इंदौर की एक कंपनी अमेरिकी साफ्टवेयर कंपनी की मदद से मध्यप्रदेश सहित देश भर के तमाम लोगों के फोन टेपिंग और क़ॉल डिटेल निकालने का चौंकाना वाला मामला सामने आया है। इनका शिकार बड़े राजनीतिज्ञ, ब्यूरोक्रेट्स और हाई प्रोफाइल भी बनाया गया है।
खास बात यह है कि इस साफ्टेवयर का इस्तेमाल मप्र पुलिस की एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) विंग भी कर रही है। इसके अलावा कुछ बिल्डर्स और क्रिमिनलों के पास भी इस साफ्टवेयर के होने का दावा किया गया है।
मप्र पुलिस के आईटी सेल में कंसलटेंट के रूप में काम करने वाले दिल्ली निवासी प्रशांत पांडेय ने यह खुलासा किया है। उन्होंने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की है। मप्र के पुलिस के पूर्व आईटी कंसलटेंट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी है। जिससे गैर कानूनी तरीके से फोन टेपिंग और कॉल डिटेल निकालने की बात प्रमाणित हो रही है।
याचिकाकर्ता का यह दावा भी
-साफ्टवेयर के जरिए लोगों के फोन रिकॉर्डिंग और कॉल डिटेल निकाल उन्हें ब्लेकमेल किया जा रहा है।
-अकेले मप्र पुलिस के करीब चार हजार पुलिसकर्मी इस साफ्टवेयर का बेरोकटोक इस्तेमाल कर रहे है। इसके लिए वह हर महीने पांच रुपए कंपनी को दे रहे है।
– कंपनी फोन नंबरों को कॉल सेंटरों को भी साझा कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
बगैर अनुमति के फोन टेपिंग और कॉल डिटेल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए केंद्र और राज्य सरकार गृह सचिव सहित सीबीआई, मिलिट्री इंटेलीजेंस, मप्र एसटीएस, मप्र एटीएस और इंदौर बेस्ड अमेरिकी कंपनी सपंदन-द आईटी प्लस को नोटिस जारी किया है।
लोगों की प्राइवेंसी में सेंध का यह एक बड़ा मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। हमने सारे सबूतों के साथ मामले को कोर्ट के सामने रखा है। विवेक तन्खा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट।
साभार http://naidunia.jagran.com/ से