Friday, April 26, 2024
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एक नजारा ऐसा भी : छोटे नोट जमा करने आया तो सम्मान से खड़े हो गए बैंक प्रबंधक

सहारनपुर / कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक से चारों तरफ खलबली है। लोग अपनी जरूरत के लिए बैंकों से रुपये निकालने को लेकर परेशान हैं । पूरे देश में इस समय छोटे नोटों को लेकर जहाँ मारामारी मची हुई है वहीं सामान्य खर्चों से निपटने के लिए छोटे नोटों की चाहत में लोग घण्टों बैंक के सामने कतार में खड़े हो रहे हैं । लंबी लंबी लाइने ,धक्कामुक्की के बीच ज्यादातर लोगों को छोटे नोटों की दरकरार है वहीं एक शख्स शिवकुमार हैं जो 50 और 100 रूपये की नोट लेकर खाते में जमा कराने रविवार को दिल्ली रोड स्थित पनाजब नेशनल बैंक की आवास विकास शाखा में पहुँच गये । यह देख न केवल बैंक स्टाफ वरन मैनेजर क्रांति कुमार अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और उन्होंने शिवकुमार को पाठक को कुर्सी पर बैठाया । उन्होंने अपने कक्ष में ही शिवकुमार से फार्म भरवाया और पैसे जमा करवाये ।

बैंक मैनेजर से शिवकुमार ने बताया कि उन्होंने टीवी में खबर देखी की बैंको में छोटे छोटे नोटों की कमी पड रही है । घर में बच्चो और पत्नी की कुल बचत करीब छह हजार रूपये थी । इसमें सभी 100 और 50 के नोट थे । शिवकुमार ने बताया कि हमने आधी रकम अपने पास रख ली है और इतनी रकम से उनके पूरे परिवार का तीन महीने का खर्च चल जायेगा । बाकि बचे तीन हजार रूपये किसी जरूरतमंद रक पहुँच जाएँ इसी सोंच के साथ हमने जमा कराएं हैं । वहीं बैंक मैनेजर का मानना था कि अगर ऐसे ही भावना का प्रदर्शन करते हुए सभी लोग धैर्य से काम लें तो मौजूदा समय में हो रही कैश की समस्या से निपटा जा सकता है ।

आपको बता दें पिछले हफ्ते मंगलवार देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों पर पाबंदी लगाने का फैसला किया था । ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो अपने राष्ट्रहित के फैसलों के लिए दुनियाभर में मशहूर रहे हैं उन्होंने बड़े इत्मीनान से राष्ट्र को संबोधित करने का जब कुछ दिन पहले ऐलान किया तो लोग समझ गए कि कुछ न कुछ होने वाला है। भारत समेत पूरी दुनिया में मोदी ने हड़कंप मचा दिया। एक ही झटके में 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने के फैसले से कालाधन कमाने का गोरख धंधा करने वाले ब्लैक मार्केटर और अन्य अवैध धंधा करने वाले गश खा गए। सही वक्त पर सही फैसला। आज देशवासी खुश हैं कि अंदर ही अंदर देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर केवल हरे और गुलाबी नोटों से अपनी तिजोरियां, बोरियां और स्टोर भरने वाले धन्नासेठों पर यह प्रहार जरूरी था। सबसे ज्यादा परेशान भी वही हैं। मोदी के इस फैसले की सीमा पार पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक से तुलना की जा रही है और अब इसे आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का नाम दिया गया है तो हम इसका स्वागत करते हैं ।

वैसे ज्यादातर लोगो का मानना है कि सरकार के इस फैसले से काले धन पर लगाम लगेगी । जैसे जैसे सरकार के फैसले को दिन बीतते जा रहे हैं वैसे वैसे ही आम जनता की समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं । लेकिन इतना स्पष्ट है कि सरकार के इस फैसले के बाद अधिकांश सफेदपोशों में हलचल मची हुई है । वैसे नोटों की समस्या से निपटने के लिए पीएम मोदी ने देश की जनता से 50 दिन का समय भी मांग लिया है ।

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