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पहाड़ों का सीना चीरकर हजारों आदिवासियों की जिंदगी बदल दी

आप जो ऊपर जिस शख्स को देख रहें है वो देश के असली हीरो है। नाम है लिंगराजन नायक। कर्नाटक राज्य के सुदूर आदिवासी गांव केपू में घने जंगलों के बीच रहते हैं और वहीं रहकर देश के लिए जो कर दिखाया है उसकी कल्पना हम और आप बिलकुल नहीं कर सकते। न वो साक्षर हैं न कोई तकनीकी ज्ञान उनके पास है। सीधे ,सरल और मृदुभाषी। आदिवासी जनजातीय से आते हैं। बाहर की दिखावटी दुनिया से दूर चुपचाप अपना काम गहराई से कर रहें रहे हैं।हमारी भाषा और तौर तरीके उन्हें बिलकुल नहीं मालूम। दिखने में साधारण लेकिन कार्य असाधारण।आपको बिहार वाले दशरथ मांझी याद है न। जिनके जीवन और कार्य पर कितनी फिल्में और कहानियां लिखी जा चुकी है।

ठीक उन्हीं के तर्ज पर लिंगराजा नायक जी ने अपने साहस, मजबूत इच्छा शक्ति और कभी न हार मानने वाले जूनून से एक जीवंत इतिहास रच दिया है।इन्होंने अकेले बिना किसी सहायता और तकनीकी ज्ञान के पहाड़ का सीना तोड़कर सुरंगे तैयार की है और उसके जरिए सूखे और बंजर खेतों तक पानी पहुंचाया है। मैगलूर के आदवासी किसान जो कभी पानी के लिए तरसते थे और जिनके पास पीने तक के लिए पानी तक नहीं था। वहां इस नायक ने एक नहीं सात सुरंगे अकेले खोद डाली।आज गांव के आदवासियों के पास पीने का पानी है और खेतो को सींचने के लिए जल। 74 साल के इस युवा ने जबरदस्त काम किया है।

इन्हें बुजुर्ग समझने की गलती बिल्कुल न करें।इन्होंने जो कर दिखाया है उसके लिए बड़े साहस और जबरदस्त जज्बे की जरूरत है।आज भी वे मजदूरी करते है।इनका एक कमरा तमाम सम्मानो और पुरस्कारो से भरा है।घने जंगल के बीच देश का सुपर हीरो रहता है।इन्हें अभी पदम श्री से सम्मनित भी किया गया है।मुझे गर्व है मैं ऐसे देश में रहती हूं जहां लिंगराज नायक जैसे लोग रहते है।जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों का जीवन संवारने में लगे है।

उनके घर पर मिले प्यार,स्नेह और स्वागत से अभिभूत हूं।देश का ये गौरव पुत्र हमारा अभिमान है।

#आदिवासी गांव केपू से साभार
(लेखिका राज्यसभा टीवी में कार्यरत हैं और रचनात्मक लेखन करती हैं)

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