
उत्तराखंड में ग्लेश्यिर के फटने से हुए विनाश पर पर्यावरण विद राजेंद्र सिंह की प्रतिक्रिया
हाल ही में चमोली जिले में एवलांच के बाद ऋषिगंगा और फिर धौलीगंगा पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूटने पर प्रसिध्द पर्यावरण विद एवं जल पुरूष राजेंद्र सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया जारी की है। उन्होंने कहा कि पिछले साल प्रो जीडी अग्रवाल गंगा नदी पर बनाये जा रहे बांधों को लेकर लंबे समय तक अनशनरत रहे और आमरण अनशन कर अपनी प्राण त्यागे थे। और उनकी मांग थी कि गंगा, भागीरथी,मंदाकिनी और अलकनंदा पर सभी निर्माणाधीन और प्रस्तावित बांधों पर तत्काल रोक लगा दी जाए। लेकिन सरकारों ने उनकी मांगों को नहीं माना। अब प्रकृति ने ही इन योजनाओं को रदद कर दिया है।
हमें इस विनाश का गहरा दुख है। पिछले 15 वर्षों से अपनी सरकारों को समझाने का प्रयास कर रहे थे। हमें अब भी प्रकृति से सीखने का अवसर है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड की 14 नदी घाटियों में 220 से ज्यादा छोटी बड़ी परियोजनाएं बन रही हैं. इस वजह से नदियों को 10 से 15 किमी तक सुरंग में डाला जा रहा है.
इन बांधों के कारण नदियों की अविरलता पर खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा नदियों में लगातार खनन से भी नदियों के अस्तित्व पर संकट है।
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