Thursday, May 2, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तितकनीक से ही सक्षम बनेंगी भारतीय भाषाएं : बालेन्दु शर्मा दाधीच

तकनीक से ही सक्षम बनेंगी भारतीय भाषाएं : बालेन्दु शर्मा दाधीच

आईआईएमसी में ‘शुक्रवार संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन

नई दिल्ली। ‘माइक्रोसॉफ्ट इंडिया’ के निदेशक (भारतीय भाषाएं एवं सुगम्यता) श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने भारतीय भाषाओं के विकास में तकनीक की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। श्री दाधीच के अनुसार तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि तकनीक के सही प्रयोग से भारतीय भाषाओं को ज्यादा सक्षम बनाया जाए। श्री दाधीच शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित कर रहे थे।

‘न्यू मीडिया : भारतीय भाषाओं में उभरती संभावनाएं’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने कहा कि प्रौद्योगिकी का एक रूप है यूनिकोड। यूनिकोड ने दुनिया की 154 भाषाओं को आपके मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करने में सक्षम बनाया है। यह भारतीय भाषाओं को जोड़ने वाली शक्ति हैं। अगर आज यूनिकोड नहीं होता, तो न तो आप न्यूज वेबसाइट पढ़ पाते और न ही अपनी भाषा में संदेश लोगों को भेज पाते। उन्होंने कहा कि यूनिकोड ने लिपियों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाई है। आज भारतीय भाषाओं के इंटरफेस के साथ स्मार्टफोन आ रहे हैं। अनेक भाषाओं में ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग बढ़ा है। ई-कॉमर्स और ई-गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों में भारतीय भाषाओं का दखल बढ़ रहा है।

श्री दाधीच के अनुसार न्यू मीडिया ने आज अनेक संभावनाओं के द्वारा खोले हैं, लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तकनीक पर इतने आश्रित तो नहीं हो रहे हैं कि हमारी सोचने की क्षमता इससे प्रभावित होने लगे। उन्होंने कहा कि आज लोगों की पसंद ‘लांग फॉर्म कंटेंट’ नहीं है। अब छोटे-छोटे टुकड़ों में लोग ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। आज 6 या 7 शब्दों की कहानियां लिखने का चलन बढ़ने लगा है। श्री दाधीच ने कहा कि संक्षेप में रचनाकर्म करना भी अभिव्यक्ति की एक कला है। इंटरनेट के प्रभाव से ये कलाएं समाज में लोकप्रिय हो रही हैं।

श्री दाधीच ने बताया कि भाषाई क्षेत्र में आ रही नई तकनीकें आज उम्मीद जगा रही हैं। अगर हम इन तकनीकों का सार्थक इस्तेमाल कर सकें, तो बहुत सारी भाषाएं, जिनका अस्तित्व आज संकट में दिखता है, बचाई जा सकेंगी। साउंड प्रोसेसिंग और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर) जैसी सुविधाओं से भाषाई सामग्री के डिजिटलीकरण, संरक्षण और प्रसार का मार्ग आसान हुआ है। मशीन अनुवाद ने भाषाओं के बीच दूरियां घटाने का काम किया है।

कार्यक्रम का संचालन भारतीय जन संचार संस्थान, अमरावती परिसर के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. (डॉ.) अनिल सौमित्र ने किया एवं स्वागत भाषण संस्थान के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन धन्यवाद ज्ञापन आउटरीच विभाग में अकादमिक सहयोगी सुश्री छवि बकारिया ने किया।

Thanks & Regards

Ankur Vijaivargiya
Associate – Public Relations
Indian Institute of Mass Communication
JNU New Campus, Aruna Asaf Ali Marg
New Delhi – 110067
(M) +91 8826399822
(F) facebook.com/ankur.vijaivargiya
(T) https://twitter.com/AVijaivargiya
(L) linkedin.com/in/ankurvijaivargiya

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार