जयपुर। जयपुर में रहने वाले शरद माथुर ने एक पेंट ब्रश से 3,000 से अधिक पन्नों वाली ‘रामचरितमानस’ की रचना की है। अब उनकी इच्छा अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने पर इसे दान में देने की है। उनका यह प्रयास वाकई में अद्वितीय है। उन्होंने बताया, ‘मैं भगवान राम को प्रार्थनाओं के अलावा कुछ और अनोखा देने की चाह रखता था, लिहाजा पेंट और ब्रश के सहारे बड़े अक्षरों में रामचरितमानस लिखने का ख्याल आया। इसमें प्रत्येक शब्द 1-1.5 इंच का है और पूरी किताब का वजन 150 किलोग्राम है।’
उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश बुकबाइंडर्स ने तकनीकी कारण का हवाला देते हुए इसे बांधने से इनकार कर दिया, फिर मुबारक खान आगे आए और इसे बांधने का काम खुद के जिम्मे लिया। शरद ने कहा, ‘मैंने कई बुकबाइंडिंग यूनिट से बात की, लेकिन कोई भी इस काम को अंजाम न दे सका। अब मुबारकभाई ने अपने कलात्मक प्रयास से सांप्रदायिक सौहार्द की कड़ी को जोड़कर एक उत्कृष्ट काम किया है।’
शरद ने बताया कि वह अपना गुजारा स्कूल में बच्चों को संगीत सिखाकर और खुद भजन गाकर करते हैं। इस किताब को लिखने के लिए उन्हें हर रोज पांच-छह घंटे का वक्त देना पड़ता था और ऐसा उन्होंने छह सालों से अधिक समय तक के लिए किया। ए-3 साइज के प्रत्येक पृष्ठ को पूरा होने में एक दिन का समय लगता था।
शरद ने यह भी कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बन जाने के बाद वह वहां जाकर भगवान राम को अपनी यह सेवा दान में देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी और बेटी, पूनम और शुभम और मेरे दोस्तों ने भी किताब को साथ में रखकर लेमिनेट करने में मेरी मदद की है।’
आगे की योजनाओं के बारे में पूछने पर शरद ने जबाव दिया, ‘मेरा सपना मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को महाकाव्य रामायण के पांचवें भाग सुंदरकांड की एक हस्तलिखित प्रति प्रस्तुत करना है।’ सुंदरकांड रामायण का एकमात्र ऐसा अध्याय है जिसमें नायक राम नहीं बल्कि हनुमान हैं।
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