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6 फरवरी, लता और कवि प्रदीप की यादों का सिलसिला
मनोज कुमार - 0
हेमा से लता बन जाने वाली लता हमेशा से भारतीय सभ्यता और संस्कृति की संवाहक बनी रही। उन्होंने अपने जीवनकाल में हजारों गीत गाये लेकिन एकमात्र विज्ञापन किया। उनकी प्रतिष्ठा संगीत की देवी के रूप में रही।
भारतीय संगीत जगत के एक अनमोल सुर का नाम है लता मंगेशकर
गीतकार प्रेम धवन ने लता जी के व्यक्तित्व पर एक कविता लिखी थी जिसमें दृश्य यह था कि गिरधर कृष्ण ने जब यह बात याद दिलाई होगी कि आपने वादा किया था जन्म लेने का तब कृष्ण का उत्तर रहा होगा
लता मंगेशकर ः एक ऐसा नाम जो खुद एक पहचान है
तृप्ति पवार - 0
बचपन से ही लता को घर में गीत-संगीत और कला का वातावरण मिला और वे स्वभावतः उसी की तरफ आकर्षित हुई।लता मंगेशकर ने अपना कला क्षेत्र का पहला पाठ अपने पिता से सीखा था।
आर्य समाज की स्थापना के समय महर्षि दयानंद का ऐतिहासिक वक्तव्य
मैं तो जैसा अन्य को उपदेश देता हूं, वैसा ही आपको भी करूंगा और इतना लक्ष्य में रखना कि मेरा कोई स्वतन्त्र मत नहीं है और मैं सर्वज्ञ भी नहीं हूं । इससे यदि कोई मेरी गलती आगे पाई जाए तो युक्तिपूर्वक परीक्षा करके इसी को भी सुधार लेना ।
शुद्धि आंदोलन जैसे अभियान से ही इस्लाम के आतंक से मुक्ति मिलेगी
मध्य काल में हमें हुण, कम्बोज, मंगोल आदि जातियों को अपने में समाहित कर लिया था। शिवाजी ने नेताजी पालकर की शुद्धि कर उन्हें वापिस शुद्ध किया था। आधुनिक भारत में स्वामी दयानन्द ने देहरादून में एक मुस्लिम सज्जन को शुद्ध कर
संगीत का आठवाँ सुर अनंत में विलीन हो गया
लता ने 1972 में मधुबाला के लिए 'पाकीज़ा' में 'चलते-चलते' और 'इन्हीं लोगों ने', प्रेम पुजारी के लिए 'रंगीला रे', शर्मीली के लिए 'खिलते हैं गुल यहां', अभिमान के लिए 'पिया बिना', परिचय के लिए 'बीती ना बिताई', नीलू के लिए 'कादली चेनकादली', कोरा कागज के लिए 'रूठे-रूठे पिया', सत्यम शिवम सुंदरम के लिए
पत्रकारिता जगत के लिए एक उपयोगी स्मारिका
पत्रकारिता के इन महत्वपूर्ण विषयों के साथ - साथ स्मारिका के नाम के अनुरूप डॉ.मुक्ति पाराशर बूंदी - कोटा , हंसराज नागर बारां एवं महाराणा कुंभा पुरस्कार प्राप्त ललित शर्मा झालावाड़ जिलों के महत्वपूर्ण पहलुओं को
‘विनाश पर्व’ में है अंग्रेजोें की लूट का कच्चा चिठ्ठा
प्रशांत पोळ - 0
सन १८२६ में, अपने मृत्यु से कुछ दिन पहले, बिशप रेजीनाल्ड हेबर ने लिखा की, “हम (अंग्रेज़) जितना कर वसूलते हैं, उतना कोई भी भारतीय राजा नहीं वसूलता और पहले भी नहीं वसूला था”. बंगाल में शासन में आने के मात्र ३० वर्षों में जमीन
वसंत पंचमी पर संकल्प लें कि भोजशाला सहित हमारे सभी धार्मिक स्थलों से कोहरा हटाएँगे
भूली भटकी स्मृतियों वाले इबादतगाहों पर अपने दावे ठोकते हैं, जिनके पुरखों ने ही ये सरस्वती कंठाभरण बनाए थे या नालंदा जैसे विश्वविद्यालय खड़े किए थे और जिनसे तलवारों के जोर पर उनकी पहचानें छीन ली गई थीं।
आम बजट में एमएसएमई क्षेत्र पर दिया गया है विशेष ध्यान
इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में किए जाने वाले पूंजीगत खर्चों में अधिकतम 35.4 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा करते हुए इसे 7.50 लाख करोड़ रुपए की राशि तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।