2 अक्टुबर को पैदा हुए,
पोरबंदर जन्मस्थान,
पुतली बाई थी माता,
कबा पिता का नाम।
धन्य हैं वो माता, जिसने
गांधी जैसा लाल दिया,
गांधी ने निज देश का
विश्व में ऊँचा भाल किया।
महान आत्मा थी वह ,
सो महात्मा कहलाये ,
माता जी को दिये वचन
विदेशों में भी ना भुलाए।
विदेशी सत्ता भी घबराती थी
मनोबल था महान,
ऐसी अद्भुत शक्ति को
कोटि कोटि प्रणाम।
दयावान, कृपा निधान,
क्लांतहीन, हे चिर महान,
परस्पर जग में लड़ रही है
बापू तेरी संतान।
इक बार जग में गांधी जी
फिर से तुम आ जाओ,
अहिंसा व मनुष्यता का
पाठ सबको सिखलाओ।
राम राज पुनः लाने की
कल्पना जो तुमने की थी,
वह अभियान हे गांधी जी
फिर से देश में चलवाओ।।
मेरे द्वारा 10 वर्ष की आयु (1977) मे मेरे जीवन की प्रथम स्वरचित काव्य रचना
अनुज कुमार कुच्छल
सीनियर सेक्शन इंजिनियर
मध्य – पश्चिमी रेल मंडल, कोटा ( राजस्थान )