Saturday, April 27, 2024
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भ्रष्टाचारियों के खाते खोल रही है जम्मू कश्मीर सरकार

बीजेपी और पीडीपी की गठबंधन सरकार ने राज्य में फैले भ्रष्टाचार के प्रति सक्रिय कार्रवाई शुरू कर दी है। जो मामले पिछले लंबे समय से फाइलों में दबे हुए थे, अब उनकी तहे खुलने लगी हैं। जिसमें से कुछ ऐसे मामले भी हैं जिन पर हाल ही में कार्रवाई की गई है।

जेकेसीए में करोड़ों का हेर-फेर
सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में हुए करोड़ो रुपये के घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राज्य पुलिस से घोटाले संबंधित केस को अपने हाथ में ले लिया है।

एफआईआर में जेकेसीए के पूर्व महासचिव सलीम खान और पूर्व खजांची एहसान रजा का नाम है। सीबीआई के मुताबिक यह पूरा घोटाला करीब 40 करोड़ का है। आरोप है कि एसोसिएशन के फंड को जम्मू-कश्मीर बैंक में खाते खोलकर पैसे का ट्रांसफर किया गया है।

2012 में यह घोटाला सामने आया था। जिस समय यह घोटाला हुआ उस समय एसोसिएशन के प्रमुख राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला थे। सीबीआई के मुताबिक एफआईआर में अब्दुल्ला का नाम नहीं है। मामले की जांच राज्य पुलिस की विशेष टीम कर रही थी लेकिन तीन साल में वह किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी । जम्मू-कश्मीर के क्रिकेट खिलाड़ी माजिद याकूब डार और निसार अहमद खान ने भी अदालत में इससे संबंधित पीआईएल दाखिल की थी।

गत 3 सितंबर को हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई से कराने का आदेश जारी किया था। सीबीआई ने फिलहाल यह मामला रणवीर पीनल कोड (आरबीसी) के तहत दायर किया है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में इंडियन पीनल कोड लागू नहीं होता। सीबीआई ने फिलहाल राज्य पुलिस के केस के आधार पर एफआईआर दर्ज की है, इसलिए आरोपियों पर आरबीसी की धाराएं लगाई गई हैं। बता दें कि एसोसिएशन में 113 करोड़ रुपये की फंड हेराफेरी का मामला सामने आया था।

आय से अधिक संपत्ति का मामला

दूसरा मामला भी पूर्व सरकार से जुड़ा हुआ है। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद के पीआरओ केवल कृष्ण शर्मा पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगा है। इसे लेकर पूरे राज्य में अफरा-तफरी मची हुई है। 18 सितंबर को विजिलेंस आर्गनाइजेशन ने उनके घर और ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। बोहड़ी, खौड़ और अखनूर स्थित मकानों में हुई छापामारी में विजिलेंस को भारी संपत्ति बरामद हुई । विजिलेंस टीम अपने साथ मजिस्ट्रेट लेकर पहुंची थी और सारी कार्यवाही उनकी देखरेख में हुई।

पूर्व उप मुख्यमंत्री के पीआरओ के पास से आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक करोड़ों रुपये की संपत्ति का मिलना बहुत बड़ा विषय है। दुखद बात तो यह है कि पीआरओ एक फॉरेस्ट गार्ड है और उसने दस करोड़ रुपये की अथाह संपति जमा की है। बेशक राज्य सतर्कता संगठन ने पीआरओ के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन इस गोरखधंधे में कुछ और अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। पीआरओ का केवल जनसंपर्क का काम होता है और वह मंत्री की दिनचर्या व कार्यक्रमों के लिए समन्वय स्थापित करता है।

बताया जाता है कि यदि केवल कृष्ण ने पूछताछ के दौरान विजिलेंस को सहयोग नहीं किया तो संकट में फंसना तय है। विजिलेंस एसएसपी डॉ. कौशल शर्मा ने माना कि अब तक केवल से जांच टीमों को सहयोग मिल रहा है। केवल के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। यदि जांच में सहयोग नहीं किया तो उन्हे गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

तीसरा मामला
तीसरा मामला शीक्षा से जुड़ा हुआ है जिसमें 57 वीईसी और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। आरोप है कि स्कूल का भवन बनवाने के लिए मिली राशि में गड़बड़ी की गई है जिससे समय पर स्कूल तैयार नहीं हो पाया है।

कठुआ जिले की 445 स्कूली इमारतों का समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं होने के मामले पर डीसी ने कड़ा कदम उठाया है। उन्होंने दोषी विलेज एजूकेशन कमेटी (वीईसी) और अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए। आदेश के अनुसार मूल्यों में बढ़ोतरी, महंगी ढुलाई और जमीन विवादों के कारण 2007-08 से 445 स्कूलों में अतिरिक्त क्लास रूम, हेडमास्टर रूम, प्राइमरी स्कूल बिल्डिंग का मनरेगा के तहत काम नहीं हुआ है। इसलिए संबंधित क्षेत्रों के थाने में 57 वीईसी और अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।

डी.सी. डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी के अनुसार मनरेगा के तहत 80 और इमारतों का भी निर्माण किया जाएगा। पिछले दो से आठ साल तक फंड खर्च नहीं किया गया। कई जगह पर स्कूलों की इमारतों का काम शुरू भी नहीं हुआ है। सही समय पर फंड खर्च नहीं कर अधिकारियों और कमेटी ने धन का सही उपयोग नहीं किया है। जिसकी वजह से सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। स्कूलों में भवन निर्माण काम सही समय पर शुरू नहीं हो पाया है।

पिछले तीन महीने की लंबी एक्सरसाइज के बाद इसका रहस्योद्घाटन हुआ कि इमारतों का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ। डीसी ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत 109.65 लाख खर्च करके 60 कमरों का मनरेगा के तहत निर्माण करने के आदेश दिए थे।

ये तो मात्र तीन ही मामले इसमें दिए गए हैं। ऐसे सैकड़ों मामले अभी तक दबे हुए हैं। जम्मू-कश्मीर देश के भ्रष्ट राज्यों में दूसरे नंबर पर आता है। सरकार ने जुलाई में भ्रष्टाचार में संलिप्त 63 अधिकारियों को नौकरी से बेदखल कर एक अच्छा कदम उठाया था। जिनमें कई केएएस अफसर सहित स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन विभाग, स्कूली शिक्षा, राजस्व, वित्त, आपूर्ति, पब्लिक हेल्थ, गृह, बिजली विभाग, वन विभाग, ग्रामीण विकास, आवास एवं शहरी विकास विभाग के अफसर शामिल हैं। बर्खास्त होने वालों में 25 विभिन्न भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियों की गिरफ्त में थे। 11 पर आय से अधिक संपत्ति का मामला था और 27 विभिन्न मामलों में दागी थे। सूची में दो चीफ इंजीनियर, चार केएएस अफसर, डायरेक्टर जनरल लाइब्रेरी एवं रिसर्च, तीन तहसीलदार, जम्मू के चीफ टाउन प्लानर, स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के एमडी तथा तीन डाक्टर भी शामिल थे। सभी की बर्खास्तगी का फैसला एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक में किया गया था।

भ्रष्टाचार उन्मूलन को लेकर भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ा। भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के अस्तित्व में आने के बाद लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन मिलने की उम्मीद हैं। मुद्दा यह है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाने पर भी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। भ्रष्टïचार पर अंकुश लगाने के लिए दो साल पहले सेंट्रल विजिलेंस कमीशन का गठन हुआ था, जिससे यह उम्मीद बंधी थी कि राज्य में भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भ्रष्टाचार समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है। विजिलेंस के अलावा अन्य एजेंसियां को भी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के मुद्दे को सफल बनाने में काम करना चाहिए। इससे सरकार की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी और लोगों को भी लगेगा कि उनके वायदे पर सरकार खरा उतर रही है।

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