं, आपके कार्यालय में रबर की मुहरें तक केवल अंग्रेजी में बनी इस्तेमाल की जा रही है, जब आपके कार्यालय में हिन्दी का यह हाल हो तो फिर सरकार के अन्य मंत्रालयों से जनता क्या उम्मीद कर सकती है? इतने अनिवार्य नियमों का उल्लंघन किस बात को दर्शाता है, यही कि सरकार राजभाषा के लिए एकदम उदासीन है और उसे केवल अंग्रेजी में काम करना है, जनता को अंग्रेजी नहीं आती तो यह जनता की अपनी समस्या है, सरकार को इस बात से कोई सरोकार नहीं. यहाँ यह कहना उचित होगा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय मंत्रालय का कामकाज अंग्रेजी में ही हो रहा है और शायद मंत्रालय यह मानकर चल रहा है कि भारत के सभी अल्पसंख्यक इंग्लैंड से अंग्रेजी पढ़कर आए हैं ऐसे में मंत्रालय हिंदी में काम कैसे कर सकता है?
 
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निरंतर राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम, राजभाषा नीति और राजभाषा विभाग के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है:
 
उल्लंघन के उदाहरण:
1.  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की सभी वेबसाइटे एवं ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में बनाई गई है और वेबसाइट पर दो-चार दस्तावेजों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जानकारी हिंदी में उपलब्ध नहीं है. दो दस्तावेज हिन्दी में हैं उनके नाम वेबसाइट पर अंग्रेजी में लिखे गए हैं ताकि जनता उन्हें पढ़ ना ले.
2. एक-दो अपवाद छोड़कर  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सभी निविदा-पत्र, परिपत्र, कार्यालय ज्ञापन, करार, अनुबंध, समझौते, प्रेस विज्ञप्ति, विज्ञापन, कार्यक्रमों के बैनर, पोस्टर, दिशा-निर्देश, फॉर्म, सूचना का अधिकार अधिनियम सम्बन्धी सभी विवरण/ सूचना अधिकारियों के नाम पते आदि का केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं. 
3.  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं.
4. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा रबर की मुहरें, लिफ़ाफ़े और योजनाओं के लाभ लेने हेतु सभी आवेदन फॉर्म द्विभाषी ना छपाकर केवल अंग्रेजी में जारी किए/छापे गए हैं.
5. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की सम्पूर्ण कार्यवाही अंग्रेजी में की जाती है, बैनर-पोस्टर-बैज-आमंत्रण-पत्र-पाठ्य सामग्री, प्रेस विज्ञप्ति, शिलान्यास-पट आदि केवल अंग्रेजी में तैयार किये जाते/की जाती है.
6. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा हिन्दी में प्राप्त ईमेल के कोई जवाब नहीं दिए जाते।

 
हिंदी के नाम पर ढोंग करने वाले मंत्रालयों पर कार्यवाही सख्त कीजिए ताकि भारत के नागरिकों को उनकी भाषा में सेवाएं मिलें.आपसे शीघ्र और सकारात्मक तथा कारगर कार्यवाही की अपेक्षा है.
 
भवदीय
तुषार कोठारी
२०१-बी, गोपाल कृष्ण भवन, प्लाट -९८,
श्रीमद राजचंद्र मार्ग, तिलक रोड, घाटकोपर पूर्व, मुंबई -४०००७७

प्रतिलिपि:
गृहमंत्री जी 
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री जी, राज्य मंत्री जी, सचिव तथा संयुक्त सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय  
राजभाषा विभाग 

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मात्र कर्मकांड ही नहीं है यज्ञ, जीवन की सफलता का मंत्र भी है!

यज्ञ का सूक्ष्म विज्ञान किसी भी अणु, परमाणु और विराट के रहस्यों से कम आश्चर्यजनक नहीं है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में यद्यपि दवा की टिकिया देकर रोग निदान का प्रतिशत सर्वाधिक है, तथापि रक्त में सीधी औषधि पहुँचाने की इंजेक्शन प्रणाली को ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है। यह एक विलक्षण सत्य है कि शरीर के क्रिया व्यापार को चलाने वाली वह रस-रक्त स्राव विहीन नाड़ियाँ होती हैं जिनमें इनसे भी सूक्ष्मतर प्राण चेतना प्रवाहित होती हैं जिनमें इनसे भी सूक्ष्मतर प्राण चेतना प्रवाहित होती है।

स्पष्ट है यदि कोई ऐसी पद्धति हो जो स्नायु संस्थान को प्रभावित कर सकती हो तो उसे इंजेक्शन चिकित्सा से भी अधिक कारगर होना चाहिए। भारतीय आयुर्वेदाचार्यों, जैसे धन्वन्तरि, चरक, सुश्रुत, वाग्भट्ट आदि सभी ने यज्ञ चिकित्सा को इसी कोटि का माना है। ऋषियों ने तो उसे आत्मोत्कर्ष का अमोघ साधन ही माना है, पद यदि उतनी गहराई में न जाएँ, मात्र भौतिक स्तर तक ही कल्पना करें तो यज्ञ की गरिमा अपार है। यज्ञ आरोग्य की दृष्टि से सर्वोपरि सफल चिकित्सा प्रणाली कही जा सकती है। यज्ञ “आप्त काल” कहे गये हैं। बंध्ययात्व के निवारण से लेकर राजयक्ष्मा जैसे कठिन रोगों के निवारण में यज्ञ का असाधारण और समस्या रहित उपचार होता रहा है।

यज्ञ के माध्यम से औषधि के गुणों को अत्यधिक सूक्ष्म बना दिया जाता है। इस सूक्ष्मता की शक्ति का कुछ आभास प्राप्त करने के लिये होम्योपैथी के औषधि विज्ञान प्रक्रिया को देखा जा सकता है। उसका आविष्कार ही इस आधार पर हुआ है कि अधिक सूक्ष्म होने पर औषधि की शक्ति अनेक गुना अधिक बढ़ जाती है।

हवन में स्वास्थ संवर्धन और रोग निवारण की जो अद्भुत शक्ति है उसका कारण पदार्थों को वायु भूत बना कर उसका लाभ लेना ही है। वायुभूत बनी हुई औषधियाँ जितना काम करती हैं उतना वे खाने-पीने से नहीं कर सकती। तपेदिक आदि रोगों के रोगियों को डॉक्टर लोग भुवाली, शिमला, मंसूरी जैसे अच्छी वायु के स्थानों में जाकर रहने की सलाह देने हैं। कई अच्छे अस्पताल भी वहाँ बने हैं। डॉक्टरों का कहना यह है कि औषधि सेवन के साथ-साथ यदि उत्तम आक्सीजन मिली वायु सेवन की सुविधा हो तो रोग अच्छा होने में बहुत सहायता मिलेगी। निसंदेह प्राण वायु-आक्सीजन भी एक दवा ही है।

प्रातःकाल जब वायु में आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है, टहलने जाना आरोग्यवर्धक माना जाता है। वायु में लाभदायक तत्व मिले हो तो उसकी उपयोगिता का लाभ स्वतः ही मिलेगा। हवन द्वारा यही प्रयोजन पूरा किया जाता है। उपयोग औषधियों को वायुभूत बनाया जाय और उसका लाभ उस वातावरण के संपर्क में आने वालों को मिलें, आरोग्य की दृष्टि से हवन का यह लाभ बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पौष्टिक पदार्थों के बारे में भी यही बात है। दुर्बल शरीर को बलवान बनाने के लिये पौष्टिक आहार की आवश्यकता अनुभव की जाती है, पर पौष्टिक पदार्थों को कमजोर देह और कमजोर पेट वाला व्यक्ति हजम कैसे करें यह समस्या सामने आती है। दुर्बल या रोगी व्यक्ति की पाचन क्रिया मंद हो जाती है। साधारण हलका भोजन थोड़ी मात्रा में लेने पर भी जब अपच, दस्त, उल्टी आदि की शिकायत शुरू हो जाती है तो अभीष्ट मात्रा में पौष्टिक भोजन कैसे हजम हो? इसका सरल साधन हवन है। अग्निहोत्र में मेवा पदार्थ हवन किये जायें और उन्हें नाक, मुख या रोम कूपों द्वारा ग्रहण किया जाय तो वे शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और वायुभूत होने के कारण अपनी सुगमता के आधार पर लाभदायक भी अधिक हो सकती हैं।

यज्ञ का वैज्ञानिक आधार भी यही है कि अग्नि अपने में जलाई गई वस्तुओं को करोड़ों गुना अधिक सूक्ष्म बनाकर वायु में फैला देती है। एक छोटे से प्रयोग द्वारा स्वयं ही इस तथ्य को जाना और अनुभव किया जा सकता है। एक मिर्च उतनी तीखी नहीं होती, जितनी कि बँटने पीसने पर हो जाती है। पीसी हुई मिर्च का स्वाद या प्रभाव भी थोड़े ही लोगों पर होता है किन्तु उसे जला दिया जाय तो आसपास के दसियों फुट की परिधि में उसका असर फैल जाता है। वैज्ञानिक स्तर पर अग्नि की सूक्ष्मीकरण सामर्थ्य फ्राँस के डॉक्टर हाँफकिन तथा मद्रास के डॉ. कर्नल सिंग ने प्रयोगों द्वारा प्रमाणित की है। उनका कहना है कि आग में घी जलाने केसर आदि के धुएं से विष का नाश हो जाता है और वायु में घुले जहर वर्षा के साथ जमीन में चले जाते हैं तथा खाद बनकर पृथ्वी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।

हवन की गैस सड़न को रोकती है। शरीर के भीतर या बाहर जिन छोटे बड़े जख्मों के कारण पायेरिया, कोलाइटिस, तपेदिक, दमा, नासूर, कैंसर, संग्रहणी जुकाम आदि रोग होते है, उन्हें सुखाने के लिए हवन की गैस कितनी अधिक उपयोगी सिद्ध होती है, इसका प्रयोग कोई भी करके देख सकता है।

हवन वायु जहाँ रोग निवारक है वहाँ रोग निरोधक भी है। बीमारियों से बचने के लिए हैजा, चेचक, टी.बी. आदि के टीके लिये जाते हैं। इन टीकों से हलके रूप में वही रोग पैदा किया जाता है जिसके प्रतिरोध में टीका बना था। इस प्रकार पहले हलका रोग उत्पन्न करेंगे ताकि भविष्य में बड़े रोगों की चढ़ाई न हो या बुद्धिमानी की बात नहीं है। डाकू से लड़ने के चोर को घर में बसा लेना यह तात्कालिक लाभ की दृष्टि से भले ही उपयोगी हो, पर दूरदर्शिता नहीं है, क्योंकि डाकू न आवे तो भी चोर तो अवसर मिलने पर नुकसान कर ही सकता है। ऐलोपैथिक रोग निवारक टीकों की अपेक्षा हवन की वायु अधिक विश्वसनीय और हानि रहित है। यज्ञ की ऊष्मा शरीर में प्रवेश कर केवल रोग बीजाणुओं को ही मारती है, स्वस्थ कोषों पर उनका तनिक भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता वरन् पुष्टि ही होती है। यह एक विज्ञान सम्मत प्रक्रिया है।

शारीरिक रोगों के निवारण करने के अतिरिक्त हवन की वायु में मानसिक रोगों के निवारण की अपूर्व क्षमता है। अभी तक केवल पागलपन और विक्षिप्तता के ही इलाज ऐलोपैथी में निकले हैं। पूर्ण पागलों की अपेक्षा वर्तमान पागलों, अर्धविक्षिप्तों की संख्या शारीरिक रोगियों से भी अधिक है। मनोविकारों से ग्रसित लोग अपने लिये तथा दूसरों के लिए अनेक समस्यायें पैदा करते हैं। शारीरिक रोगों की तो दवा-दारु भी है, पर मनोविकारों की कोई चिकित्सा अभी तक नहीं निकल सकी है। फलस्वरूप सनक, उद्वेग आवेश, संदेह कामुकता, अहंकार, अविश्वास, निराशा, आलस्य, विस्मृति आदि अनेक मनोविकारों से ग्रसित लोग स्वयं उद्विग्न रहते हैं, कलह करते हैं और संबंधित सभी लोगों को खिन्न बनाये रहते हैं। इतना ही नहीं ऐसे व्यक्ति दूसरों की नजरों में गिर जाते हैं और सहयोग सद्भाव खो बैठते हैं।

फलस्वरूप उनकी प्रगति ही नहीं रुक जाती बदनामी और हानि भी उठानी पड़ती है। इन सभी मनोविकारों की एक मात्र चिकित्सा हवन है। हवन सामग्री की सुगन्ध के साथ-साथ दिव्य वेद मंत्रों के प्रभावशाली कम्पन मस्तिष्क के मर्म स्थलों को छूते और प्रभावित करते हैं। फलतः मनोविकारों के निवारण में उनका बहुत प्रभाव पड़ता है। भारतीय संस्कृति में जन्म से लेकर मरण तक के षोडश संस्कारों में हवन को अनिवार्य रूप से जोड़ा गया है ताकि उसके प्रभाव से मनोविकारों की जड़ ही कटती रहे। मनुस्मृति में यज्ञ के संपर्क से ब्राह्मणत्व के उदय की बात इसीलिए कही गई है कि हवन की ऊष्मा से संपर्क स्थापित करने वाला व्यक्ति विचारवान और चरित्रवान दोनों ही विशेषताओं से युक्त बनता है। ऐसे ही लोगों को ब्राह्मण कहते हैं।

रोग निरोधक और निवारक गुणों के अतिरिक्त यज्ञ वायु में स्वास्थ संवर्धन का भी गुण है। जो पौष्टिक पदार्थ एवं औषधि तत्व शरीर में प्रवेश करके रक्त में मिलते हैं वे जीवनी शक्ति बढ़ाने में सहायता करते हैं और जो कमी किसी विशेष अंग की शक्ति में आ गई थी उसे पूरा करते है। नपुँसकता, मधु मेह, रक्तचाप, अनिद्रा, नाड़ी संस्थान की दुर्बलता आदि रोगों में हवन की निकटता का आश्चर्यजनक लाभ होता है। संतान उत्पन्न करने की क्षमता बढ़ती है। प्राचीन काल में पुत्रेष्टि यज्ञ इसी प्रयोजन के लिए होते थे। गर्भवती स्त्रियाँ हवन की समीपता का लाभ उत्तम संतान के रूप में देख सकती हैं और वन्ध्यात्वदोष दूर हो सकता है।

यज्ञ किसान इन दिनों तो ऐसे ही धार्मिक कर्मकाण्ड प्रक्रिया तक सीमित रह गया है, पर उसमें उपयोगी पदार्थों को अग्नि के माध्यम से सूक्ष्मीकरण का रहस्यमय विज्ञान भी जुड़ा हुआ है, इसे बहुत कम लोग जानते हैं। थोड़ी-सी हवन-सामग्री यों अपने स्थूल रूप में जरासी जगह घेरती और तनिक-सा प्रभाव उत्पन्न करती है, पर जब वह वायु भूत होकर सुदूर क्षेत्र में विस्तृत होती है तो उस परिधि में आने वाले सभी प्राणी और पदार्थ प्रभावित होते हैं। स्वल्प साधनों को अधिक शक्तिशाली और अधिक विस्तृत बना देने का प्रयोग यज्ञ प्रक्रिया में किया जाता है। फलतः उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वालों को शारीरिक व्याधियों से ही नहीं मानसिक “आधियों” से भी छुटकारा पाने का अवसर मिलता है।

शरीर के अवयवों को प्रभावित करने के लिये औषधियों का लेप, खाना पीना या सुई लेने से उपचार हो सकता है। किन्तु मानसिक रोगों एवं मनोविकारों की निवृत्ति के लिये उपचार सामग्री ऐसी होनी चाहिए जो मस्तिष्कीय कोषों तक पहुँचने और अपना प्रभाव उत्पन्न करने में समर्थ हो सके। यह कार्य यज्ञ से उत्पन्न हुई शक्तिशाली ऊर्जा से सम्पन्न हो सकता है। वह नासिका द्वारा, रोमकूपों एवं अन्यान्य छिद्रों द्वारा शरीर में प्रवेश करती है। विशेषतया मस्तिष्क के भीतरी कोषाणुओं तक प्रभाव पहुँचाने के लिए नासिका द्वारा खींची हुई वायु ही काम कर सकती है। यदि उसमें यज्ञ-प्रक्रिया द्वारा प्रभावशाली औषधियों और मंत्र ध्वनियों का समावेश किया गया है तो उनका समन्वय विशेष शक्तिशाली बनेगा और मानसिक विकृतियों के निराकरण में अति महत्वपूर्ण उपचार की भूमिका सम्पन्न करेगा। यही शोध अनुसंधान ब्रह्मवर्चस की यज्ञोपैथी की विद्या का एक अति महत्वपूर्ण पक्ष है।

श्री रामकृष्ण परमहंस कहते थे कि “गायत्री संध्यावंदन की आत्मा है, और उसके जप से ही संध्या का फल मिलता है। ब्राह्मणों के संध्यावन्दन की परिणति गायत्री में होती है और गायत्री की ॐ में होती है।”

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साभार- अखंड ज्योति http://aj.awgp.in/ से

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युवाओं को वैज्ञानिक और टेक्नोक्रेट दिखाएंगे राह

मैनिट में 26 से 28 फरवरी तक सविष्कार (आईफास्ट-2015) का आयोजन
 
भोपाल। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विद्यार्थी कल्याण न्यास के संयुक्त तत्वावधान में मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट)  26 से 28 फरवरी तक सविष्कार (आईफास्ट-2015) का आयोजन किया जा रहा है। स्वदेशी प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने के लिए हो रहे सविष्कार में देशभर से वैज्ञानिक, औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधि, युवा वैज्ञानिक और सरकार संस्थाएं भाग ले रही हैं। तीन दिन चलने वाले इस आयोजन में विभिन्न विषयों पर 15 सत्रों में 200 से अधिक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे। इसके साथ ही युवा वैज्ञानिक 11 थीम पर करीब 300 प्रोजेक्ट का प्रदर्शन करेंगे। प्रत्येक थीम में तीन श्रेष्ठ प्रोजेक्ट को औद्योगिक संस्थान पुरस्कार भी देंगे। वैज्ञानिक संस्थान इसरो और डीआरडीओ सहित मध्यप्रदेश का पर्यटन, कृषि और ऊर्जा विभाग भी अपनी उपलब्धियों के संबंध में प्रदर्शनी लगाएंगे। इस आयोजन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मैनिट, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भी सहभागी है।
 
सविष्कार के लिए अब तक देश-प्रदेश के उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और सरकारी एजेंसियों के साथ अलग-अलग बैठकें हो चुकी हैं। बैठक में रिलायंस, पीएनजी, परमाली वैलैस, एचईजी, क्रोमटन, बीएचईएल, वर्धमान और दौलतराम इण्डस्ट्री सहित अन्य संस्थानों ने सविष्कार में शामिल होने की सहमति जताई है। इस दौरान मैनिट के डायरेक्टर डॉ. अप्पू कुट्टन, मैपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. पीके वर्मा, टेक्नीकल एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. आशीष डोंगरे, विद्यार्थी कल्याण न्यास के वीडी शर्मा और उमेश शर्मा सहित सीआईआई के डिप्टी डायरेक्टर सावन कुमार, मण्डीदीप इण्डस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज मोदी, स्मॉल इण्डस्ट्रीज के अध्यक्ष संजय खण्डेलवाल ने भी सविष्कार के सफल आयोजन के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के समन्वयक मनोज आर्या ने सविष्कार की तैयारियों के संबंध में बताया कि मैनिट में गुरुवार को सविष्कार का भूमिपूजन किया गया। यहां उद्घाटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के लिए बनाए गए हॉल को विक्रम साराभाई हॉल नाम दिया गया है। जबकि प्रदर्शनी के लिए बनाए गए ऑडीटोरियम को वैज्ञानिक सीवी रमन नाम दिया गया है। यहां आठ डोम बनाए गए हैं जिनमें विद्यार्थी अपने प्रोजेक्ट की प्रदर्शनी लगाएंगे।
देशभर के एनआईटी हो रहे हैं शामिल : सविष्कार में भोपाल, गोवा, रायपुर, पटना, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और अगरतला सहित देश के अन्य एनआईटी अपने प्रोजेक्ट और तकनीकी पेपर प्रस्तुत करेंगे। 

तीन दिवसीय इस आयोजन में नवाचार एवं गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत, समकालीन/परंपरागत भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का पुनरावलोकन, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में नए     रुझान, इलेक्ट्रीकल्स, इलेक्ट्रोनिकी, पर्यावरण, पर्यटन, वास्तुकला, कृषि और रसायन विज्ञान से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञ अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इस दौरान विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया जाएगा। विशेषज्ञ के तौर पर एसटीपीआई के महानिदेशक डॉ. ओमकार राय, एनपीएल नईदिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. आलोक मुखर्जी, मप्र पर्यटन के प्रबंध निदेशक अश्विनी लोहानी, ग्लोबल आईएनसी बैंगलूरू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुहास गोपीनाथ, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रो. कुसुमलता केडिया, टेकपीडिया अहमदाबाद के सीईओ हिरण्यमय महंता, सैफिया टेक्नोलॉजी भोपाल के प्रबंध निदेशक धनंजय पाण्डेय, इंडियन रेवेन्यू सर्विस के डायरेक्टर सुश्री संगीता गोडबोले, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. बीके कुठियाला, भारतीय शिक्षण मण्डल नागपुर के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व विभाग के रवि अय्यर सहित अन्य विद्वान अपने विचार व्यक्त करेंगे।

सरकारी संस्थान भी लगाएंगे प्रदर्शनी : देश का सर्वोच्च वैज्ञानिक संस्थान इसरो और डीआरडीओ भी अपने नए आविष्कार एवं उपलब्धियों की प्रदर्शनी सविष्कार में लगाएंगे। डीआरडीओ के नोडल अधिकारी श्री महेन्द्र ने भ्रमण कर तैयारियों की समीक्षा की। बीईई, एसटीपीआई सहित मध्यप्रदेश के पर्यटन, कृषि, आईटी और ऊर्जा विभाग भी अपनी उपलब्धियों की प्रदर्शनी लगाएंगे।

पुरस्कार देंगी औद्योगिक संस्थाएं : सविष्कार में 11 थीम पर प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए जाएंगे। देशभर से शामिल हो रहे विद्यार्थियों के श्रेष्ठ प्रोजेक्ट को छह औद्योगिक संस्थाओं ने पुरुस्कृत करने की सहमति दी है। प्रत्येक थीम में तीन पुरस्कार दिए जाएंगे। पहला पुरस्कार 25 हजार, दूसरा 15 हजार और तीसरा पुरस्कार 10 हजार रुपये का है। कंपनियों ने यह भी कहा है कि वे विद्यार्थियों की प्लेसमेंट का सिस्टम भी बनाएंगी।
 
 
मीडिया समन्वयक
(रितेश बिरथरे) 
 
— 
भवदीय
लोकेन्द्र सिंह 
Contact :
Department Of Mass Communication
Makhanlal Chaturvedi National University Of 
Journalism And Communication
B-38, Press Complex, Zone-1, M.P. Nagar,
Bhopal-462011 (M.P.)
Mobile : 09893072930
www.apnapanchoo.blogspot.in

 
Go Green – Save Earth

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मसालेदार और रोमांचक मनोरंजन का आनंद लीजिए, इस साल के आखिरी हफ्ते में

ज़ूम मना रहा है 2013 का उत्सव इन कार्यक्रमों के साथ 

26 दिसंबर से 1 जनवरी तक

प्लेनेट बॉलीवुड न्यूज-प्रतिदिन रात 7 बजे

टेंटलाइज़-2013 के मोस्ट स्कैंडलस स्टार्स

26 दिसंबर-शाम 6.30 बजे- रॉकर्स एंड शॉकर्स, 2013-ए ज़ूम रिव्यू शो स्पेशल

27 दिसंबर-शाम 6.30 बजे- टेली टॉक-बेस्ट मोमेंटस एंड टॉप स्कैंडल्स ऑफ 2013

28 दिसंबर-दोपहर 1.00 बजे -ज़ूमर्स एंड डूमर्स-न्यूजमेकर्स ऑफ 2013!

28 दिसंबर-शाम 6.30 बजे-पेज 3-हैड टर्नर्स एंड पार्टी पोपर्स ऑफ 2013

28 दिसंबर-रात 7.30 बजे

फॉलीवुड-ब्लॉपर्स बॉय बॉलीवुड सेलेब्स इन 2013-29 दिसंबर-दोपहर 6.30 बजे

 

बिजनेस ऑफ बॉलीवुड-बिगेस्ट हिट्स एंड फ्लॉप्स ऑफ 2013 और 2014 की संभावित हिट फिल्में

29 दिसंबर-रात 7.30 बजे -स्टाइल स्टनर्स एंड सिनर्स

30 दिसंबर-रात 7.30 बजे- ज़ूम मबास्टिक टॉप 100

31 दिसंबर-सुबह 8 बजे -ज़ूम बास्टिक टॉप 50

1 जनवरी-सुबह 8 बजे

 

मनाए एक ‘ज़ूम’लिशस 2013’. 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक ज़ूम के खास कार्यक्रमों के साथ

नेशनल, दिसंबर, 2013ः साल समाप्त होने जा रहा है और ज़ूम 2013 के सरप्राइज बने बेहद रोमांचक और यादगार पलों को साल के अंत में प्रस्तुत करने जा रहा है। नव वर्ष के आगमन को और भी मनोरंजक और मसालेदार बनाने के लिए बॉलीवुड का नंबर 1 चैनल संजोकर लाया है, कुछ बिल्कुल खास! शानदार कार्यक्रमों का ये सिलसिला 26 दिसंबर, 2013 से शुरू हो रहा है।

चाहे बला की खूबसूरत कंगना रानौत हो या जानलेवा अदाओं वाली करीना कपूर हो या सीधी-सादी सोनाक्षी सिन्हा या अमृता राव, शामिल हो जाए जूम के साथ उन सभी को शाबाशी देने, जिन्होंने इस साल को अपने हटके अंदाज से शानदार बनाया। ‘रॉकर्स और शॉकर्स, 2013- ए ज़ूम रिव्यू शो स्पेशल’ में इस साल की धमाकेदार हिट्स और कभी ना भुला सकने वाली शॉकिंग रिलीजज का रीकैप एक खास अंदाज में किया जाएगा, जिसमें  ‘भाग मिल्खा भाग’,  ‘काई पो चे’, ‘मटरू की बिजली का मंडोला ‘ ‘बुलेट राजा’ आदि शीर्षक शामिल हैं।

वहीं ड्रामे से भरपूर बॉलीवुड के इस साल में हुए कई धमाकों का वर्णन भी होगा। सबसे हिट फिल्मों से लेकर कुछ सबसे बड़ी खबरों और कैटफाइट्स से लेकर इंडस्ट्री में आए उतार-चढ़ाव का भी जिक्र होगा। देखिए इंडस्ट्री के न्यूजमेकर्स जिनमें सलमान खान, शाहरुख खान, संजय दत्त, रणबीर, साजिद खान और कई अन्य को ‘ज़ूमर्स एंड डूमर्स 2013’ में।

लुत्फ उठाइए बॉलीवुड सितारों की हंसी की फुहारें छोड़ने वाले कुछ ऐसे किस्सों का, एक नायाब काउंटडाउन ‘फॉलीवुड’ में। देखिए रणवीर सिंह, सैफ अली खान, कैटरीना कैफ, राकेश रौशन, साजिद खान और कई अन्य पसंदीदा सितारों को कुछ ऐसे पलों में, जब उनकी ज़ुबान ने फिसलकर बहुत ही मसालेदार गॉसिप छलकाया है। 

इतना ही नहीं, संगीत में भी 2013 के सबसे बेहतरीन से लेकर सबसे खराब संगीत, गॉसिप और कई अन्य खबरों को ‘ज़ूमबास्टिक’,  ‘टेंटालाइज़’,  ‘पेज 3’,  ‘बिजनेस ऑफ बॉलीवुड’ और  ‘टेली टॉक बेस्ट मोमेंट्स’  में देखा जा सकेगा। ज़ूम‘लिशस 2013 के साथ 8 दिनों तक जारी रहने वाले पावर पैक्ड पार्टी को 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक शानदार ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा।

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पत्र सूचना कार्यालय से बजट 2015 की वेबसाइट हिन्दी में भी हो

सेवा में,
सम्बन्धित अधिकारी 
वित्त मंत्रालय/पत्र सूचना कार्यालय एवं राजभाषा विभाग 
भारत सरकार 
नई दिल्ली 

महोदय/महोदया 

भारत के राष्ट्रपति जी के २ जुलाई २००८ के आदेश के अनुसार सभी केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के लिए अनिवार्य है कि जब भी कोई वेबसाइट/वेबपृष्ठ बनाएँ वह "द्विभाषी" होना चाहिए इसलिए आपसे अनुरोध है कि बजट 2015 सम्बन्धी वेबसाइट को द्विभाषी रूप में तैयार करवाने की कृपा करें, हिन्दी अंग्रेजी में अलग-२ नहीं होना चाहिए। यदि-२ अलग बनाना है तो हिन्दी का पृष्ठ बाई डिफाल्ट खुलने का प्रबंध करें क्योंकि हिन्दी भारत की राजभाषा है। 

आपसे विनम्र अनुरोध है कि आगे से ध्यान रखें कि राष्ट्रपति जी के आदेश का उल्लंघन ना हो और हर पृष्ठ द्विभाषी रूप में ही आरंभ किया जाए। बजट २०१५ सम्बन्धी पृष्ठ  फिलहाल अंग्रेजी में है इसे द्विभाषी बनाने हेतु निर्देश दें तथा ऑनलाइन जन सुझाव के फॉर्म को भी द्विभाषी रूप में बनवा दें ताकि आम जनता भी इसमें भाग ले सके और हिन्दी में ऑनलाइन सुझाव भेज सके। इस कार्य को तुरंत किया जाना चाहिए। 

अनुलग्नक में बजट 2015 के मुखपृष्ठ का द्विभाषी अनुवाद सहित स्क्रीनशॉट अवश्य देखें।

शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा के साथ

भवदीय 
प्रवीण जैन 
पता: ए -103, आदीश्वर सोसाइटी 
श्री दिगंबर जैन मंदिर के पीछे,
सेक्टर-9ए, वाशी, नवी मुंबई – 400 703

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साढ़े 5 हजार ईसाईयों ने हिन्दू धर्म में वापसी की

उत्तर प्रदेश के आगरा, कासगंज, बरेली, बदायूं, बिजनौर, शाहजहांपुर, मैनपुरी और फीरोजाबाद में बुधवार को साढ़े पांच हजार से अधिक लोगों ने ईसाई धर्म को अलविदा कहते हुए हिंदू धर्म में वापसी की। सभी जगहों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन धर्म जागरण समिति ने क्रिसमस के दिन इन सभी का शुद्धिकरण व वैदिक मंत्रों से यज्ञ-अनुष्ठान कराकर हिंदू धर्म ग्रहण कराया। हिंदू धर्म ग्रहण करने वाले लोगों में ज्यादातर का कहना था कि उन्होंने कुछ प्रलोभनों में आकर ईसाई धर्म अपना लिया था। शाहजहांपुर में सात मुस्लिमों ने भी हिंदू धर्म अपनाया।

सबसे ज्यादा धर्मांतरण अलीगढ़ में हुए, जहां दो हजार लोग हिंदू बने। अलीगढ़ में बरसों पहले हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई बने ५०० परिवार के करीब दो हजार लोग बुधवार को फिर अपने धर्म में लौटे। महाऊरु पूर्व माध्यमिक विद्यालय में इन परिवारों की हिंदू धर्म में विधि विधान से वापसी कराई गई। आगरा, कासगंज तथा फीरोजाबाद के पांच सौ से अधिक परिवार (करीब १६०० लोग), मैनपुरी के १८ गांवों के २०६ लोगों ने हिंदू धर्म में वापसी की। आगरा में हुए कार्यक्रम में मेयर इंद्रजीत आर्य भी मौजूद थे। कासगंज के सरस्वती विद्या मंदिर में हुए समारोह में साढ़े तीन सौ परिवार (करीब एक हजार लोग) और फीरोजाबाद में ६६ परिवारों (२०० लोगों) ने ईसाइयत का त्याग कर हिंदू धर्म में फिर से आस्था जताई।

कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल हिंदूवादी संगठनों के नेता मौजूद रहे। बरेली में छह सौ लोगों ने हिंदू धर्म अंगीकार किया। आर्य समाजी स्वामी यशस्वी आर्य ने इन पर गंगाजल छिड़का और जनेऊ पहनाया। बदायूं में धर्म रक्षा यज्ञ एवं घर वापसी कार्यक्रम तके धर्मांतरण कर ईसाई बने दो सौ बीस परिवारों के ९१८ लोगों को हिंदू धर्म ग्रहण कराया। इसी प्रकार से शाहजहांपुर के मदनापुर गांव के रामलीला मैदान में श्रीमद्‌भागवत कथा एवं धर्मरक्षा यज्ञ के अंतिम दिन मुस्लिमों समेत २५ लोगों ने स्वेच्छा से सनातन हिंदू धर्म अपना लिया।

 

साभार- दैनिक जागरण से

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रामनाथ गोयनका पुरस्कार के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवार्ड्स के लिए एंट्रीज आमंत्रित की हैं। अखबार के 16 फरवरी के अंक में इस संबंध में एक विज्ञापन छपा है जिसमें मीडिया कर्मियों से अपनी एंट्री भेजने को कहा गया है। एंट्रीज भेजने की आखिरी तारीख 20 फरवरी है।
 
पत्रकारिता के क्षेत्र में साल 2013 और साल 2014 के लिए इन अवार्ड्स कई श्रंणियों में हैं। रामनाथ गोयनका जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर के लिए पुरस्कार की राशि ढाई लाख रुपए है। इसके बाद रिपोर्टिंग फ्रॉम जेएंडके एंड नॉर्थ ईस्ट, एनवायरमेंटल रिपोर्टिंग, बिजनेस एंड इकनॉमिक जर्नलिज्म, अनकवरिंग इंडिया इनविसिबल, रिपोर्टिंग ऑन पॉलिटिक्स एंड गर्वमेंट, ऑन द स्पॉट रिपोर्टिंग, इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट कवरिंग इंडिया, फीचर राइटिंग, फोटो जर्नलिज्म की कैटेगरीज में पुरस्कार राशि एक-एक लाख रुपए है। इसके अतिरिक्त हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार भी अपनी-अपनी श्रेणियों में एंट्रीज भेज सकते हैं। सिविक जर्नलिज्म के लिए प्रकाश करदाले मैमोरियल अवार्ड और बुक्स (नॉन फिक्शन) की दो अलग श्रेणियां भी हैं। इन श्रेणियों के लिए भी पुरस्कार राशि एक-एक लाख रुपए है।
 
इन पुरस्कारों के लिए प्रिंट-न्यूजपेपर, मैगेजीन और ऑनलाइन, ब्रॉडकास्ट- रेडियो और टेलिविजन, किसी भी जगह काम करने वाले पत्रकार अपनी एंट्रीज भेज सकते हैं।
 
इंडियन एक्सप्रेस के ऑनलाइन एडिशन www.indianexpress.com/rngf पर या rngf@expressindia.com पर मेल द्वारा एंट्रीज भेजी जा सकती हैं। इसके अलावा रामनाथ गोयनका मेमोरियल फाउंडेशन, एक्सप्रेस बिल्डिंग, 9-10, बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली-110002 के पते पर भी एंट्रीज भेजी जा सकती हैं।

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सांसद जयाप्रदा को कोई होटल वाला कमरा ही नहीं देता!

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां को सियासत में चुनौती दे कर रामपुर से सांसद बनीं फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा अब मंत्री के खौफ के चलते जिलाबदर जैसी स्थिति में आ गई हैं। उन्हें उनके ही संसदीय क्षेत्र में न तो कोई होटलवाला कमरा दे रहा है और न अधिकारी लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में ही ठहरने दे रहे हैं। ऐसे में वह दिन तो किसी तरह अपने क्षेत्र में काट लेती हैं, लेकिन रात होते ही रामपुर छोड़ देती है। उनकी हर रात अब मुरादाबाद शहर में कटती है और दिन अपने क्षेत्र में पीड़ा बताते हुए।

कुछ ऐसा ही हुआ बुधवार को। आजम के विरोध के बावजूद सांसद बनीं जयाप्रदा अपने संसदीय क्षेत्र में पहुंची तो उनकी पीड़ा जुबान पर आ गई। आजम खां के खौफ को जुल्म की इंतेहा बताते हुए उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री आजम मुझे संसदीय क्षेत्र रामपुर में नहीं रहने दे रहे हैं। मैं अपने दौरे के वक्त यहां मोदी होटल में रुकती थीं, लेकिन मंत्री ने उसके मालिक को धमका दिया कि सांसद को होटल में रोका तो होटल तुड़वा दिया जाएगा। इसके बाद होटल वालों ने मुझको कमरा देना बंद कर दिया। उनके खौफ से पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में भी अफसर कमरा नहीं देते। मजबूरन मुरादाबाद में रात बितानी पड़ती है।

सांसद की पीड़ा उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। उनकी बातों में इस दुख से पार पाने की तड़प भी दिख रही थी। पर खौफ सब पर भारी था। शायद इस खौफ से मुक्त होने के लिए ही उन्होंने अपनी पीड़ा से आजम के धुर विरोधी नवेद मियां की पीड़ा को जोड़ लिया। वह आजम पर आक्रामक होते हुए बोलीं, आजम विरोधियों की दुकानों व मकानों को तुड़वा रहे हैं। नवाबी दौर में बने तमाम गेट तोड़े गए हैं। किला तो कोर्ट से स्टे मिलने की वजह से बच गया है। इस संबंध में मैंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिखाहै। गेट तोड़ने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यहां जो गेट तोड़े गए हैं, उन्हें सांसद निधि से बनवाने की कोशिश करूंगी।

इस हौसले के बावजूद आजम खां का डर उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था, जिसे वह चाह कर भी छिपा नहीं पाई और बोलीं, लोग विरोध करते हैं तो आजम उनको जेल भिजवा देते हैं। अगर मैं भी विरोध करूं तो मुझे भी बुलडोजर से फिंकवा देंगे।

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