Saturday, November 30, 2024
spot_img
Home Blog Page 1818

मांस पर सबसिडी मगर कपास पर टैक्स

मध्य प्रदेश के  खंडवा में  नरेंद्र मोदी चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि काँग्रेस एक तरफ तो वह गरीब हितैषी होने की बात कहती है दूसरी ओर महंगाई के लिए गरीब को ही जिम्मेदार ठहराती है। गरीब को रोटी चाहिए लेकिन केन्द्र सरकार खाने के लिए गेहूं देने के बजाय शराब के लिए गेहूं देती है। खेती को बढ़ावा देने के बजाय मीट को प्राथमिकता देती है।

कपास पर टैक्स और मटन पर सब्सिडी
मोदी ने केन्द्र सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए कहाकि सरकार कपास के निर्यात पर टैक्स लगाती है। जबकि मटन के निर्यात को बढ़ावा देती है। पशुधन को बढ़ाने के बजाय उन्हें काटने को प्रोत्साहित करती है। केन्द्र सरकार देश में पिंक रिवॉल्यूशन लाना चाहती है, जिससे गाय, भैंस जैसे जानवरों को काटा जाए। वे कपास पर टैक्स लगाकर किसानों की जेब पर हमला बोलती है वहीं मटन एक्सपोर्ट पर सब्सिडी देती है। गेहूं को गरीबों को बांटने के बजाय शराब कंपनियों को सस्ती दर पर बेचती है। गरीब भूखा मरता रहे लेकिन शराब उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़े।

 

.

आम आदमी पार्टी ने जारी किया घोषणा पत्र

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी करते हुए सरकार बनने पर 15 दिन के भीतर दिल्ली जनलोकपाल विधेयक पारित करने, बिजली की दरों में 50 प्रतिशत की कमी करने, स्थानीय मुद्दों का फैसला मोहल्ला सभा को सौंपने और दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगमों को केन्द्र सरकार के दायरे से मुक्त कराने जैसे वादे किए हैं। ��

आप की तरफ से चार दिसम्बर को होने वाले दिल्ली विधानसभा के लिए जारी घोषणा पत्र में दिल्ली जनलोकपाल के दायरे में मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और सभी सरकारी एवं सार्वजनिक कर्मचारियों को जांच के दायरे में लाने का भी वायदा किया है। �
� �
700 लीटर पानी मिलेगा मुफ्त
पार्टी ने 700 लीटर तक रोजाना पानी मुफ्त उपलव्ध कराने, भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच समय सीमा के अंदर करने और दोषी पाये जाने पर दंडित किए जाने, दो लाख सार्वजनिक शौचालय बनाने, विशेष सुरक्षा दलों का गठन करने, बलात्कारियों को जल्द और सख्त सजा दिलाने, पुनर्वास होने तक झुग्गियों को नहीं तोड़ने का भी भरोसा दिया गया है।�
� ��
नए सरकारी स्कूल
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, संजय सिंह, कुमार विश्वास और मनीष सिसौदिया ने घोषणा पत्र जारी किया। पार्टी ने सत्ता में आने पर बहुब्रांड खुदरा कारोबार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं देने, 500 नए सरकारी स्कूल खोलने, नये सरकारी अस्पताल खोलने और महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिल्ली में एक विशेष सुरक्षा दल बनाने का भी वादा किया है।

देश बदलने का मौका
आप नेताओं ने घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि चुनाव हर पांच साल बाद आते हैं। देश बदलने का मौका रोज-रोज नहीं आता। चार दिसम्बर को होने वाला विधानसभा चुनाव ऐसा ही एक अनूठा मौका है। यह अवसर दिल्ली की सरकार बदलने का नहीं है, यह देश की राजनीति बदलने का मौका है। स्वराज के सपने को सच करने का मौका दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।�
� �
स्वराज कानून होगा पास
पार्टी ने सरकार बनने के तीन माह के भीतर 'स्वराज कानून' पास करने, इस कानून के जरिये अपने मोहल्ले के बारे में निर्णय लेने के अधिकार सीधे जनता को देने का वादा किया है। पार्टी का कहना है कि इससे स्थानीय स्तर पर किए जाने वाले कार्यों में भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।�
� �
मोहल्ला वार्ड
घोषणा पत्र में इलाके के बारे में निर्णय लेने की ताकत सीधे जनता को देने का वादा करते हुए 272 नगर निगम वार्डों को छोटे-छोटे मोहल्ला वार्ड में बांटा जायेगा। एक वार्ड में दस से पन्द्रह मोहल्ले हो सकते है, जिसमें 500 से 1000 परिवार होंगे। ऐसे एक मोहल्ले में रहने वाले वोटरों की आम सभा को मोहल्ला सभा कहा जायेगा।�
� ��
बिजली कंपनियों का ऑडिट
बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने का वादा करते हुए घोषणा पत्र में कहा गया है कि जब तक ऑडिट नहीं हो जाता, बिजली के दाम नहीं बढाये जायेंगे। बिजली के मीटरों की निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने के साथ कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाया जायेगा। �
� �
टैंकर माफिया पर रोक
दिल्ली जल बोर्ड का पुनर्गठन, टैंकर माफिया पर रोक लगाने, पानी प्रबंधन को पारदर्शी, सीवेज प्रणाली को नये सिरे से दुरुस्त करने, शिक्षकों के खाली पदों को भरने, निजी स्कूलों और कॉलेजों की फीस नियंत्रित करने के लिए दाखिले के समय अनुदान की प्रणाली बंद करने के लिए कानून बनाया जायेगा। �
� �
नये सरकारी अस्पताल
आप ने नये सरकारी अस्पताल खोलने, अधूरे अस्पतालों को पूरा करने, नई अदालतें खोलने, जरूरत पड़ने पर दो पाली में अदालत चलाने और लंबित मामलों को एक साल में निपटाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जायेगा। �
� � ��
अनाधिकृत कॉलोनियां होंगी नियमित
गांव की जमीन को अनावश्यक पाबंदियों से मुक्त कराने की दिशामें कदम उठाये जायेंगे। प्राकृतिक आपदा में अन्य राज्यों के किसानों की तरह दिल्ली के किसानों को सुविधा दिलाने, एक साल के भीतर अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने, कालाबाजारियों को जेल भेजने का वादा किया गया है।�
� ��
वैट का सरलीकरण
व्यापारियों को आकर्षित करने के लिए आप के घोषणापत्र में मूल्यवर्धित कर प्रणाली (वैट) व्यवस्था का सरलीकरण करने, उद्योग लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाने का आश्वासन दिया गया है। आवश्यक सेवाओं में ठेकेदारी प्रथा समाप्त करने, रेहडी पटरी वालों को लाइसेंस देने, बस सेवा का बड़े स्तर पर विस्तार करने का वायदा किया गया है।�
� �
ऑटो रिक्शा
आप ने अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए ऑटो रिक्शा चालकों के लिए भी कई घोषणाएं की है। इनमें हजारों ऑटो स्टैंड बनाने, बिना इंतजार बिना ब्लैक के ऑटो लोन, ट्रांसपोर्ट विभाग में रिश्वतखोरी खत्म करने, ऑटो का किराया एक निश्चित फॉर्मूले के तहत साल में दो बार तय करने की बात कही है।�
� ��
दिल्ली वक्फ बोर्ड
यमुना की सफाई के लिए सीवेज को इसमें गिरने से रोकने, दिल्ली वक्फ बोर्ड को सरकारी दलालों के चंगुल से मुक्त कराने और इसका प्रबंधन समाज के ईमानदार प्रतिनिधियों को सौंपने का वादा किया गया है।�
� �
1984 के सिख दंगा पीड़ितों को न्याय�
दिल्ली के 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने, इससे जुड़े मामलों को गलत तरीके से बंद करने की समीक्षा कराने और शारीरिक अथवा मानसिक रूप से अक्षम नागरिकों के लिए देशभर के लिए एक मॉडल बनाने का प्रयास किया जायेगा।�
� �
संकल्प पत्र
आप ने कहा है कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया जायेगा। यह प्रकोष्ठ इसी संकल्प पत्र पर ही नहीं, बल्कि पार्टी के दिल्ली की प्रत्येक विधानसभा के लिए जारी प्रत्येक संकल्प पत्र लागू कराने के काम पर निगरानी रखेगा। मुख्यमंत्री हर साल एक बार जनता के सामने संकल्प पत्र को लागूकरने पर रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करेंगे। प्रत्येक विधायक भी हर साल अपने क्षेत्र की जनता के सामने अपने विधानसभा के संकल्प पत्र की रिपोर्ट पेश करेगा।

.

कोलिन फैरेल अभिनित फिल्म का भारत में विशेष और प्रथम प्रसारण, देखिए मुवीज नाऊ पर

23 नवंबर, 2013 को रात 9 बजे देखिए डेड मैन डाऊन
आप उन्हें फोन बुथ, द रिक्रुट, डेरडेविल, टोटल रिकॉल जैसी फिल्मों में देख चुके हैं; �और अब अपने इस चहिते कलाकार का एक नया आविष्कार आप के लिए प्रस्तुत कियाजा रहा है। अनगिनत दिलों पर राज करनेवाले आयरिश अभिनेता कोलिन फैरेल अपने आज तक के सबसे अच्छे काम की एक और झलक आपके लिए लेकर आ रहे हैं। कोलिन ने अब तक एक सी.आई.ए. एजंट से लेकर सनकी जुआरी तक कई किरदार बखुबी निभाएं हैं और एक प्रतिभाशाली कलाकार के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। इस कुशल अभिनेता को देखिए डेड मैन डाऊन में, जिसका विशेष प्रसारण किया जाएगा मुवीज नाऊ पर।

डेड मैन डाऊन एक क्राईम थ्रिलर है। जैसे ही फिल्म की कहानी आगे बढेगी, दर्शक इस कहानी में पूरी तरह खो जाएंगे। य्ाहां तक कि आगे क्या होगा यह जानने की उत्सुकता में अपने नाखुन कुतरते हुए दर्शक एक ही जगह पर जैसे चिपक कर बैठे रहते हैं। दुनिया की सारी चीजों को छोडकर इंसान अगर अपनी बदले की भावना के पीछे भागेगा तो क्या होगा? यही विषय लेकर बनाए गए इस चलचित्र में कोलिन को खून का बदला खून कहकर अपना किरदार निभाते हुए जरूर देखिए। कोलिन द्वारा अभिनित आज तक का यह सबसे अधिक दुष्ट किरदार है।

निया नायर शैली में बनाए गए इस चलचित्र में विक्टर नामक एक इंसान की कहानी दिखाई गयी है, जो अपने सबसे खतरनाक शत्र् को मानसिक स्तर पर पीडा देने की योजना बनाता है। कोलिन की बदले की भावना उसे पराजित करेगी या अंत में उसकी ही जीत होगी? इस सवाल का जवाब जानने के लिए देखिए डेड मैन डाऊन का विशेष प्रसारण, मुवीज नाऊ पर, 23 नवंबर, 2013 रात 9 बजे।

इसका का मार्केटिंग भी ऐसे अनोखे ढंग से किया गया था कि, जिसे कुछ लोग देखते ही रह गया और कई लोगों की तो चीखें भी निकल गई थी थी। न्यू यॉर्क शहर के एलेवेटर्स में एक खून का नाटक रचा गया था। असली घटना का आभास करानेवाले इस नाटक को देखकर लोगों ने जो स्वाभाविक प्रतिक्रिया दी, उसका चित्रण किया गया; और चलचित्र प्रदर्शित होने से पहले इस विडिओ ने ऐसी धूम मचाई कि डेड मैन डाऊन उस वर्ष का बहुप्रतिक्षित चलचित्र बन गया। अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म द गर्ल विथ द ड्रैगन टैटु के लिए पहचाने जानेवाले निर्देशक नील्स आर्डेन ओप्लेव ने डेड मैन डाऊन के माध्यम से अमरिकी चलचित्र की दुनिया में अपने निर्देशन का पहला आविष्कार प्रस्तुत किया।

अपनी हक की लड़ाई लड़नेवाले कोलिन को जरूर देखिए मुवीज नाऊ पर, 23 नवंबर, 2013 को रात 9 बजे!

.

सचिन तेंडुलकर का बड़ा झूठ –आयकर विभाग को बताया मैं क्रिकेटर नहीं!

सचिन तेंडुलकर को भारत रत्न दिए जाने के फैसले पर बवाल बढ़ता जा रहा है। बिहार में मुजफ्फरपुर की स्थाडनीय अदालत में इस मामले में याचिका दायर कर सचिन को भारत रत्न दिए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है। इसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और खेलमंत्री जितेंद्र सिंह पर आरोप लगाए गए हैं। सचिन पर भी धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। याचिका स्थानीय वकील सुधीर कुमार झा ने लगाई है। इसमें कहा गया है कि देश के सर्वोच्च सम्मान के लिए हॉकी के जादूगर ध्यानचंद से पहले सचिन का चयन करने से लोग आहत हुए हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
 
सुधीर ने जदयू नेता शिवानंद तिवारी को मामले में गवाह बनाया है।    सचिन देश के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें देश के सबसे ऊंचे नागरिक सम्मान यानी भारत रत्न से नवाजा जाएगा।
 
सचिन को बतौर क्रिकेटर 'भारत रत्न ' दिया गया है, लेकिन सचिन ने इनकम टैक्सव विभाग को बताया था कि वह मुख्य रूप से बतौर एक्टकर कमाई करते हैं और इस आधार पर उन्होंने आयकर में छूट भी हासिल की थी। यही नहीं, बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट में कह चुका है कि वह एक निजी संस्था है और उसके द्वारा चुने गए खिलाड़ी देश के लिए नहीं, बल्कि उसकी ओर से खेलते हैं।
 
सचिन ने इंटरनेशनल क्रिकेट के मैदान से विदाई के वक्त अपनी पूर्व और मौजूदा फर्म को याद किया जो उनके व्यवसायिक हितों की रक्षा करती रही है। ऐसा करते हुए सचिन भावुक भी हो गए थे।  
 
तो सवाल ये है कि  सचिन ने देश की वाकई सेवा की है? क्या सचिन ने अपने खेल के एवज में सैकड़ों करोड़ रुपए नहीं कमाए हैं? क्या उनके खेल से भारतवासियों के जीवन में कोई असरदार सकारात्मक बदलाव आया है? और भी कई सवाल हैं, जो सचिन को भारत रत्न दिए जाने के फैसले को कठघरे में खड़ा करते हैं।
 
सचिन तेंडुलकर को भारत रत्न दिए जाने को लेकर सरकार का कहना है कि यह पुरस्कार क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए दिया गया है। लेकिन सवाल उठता है कि सचिन किसके लिए खेलते हैं? क्या वे देश के लिए खेलते हैं? जवाब है-नहीं। वे बीसीसीआई के खेलते हैं। बीसीसीआई ने कोर्ट में हलफनामा देकर कई बार साफ किया है कि वह एक प्राइवेट संस्था है और उसकी टीम भारत का आधिकारिक तौर पर प्रतिनिधित्व नहीं करती है।   
 
हलफनामे के मुताबिक बीसीसीआई तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है और इस पर सरकार की ओर से बनाए गए नियम कानून लागू नहीं होते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि खेल के नियम, सेलेक्शन, मैदान का चुनाव और इकट्ठा की गई रकम के इस्तेमाल को लेकर देश के आम लोग कोर्ट के सामने कभी सवाल नहीं उठा पाएंगे।    
 
सचिन एक प्राइवेट संस्था के लिए जीवन भर खेलते रहे जिसका एकमात्र उद्देश्य खजाना भरना था और इसकी अगुवाई कारोबारी और राजनेता करते रहे हैं। भले ही सचिन यह कहते हों, हम सभी भाग्यशाली हैं कि हमें देश की सेवा करने का मौका मिला। लेकिन क्या बीसीसीआई का हलफनामा सचिन की बात को झूठ नहीं साबित करता है?   
 
कुछ साल पहले 2 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स बचाने के लिए सचिन ने खुद को क्रिकेटर नहीं बल्कि अभिनेता बताया था। दरअसल, नाटककार, संगीतकार, अभिनेता और खिलाड़ियों को सेक्शन 80 आरआर के तहत आयकर में छूट मिलती है। सचिन का कहना था कि वे पेशेवर क्रिकेटर नहीं हैं। उन्होंने अपने पेशे के बारे में बताया था कि वे एक्टर हैं। क्रिकेट से हुई कमाई को उन्होंने आय के अन्य साधनों में दिखाया था। इस पर आयकर विभाग के अधिकारी ने कहा था कि अगर आप क्रिकेटर नहीं हैं, तो आखिर कौन क्रिकेटर है?      
 
दरअसल, सचिन को 2001-02 और 2004-05 के बीच ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स, पेप्सीको और वीजा के जरिए 5,92,31,211 रुपए की कमाई पर 2,08,59,707 रुपए आयकर देना था। लेकिन सचिन ने इनकम टैक्स कमिश्नर के दावे को चुनौती दी थी। जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा था कि कोई व्यक्ति दो पेशे में भी हो सकता है और वह दोनों पेशे के तहत आयकर में छूट की मांग कर सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि जो व्यक्ति सिर्फ आयकर बचाने के लिए खुद को क्रिकेटर नहीं बल्कि एक्टर बताने लगे, क्या वह भारत रत्न का हकदार हो सकता है?
 
सरकार की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया था, 'सचिन तेंडुलकर निस्संदेह शानदार क्रिकेटर हैं। एक ऐसे लीजेंड खिलाड़ी जिसने पूरी दुनिया में लाखों लोगों को प्रेरित किया। 16 साल की उम्र से तेंदुलकर ने 24 वर्षों तक देश के लिए क्रिकेट खेला है। खेल जगत में वो भारत के सच्चे अंबेसडर रहे हैं। उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड्स अद्वितीय हैं।'
 
इनमें फरारी तोहफे में लेने और बाद में उसे बेचकर मुनाफा कमाने का मामला अहम है। फिएट कंपनी ने मशहूर फॉर्मूल वन कार ड्राइवर माइकल शूमाकर के हाथों सचिन को डॉन ब्रेडमैन की 29 शतक लगाने के रिकॉर्ड की बराबरी करने पर फरारी-360 मॉडेनो कार तोहफे में दिलवाई थी। लेकिन यह मामला तब विवादों में घिर गया जब सचिन ने 1.13 करोड़ रुपए की इंपोर्ट ड्यूटी से छूट की मांग की। इसे माफ भी कर दिया गया। लेकिन दिल्ली कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने केंद्र सरकार और सचिन को नोटिस जारी किया। विवाद बढ़ता देख फिएट कंपनी ने खुद इंपोर्ट ड्यूटी चुकाना अच्छा समझा। लेकिन सचिन ने कुछ समय बाद यह कार सूरत के एक कारोबारी को बेच दी।
 
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर कहा था, जब सचिन को फरारी गिफ्ट के रूप में चाहिए थी, तब उन्होंने इंपोर्ट ड्यूटी से छूट मांगी थी, लेकिन अब जब उन्होंने कार बेच दी है, तो क्या उनसे मुनाफे पर टैक्स मांगा जाएगा? 
 
 
केंद्र सरकार ने 82 सांसदों, यूपीए सरकार के कुछ मंत्रियों और खेल मंत्रालय की सिफारिश को दरकिनार करते हुए ध्यानचंद को भारत रत्न सम्मान से इस साल नहीं नवाजा है। केंद्रीय खेल मंत्रालय ने इस वर्ष अगस्त में सरकार को सिफारिश की थी कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिया जाए। केंद्रीय खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद के मॉनसून सत्र में इस बात की जानकारी दी थी। खेल मंत्रालय ने अपनी सिफारिश में कहा था कि वह स्वर्गीय ध्यानचंद को सचिन के ऊपर प्राथमिकता देते हुए उन्हें भारत रत्न देने के लिए सिफारिश कर रहा है।
 
खेल मंत्रालय ने उस समय अपनी सिफारिश में कहा था कि भारत रत्न के लिए एकमात्र पसंद ध्यानचंद ही हैं। मंत्रालय ने कहा था कि हमें भारत रत्न के लिए एक नाम देना था और हमने ध्यानचंद का नाम दिया है। सचिन के लिए हम गहरा सम्मान रखते हैं लेकिन ध्यानचंद भारतीय खेलों के लीजेंड हैं इसलिये यह तर्कसंगत बनता है कि ध्यानचंद को ही भारत रत्न दिया जाए क्योंकि उनके नाम पर अनेक ट्रॉफियां दी जाती हैं।   ध्यानचंद को आधुनिक भारतीय खेलों का सुपरस्टार माना जाता है। वे 1948 में रिटायर हो गए थे। सरकार ने उन्हें 1956 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा था।
 
 
सचिन की तुलना जिस महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रेडमैन से की जाती है, उसी ब्रेडमैन ने 1935 में एडिलेड में ध्यानचंद के खेल को देखकर कहा था, 'ये क्रिकेट के खेल में जैसे रन बनाए जाते हैं, वैसे ही गोल करते हैं।' कहा जाता है कि बर्लिन में 1936 में उनके खेल को देखकर हिटलर खुद को रोक नहीं पाया था और उन्हें जर्मन सेना में कर्नल का पद देने की पेशकश कर डाली थी, जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया था। दिसंबर, 2011 में 82 सासंदों के अलावा यूपीए सरकार के कई मंत्रियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखकर ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी। 

सचिन तेंडुलकर को लेकर आयकर विभाग का पूरा फैसला यहाँ पढ़ें-कैसे सचिन तेंडुलकर ने कहा कि वह क्रिकेट खिलाड़ी नहीं एक्टर हैं।
http://casansaar.com/judiciary_details.php?id=245

.

महिला वकील ने कहा, मैने स बेशर्म न्यायाधीश को माफ किया

एक महिला ट्रेनी वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज पर यौन शोषण का आरोप लगाने के मामले की जांच करने वाली तीन जजों की समिति के समक्ष पीडि़त लड़की ने कहा है कि उसने जज को माफ कर दिया है। इस लड़की ने सोमवार को अपना बयान समिति के समक्ष दर्ज कराया था।

जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्येक्षता वाली समिति ने इंटर्न से करीब दो घंटे तक पूछताछ की थी। सूत्रों के अनुसार इंटर्न ने समिति को बताया कि वह यौन हमले के मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है। समिति की पूछताछ के दौरान इंटर्न ने पूर्व जज का नाम भी लिया, लेकिन उसे रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया। इंटर्न आज फिर से समिति के समक्ष पेश होकर अपना बयान दर्ज कराएगी। समिति ने जब इंटर्न से बात को सार्वजनिक करने के बारे में पूछा तो उसने कहा कि उसका मकसद लोगों में जागरूकता फैलाना था ताकि पता लग सके कि जिन लोगों और स्थालनों को हम बहुत सम्मान से देखते हैं, वहां क्या होता है। सूत्रों ने बताया है कि आरोपी जज के एक रिश्तेमदार ने इंटर्न लड़की से मिले थे और उससे अनुरोध किया था कि यदिव वह शिकायत करेगी तो जज का करियर खराब हो जाएगा। इसलिए उन्हेंद बख्श दें।

.

मोक्षदायिनी को बचाने का प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्यव्य भी है और धर्म भी

कार्तिक पूर्णिमा का पर्व आस्था और श्रद्धा के साथ देश भर में मनाया जारहा है। देश और दुनिया के लाखों गंगा भक्त ठंड के बावजूद गंगा किनारेप्रवास किये हुए हैं। भक्ति, ध्यान, साधना, जप, तप और पूजा-अर्चना करलोक-परलोक सुधारने की कामना करते देखे जा रहे हैं। आस्था, श्रद्धा और परंपरा के चलते गंगा की प्रति दिन आरती भी उतारी जा रही है, पर अकाट्य श्रद्धा और अटूट विश्वास के बाद भी लाखों-करोड़ों भक्तों की भीड़ में गंगा अनाथ ही नजर आ रही है। विकास के नाम पर गंगा को लगातार प्रदूषितकिया जा रहा है, जिससे गंगा के अस्तित्व पर ही प्रश्र चिन्ह लगा हुआ है। आने वाली पीढिय़ां इस अवसर पर किस जगह एकत्रित होंगी, यह चिंता गंगा किनारे आये लोगों में नहीं दिख रही है। आम आदमी की बात छोड़ भी दी जाये, तो संत समाज भी प्रदूषित हो रही गंगा को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है, जबकि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की हुंकार भरने का अवसर ऐसे पर्व से बेहतर हो ही नहीं सकता।पवित्र गंगा धार्मिक या सामाजिक दृष्टि से प्राचीन काल से ही श्रद्धा व आस्था का प्रतीक यूं ही नहीं रही है। गंगाजल बाकी नदियों से अधिक शुद्ध माना जाता है, क्योंकि असंख्य असाध्य बीमारियां जो दवा के प्रयोग से सही नहीं हो पाती थीं, वे बीमारियां गंगाजल के सेवन से या गंगा स्नान से ही ठीक हो जाया करती थीं। इसीलिए गंगा के प्रति लोगों की श्रद्धा और आस्था बढ़ती गयी। भागीरथ द्वारा गंगा को धरती पर लाने की कहानी सभी को पता है। गंगा के बारे में धार्मिक ग्रंथों में बहुत कुछ लिखा गया है। 

 

कुछ लोग इस सब पर अविश्वास जताते देखे जाते हैं। वह सब बढ़ा-चढ़ा कर लिखा गया हो, इस
बात से भी इंकार नहीं किया जाना चाहिए, पर गंगाजल अन्य नदियों के पानी
जैसा नहीं है। गंगा जल बाकी नदियों के पानी से अलग है। यह बात विज्ञान
सिद्ध कर चुका है। वैज्ञानिक परीक्षण कर चुके हैं कि गंगाजल में
बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो हानिकारक सूक्ष्म जीवों को मार
देते हैं। इसलिए गंगाजल मानव सभ्यता के लिहाज से अन्य नदियों के पानी से
बेहतर है। हिंदू परिवारों में गंगाजल रहता है, क्योंकि गंगाजल के बगैर
पंचामृत नहीं बन सकता एवं पूजा-अर्चना के शुभ अवसर पर गंगाजल का विशेष
महत्व माना जाता है, पर घर में गंगाजल रखने का वैज्ञानिक आधार भी यही है
कि जिन विषाणुओं को तुलसी का पौधा व गाय का गोबर नहीं मार पाता, उन
विषाणुओं को गंगाजल मार देता है, जिससे परिवार के सदस्य स्वस्थ रहते हैं,
लेकिन जिन लोगों को इस बात पर भरोसा न हो, वह एक बोतल में गंगाजल व दूसरी
बोतल में किसी अन्य नदी या नल आदि का पानी भर कर रख सकते हैं और कुछ समय
बाद परीक्षण करा सकते हैं। गंगाजल में कभी कीड़े नहीं पड़ते, जबकि साधारण
पानी कुछ ही दिन बाद पीने लायक नहीं रहता और दुर्गंध आने लगती है। गंगाजल
की शुद्धता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या दिया जाये, साथ ही शुद्धता परखने
का इससे सरल तरीका भी क्या बताया जाये?

गंगाजल जब धार्मिक दृष्टि से व वैज्ञानिक आधार पर अन्य नदियों से बेहतर
है, तो भी लोग गंगा को लेकर चिंतित नहीं हैं। गंगा के प्रदूषित होने को
लेकर बैठक, रैली, सम्मेलन, यात्रा निकाली जाती हैं, पर राजनेताओं की ओछी
राजनीति के नीचे जैसे अन्य अच्छी बातें दफन हो जाती हैं, वैसे ही पवित्र
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का मुददा भी दब कर रह जाता है और धर्म से
जोड़ कर गंगा को अस्तित्व की लड़ाई लडऩे को छोड़ दिया जाता है, हालांकि
सरकार गंगा को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर चुकी है। गंगा एक्शन प्लान और
राष्ट्रीय नदी सरंक्षण योजना चला चुकी है, पर इस सबका कहीं असर नहीं दिख
रहा है। अगर गंगा के प्रदूषित होने में कोई कमी आई है, तो वह सिर्फ सरकार
को ही दिख रही होगी। वास्तविकता यही है कि गंगा लगातार प्रदूषित होती जा
रही है। आज हालात यह हैं कि कहीं-कहीं गंगाजल कीचडय़ुक्त पानी से भी बद्तर
है। इसीलिए आचमन करते समय श्रद्धालुओं को आंखें बंद करनी पड़ती हैं।
गंगाजल में वायु को शुद्ध करने की एवं अन्य गैसों को आक्सीजन में
परिवर्तित करने की असामान्य क्षमता होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा
में बायोलाजिकल आक्सीजन स्तर 3 डिग्री सामान्य से बढ़ कर 6 डिग्री से अभी
अधिक हो गया है और लगातार बढ़ रहा है। 

 

गंगा में प्रतिदिन लगभग 3 करोड़ लीटर से भी अधिक कचरा गिराया जा रहा है, जो पवित्र गंगा को बर्बाद कर रहा
है। इसकी जानकारी सरकार को तो है ही, उनको भी है, जो गंगा को राष्ट्रीय
धरोहर की जगह अपनी संपत्ति मानते हैं, पर वह (धार्मिक नेता) भी गंगा को
सच्चे मन से प्रदूषण मुक्त कराने की बजाये, सिर्फ राजनीति ही कर रहे हैं,
अन्यथा जैसे अन्य हित लाभ वाले मुददों पर आंदोलन किया जाता रहा है, वैसा
ही आंदोलन गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर क्यों नहीं किया जा रहा?
केन्द्र व राज्य सरकारें चिकित्सा व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए
रुपया पानी की तरह बहा रही हैं, लेकिन विश्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि
उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत बीमारियों की जड़ गंगा का प्रदूषित हो रहा
जल ही है। सरकार अगर गंगा के प्रदूषित होने के मुद्दे पर गंभीरता से
विचार कर काम शुरु कर दे, तो तमाम परेशानियां खुद ही हल हो जायेंगी।
वैज्ञानिकों की रिपोर्ट को अगर सही माना जाये, तो आज गंगाजल पीने की तो
बात ही छोडिय़े, खेतों में सिंचाई करने लायक भी नहीं है। प्रदूषित गंगाजल
से भूमि बंजर हो सकती है। प्रदूषित जल से उगाई जा रही फसल भी हानिकारक हो
सकती है, मतलब गंगाजल लगातार जहर में परिवर्तित होता जा रहा है, पर सरकार
सिर्फ योजना और प्लान बनाने के बाद हाथ पर हाथ रखे बैठी देख रही है, जबकि
गंगा के विलुप्त होने पर या जहरीला होने पर समाज के किसी एक वर्ग पर ही
असर नहीं होगा, बल्कि हर जाति, हर धर्म और हर समुदाय के लोग प्रभावित
होंगे।

गंगा में वैसे तो शहरों की पूरी गंदगी ही समा रही है, पर गंगा को
प्रदूषित करने में सबसे ज्यादा योगदान शराब, चमड़ा व खाद फैक्ट्रियों का
ही है। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला रसायनयुक्त प्रदूषित पानी इतना
घातक होता है कि यह पानी जहां-जहां से गुजरता है, वहां की भूमि बंजर हो
जाती है। कंटीले पेड़ों के अलावा ऐसी जमीन पर और कुछ नहीं उगता। इस
जहरीले पानी की वजह से ही गंगा को शुद्ध रखने वाले जीव मर चुके हैं और जो
बचे हैं, वह लगातार मर रहे हैं।

जंग, योजना या कोई भी कार्यक्रम बगैर जनसहयोग के सफल नहीं हो सकते।
इतिहास गवाह है कि नेता बिगुल जरुर बजाते हैं, पर अपने हित लाभ पूरे होते
ही समर्पण भी करते देखे गये हैं। ऐसा ही गंगा के साथ हो रहा है। राजनीतिक
व धार्मिक नेता बिगुल तो बजाते दिखते हैं, पर स्वहित पूरे होते ही आंदोलन
से किनारा कर गंगा को भूल जाते हैं। हरिद्वार में भ्रष्ट संत समाज द्वारा
चलाये गए आंदोलन को जेपी ग्रुप ने ही बंद कराया था। आंदोलन का नेतृत्व
करने वाले भ्रष्ट संतों के आश्रम जेपी ग्रुप के धन से आज भी चमक रहे हैं
और उन महल जैसे आश्रमों में कथित संत आनंद ले रहे हैं, इसीलिए लोगों को
मोक्ष प्रदान करने वाली गंगा अपने अस्तित्व की लड़ाई खुद ही लड़ रही है।
मैदानी इलाकों में गंगा की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है, तो अब पहाड़ों
पर भी सुरक्षित नहीं हैं। 

 

लगातार पिघल रहे हिमशिखरों के कारण भी अस्तित्व
पर प्रश्रचिन्ह लगा हुआ है। अमेरिकी वैज्ञानिकों  का दावा है कि वर्ष
2०3० तक हिमशिखर पूरी तरह पिघल जायेंगे। रिपोर्ट को अगर सही माना जाये,
तो गंगा खुद ही मिट जायेगी। यह ध्यान रखना चाहिए कि गंगा पहाड़ों व
समुद्र के बीच के संतुलन को बनाये रखने का काम भी करती है। इसलिए यह
ध्यान रखना चाहिए कि गंगा के न होने का मतलब होगा प्रलय। शास्त्रों में
भी ऐसा कहा गया है कि इस बार जल प्रलय होगी। इसलिए अब गंगा के मुददे पर
भी जनता को ही खड़ा होना पड़ेगा। गंगा को बचाने के लिए आम आदमी को मतलब
हर जाति, हर धर्म और हर क्षेत्र के लोगों को ही कमर कसनी होगी, तभी गंगा
बच पायेगी। गंगा को बचाने की शुरुआत अगर, कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र
अवसर पर ही की जाये, तो गंगा को प्रदूषण मुक्त होने में अधिक समय नहीं
लगेगा। गंगा की पूजा-अर्चना करने और आरती उतारने भर की आस्था से अब गंगा
का भला नहीं होने वाला। आपकी तमाम पीढ़ियों को मोक्ष देने वाली गंगा आज
स्वयं संकट में है, इसलिए मोक्षदायिनी को बचाने का हर व्यक्ति का कर्तव्य
भी है और धर्म भी।
 

संपर्क

बीपी गौतम
स्वतंत्र पत्रकार
8979019871

.

चंबल घाटी बन सकती है अमरीका की ग्रांड कैनीयर: तिग्मांशु धूलिया

तिग्मांशु धूलिया ! एक ऐसा नाम है बॉलीवुड का जो किसी भी परिचय का मोहताज आज नही है। बालीवुड के ज्यादातर डायरेक्टर विदेशी लोकेशन को पंसद करते है वही धूलिया का लगाव अपने देश की कुख्यात चंबल घाटी से है। चंबल घाटी के प्रति उनकी दीवानगी का आलम यह देखा जा रहा है कि चंबल घाटी की तुलना वे अमरीका के ग्रांड कैनीयर से करने से भी पीछे नही है लेकिन चंबल के बदलते मिजाज से परेशान घूलिया यह कहने से भी नही चूकते कि अगर समय रहते चंबल के लिये कुछ किया नही गया तो देश के बेहतरीन पर्यटन केंद्र  को हम लोग खो देगे। मशहूर महिला डकैत फूलन देवी की जिंदगी पर बनी ख्यातिलब्ध फिल्म बैंडिट क्वीन की शूटिंग के दौरान चंबल से शुरू हुआ प्यार पानसिंह तोमर से होता हुआ बुलेट राजा के बाद रिवाल्वर रानी तक लगातार जारी है। तिग्मांशु की माने चंबल का प्रेम यही बताता है कि वो पिछले जन्म मे यहा पर पैदा हुए हो लेकिन उसका असर इस जन्म मे भी नजर आता है। इटावा हिंदी सेवा निधि के सालाना 21 वे समारोह मे भाग लेने आने आये मशहूर फिल्मकार तिग्मांशु धूलिया से मौजूदा सिनेमाई परिवेश के अलावा कई अन्य मुददो पर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शाक्य से लंबी बातचीत हुई उसी बातचीत के खास अन्य अंश। 

सवाल: हिन्दी सेवानिधि की ओर से हिन्दी सेवी के तौर पर आपको सम्मानित किये जाने पर कैसा महसूस कर रहे है ?
जबाब:
देखिये जाहिर सी बात है खुशी तो होगी किसी को होगी सम्मान मिलता है तो खुशी होती ही है और हम जैसे लोगो को जो पर्दे के पीछे रहते है उनको जब जनता के सामने आने का मौका मिलता है तो हम लोग मौके को छोडते नही है क्यो कि हम लोग एक्टर है नही एक्टर को तो सब लोग देखते है हम को तो कोई देखता नही इसलिये हम कोई भी मौका छोडते नही है और बडा अच्छा लगता है अपने ही प्रदेश उत्तर प्रदेश आने का जब भी मौका लगता है तो जरूर आता हू। 1986 मे मैने इलाहबाद छोड दिया था उसके बाद फिर मुंबई या दिल्ली ही रहा लेकिन जब भी मौका मिलता है तो मै वो मौका नही छोडता हू जब भी यहा आता हू अपनी भाषा सुनने को मिलती है और अपने लोगो से मिलने का मौका मिलता है अपना खाना खाने को मिलता है नया एक्सपीरियंस होता है।

सवाल: आज आपको हिन्दी सेवा निधि की ओर से सम्मानित किया है हिन्दी की जो दशा इस वक्त देखी जा रही है इस पर आप क्या कह सकते है ?
जबाब:
मेरा तो देखिये यही मानना है कि हिन्दी को जो लोग लिखते है खास आप पत्रकार लोग,आप तो विजुयल मीडिया से है,जो लोग लिखते है हिन्दी वो या तो रचनात्मक हिन्दी,कविता,कहानिया,नावेल उन्होने इतनी जटिल बना दिया है भाषा को कि मै तो मेरी पैदाइश पढाई लिखाई सब कुछ इलाहबाद की है मेरी मां संस्कृत की प्रोफेसर है,हिन्दी मे ही बोलते थे सब कुछ,पर मुझे भी कभी कभी काफी दिक्कत आ जाती है वो पढकर हिन्दी,जब मुझे आ रही है दिक्कत तो बाकी लोगो को तो जरूरी आती होगी। जितना हिन्दी को सरल बनाया जायेगा उतना ही बेहतर रहेगा,प्रेमचंद्र जी,अमत लाल नागर या दुष्यंत कुमार जिन्होने (साये मे घूप खिली) इतनी पापूलर क्यो है इनको सब पढते है क्यो कि वो पठनीय है आप पढते है तो मजा आता है,समझ आता है बाकी हिन्दी को जो लोग लिखते है ऐसा लगता है कि पुलिस का सम्मन है। डर लगता है कि उसको पढते ही जो जब तक उसको सरल नही बनाया जायेगा हिन्दी को,हिन्दी जन जन तक पहुचेगी नही। रही बात हिन्दी सिनेमा की तो जितना हिन्दी सिनेमा हिन्दी को बढाने और लोकप्रिय बनाने मे सहयोग कर रही है उनका तो किसी का भी नही है सौ सालो से हिन्दी की फिल्मे बन रही है और साउथ मे भी रिलीज हो रही है नार्थ ईस्ट मे भी रिलीज होती है जहा पर लोग हिन्दी नही बोलते लेकिन कम से कम वो लोग हिन्दी बोल नही पाते हिन्दी को समझ पाते है। 

सवाल: अमूमन इस तरह की बाते उठती रहती है कि चंबल का जो ग्लैमर है वो केवल डाकुओ तक ही सीमित रहता है इसी वजह से फिल्मकार चंबल आते है,इसके अलावा चंबल मे किस तरह की संभावनाए आपको लगती है ?
जबाब:
देखिये सरकार को कुछ करना चाहिए,जो चंबल घाटी है,मुझे लगता है,मैने बहुत पिक्चरे बनाई है चंबल मे,तीन पिक्चरो मे है चंबल की हालिया तस्वीर,मेरा सहायक उसने बनाई है फिल्म धौलपुर मे शूटिंग की है। मेरा दोस्त है जिसकी पिक्चर मे प्रोडयूस कर रहा हू रिवाल्वर रानी वो तो ग्वालियर का ही है उसने तो मुरैना और भिंड मे ही शूटिंग की है कुछ है चंबल मे,चंबल मुझे अपनी ओर खींचता है लेकिन अगले पांच सालो मे चंबल हो जायेगा खत्म,जो चंबल की घाटिंया है जिनको हम लोग रिवाइन्स बोलते है वो खत्म हो जायेगी अगर यही चीज किसी विदेश मे होता ना तो बहुत बडा टूरिस्ट स्पाट बन जाता अमेरिका मे जैसे ग्रांड कैनीयर है जहा पर दुनिया भर के लोग जाते है ग्रांड कैनीयर को देखने के लिये। 

चंबल भी किसी ग्रांड कैनीयर से कम नही है और चंबल नदी हिन्दुस्तान की सबसे अच्छी सबसे साफ नदी है इतनी प्यारी इतनी खूबसूरत नदी चंबल। इसकी कोई दूसरी मिसाल नही है। क्यो कि इसमे घडियाल है उसमे मगर है घडियाल और मगर जो पानी क्लीन होगा उसमे ही सरवाइव  कर पायेगे। नही तो नही कर सकते। हम तो पीते थे चंबल का पानी। बिसलरी थी पूरी यूनिट भी थी हमको जब गांव वाले  मठठा बना कर ,लस्सी बना कर चंबल नदी का पानी पीते थे आज तक कोई दिक्कत नही आई है ना ही कोई बीमार पडा इतनी सुंदर नदी जो है चंबल,इतनी खूबसूरत जगह है, चंबल सरकार जो भी तीन राज्य मिलते है मध्यप्रदेश,उत्तर प्रदेश और राजस्थान का बार्डर ऐरिया सभी राज्यो की सरकारो को कुछ करना चाहिए उसी घाटी पापुलरायिज करने के लिए टूरिस्ट स्पाट बनाने के लिए। बहुत सुंदर जगह है चंबल तो। 
सवाल: आजकल तमाम फिल्म आ रही है उनमे हम इस तरह का देख रहे है कि एक केवल आइटम डांस के जरिये फिल्म चलाना चाहते है कितना सही मानते है आप ?
जबाब:
नही,सिर्फ आइटम डांस से पिक्चर नही चलती है,देखिये क्या हो गया है जो व्यवसाय है फिल्म मेकिंग का वो बहुत ही अजीब सा हो गया है अच्छा भी है बुरा भी है पहले पिक्चरे 25,25 हफते चला करती थी 50,50 हफते चला करती थी अब पूरा बिजनस फिल्म का एक हफते का हो गया वो पहले तीन दिन,पहले तीन दिन मे आप दर्शको को जितना भी आकर्षित करके थियेटर मे ले आये तो उसमे आयटम डांस भी एक तरह का धी का इस्तेमाल करता है तो तीन दिन मे जितना कलेक्शन हो गया,हो गया एक हफते मे रिकवरी हो गया,पैसा बना लिया,तो सब चीजे है लेकिन फिल्म बनाने हम लोग तो छोटे शहर से गये हुए है बोम्बे मे,हम लोग पैसा कमाने के लिए नही आये है फिल्मो मे,हम लोग नाम कमाने के लिए फिल्मो मे आए है ताकि हमारे जाने के बाद हमारी फिल्मे जो यंग जैनरेशन बाद की जैनरेशन देखे,हम लोग इतिहास मे दर्ज होना चाहते है इस तरह की इसलिए ऐसी पिक्चरे बनाते है पैसा कमाने की फिल्मे तो नही तो कुछ और ही घंघा करता,मै तौ वकालत किये हुआ हू मेरा पूरा परिवार ही वकालत किए है फिल्मो मे आने का ग्लैमर भी नही था सिर्फ यही था कि किसी भी तरह से इतिहास मे दर्ज होना चाहते है, इतिहास मे अगर आपको दर्ज होना है तो अच्छा काम करना पडेगा आइटम सांग से नही होगा। 

सवाल: आप कभी कभी पर्दे पर भी आते है गैंग्स आफ वासेपुर मे देखा गया ,बहुत अच्छी आपने एक्टिंग की है जिसमे काफी अहम किरदार आपने अदा किया,मूल आधार से जुडी हुई फिल्मो का चलन बढा है ऐसी फिल्मो का लोग बखूवी देख रहे है ऐसी फिल्मो की जरूरत कितनी सही लग रही है ?
जबाब:
फिल्मे जरूरत क्यो कि देखिये सिनेमा बदल रहा है वो लोग आकर फिल्मे बना रहे है मुंबई मे जो कि बोम्बे के नही है। अभी तक वो थर्ड जेनरेशन वाली,कुछ लोग बंगाल से आये,लाहौर से आये वहा भी फिल्म इंडस्टी थी सब लोग मुंबई आये बहुत अच्छी फिल्मे बनी उस समय पूरे राइटर हमारे यूपी से ही चाहे हजरत जयपुरी,मजरूह सुल्तानपुरी हो कैफी आमजी,सलीम जावेद हो सब के रूट मध्यप्रदेश यूपी सब यही के है अब उनके बच्चे बच्चो के बच्चे हो गये जो कि उन्होने सिर्फ मुंबई देखा है तो फिल्मो मे एक घटियापन आ गया है एक स्टैलमेंट आ गया है अब जाकर वो फिल्म मेकर वहा फिल्म बना रहे है जो मुंबई के नही है बाहर से आये है कोई दिल्ली से आया है कोई मुजफफरनगर से आया है, मै खुद इलाहबाद से हूँ,कोई बनारस से आया है तो हम लोगो के पास अपना एक्सपीरियंस है लाइफ का,अपनी भाषा है,जो हमने एक्सपीरियंस किया है वो बहुत ही अलग है,छोटे शहरो मे जो एक्सपीरियंस होता है वो तो मुंबई मे थोडे ही है यहा तो जाति से लेकर मेरा सरनेम है क्या वो भी एक पहचान बन जाता है कि तुम ब्राहम्ण हो,ठाकुर हो कि क्या हो प्यार करने मे पचास दिक्कते आ रही है हमारे पास वो एक्सपीरियंस है चाहे एक लव स्टोरी का एक्सपीरियंस हो,चाहे अपनी जाति को लेकर प्राउड फील करे या फिर दिक्कत हो सारी दिक्कतो से जूझ करके वो लडका आया है मुंबई तो हमारे पास एक्सपीरियंस ज्यादा है उस लडके के जो वनस्पति मुंबई मे पढा लिखा है। 

सवाल: फिल्मो मे जो गाने आते है वो अल्पकाल के लिए सामने आते है लेकिन पुराने गाने लंबे समय तक काबिज रहते है ऐसा क्यो ?
जबाब:
राइटिंग (हाथ से लिख कर बताते हुए) वो गाने लिखे बहुत अच्छे और सरल है जुबान पर चढते है आजकल गाने क्या वर्ल्डस है बता पायेगे गाने के नाम पर ढक चिक ढक चिक सुनाई देती है बस,शब्द कहा पर सुनाई देती है बस,शब्द कहा पर सुनाई देत है इसलिए। 

सवाल: नया क्या आप देने वाले है अभी हाल मे ?
जबाब:
अभी इसी महीने 29 नंबवर को मेरी फिल्म आ रही है बुलेट राजा वो देखिये आप। 

सवाल: उसमे बुलेट राजा मे चंबल को लेकर नया क्या रखा हुआ आपने ?
जबाब:
चंबल सेकेंड हाफ मे आता है बुलेट राजा मे,सैफ अली खान,जिमी शेर गिल,सोनाक्षी सिन्हा,विधुत जामवाल है तो विधुत जामवाल एक पुलिस आफीसर है जो इटावा मे तैनात है और बहुत तेज तर्रार और बहुत ही साहसी है तो उनका इंड्रोडक्शन मैने चंबल मे किया है,जो कुछ डाकुओ के सरेंडर कराने के लिए आते है वहा पर कुछ हो जाता है तो मैने बहुत लंबा चौडा स्वीकिंस रखा गया है जो इटावा मे शूट किया है।

सवाल: बुलेट राजा क्या 200 करोड के क्लब मे शामिल हो पायेगी ?
जबाब:
अब मै यह कैसे कह सकता हू कि शामिल हो पायेगी या फिर नही या तो मै नही कह सकता हू,अभी फिल्म कंपलीट करके ही मै आया हू,फिल्म की मिक्सिंग पूरी कर चुका हू, मै तो बहुत भरोसे से हू, मुझे लगता है कि जैसी कि मै हमेशा बोलता हू कि मुझे गाली नही पडेगी।

सवाल: कुछ बल्गर फिल्मे आ रही है जो समाज की दिशा मोड रही है ऐसी फिल्मो पर क्या आपकी राय है ? 
जबाब:
अब आप कह रहे है कि बल्गैरिटी आ गई है आइम श्योर आप ग्रैंड मस्ती फिल्म की बात कर रहे होगे अगर यह दिक्कत है आप लोगो को देखने ही नही जाना चाहिए ऐसी फिल्मे,आप लोगो की ही बदौलत उसने सौ करोड का बिजनेस किया है फिर आप लोग बोलते भी है कि बल्गर है और फिर देखते भी हो उसी बल्गर को जाकर उसमे दिक्कत क्या है जो बना रहा है वो सिर्फ पैसे के लिए बना रहा है उसने तो इतनी सस्ती पिक्चर बनाई आज सौ करोड का बिजनेस कर लिया है इसमे उनकी कोई गलती नही है गलती आप की है जो आपने ऐसी फिल्म देखी है।

सवाल: केरल के राज्यपाल निखिल कुमार ने आप से हिन्दी उपन्यास गुनाह का देवता पर फिल्म बनाने का मशविरा आपको दिया गया है क्या राज्यपाल की पहल पर अमल करेगे ? 
जबाब:
राज्यपाल महोदय के मसविरे को ना केवल सार्वजनिक तौर पर सुना गया है बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी उनसे अलग बात चीत हुई है जाहिर है राज्यपाल महोदय की ओर से रखी गई पहल पर अमल करने की कोशिश जरूरी ही करूंगा।

संपर्क
दिनेश शाक्य 
रिपोर्टर 
155.पक्का तालाब इटावा 206001(उ.प्र.)
+919412182182
+919760159999
dineshshakyaetawah@gmail.com

.

मध्य प्रदेश में दागी भी मैदान में

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 230 सीटों पर 1024 उम्मीदवार ख़ड़े हुए हैं। उनमें से 243 उम्मीदवारों ने अपने शपथ पत्रों में आपराधिक प्रकरणों की घोषणा की है।  एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआऱ) ने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि बसपा के भी 3 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या के प्रयास के प्रकरण दर्ज हैं।

इसमें से भी 143 सदस्य ऐसे हैं, जिन पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध दर्ज हैं। यहां कांग्रेस आगे है। कांग्रेस के 228 में से 91 (40 फीसदी) और भाजपा में 229 में से 61 (27 फीसदी) उम्मादवारों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।

भाजपा और कांग्रेस के जिन नेताओं ने हलफनामे में अपराधों का खुलासा किया है, उनमें कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह (पृथ्वीपुर), अश्विन जोशी (इंदौर-3), आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) के खिलाफ धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के प्रकरण दर्ज हैं।

महिलाओं के खिलाफ अपराध 
महिलाओं पर अत्याचार करने के मामले में मुरैना से भाजपा के उम्मीदवार रुस्तम सिंह के खिलाफ धारा 498ए और 406 के तहत प्रकरण दर्ज हैं। उज्जैन जिले की महिदपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरे बहादुर सिंह के खिलाफ धारा 506 के तहत प्रकरण दर्ज हैं। कांग्रेस के चौधरी गंभीर सिंह के खिलाफ भी महिलाओं पर अत्याचार का प्रकरण दर्ज है।

महिदपुर से कांग्रेस की फायरब्रांड नेत्री डॉ. कल्पना परुलेकर मैदान में हैं और उनके खिलाफ धारा 506 और 468 के तहत प्रकरण दर्ज हैं। धोखाध़ड़ी व जालसाजी का प्रकरण दर्ज है। कल्पना परुलेकर के खिलाफ कुल 13 प्रकरण दर्ज हैं, उसमें से 5 आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत हैं।

उल्लेखनीय है कि कल्पना परुलेकर को लोकायुक्त के मार्फिंग किए चित्र इंटरनेट पर डालने के मामले में प्रकरण दर्ज हुआ था और उन्हें गिरफ्तार होना पड़ा था।

अमरपाटन से राजेंद्र सिंह दादाभाई कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ दो प्रकरण दर्ज हैं, उसमें आईपीसी की 5 गंभीर धाराएं लागू हैं।

महू (इंदौर) से कांग्रेस के अंतरसिंह दरबार चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, आदि के कुल दो प्रकरण दर्ज हैं, उनमें से 5 आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज हैं।

बदनावर से भंवरसिंह शेखावत के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, गलत जानकारी देना आदि का प्रकरण दर्ज है, जिसमें आईपीसी की 4 गंभीर धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज है। इंदौर से कांग्रेस के उम्मीदवार छोटू शुक्ला के खिलाफ भी दो प्रकरण में आईपीसी की 2 गंभीर धाराओ के तहत प्रकरण दर्ज हैं। भाजपा के रमेश मेंदोला के विरुद्ध भी एक प्रकरण में दो गंभीर धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

.

1 दिसंबर को केबीसी की अंतिम कड़ी

लोकप्रिय टीवी रिएलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) एक दिसंबर को समाप्त होने जा रहा है। बुधवार को यहां इसकी अंतिम कड़ी की शूटिंग करने वाले मेजबान महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा कि यह एक रोमांचक और आनंदपूर्ण अनुभव था। एक सूत्र के अनुसार शो की आखिरी कड़ी एक दिसंबर को सोनी एंटरटेंमेंट चैनल पर प्रसारित होगी।
 
समापन का यह क्षण बिग बी के लिए भावुक किंतु खुशीभरा था। 71 वर्षीय बिग बी ने गुरुवार सुबह ट्विटर पर लिखा, केबीसी का एक और दिन और इस सीजन का अंतिम दिन, लेकिन आशा करते हैं कि यह अगले साल फिर आनंद से भरेगा। आपका शुक्रिया। गुरुवार सुबह विदेश के लिए निकले इस महानायक का मानना है कि काम आपको थकाता नहीं है। वह कहते हैं कि दर्शकों द्वारा बरसाए गए प्यार को पाकर जगमगा उठते हैं। उन्होंने लिखा, तो केबीसी की अंतिम कड़ी खत्म हुई। आनंद, रोमांच और विजेताओं की खुशियों से परिपूर्ण यह क्या शानदार कड़ी थी। कौन बनेगा करोड़पति पहली बार वर्ष 2000 में प्रसारित हुआ था। इसके जरिए छोटे पर्दे पर बतौर मेजबान कदम रखकर अमिताभ बच्चन ने भारतीय टेलीविजन का चेहरा ही बदल दिया।

.

कलियुग के पाखंडी चेहरे!

भारतवर्ष को दुनिया में अध्यात्मवाद का दर्शन देने वाले एक देश के रूप में पहचाना जाता है। और एक अध्यात्मवादी देश के रूप में  भारत का डंका सदियों से बजता आ रहा है। निश्चित रूप से यही वजह रही होगी कि लगभग सभी धर्मों के संतों, फकीरों, ऋषियों-मुनियों व अध्यात्मवाद का पाठ पढ़ाने वाले स्वदेशी तथा विदेशी महापुरुषों ने भारतवर्ष को ही अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना। भले ही आज वह महापुरुष हमारे बीच न हों पंरतु उनके द्वारा दिखाए गए अध्यात्म के मार्ग का आज भी देश में विभिन्न वर्गों के लोग अनुसरण करते हैं तथा उससे लाभ उठाने व शांति प्राप्त करने का उपाय करते हैं। पंरतु अब ऐसा प्रतीत  होने लगा है कि भारतवर्ष से अध्यात्म के रिश्ते की बात गोया सतयुग काल की बातें बनकर रह गई हों।
 
कलयुग के वर्तमान दौर के तथाकथित अध्यात्मवादियों ने अध्यात्म की परिभाषा ही वर्तमान समय की नब्ज़ एवं ज़रूरतों के मुताबिक गढऩी शुरु कर दी हो। अन्यथा क्या वजह हो सकती है कि जिस भारतवर्ष को कभी संसार में विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त रहा हो वही महान देश आज पाखंडी अध्यात्मवादियों,बलात्कारियों,छलात्कारियों,भ्रष्टाचारियों एवं देश को बेचकर खाने वाले लोगों के देश के रूप में अपनी पहचान छोड़ रहा है।                 
 
अभी कुछ ही समय पूर्व की बात है जबकि जम्मू-कश्मीर राज्य में एक ढोंगी व दुष्चरित्र मौलवी द्वारा अपनी शिष्याओं को बहला-फुसला कर उनके साथ कई वर्षों तक बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया। मौलवी का भेष बनाए बैठा यह राक्षसरूपी व्यक्ति उन मासूम बच्चियों व धर्म  की शिक्षा ग्रहण करने वाली कुंआरी लड़कियों को अपने दुष्कर्मों के संबंध में यही समझाता था कि ऐसा करने से उन्हें जन्नत मिलेगी। ज़रा  कल्पना कीजिए कि जहन्नुम में जाने के उपाय व वैसे कर्म करने वाला ढोंगी अध्यात्मवादी मौलवी अपने दुष्कर्मों को जन्नत का मार्ग कऱार दे रहा था। इसी को कहते हैं उल्टी गंगा बहाना। गोया कर्म नरक भोगने वाले और उस पर तुर्रा यह कि वह स्वर्ग में जाने वाले कर्म हैं।
 
अब ज़रा तुलना कीजिए उन वास्तविक अध्यात्मवादी फकीरों से इस खबीस मौलवी की जिनके दर पर आज भी हर धर्म व जाति के लोग अपनी हाज़री लगाने मात्र से ही शांति प्राप्त करने तथा अपनी मुंह मांगी मन्नतों को पूरा करने का विश्वास लेकर जाते हैं। क्या ऐसे ढोंगी व बदचलन तथाकथित अध्यात्मवादी व्यक्ति को ढोंगी फकीर कहना गलत है?                 
 
गत् एक दशक में देश में ऐसी दर्जनों घटनाएं सामने आईं जिन से यह पता चला कि अध्यात्म के नाम पर अपनी दुकान तथा व्यापार चलाने वाले दुष्कर्मी संतों ने किस प्रकार अपनी ही पुत्री व पौत्री समान शिष्याओं के साथ रासलीला रचाई। इनमें सबसे ताज़ा प्रकरण आसाराम  नामक उस ढोंगी व्यक्ति से जुड़ा है जो अपने कुकर्मों में अपने साथ अपने बेटे को भी शामिल रखता था। ज़रा सोचिए कि जिस भारतवर्ष के प्राचीन संस्कार ऐसे रहे हों जहां पिता के समक्ष पुत्र बैठने से, बोलने से परहेज़ करता हो,जहां पुत्र अपने पिता को ईश्वर व गुरु तुल्य समझता  हो, अपने पिता के सामने बुलंद आवाज़ से बात न करता हो उस देश का  यह तथाकथित महान संत व उसका बेटा नारायण साईं सामूहिक रूप से यौनाचार का मिशन चला रहा हो। और वह भी अध्यात्मवाद की आड़ में?  इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे देश का आखिर और क्या हो सकता है? आज  यही पाखंडी संत रूपी पिता-पुत्र न केवल अपने अनुयाईयों से बल्कि पूरे  देश,दुनिया और खासतौर पर मीडिया से अपना मुंह छिपाने के लिए मजबूर हैं। ज मु-कश्मीर के दुष्कर्मी मौलवी की ही तरह यह पिता-पुत्र भी अपने बलात्कार की शिकार अपनी शिष्या से भोग-विलास करते समय उससे भी यही कहा करते थे कि 'वह यही समझे कि उसके साथ प्रभु संभोग कर रहे हैं। और पुत्र के साथ रासलीला करने वाली कन्या स्वर्ग की भागीदार होती है।                 
 
आखिर ऐसे पापियों व अपराधियों को अपने दुष्कर्मों  में अध्यात्म को खींचने की ज़रूरत क्या है? यह ढोंगी व पापी मौलवी व संतरूपी लोग अपने दुष्कर्मों को अंजाम देने के लिए अध्यात्म के नकली चोलेे से आखिर बाहर क्यों नहीं निकल आते। इन पापियों की वजह से धर्म व देश तो बदनाम हो ही रहा है साथ-साथ अध्यात्मवाद की शिक्षा भी  इनकी वजह से बदनाम व संदिग्ध होती जा रही है। अध्यात्मवाद को संदिग्ध करने की रही-सही कसर पिछले दिनों उस समय पूरी होती हुई देखी गई जबकि एक कथित संत के सपने के आधार पर केंद्र सरकार के जि़योलोजिकल सर्वे आफ इंडिया विभाग (जीएसआई) ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव जि़ले में गंगा नदी के किनारे पडऩे वाले एक गांव डोडिया खेड़ा में स्थित एक मंदिर के आसपास की खुदाई करनी शुरु कर दी। उस कथित संत का दावा था कि उसने सपने में इस मंदिर के नीचे सोने का विशाल भंडार दबा देखा है।
 
जीएसआई ने भी उस साधू के सपने पर यह कहकर मोहर लगा दी कि वैज्ञानिक जांच-पड़ताल से भी ऐसा प्रतीत होता है कि  इस भूमि के तले बड़ी मात्रा में धातु रूपी भंडार मौजूद हैं। बस फिर  क्या था। बाबा के सपने और जीएसआई की रिपोर्ट को संयुक्त रूप से आधार बनाकर सरकारी विभाग के लोग मज़दूरों की सेना लेकर मंदिर के आसपास की ज़मीन की खुदाई में जुट गए। उधर खुदाई के दौरान  सपने देखने वाला बाबा भी यह कहता रहा कि मैं अपने अध्यात्म के बल पर धरती के तले स्वर्ण भंडार होने की बात कह रहा हूं।
 
मेरी  यह वाणी सत्य होकर ही रहेगी अन्यथा मैं अपनी गर्दन कटवा दूंगा। परंतु खोदा पहाड़ निकली चूहिया जैसी कहावत उस गांव में चरितार्थ हुई। कई दिन तक की गई मेहनत-मशक्कत के बाद जीएसआई के अधिकारियों ने खुदाई का काम बंद कर दिया और सपने में देखा गया  स्वर्ण भंडार सपना ही बनकर रह गया।                  इस घटना ने भी साधु-संतों व फकीरों के प्रति अपनी गहन श्रद्धा रखने वाले भक्तों का विश्वास कम कर दिया है। निम्र स्तर पर तो अध्यात्म की खिल्ली उड़ाने वाली ऐसी सैकड़ों घटनाएं तो हमारे देश में आए दिन होती ही रहती है जबकि किसी तांत्रिक,ज्योतिषी अथवा मौलवी व  पंडित के कहने मात्र से दौलत की लालच में कोई अपने मकान की फ़र्श खुदवा डालता है तो कभी कोई अपने बच्चे या किसी दूसरे के बच्चे की  बलि तक चढ़ा देता है।
 
 पंरतु ऐसा तो शायद पहली बार सुना जा रहा है जबकि किसी अशिक्षित साधू के स्वप्र के आधार पर सरकार ने अपनी कार्रवाई करनी शुरु कर दी हो। इस घटना से भारत में अध्यात्मवाद  की वर्तमान दयनीय स्थिति का तो बोध होता ही है साथ-साथ हमें यह भी  देखने को मिलता है कि लालची केवल कोई व्यक्ति या परिवार ही नहीं  बल्कि स्वयं सरकार भी हो सकती है। अन्यथा देश के लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने की शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाली केंद्र  सरकार को किसी बाबा के कहने पर धरती के नीचे कथित रूप से दबे  हुए सोने की तलाश में हरगिज़ नहीं जुटना चाहिए था। परंतु सरकार ने एक ढोंगी साधू की बात मानकर यह साबित कर दिया कि सरकार भी  अंधविश्वास तथा ढोंगी अध्यातमवाद के झांसे में आ सकती है तथा यह भी साबित होता है कि किसी निक मे व लालची व्यक्ति की ही तरह सरकार भी बिना किसी कर्म के धनवान होने की िफराक में रहती है।                 
 
ढोंगी अध्यात्मवाद तथा अंधविश्वास की गिर त में हमारे देश के नेताओं व अधिकारियों का रहना कोई नई बात नहीं है। नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री नरसि हाराव तथा इनके अतिरिक्त भी देश के सैकड़ों प्रमुख व्यक्ति ढोंगी बाबाओं,ज्योतिषियों तथा झाडफ़ूंक करने वाले मौलवियों व पंडितों  की गिर त में फंसे देखे जाते रहे हैं। आज जेल की हवा खा रहा बलात्कारी आसाराम तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपने  मंच पर बुलाकर दुनिया को अपनी ढोंगी अध्यात्मवादी शक्ति का परिचय करा चुका है। प्राय: मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह भी इन्हीं तथाकथित  अध्यातमवादियों व पंडितों द्वारा सुझाए गए दिन व समय (मुहूर्त)के अनुसार आयोजित किए जाते हैं। जबकि विज्ञान ऐसी बातों की इजाज़त कतई नहीं देता।                 
 
हमारे देश में अध्यात्मवाद की दुकानदारी का तो अब यह आलम हो गया है कि जिसे देखो वही गेरुआ वस्त्र पहन कर लाटरी व सट्टे का नंबर बताता फिरता है। और ऐसे ढोंगियों के लालची भक्तों की  भी कोई कमी नहीं है। कई पाखंडी लोगों की दुकानें इसी सट्टा व लाटरी के व्यापार से ही चल रही हैं। लाखों ढोंगी अध्यात्मवादी केवल अपने नशे की लत को पूरी करने की खातिर अध्यात्म का चोला धारण किए बैठे हैं। तमाम ऐसे भी है जो अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में असफल होने के बाद अध्यात्मिक गुरु ही बन कर बैठ गए हैं। और सीधे-सादे  लोगों को मार्गदर्शन व अध्यात्मवाद का ज्ञान बेचने लगे हैं। इन्हीं तथाकथित अध्यात्मवादियों में कई ऐसे भी मिल जाएंगे जो अपने-अपने इलाकों में जघन्य अपराधों को अंजाम देने के बाद अध्यात्म के चोले  में खुद को छुपाए बैठे हैं तथा कानून की नज़रों से स्वयं को बचाए हुए हैं। अत: देश के धर्मभीरू लोगों को ऐसे कलयुगी अध्यात्मवादियों से स्वयं को न केवल बचाने की ज़रूरत है बल्कि इन्हें बेनकाब करना  भी बेहद ज़रूरी है। ऐसे लोग धर्म व अध्यात्म के साथ-साथ हमारी प्राचीन अध्यात्मवादी पहचान पर भी एक बड़ा कलंक हैं।   
                       
तनवीर जाफरी
1618,  महावीर नगर, 
अंबाला शहर, हरियाणा 
फोन : 0171-2535628   
 

.