Friday, April 26, 2024
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राजस्थान में रेल विकास के सपने का 41 साल लंबा सफर

राजस्थान और मुंबई के बीच रेल सेवाओं के विकास और विस्तार में प्रवासी राजस्थानी समाज का अहम योगदान रहा है। लगातार चार दशक तक कड़ा संघर्ष करके राजस्थान मीटरगंज प्रवासी संघ ने प्रदेश के करीब 27सौ किलोमीटर रेलमार्ग को मीटरगेज से ब्रॉडगेज करवाने में सफलता प्राप्त की। प्रवासी संघ 5 जून को 42वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। विकास के लिए लगातार संघर्ष के 41 साल पूरे होने पर संस्था के अध्यक्ष विमल रांका का कहना है कि असली संघर्ष तो अब शुरू हुआ है। क्योंकि राजस्थान में रेल सेवाओं के विकास और विस्तार के कई बड़े काम अभी बाकी है।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री राज के पुरोहित बताते हैं कि मुंबई से मारवाड़ की यात्रा कुछ साल पहले तक बहुत डरावने सपने जैसी थी।अहमदाबाद में ट्रेन बदलना, खिडकियों से अंदर घुसना, सामान का लुट जाना, वहां कुलियों की दादागिरी और टॉयलेट में बैठकर यात्रा करना हर किसी के लिए बहुत आम बात थी। बहन – बेटियों से बदसलूकी की घटनाएं भी होती थी। मगर, अब सीधी ट्रेन होने के बाद ये सारी बातें सिर्फ किस्से – कहानियों का हिस्सा हैं। पूर्व मंत्री पुरोहित कहते हैं कि यह सब प्रवासी संघ के संघर्ष और कोशिशों की देन है। वरना इस रेल सेवाओं के इस विकास को कई साल और लग जाते। पुरोहित बताते हैं कि मुंबई से मारवाड़ की एक यात्रा के लिए दो रिजर्वेशन लेने पड़ते थे। मारवाड़ से मुंबई की यात्रा में 20 घंटे और कभी कभी तो पूरे 24 घंटे भी लग जाते थे। लेकिन अब जो विकास दिख रहा है, वह सब प्रवासी संघ के कारण ही संभव हुआ है। पुरोहित के सहयोग से रेल मंत्री पीयूष गोयल एवं उनके पूर्ववर्ती सुरेश प्रभु का भी प्रवासी संघ को बड़ा सहयोग मिला और कई रेल विकास के काम संभव हुए।

मुंबई और राजस्थान के बीच रेल सेवाओं का आज जो बेहतरीन नेटवर्क है, उसमें प्रवासी संघ की हर कोशिश को सफल बनाने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बड़ी भूमिका रही है। संस्था के सचिव एवं राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार बताते हैं कि प्रवासियों ने रेल विकास के लिए अपना लहू बहाया, लाठियां खाईं और पुलिस की गोलियां भी झेली। सन 1981 में फालना में ‘रेल रोको आंदोलन’ के दौरान सुरक्षा बलों और प्रवासियों के बीच हुआ भीषण ‘लाठी – भाटा जंग’ इस संघर्ष का सबसे बड़ा गवाह है। प्रवासी संघ के कार्यों में मुख्यमंत्री गहलोत के विशेष सहयोग के बारे में बताते हुए परिहार बताते हैं कि उनके सहयोग से ही पूरे प्रदेश में 2700 किलोमीटर रेलमार्ग सहित दिल्ली – अहमदाबाद रूट को ब्रोड़गेज करवाने में संस्था को जल्दी सफलता मिली। मुख्यमंत्री गहलोत के प्रति आभार प्रकट करते हुए परिहार बताते हैं कि उनके सहयोग से ही मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इस रेलमार्ग को डबल लाइन में परिर्वर्तित करने की योजना शुरू हुई। परिहार के मुताबिक इस काम में सन 1980 में पहली बार केंद्र में मंत्री बनने से लेकर आज तक अशोक गहलोत का हर कदम पर पूरा साथ रहा है।

एक जमाने में देश भर में राजस्थान की पहचान एक पिछड़े प्रदेश के रूप में थी। वहां पर रेल सेवाओं के विकास और विस्तार का लक्ष्य आसान नहीं था और राह उससे भी ज्यादा मुश्किल थी। प्रवासी संघ के उपाध्यक्ष सिद्धराज लोढ़ा बताते हैं कि इसी मुश्किल लक्ष्य को लेकर 5 जून 1979 को राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ की स्थापना हुई। संस्था की धुरी बने विमल रांका, जिनके नेतृत्व में धरने, आंदोलन, प्रदर्शन और सतत कोशिशों का परिणाम है कि राजस्थान में रेल विकास का काम बहुत तेजी के साथ हुआ। लोढ़ा बताते हैं कि प्रवासी संघ के अध्यक्ष रांका का प्रण है कि राजस्थान में जब तक एक इंच मीटरगेज रेलमार्ग भी बचा रहेगा, तब तक संस्था का नाम यही रहेगा। संस्था के महामंत्री सुकन परमार बताते हैं कि राजस्थान से करीब 15 से भी ज्यादा नई रेलगाड़ियां चलवाने के अलावा मुंबई से राजस्थान जानेवाली ट्रेनों में कोटा एवं कोच बढ़वाना आदि बहुत सारे बड़े काम प्रवासी संघ की मेहनत का ही नतीजा है।

प्रवासी संघ के संस्थापक विमल रांका कहते हैं कि रेल विकास के काम करते करते पता ही नहीं चला, 41 साल कैसे बीत गए। वे कहते हैं कि 41 साल में कुल 16 रेल मंत्रियों के सहयोग से राजस्थान में रेल विकास का सपना साकार हुआ। रांका बताते है कि 41 साल के इस लंबे सफर के हर संघर्ष में सबसे ज्यादा सहयोग रहा भामाशाहों का, जिनका विकास के हर काम में पूरा सहयोग रहा। रांका कहते हैं कि असली संघर्ष तो अब शुरू हुआ है, क्योंकि अभी तो दिल्ली – अहमदाबाद रेल मार्ग डबल लाइन शुरू होने के बाद उसका इलेक्ट्रिफिकेशन करवाना है, तभी तो विकास की गति और तेज होगी। प्रवासी संघ के लंबे संघर्ष में चंपत मुत्ता, सज्जन रांका, रमेश जैन, रमेश चोपड़ा, मूलचंद जैन, कांति कितावत, नरेंद्र मांडोत, सुरेश रांका आदि का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। रांका बताते हैं कि मुंबई एवं मारवाड़ के बीच रेल सेवाओं के विकास एवं सुविधाओं के विस्तार का यह सपना पूरा करने के 40 साल के संघर्ष में कई बाधाएं आई, लेकिन अंततः विकास हो रहा है,। इसी कारण मारवाड़ में औद्योगिक विकास भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

(लेखक समसामयिक विषयों पर लिखते हैं व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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