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वामपंथ का वो ज़हर जो हमारी रगों में दौड़ रहा है
वामपंथ एक थाट-वायरस है।कंप्यूटर के संदर्भ में सोचे तो यह एक वायरस है ।जो लोगो की पुरो फॉर्मेटिंग बिगाड़ देता है। जैसे दिन-रात स्त्री विमर्श पर बोलने वाली 20 साल की लड़की महारानी पद्मिनी के बलिदान
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आइए ड्रग्स मुक्त भारत बनाएंः नशे के विरुद्ध जागरूकता पैदा करें संचार माध्यम
माता-पिता को भी सोचना होगा कि हमारे पास आज कल समय नही है। हम बस जिंदगी का गुजारा करने के लिए दौड़ रहे हैं। अपने जीवन को और अच्छा बनाने के लिये दौड़ रहे हैं।
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सार्वजनिक पुस्तकालयों के विकास में तकनीक का उपयोग वरदान : डा .दीपक कुमार श्रीवास्तव
इस अवसर पर डा दीपक ने दृष्टिबाधितों के लिये टेक्सट टू स्पीच,ई –पब,डेजी , सुगम्य पुस्तकालय , बुक शेयर , प्लेक्स टॉक वाचक इत्यादि की जानकारी साझा की तो बालकों के लिये स्टोरी व्युवर एवं सभी वर्गो नेशनल डीजीटल लाईब्रेरी ऑफ इण्डिया
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अब हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगा प्रसिद्ध उपन्यास ‘जया गंगा’
इस बारे में भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन का कहना है, ‘जया गंगा का हिंदी में अनुवाद किया जाना भारतीय और फ्रांसीसी संस्कृतियों के बीच संयोजन का एक आदर्श उदाहरण है।
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डॉ. प्रभात की पुस्तक “उदयपुर: राजस्थान का कश्मीर” का विमोचन
पुस्तक के लेखक डॉ. प्रभात ने कहा कि “उदयपुर भारत के सबसे रोमांटिक शहरों में जाना जाता है और यह पुस्तक पर्यटकों के लिए समस्त दृष्टिकोण को कवर करती है।
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सत्य से संचित शक्ति का वैभव
सत्य से संचित शक्ति का वैभव - डॉ. चन्द्रकुमार जैन गांधीजी की आत्मकथा सत्य के प्रयोग की बानगी है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वस्तुतः उनका जीवन और सत्य एक दूसरे के पर्याय हैं। सत्य उनके लिए कसौटी था। सत्य का आनंद ही उनका परम ध्येय था। बापू ने संसार को सत्य की प्रयोगशाला माना। उनकी जीवनी और आत्मकथा दोनों सत्य के साक्षात्कार तथा उसके आत्मसातीकरण की खुली किताबों के समान हैं। सत्य को ईश्वर के रूप में पहचानने वाले गांधी, वास्तव में सत्य के सार्वभौमिक प्रवक्ता हैं। सत्य उनके साधना-पथ का साध्य रहा और उस सत्य को साधने के लिए अहिंसा को उन्होंने एक कारगर माध्यम बनाया। गांधी जी का जीवन कथनी का नहीं, करनी का था। उन्होंने जो कहा उसके उदाहरण पहले स्वयं बने। वाद-विवाद से दूर संवाद के समीप रहा उनका जीवन। इसलिए समझना होगा कि गांधीवाद उनका कोई पंथ नहीं है अपितु उनके सिद्धांतों, मन्तव्यों का संग्रह है। अपनी किसी राह पर लोगों को चलने के लिए उन्होंने किसी को बाध्य नहीं किया, बल्कि कहा सत्य और अहिंसा की राह पर चलो। बापू ने कहा - मैं कभी इस बात का दावा नहीं करता कि मैंने नया सिद्धांत चलाया है। मैंने शाश्वत सत्यों को अपने नित्य के जीवन और प्रश्नों से सम्बन्ध करने का प्रयास अपने ढंग से किया। आप लोग इसे गांधीवाद न कहें, इसमें वाद जैसा कुछ भी नहीं है। गांधी ने शाश्वत सत्य का पाठ विश्व के महान सन्तों एवं मनीषियों से सीखा था। गांधीजी का सत्य जीवन का व्यावहारिक आलोक है। वास्तव में गाँधी जी विश्व को सत्य एवं अहिंसा के आदर्शों पर चलता हुआ देखना चाहते थे। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति इस अभिप्राय को प्राप्त करने का एक साधन मात्र थी। राष्ट्रपिता के लिए सर्वोच्च था। उन्होंने हरिजन ( 22 फरवरी, 1942 ) में लिखा - सत्य सर्वव्यापाक है। यह अहिंसा में समाहित नहीं, वरन अहिंसा इसमें समाहित है। गांधी जी ने सत्य को जी कर दिखाया। सत्य को ही जीवन बनाया। यहां तक उन्होंने देश की स्वतंत्रता से भी सत्य को लेकर कोई समझौता नहीं किया। सत्य समर्पण की यह गहन दृष्टि गांधी जी के सत्यशोधन का सार कही जा सकती है। सत्य के लिए भावावेश उनके जीवन पर छाया हुआ था। इसने उनके ह्रदय पर इतना प्रभाव डाला कि वह अपरिमित शक्तिशाली बन गया। गांधी जी सत्य साधक ही नहीं, सत्य अन्वेषक भी थे। स्मरण रहे कि इसका उन्होंने विशाल पैमाने पर सत्य प्रयोग किया और उन्हें सफलता मिली। मो. 9301054300
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कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के पूर्व बाल मजदूर सुरजीत लोधी को मिला ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड
सुरजीत को 2018 में राष्ट्रीय बाल पंचायत का उपाध्यक्ष चुना गया। उसने शराब के कारण बच्चों और परिवारों को तबाह होते देखा और समस्या को खत्म करने के लिए एक दिन ग्राम पंचयात की बैठक में उसने निर्णयकर्ताओं से सवाल किया, "ऐसे माहौल में बच्चे कैसे सुरक्षित रह सकते हैं
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वेद, आयुर्वेद और भारत के गौरवशाली अतीत को नई पहचान देने वाले डॉ. श्री बालाजी तांबे
30 जून को डॉ. श्री बालाजी तांबे अपने जीवन के 81 वसंत पूर्ण कर 82 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। अपनी इस जीवन यात्रा में उन्होंने पूर्णिमा के एक हजार चंद्रमा के दर्शन का लाभ भी लिया है।
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बिहार में दुनिया का सबसे बेहतरीन फ़ूड पार्क बनाएंगे : श्री शाहनवाज़ हुसैन
बिहार सरकार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने निवेश आयुक्त मुंबई के कार्यालय में उद्योग जगत के लोगो से मुलाकात कर निवेश करने की अपील की। इस मीटिंग में प्रमुख निवेशकों से अलग अलग निवेश के लिए विशेष रूप से बात की।
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चर्च बना अय्याशियों का अड्डा, आर्क विशप ने माफी मांगी
इससे पहले चर्च की जो पहली रिपोर्ट आई थी, उसमें 1990-2018 के बीच के मामलों के बारे में बताया गया था। इस दौरान करीब 382 पादरियों द्वारा 625 नाबालिग बच्चों का यौन शोषण किया गया। ताज़ा रिपोर्ट में केवल उसके बाद खुलासा हुए मामलों को ही शामिल किया गया है।