Thursday, May 9, 2024
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Yearly Archives: 2017

अन्यथा सारी प्रगति को भ्रष्टाचार खा जाएगा

देश में भ्रष्टाचार पर जब भी चर्चा होती है तो राजनीति को निशाना बनाया जाता है। आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद भी हम यह तय नहीं कर पाये कि भ्रष्टाचार को शक्तिशाली बनाने में राजनेताओं का बड़ा हाथ है या प्रशासनिक अधिकारियों का? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार को समाप्त करने की योजनाओं को लेकर सक्रिय है, लेकिन वे इसके लिये अब तक राजनेताओं को ही निशाना बनाते रहे हैं, यह पहली बार हो रहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। रिश्वत और सुविधा शुल्क लेने वाले अफसरों का पर्दाफाश करने के लिए केंद्र सरकार ने एक और सख्त कदम उठाया है। मेरी दृष्टि में यह एक सही दिशा में सही शुरुआत है।

‘आदिवासी सभ्यता एवं संस्कृति’ पुस्तक का लोकार्पण

नई दिल्ली। केन्द्रीय जनजाति राज्यमंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर ने कहा कि भारत के विकास में आदिवासी समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान है। आदिवासी समाज को साथ में रखकर ही विकास को परिपूर्ण आकार दिया जा सकता है। जहां कहीं भी आदिवासी समुदाय की उपेक्षा एवं उत्पीड़न होता है तो वह राष्ट्र के लिए पीड़ादायक है। वर्तमान सरकार आदिवासी समाज को उपेक्षित नहीं होने देगी।

गूगल ने याद किया कन्नड़ कवि कुप्पाली वैंकटा को

गूगल ने एक बार अपने डूडल पर ऐसी हस्ती को जगही दी है, जिसने अपनी फील्ड में अपने हुनर का लोहा मनवाया. आज गूगल ने अपना डूडल कन्नड़ भाषा के कवि कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को समर्पित किया है. आज उनका 113वीं जयंती है. गूगल ने Kuppali Venkatappa Puttappa’s 113th Birthday शीर्षक से अपना डूडल बनाया है. वे कुवेंपू के नाम से लिखते थे. उनका जन्म 29 दिसंबर, 1904 में मैसूर के कोप्पा तालुक में हुआ था. उन्होंने कन्नड़ भाषा में कविता, कहानियां, उपन्यास और आलोचना का सृजन किया. वे पहले कन्नड लेखक थे जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यही नहीं, एक्टर-डायरेक्टर गिरीश कर्नाड उन पर फिल्म भी बना चुके हैं.

अमीर आयुर्वेद व गरीब ऐलोपैथ में अंतर!!

(विषय को समझाने के लिए लेख थोड़ा लम्बा हो गया है, लेकिन जनहित में यह निश्चित रूप से कारगर है, अवश्य पढ़ें व अधिक से अधिक लोगों में प्रसारित करें!) यह शीर्षक पढ़कर कई लोग सोच रहें होंगे यह क्या बात लिख दी गई है!! लेकिन वर्तमान समय की यही सबसे बड़ी सच्चाई है कि औषध चिकित्सा के मामले में ऐलोपैथ बिल्कुल असहाय, निरीह व गरीब सा नज़र आ रहा है, वहीँ आयुर्वेद अपने प्राकृतिक सिद्धांतो के कारण प्रभावकारी, समृद्ध व अमीर सा नज़र आता है।

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ” दिनकर “

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से

फिल्मी हस्तियों द्वारा अटलजी की कविताओं के गायन से मनेगा अटलजी का जन्मदिन

मुंबई। पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर प्रति वर्ष होनेवाला अटल गीत गंगा का कार्यक्रम अब की बार 30 दिसम्बर को मुंबई में आयोजित किया गया है। पिछले 8 वर्षों से दीप कमल फाउंडेशन द्वारा आयोजित किये जानेवाले अटल गीत गंगा के इस आयोजन मेें फ़िल्मी हस्तियां अटल जी की कविताओं का पाठ करती हैं।

राजेश खन्ना को राजीव गांधी सियासत में लाए

हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने सशक्त अभिनय के ज़रिये उन्होंने कामयाबी की जो बुलंदियां हासिल कीं, वह हर किसी को नसीब नहीं हो पाती हैं। 29 दिसंबर, 1942 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। उन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक़ था। फिल्मों में उनके आने का क़िस्सा बेहद रोचक है। युनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फ़िल्मफ़ेयर के बैनर तले 1965 में नये अभिनेता की खोज के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें दस हज़ार लड़कों में से आठ लड़के फ़ाइनल मुक़ाबले तक पहुंचे, जिनमें एक

अध्यात्म, संस्कृति और सामाजिक चेतना का अलख जगा रही है एकात्म यात्रा

अगर हमारी संस्कृति, परंपराएँ और अतीत का गौरव जीवित है तो हम अपनी जड़ों से भी जुड़े रह सकते हैं। मध्य प्रदेश शासन द्वारा मध्य प्रदेश में चार स्थानों से आदि गुरू शंकराचार्य को समर्पित एकात्म यात्रा से यही संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। एकात्म यात्रा 35 दिनों तक चलेगी जिसमे प्रमुख रूप से गाँव और शहर सम्मिलित होंगे. इन 35 दिनों के दौरान 140 जन संवाद कार्यक्रमों का भी आयोजन

चीन को मात देने को तैयार वाराणसी के काष्ठ कलाकार

केंद्र सरकार की पहल से वाराणसी के काष्ठ कला उद्योग को बल मिला है। विलुप्त होते जा रहे लकड़ी के खिलौने व सामान अब एक बार फिर स्टेशनों व बाजार में बिकते नजर आ रहे हैं। उद्योग को भौगोलिक पहचान (जीआई) का संरक्षण मिलने से काष्ठ कला कारोबार करीब 30 प्रतिशत बढ़ा है। साथ ही इंटरनेट से जुडऩे के कारण विदेश में भी इसकी मांग बढ़ी है। वाराणसी में काष्ठ कला अत्यंत प्राचीन काल से चली आ रही है। शहर के कश्मीरीगंज और खोजवां इलाके लकड़ी के खिलौने बनाने का प्रमुख केंद्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिल्पियों को व्यक्तिगत रूप से और विभिन्न मंचों से प्रोत्साहित किए जाने से व्यवसाय में तेजी आई है। यहां के लकड़ी के खिलौने अमेरिका, जर्मनी और खाड़ी के देशों में खूब पसंद किए रहे हैं। लकड़ी से तैयार मूर्तियां भी खासी पसंद की जा रही हैं। गणेश, शिव, पंचमुखी गणेश, पंचमुखी हनुमान, विश्वकर्मा की आकर्षक मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। शतरंज के मोहरे, गौतम बुद्ध की प्रतिमा की भी काफी मांग है।

गलत रास्तों से सही मंज़िलों की उम्मीद बेमानी

जीवन उचित और अनुचित के मध्य सही निर्णय से सार्थक बनने वाली एक यात्रा का दूसरा नाम है। जब नीतिगत निर्णय में हम असफल होते हैं या अनीति के साधनों को ही नीति मानने की गलती कर बैठते हैं तब ज़िंदगी अगर पटरी से उतर जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। यही कारण है कि शिष्ट समाज के मान्य मानकों के विरुद्ध जब कोई आचरण या व्यवहार किया जाता है तब उसे भ्रष्टाचार कहा जाता है।
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