Saturday, January 4, 2025
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चंबल की धरा से दुनिया भऱ में गूंजे विकास भारद्वाज के सितार वादन के सुर

हाड़ोती और राजस्थान के साथ – साथ व्यक्तिगत मेरे लिए अत्यंत गर्व का विषय है की मेरे जनसंपर्क अधिकारी के कार्यकाल में चंबल की धरा पर सूचना केंद्र में आयोजित “मल्हार उत्सव” से एक छोटे से बालक विकास भारद्वाज के सितार वादन के सुर आज दुनिया भर में गूंज रहे हैं। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि यह बालक बड़ा हो कर सितार वादन से हम सबके नाम के साथ – साथ दुनिया के संगीत फलक पर अपना नाम यूं रोशन करेगा। इनके माता – पिता जिन्होंने इस बालक की प्रतिभा को देश – दुनिया के आगे लाने में जिस साधना और तपस्या के साथ अथक प्रयास किए वंदनीय हैं। उनकी खुशी का अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता जब उनका बेटा दुनिया की सेलिब्रिटीज के सामने सितार वादन कला का प्रदर्शन करता है। आज सितार वादन में विकास का नाम देश के सुनामधन्य सितार वादकों में शुमार हो गया है। धन्य है हाड़ोती की पावन वसुंधरा जिसने ऐसे लाल की जन्म दिया है।

मैंने जब हाड़ोती की प्रतिभाओं पर लिखना शुरू किया तो इस बालक की भी याद आना स्वाभाविक था। जानकारी करने पर संगीतज्ञ सुधा अग्रवाल जी से ज्ञात हुआ कि यह आज सितार वादन के क्षेत्र में सशक्त हस्ताक्षर बन गया है और मुंबई में रह कर न केवल नियमित अपना रियाज कर रहा है वरन अपने कार्यक्रम भी प्रस्तुत कर रहा है । उनसे मैंने विकास का मोबाइल नंबर लिया। दो दिन बाद मोबाइल पर विकास से बात की तो वह मुझे तुरंत पहचान गया और ओपचारिक चर्चा के बाद नियत तिथि पर एक लंबा साक्षात्कार लिया और कुछ जानकारी उन्होंने मुझे लिख कर व्हाटसअप पर भी भेजी।

मेरे इस लेख का यही आधार है जीवन में तनाव को दूर करने के लिए विकास मंत्र देते हैं जी भर कर गाएं,गुनगुनाएं,तनाव में संगीत के सुर दे सकते हैं सुकून। वह कहते हैं कि संगीत की तरंगे व्यक्ति की आत्मा और मन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। मांगलिक अवसरों पर संगीत खुशियों को कई गुना बढ़ा देता है, उसी प्रकार से परेशानी के समय भी इससे तनाव मुक्त रहा जा सकता है। शास्त्रीय संगीत व भक्ति संगीत या कोई और जिसमें ठहराव और मिठास हो, सुना व गुनगुनाया जा सकता है। घर में कर्ण प्रिय आवाज में गीत, भजन, मंत्र आदि भी सुन सकते हैं। शास्त्रीय संगीत को सुनने में रूचि है तो सुबह राग भटियार, शुद्ध भैरवी, ललित राग का श्रवण व गायन किया जा सकता है। रात में राग दरबारी,यमन व हंस ध्वनि राग सुनकर राहत मिल सकती है। रोगियों के लिए भी गीत – संगीत को कर्ण प्रिय ध्वनी में सुनने से तनाव से मुक्ति मिल सकती है। घर में संगीत होने से पूरे घर में सकारात्मकता आती है । विकास मानते हैं कि ऐसी और भी रचनात्मक व सृजनात्मक कार्य करते रहने से तनाव की स्थिति से बचे रहेंगे और स्वास्थ्य मनोरंजन भी होगा।

सितार को एक लोकप्रिय वाद्य बताते हुए वह कहते हैं, इसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। सितार पूर्ण भारतीय वाद्य है क्योंकि इसमें भारतीय वाद्योँ की तीनों विशेषताएं हैं। तंत्री या तारों के अलावा इसमें घुड़च, तरब के तार तथा सारिकाएँ होती हैं। वे बताते हैं भारतीय तन्त्री वाद्यों का सर्वाधिक विकसित रूप सितार है। वह बताता है सितार वादन के क्षेत्र में देश ने पंडित रविशंकर,निखिल बनर्जी,विलायत खान, वन्दे हसन,शाहिद परवेज,उमाशंकर मिश्र और बुद्धादित्य मुखर्जी जी जैसे प्रमुख सितार वादक दिए हैं। आज इनके हज़ारों शिष्य इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं।

विकास की सितार वादन की यात्रा मात्र सात वर्ष की उम्र से शुरू होती है जब इन्होंने शास्त्रीय गायन की शिक्षा प्रारंभ की एवं संगीत क्षेत्र में अपना पहला कदम रखा । इसी आयु में आकाशवाणी, कोटा द्वारा आपका गायन प्रसारित हुआ । दस वर्ष की आयु से आपने सितार की विधिवत तालीम श्रीमती सुधा अग्रवाल, पंडित रामकृष्ण बोस, पंडित देवेंद्र मिश्रा से प्राप्त की तथा वर्तमान में आप अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितारवादक पंडित नयन घोष (मुंबई) से तालीम प्राप्त कर रहे हैं । गणतंत्र दिवस, 2020 के उपलक्ष में आप भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं ब्राजील के राष्ट्रपति के समक्ष भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं, विशेष रुप से आपको इस प्रस्तुति के लिए भारत सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था ।

वर्ष 2001 में रावतभाटा परमाणु संयंत्र की इकाई 3-4 के उद्घाटन के दौरान आपको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समक्ष सितारवादन का अवसर प्राप्त हुआ । आप भारत के अतिरिक्त स्विट्जरलैंड (यूरोप), लाओस, बीजिंग, शंघाई, ज़िनान, क्यूबा आदि अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं एवं भारत सरकार के माध्यम से भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। विकास का 29 वर्ष उम्र में चाइना जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया जाना कोटा के लिए भी बड़ी उपलब्धि रही। प्रतिनिधिमंडल में देश में साहित्य, कला और खेल के जुड़ी चुनिंदा नामी हस्तियों को शामिल किया था।

वर्ष 2015 में चीन यात्रा के दौरान आपको शानदोंग यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना द्वारा भी व्याख्यान एवं सितार वादन के लिए आमंत्रित किया गया था। इसी वर्ष में यूएसए सरकार और फाउंड साउंड नेशन अमेरिका द्वारा विशेष श्रेणी “होंरेबल मेनशन” के अंतर्गत आपको चयनित किया गया। इस चयन के लिए 45 देशों से चार हज़ार से ज्यादा आवेदन किये गए थे। सूरतरंग ( वेव्स ऑफ मेलोडी) ब्रॉडकास्ट वर्ल्डवाइड, लंदन द्वारा वर्ष 2012 में आपके सितारवादन का अन्तर्राष्ट्रीय प्रसारण किया गया । इस प्रकार आपने अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रस्तुतियां दी तथा उच्च स्तरीय सम्मान के साथ अनेक उपलब्धियां प्राप्त कर अपनी सितार वादन कला का लोहा मनवा चुके हैं।

डॉ. विकास भारद्वाज लेखन एवं रिसर्च क्षेत्र में भी आज भी पूर्ण रूप से सक्रिय हैं। आपकी शोध पुस्तक “बांसुरीवादक पंडित पन्नालाल घोष – व्यक्तित्व एवं कृतित्व”, कनिष्क पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2018 में प्रकाशित हो चुकी है । आपके द्वारा लिखे गए शोध पत्र कई जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं और आपने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार्स में अपने शोध पत्रों प्रस्तुत किए हैं। आप वर्ष 2013 में यूजीसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार और कार्यशाला में भी शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। आपने संगीत में पीएच.डी.कर रहे शोधार्थियों डॉ. राजर्षि कसुधान (वाराणसी, उत्तरप्रदेश ), श्री सुनील भट्ट (सागर, मध्यप्रदेश), कुमारी प्रवीन युसूफ मुल्ला (मिरज, महाराष्ट्र), डॉ. तरुणा शर्मा (कोटा, राजस्थान) का मार्गदर्शन किया है।

संगीत के क्षेत्र में आपको सांस्कृतिक मंत्री (स्विट्जरलैंड), विदेश मंत्री (लाओस) एवं अनेक गणमान्य व्यक्तियों द्वारा आपको अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। वर्ष 2015 में राजस्थान सरकार द्वारा ” राज्य अवार्ड” तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान किया गया। आईसीसीआर एवं आकाशवाणी से आप एप्रूवड एवं ग्रेडेड कलाकार हैं । आपको 2005 में “सुरमणि” उपाधि, वर्ष 2005 में सुर सिंगार समसद (मुंबई) एवं वर्ष 2011 में सुर नंदन भारती की उपाधि (कोलकाता) द्वारा प्रदान की गयी। जब आप 16 वर्ष के थे आपने ऑल इंडिया म्यूजिक कॉम्पिटिशन बाबा हरीवल्लभ (पंजाब) में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2004 में भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा आपको राष्ट्रीय छात्र वृति प्रदान की गई। आपको वर्ष 1999 में कोटा जिला स्तरीय राजकीय सम्मान भी प्रदान किया गया ।

देश और दुनिया में सितार वादन में ख्याति प्राप्त डॉ.विकास भारद्वाज का जन्म 21 मई 1985 को कोटा ( राजस्थान) में हुआ । पिता सुरेंद्र मोहन शर्मा एवं माता पुष्पा शर्मा द्वारा संगीत के प्रति प्रेरणा एवं प्रोत्साहन आपको बाल्यकाल से ही प्राप्त हुआ । आईएल से रिटायर्ड हुए सुरेंद्र मोहन के बेटे विकास सात साल की आयु में संगीत से जुड़ गए थे। गायन के बाद वे सितार वादन से जुड़े। वर्तमान में विकास मुंबई में अपने गुरु पंडित नयन घोष से मार्गदर्शन ले रहे हैं।

वर्ष 2008 में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ द्वारा आपने संगीत विषय में सितार के साथ स्नातकोत्तर की डिग्री प्रथम स्थान प्राप्त करने पर आपको तीन गोल्ड मेडल्स प्रदान किए गए । संगीत विषय में नेट, स्लेट उत्तीर्ण करने के साथ-साथ वर्ष 2004 में अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय, मुंबई द्वारा आपको “संगीत विशारद” की डिग्री प्राप्त की साथ ही कुशल प्रदर्शन हेतु आपको त्रिबंक दानी जोशी पुरस्कार प्रदान किया गया। इन्होंने बांसुरीवादक पंडित पन्नालाल घोष “व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर शोध कार्य पर कोटा विश्वविद्यालय, कोटा पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की । वर्तमान में आप मुंबई में रह कर अपनी शिक्षा को नियमित रखते हुए इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.) कर रहे हैं। आप अपनी साधना के साथ-साथ भारत सरकार की राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी एवं अन्य अनेक आयोजकों के माध्यम से देश-विदेश में प्रस्तुतियां दे रहे हैं, साथ ही ऑफलाइन एवं ऑनलाइन कक्षा के माध्यम से देश-विदेश में कई विद्यार्थियों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं ।

संपर्क मोबाइल : +91 94609 40374
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

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