नई दिल्ली। भारत में स्वास्थ्य एवम् स्वास्थ्य सेवायें वर्तमान समय की प्रमुख चिंताओं में से एक हैं। सरकारी स्तर के साथ-साथ प्राईवेट क्षेत्र के लगातार प्रयासों के बावजूद इस क्षेत्र में बहुत सारी चुनौतियां हैं, जिन पर काम करना बहुत जरूरी है और हॉस्पिटल्स, डॉक्टर, संगठनों एवम् सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के साथ-साथ आमजन का सहयोग, समझ, जिम्मेदार एवम् जागरूक नागरिक के तौर पर योगदान बहुत जरूरी हो जाता है।
पूर्व और वर्तमान के बीच देश में भविष्य की हेल्थ स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रमुख हॉस्पिटल चेन आपोलो हॉस्पिटल्स ने रिपब्लिक के साथ साझेदारी की है। जिसके अंतर्गत हेल्थकेयर पर सबसे बड़ी मीडिया पहल ’’फ्यूचर ऑफ हेल्थ’’ की शुरूआत होगी और यह देशवासियों को अधिक स्वस्थ बनाने की दिशा में प्रगतिशील परिवर्तन को बढ़ावा देगा। होटल लीला पैलेस के द ग्रैंड बॉलरूम में आयोजित इस समिट में अपोलो हॉस्पिटल्स एवम् रिपब्लिक के सहयोग के माध्यम से इसका उद्देश्य यूएन के सस्टैमनेबल डेवलपमेंट गोल 3 में योगदान करना है, ताकि सभी उम्र वर्ग के लोगों का स्वस्थ जीवन सुनिश्चित किया जा सके और उनकी तंदुरूस्ती को बढ़ावा मिले। इस विषय पर संचार शुरू कर देश के स्थायित्वपूर्ण विकास के लिये आवश्यक है।
आइबीईएफ के अनुसार, हेल्थकेयर रेवेन्यू और रोजगार दोनों ही नजरिये से भारत का एक सबसे बड़ा सेक्टर बन गया है। हेल्थकेयर में हॉस्पिटल्स, मेडिकल डिवाइसेज, क्लिनिकल ट्रायल्स, आउटसोर्सिंग, टेलीमेडिसिन, मेडिकल टुरिज्म, हेल्थ इंश्योरेंस और मेडिकल इक्विपमेंट शामिल हैं। भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर अपनी कवरेज, सेवाओं के मजबूत होने और पब्लिक एवं प्राइवेट कंपनियों के खर्च बढ़ने की वजह से काफी अच्छी तरह से वृद्धि कर रहा है। हेल्थ केयर बाजार के वर्ष 2022 तक तीन गुणा की वृद्धि के साथ 8.6 ट्रिलियन (133.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत में मेडिकल टुरिज्म में 22-25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो रही है और इंडस्ट्री के दोगुनी बढ़ोतरी के साथ 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मौजूदा (अप्रैल 2017) स्तर से वर्ष 2018 तक 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
दिल्ली में इस लॉन्च के अवसर पर ’’फ्यूचर ऑफ हेल्थ’’ थीम पर चर्चा देखी गई। पैनलिस्टो में यूएनएआइडीएस, एनएबीएच, आइएमए, ड्ब्यूएचओ और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे संघों के लोग शामिल थे। उन्होंने इस संबंध में अपने नजरिये और विचार को प्रस्तुत किया कि किस तरह से समाज भारत में एक बेहतर हेल्थकेयर सिस्टम का निर्माण करने की दिशा में योगदान कर सकता है।
मौके पर अपोलो हॉस्पिटल की वाइस चेयरपर्सन प्रीथा रेड्डी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवायें गहन चिंता का विषय है क्योंकि हम बदलाव तो लाना चाहते हैं लेकिन इसे अपनाना नहीं चाहते। हमें रिस्पांसिबिलिटी लेनी होगी, अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि अच्छी-खासी जीवनशैली अपनाने के लिए हम लग्जरी पर तो खर्च करना चाहते हैं लेकिन सुदृढ़ स्वास्थ्य अचीव करने के लिए हम समय और पैसा नहीं डालना चाहते। हेल्थकेयर को एक्सेसिबल, अकांउटेबल बनाना जरूरी है। सरकार ने सकारात्मक पहल दिखायी है और बताया है कि हमें यूनिवर्सल हेल्थकेयर की जरूरत है, लेकिन यह एक दिन में सम्भव नहीं होगा, समय लगेगा, सार्थक प्रयास किये जायेंगे, जब हम यूनिवर्सल हेल्थकेयर को सार्थक होता देख सकते हैं। स्किल, मैनपॉवर, इंफ्रास्टक्चर और उन्हें अकाउंटेबल बनाना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्राइवेट सेक्टर को भी साथ में काम करना होगा।