संयुक्त राष्ट्र। भारत के शहरी इलाकों में अरेंज मैरिज का चलन कम हो रहा है। अब लड़का-लड़की की पहल पर परिवार की रजामंदी से होने वाले विवाह लेते जा रहे हैं। इसका फायदा भी सामने आया है। इसकी वजह से वैवाहिक हिंसा में कमी आ रही है और आर्थिक और परिवार नियोजन जैसे अहम फैसलों में महिलाओं के विचारों को ज्यादा अहमियत मिल रही है।
यह जानकारी मंगलवार को जारी संयुक्त राष्ट्र महिला की नई रिपोर्ट ‘प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड वीमन 2019-2020ः फेमलीज इन अ चेंजिंग वर्ल्ड’ में दी गई है।
ऐसे विवाह में महिलाएं बिना किसी परिवार सदस्य के खुद ही दोस्तों या रिश्तेदारों के यहां जाने का पारंपरिक विवाह के मुकाबले दो गुना ज्यादा मौका रखती हैं। लड़के-लड़की की पहल पर होने वाले विवाह में वैवाहिक हिंसा की संभावना भी कम होती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कई देशों में अपना साझीदार चुनना व्यक्तिगत फैसला नहीं होता बल्कि यह विस्तृत परिवार अथवा सामाजिक नेटवर्क द्वारा लिया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समय बीतने के साथ खास तौर पर शहर में इस प्रथा की जगह हालांकि लड़का-लड़की की पहल पर परिवार की रजामंदी से होने वाले विवाह आंशिक रूप से ले रहे हैं।
इस तरह के विवाह में परिवार संभावित साझीदार के बारे में सुझाव जरूर देता है, लेकिन अंतिम फैसला महिलाओं का होता है कि उन्हें किसी साझीदार बनाना है।