Thursday, May 2, 2024
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देश की सबसे कठिन परीक्षा में संघर्ष और परिश्रम की स्याही से सफलता की कहानी लिखने वाले

सिविल सेवा परीक्षा में देशभर में शीर्ष रहे लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने 40 लाख का पैकेज छोड़ा। पहली बार विफल रहे। दूसरी बार आईपीएस बने, तीसरी कोशिश में आईएएस। यूपीएससी में यह उनका तीसरा प्रयास था। पहले प्रयास में वे प्रारंभिक परीक्षा में फेल हो गए थे। हालांकि, दूसरे प्रयास में 236वीं रैंक के साथ आईपीएस बने। आदित्य फिलहाल हैदराबाद में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के प्रशिक्षु अधिकारी हैं। आदित्य के पिता अजय श्रीवास्तव सेंट्रल ऑडिट डिपार्टमेंट में सहायक लेखाकार हैं। आदित्य की मां के मामा विनोद कुमार मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (लबासना) के निदेशक रहे। वे ही आदित्य के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

आदित्य कहते हैं कि उन्होंने कभी कोचिंग से तैयारी नहीं की। खुद पढ़ाई पर जोर दिया। प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद वैकल्पिक विषय के रूप में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का चयन किया। तैयारी के दौरान थोड़ी देर गाने सुनते और फिर पढ़ाई में जुट जाते थे। सिर्फ खाना खाने के लिए वह कमरे से निकलते थे। आदित्य ने बताया कि उन्होंने पिछले साल में आए सवालों का जमकर अभ्यास किया। टेस्ट सीरिज हल करने से आत्मविश्वास बढ़ा। इसके साथ ही सिलेबस को देखकर उसे कवर करने की रणनीति बनाई। जो भी पढ़ा उसे बिलकुल स्पष्ट तौर पर तैयार किया। इससे परीक्षा में लिखना काफी आसान हो गया। आदित्य का कहना है कि सिविल सेवा की तैयारी काफी समय लेती है, इसलिए धैर्य न खोएं।

Ruhani

आईपीएस अधिकारी रुहानी का यह दूसरा प्रयास था। रुहानी ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है। तीन वर्ष तक भारतीय आर्थिक सेवा की अधिकारी भी रह चुकी हैं। दो वर्ष तक उन्होंने नीति आयोग के लिए काम किया है। फिलहाल, वे प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी हैं। रुहानी कहती हैं कि दुनिया में कुछ भी हासिल करने के संकल्प और मेहनत लगती है।

बिना कोचिंग के UPSC परीक्षा में हासिल की ऑल इंडिया 5वीं रैंक। बनीं IAS अफसर ममता यादव ने भारत की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दो बार क्रैक की है। उन्होंने इस परीक्षा में ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल की थी और वह अपने गांव की पहली आईएएस अफसर हैं।

Katyayani

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की एक छात्रा और एक छात्र ने जिले का नाम रोशन करने का कार्य किया है। मंगलवार को जारी हुए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के परीक्षा परिणाम में शहर निवासी कात्यायनी सिंह और रजत यादव ने सफलता हासिल की है। कात्यायनी सिंह ने परीक्षा में 592वीं रैंक हासिल की है तो वहीं रजत यादव ने 799वीं रैंक। शहर के मोहल्ला पुरोहिताना निवासी ऋषिराम कठेरिया की पुत्री कात्यायनी सिंह ने यूपीएससी परीक्षा में 592वीं रैंक हासिल कर जनपद व समाज का नाम रोशन किया है। कात्यायनी का कहना था कि यदि लगन और मेहनत से परीक्षा दी जाए तो सफलता अवश्य मिलती है।

कात्यायनी के पिता ऋषिराम सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर हैं। वहीं मां मंजू देवी गंगानगर में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका हैं। परिवार वर्तमान में मेरठ में रह रहा है। वहीं कात्यायनी ने परीक्षा की तैयारी की। कात्यायनी दो बहनें और एक भाई हैं। बेटी की सफलता पर शहर के मोहल्ला पुरोहिताना में घर पर मौजूद ताऊ रामनरेश कठेरिया और रामशंकर कठेरिया को लोग बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं।

Swati Sharma

पूर्व थल सैनिक (सीएमपी) संजय शर्मा की पुत्री स्वाति शर्मा ने यूपीएससी की परीक्षा में जमशेदपुर का झंडा लहरा दिया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में स्वाति शर्मा ने ऑल इंडिया रैंकिंग में 17वां स्थान हासिल किया है। मंगलवार को जब परीक्षा का परिणाम निकला, तो स्वाति समेत पूरा परिवार रैंकिंग खोजने में जुट गया। जब स्वाति की रैंक17वीं दिखी तो खुद उसे भरोसा नहीं हुआ। स्वाति ने कहा कि सोचा जरूर था कि यूपीएससी क्रैक करुंगी, लेकिन यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि इतना बेहतर प्रदर्शन कर पाऊंगी। हर सफलता के पीछे माता-पिता का हाथ होता है। इसमें मेरे भाई टाटा स्टील में कार्यरत संजीव शर्मा ने भी काफी मदद की। पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सुशील कुमार सिंह, राजीव रंजन सिंह और पूरी टीम ने उनके घर पर जाकर उन्हें बधाई दी।

यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 17वां रैंक लानेवाली स्वाति शर्मा ने बताया कि पिता सेना में थे, इसलिए आरंभिक पढ़ाई देश के कई हिस्सों में हुई। स्वाति ने मैट्रिक की परीक्षा आर्मी सैकेंडरी स्कूल कोलकाता से पास की। इसके बाद 12वीं की पढ़ाई उन्होंने साकची स्थित टैगोर एकेडमी से पूरी की। इसके बाद 2019 में उन्होंने बिष्टुपुर स्थित जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज से पॉलेटिकल साइंस में एमए किया। टैगोर एकेडमी में उनके एक शिक्षक जाकिर अख्तर ने उन्हें यूपीएससी एग्जाम के लिए मोटिवेट किया था। उनकी बातों से प्रभावित होकर माता-पिता से इस बात की जानकारी शेयर की, उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए सभी मार्ग प्रशस्त कर दिये। यह उनका तीसरा प्रयास था। पहले दो प्रयास में उन्होंने जमशेदपुर में ही रहकर पढ़ाई की, परीक्षा दी, लेकिन उनका सलेक्शन नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने तय किया अंतिम प्रयास करना है, लेकिन इसके लिए दिल्ली जाने का फैसला किया गया। नंवंबर 2022 में दिल्ली में जाकर पढ़ाई शुरू की। 2023 जून में परीक्षा हुई, अगस्त में परिणाम आया। जनवरी 20024 में उनका इंटरव्यू हुआ, जिसका परिणाम टॉप 17वां रहा।

यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 17वां रैंक लानेवाली स्वाति शर्मा ने बताया कि उन्होंने जो स्थान हासिल किया है, उसके पीछे एक मूलमंत्र रहा पुरानी गलतियों को दोबारा दोहराना नहीं है। आगे कैसे पढ़ना है, इसके बारे में सोचना है। टॉपर रहे छात्रों ने किस तरह सवालों का हल किया, उनकी पढ़ाई का पैटर्न क्या रहा, किस तरह खुद को बिना दवाब के पढ़ाई में व्यस्त रखना है, यह सीखा और इस पर काम किया, जिंदगी खुद बेहतर बनती गयी। पढ़ाई कभी भी बोझ या उबाऊ नहीं लगी। हर चीज अपने अनुरुप लगने लगी। उस दौरान यह समझ आने लग गया था कि अब पीछे मुंड़ कर देखने का समय खत्म हो गया, आगे बढ़ना है। यूपीएससी के परिणाम ने आपार खुशियां प्रदान की है, लगातार फोन आ रहे हैं। माता-पिता, भाई, रिश्तेदार सब काफी खुश हैं।

Uday Krishna Reddy

उदय कृष्ण रेड्डी आंध्र प्रदेश पुलिस में कॉन्सटेबल थे। सब ठीक चल रहा था, लेकिन एक दिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उदय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। नौकरी छोड़ने के बाद उदय ने 5 साल जमकर मेहनत की और 16 अप्रैल को जब देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ, तो मेरिट लिस्ट में उनका नाम था। आखिर साल 2018 में ऐसा क्या हुआ था कि उदय ने कॉन्सटेबल की नौकरी छोड़कर सीधे यूपीएससी करने का फैसला ले लिया? बात साल 2018 की है। उदय कृष्ण रेड्डी को पुलिस फोर्स ज्वॉइन किए पांच साल हो चुके थे। एक दिन उनके सर्किल इंस्पेक्टर ने किसी निजी विवाद को लेकर करीब 60 पुलिसकर्मियों के सामने उन्हें ऐसी अपमानजनक बातें कहीं, जो उदय के दिल को लग गईं।

उदय दिन भर अपने इस अपमान के बारे में सोचते रहे और आखिरकार शाम होते-होते एक बड़ा फैसला ले लिया। उन्होंने पुलिस फोर्स की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उदय ने तय कर लिया कि वो अब यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनेंगे। उदय कृष्ण रेड्डी ने पांच साल तक तैयारी की और 2023 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठे। रिजल्ट आया तो उन्हें 780वीं रैंक मिली। रैंक के आधार पर उन्हें आईआरएस अधिकारी के तौर पर सेलेक्ट किया जा सकता है। हालांकि, उदय का मकसद आईएएस अधिकारी बनना ही है। उनका कहना है कि जब तक वो आईएएस अधिकारी नहीं बन जाते, अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे। आपको बता दें कि 16 अप्रैल को घोषित हुए यूपीएससी के नतीजों में लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने पहली रैंक हासिल की है।

Shivansh

हरियाणा के झज्जर जिले के खरहर गांव के बेटे शिवांश ने एक बार फिर से कमाल कर दिया। दूसरे प्रयास में एसडीएम (SDM) बनने वाले शिवांश ने इस बार ऑल इंडिया में 63 वां रैंक हासिल कर आईएएस बनने का अपना सपना पूरा कर लिया। शिवांश बहादुरगढ़ के सेक्टर 6 में अपने माता-पिता और बहन के साथ रहता है। शिवांश ने 9 साल की उम्र से ही आईएएस (IAS Officer) बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। वह हर रोज 10 घंटे तक पढ़ाई करता था। पढ़ाई से जब थक जाता था तो व्यायाम के साथ शिव तांडव स्त्रोतम का पाठ किया करता। शिवांश ने बताया कि शिव तांडव स्त्रोतम के पाठ से उसे ऊर्जा मिलती थी। शिवांश का कहना है कि सही दिशा में लग्न से मेहनत करने से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। शिवांश का कहना है कि आईएएस बनकर वो विकसित भारत के सपने को पूरा करने में अपना योगदान देना चाहता है।

शिवांश के पिता रविन्द्र राठी भी सिविल सर्विस में जाना चाहते थे। हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास कर ली थी, लेकिन राजनीतिक चक्करों के चलते वो भर्ती पूरी नही हो पाई। शिवांश की माता डॉ. सुदेश राजकीय कन्या महाविद्यालय में प्रौफेसर हैं। माता-पिता अपने बेटे की उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि जब भी शिवांश मायूस होता था तो वो उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने कहा कि शिवांश ने अपने बचपन का सपना पूरा किया है और उन्हे यकीन है कि देश के विकास में शिवांश का अहम योगदान रहेगा। शिवांश भक्तिभाव से परिर्पूण रहता है। यूपीएससी का परिणाम आने से पहले भी वो मंदिर में बैठकर पूजा कर रहा था। शिवांश सेक्टर 6 के जिस घर में रहता है, उसका नाम शिवालय है और छोटी बहन का नाम शिवांगी है। शिवांश की छोटी बहन भी यूपीएससी की तैयारी कर रही है। शिवांश ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं से कहा है कि उन्हे नियमित तौर पर लग्न लगाकर पढ़ाई करने की जरूरत है।

Akanksha Singh

बनारस के बड़ालालपुर चांदमारी स्थित वीडीए कॉलोनी निवासी आकांक्षा सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 44वीं रैंक हासिल कर काशी का मान बढ़ा दिया। अपनी मेहनत से उन्होंने सफलता की वो इबारत लिखी जिसे हर किसी ने सलाम किया। आकांक्षा के पिता चंद्रकुमार सिंह मूल रूप से आजमगढ़ के बूढ़नपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता झारखंड कैडर के पूर्व पीसीएस अधिकारी हैं। आकांक्षा शुरू से ही पढ़ाई में आगे रहीं।

जमशेदपुर से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने मिरांडा हाउस दिल्ली से यूजी किया। इसके बाद जेएनयू से भूगोल विषय में पीजी किया। इस समय वह रांची विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उनका भाई भी इंजीनियरिंग करने के बाद सिविल की तैयारी कर रहा है। आकांक्षा के पिता चंद्रकुमार ने कहा कि रामनवमी के मौके पर परिवार को जो खुशी मिली है, वह प्रभु की देन है। कहा कि आकांक्षा शुरू से ही धुन की पक्की थी।

Shashvat Agrawal

बनारस के सूटकेस व्यवसायी राजेश और दिव्या अग्रवाल के दूसरे बेटे शाश्वत अग्रवाल ने अपने दम पर तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। दिल्ली यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन कॉलेज से स्नातक और जेएनयू से परास्नातक की पढ़ाई करने के बाद वह तैयारी में लगे रहे और तीसरे प्रयास में सफल हो गए।

उनकी मां दिव्या अग्रवाल ने बताया कि उसे कोचिंग की मदद लेने के लिए कहा गया तो उसने सीधे मना कर दिया। कहा कि मम्मी मैं खुद से तैयारी करना चाहता हूं और निरंतर लगा रहा। शाश्वत पढ़ाई में शुरू से ही मेधावी रहे। स्कूल से लेकर कॉलेज तक वह बेहतर प्रदर्शन करते रहे। पहले प्रयास में प्रीलिम्स भी नहीं निकला तो थोड़ी निराशा हुई। दूसरे प्रयास में प्रीलिम्स निकला और तीसरे प्रयास में 121वीं रैंक। उन्होंने कहा कि वह आगे भी बेहतर करने का प्रयास करते रहेंगे। बड़े भाई बिजनेस करते हैं और बहन सीए हैं।

Niti Agrawal

ऋषिकेश की नीति अग्रवाल ने यूपीएससी परीक्षा में आल इंडिया 383वीं रैंक हासिल की, नीति का यह छठवां व अंतिम अटैम्प्ट था। वर्ष 2021 में नीति अग्रवाल अंतिम चरण इंटरव्यू तक पहुंची थी, सिर्फ एक अंक से रहने के कारण वह फाइनल चयन से चूक गई। परीक्षा में तीर्थनगरी ऋषिकेश की बेटी नीति अग्रवाल ने पूरे देश में 383वीं रैंक हासिल करके उत्तराखंड का नाम रोशन कर दिया है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है और इस सफलता से पूरे परिवार में खुशी की का माहौल बना हुआ है। नीति अग्रवाल ने युवाओं को सफलता के लिए हार्डवर्क का मंत्र दिया है। नीति अग्रवाल हरिद्वार रोड़ पर स्थित जयराम आश्रम के अपार्टमेंट में निवास करने वाले व्यापारी संजय अग्रवाल की बिटिया हैं। यूपीएससी परीक्षा की सफलता के मौके पर परिवार के सदस्य काफी उत्साहित हैं। रिजल्ट घोषणा के बाद उनके घर में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भीड़ जुटी है। सभी लोग नीति को बधाई देने उनके घर आ रहे हैं और घर में ढोल बाजे के साथ जश्न मनाया जा रहा है।

नीति अग्रवाल के पिता संजय अग्रवाल घाट रोड के प्रतिष्ठित चाय व्यापारी हैं और उनकी मां ऋतु अग्रवाल एक गृहिणी हैं, नीति की छोटी बहन इंजीनियर हैं। नीति ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा मॉडर्न स्कूल, ऋषिकेश से उत्तीर्ण की हैं। नीति ने कहा कि वह दो बहनें हैं। उनके माता-पिता ने हमेशा दोनों बेटियों को बेटा मानते हुए प्रोत्साहित किया है। नीति ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है, उन्होंने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ मेंटली रूप से प्रिपेयर करने के लिए परिजनों ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया और उनका साथ दिया। नीति समय-समय कोचिंग लेकर इस मुकाम तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी एग्जाम को पास करने के लिए युवा को हार्डवर्क करते रहना चाहिए और जो गलतियां हो रही हैं उन्हें पहचानकर दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। नीति ने अपनी स्ट्रैटेजी साझा करते हुए बताया कि वह रोजाना दस घंटे पढ़ाई करती थी और उन्होंने मनोरंजन के साधनों को पूरी तरह से छोड़ दिया था। उन्हें तैयारी में इंटरनेट से काफी मदद मिली, उनका यह छठवां व अंतिम अटैम्प्ट था। वर्ष 2021 में नीति अग्रवाल अंतिम चरण इंटरव्यू तक पहुंची थी, सिर्फ एक अंक से रहने के कारण उनका फाइनल में चयन नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इस आखिरी अटैम्प्ट में उन्होंने पिछले अनुभवों से सीख लेते हुए व गलतियां सुधारते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास किया था जिसके फलस्वरूप उन्हें सफलता मिली। नीति ने कहा कि लक्ष्य कोई भी बड़ा नहीं, जीता वही जो डरा नहीं। आपका लक्ष्य स्पष्ट है तो आप एक ने एक दिन अपनी मंजिल तक पहुंच जाओगे।

Dr Prem Kumar

पिता की साधारण हैसियत। माता गृहणी। परिवार भी कोई बड़ा और पैसे वाला नहीं। मन के अंदर मेहनत करने का जज्बा और जुनून ने एक शख्स को उस कुर्सी तक पहुंचा दिया, जहां पहुंचने का सपना उसके पिता ने देखा था। औरंगाबाद के दाउदनगर के जम्महारा निवासी डॉक्टर प्रेम कुमार अब कलेक्टर बन गए हैं। डॉक्टर साहब को अब लोग कलेक्टर साहब बुलाने लगे हैं। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 130 वां रैंक लाया है। उनकी इस सफलता पर पूरा जिला गौरवान्वित है।

प्रेम के पिता रविन्द्र कुमार चौधरी एक किसान हैं जबकि उनकी माता रीता देवी एक गृहणी हैं। बड़ी ही लगन और मेहनत के साथ इन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया लिखाया और डॉक्टर बनाया। मगर प्रेम का जुनून कुछ और ही था। उसे भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी बनना था। उसने एम्स में बतौर चिकित्सक की नौकरी से इस्तीफा देकर इसकी तैयारी करनी शुरू की। हालांकि, पिछले तीन प्रयासों में प्रेम को असफलता हाथ लगी। लेकिन चौथे प्रयास में प्रेम ने सफलता अर्जित कर ली। अब ये कलेक्टर रहते हुए भी डॉक्टर की योग्यता का प्रयोग लोगों की सेवा के लिए करेंगे।

Shaurya Arora

हरियाणा के बहादुरगढ़ के ही रहने वाले शौर्य अरोड़ा ने यूपीएससी परीक्षा में अपने दूसरे प्रयास में 14 वां रैंक हासिल किया है। शौर्य अरोड़ा की बात करें तो उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से मैकिनीकल इंजीनियरिंग की हुई है। आईआईटी में भी शौर्य ने 432वीं रैंक आई थी। पढ़ाई में शुरू से ही प्रतिभाशाली रहे शौर्य ने बचपन से ही आईएएस बनने का सपना देखा था। शौर्य के पिता भूषण अरोड़ा भी यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं लेकिन सफलता नहीं मिली तो बेटे में अपना सपना जीने लगे थे। शौर्य का कहना है कि सही मार्गदर्शन में बिना कोचिंग के भी सफलता मिलती है।

शौर्य हर रोज करीबन 7 घंटे पढ़ाई किया करता था। पेपर के दिनों में 10 घंटे तक भी पढ़ाई की है। शौर्य का कहना है कि उसकी सफलता में उसके पूरे परिवार का सहयोग और भावनात्मक साथ रहा है। शौर्य ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई नॉन-मेडिकल स्ट्रीम से की है। आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई करते हुए ही उसने अपना पहला अटेम्पट दिया था लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन उस पहले अटेम्पट ने उसे सफलता का रास्ता दिखा दिया था। शौर्य का कहना है कि किसी भी लक्ष्य का हासिल करने के लिए जुनून और सही मार्गदर्शन बेहद जरूरी है।

डॉ. प्रेम प्रकाश ने अपना लक्ष्य को हासिल कर लिया है। अपने गांव पहुंचे प्रेम ने बताया कि इस सफलता का श्रेय माता-पिता, गुरुजनों तथा उनके मित्रों को जाता है। उन्होंने हर कदम पर उनका भरपूर साथ दिया और हौसला अफजाई करते रहे। ध्यान रहे कि डॉ. प्रेमप्रकाश ने दाउदनगर के ही विद्या निकेतन से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने यहां वर्ष 2001 से ही पढ़ाई की और लगातार अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए। वर्ष 2013 में भागलपुर से एमबीबीएस करने के बाद एम्स दिल्ली में अपनी सेवा दी। मगर उन्हें ये काम रास नहीं आ रहा था। इसी बीच प्रेम ने एम्स में चिकित्सक पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद घरवाले काफी नाराज भी हुए। उन्होंने लगी लगाई नौकरी छोड़ने को सही नहीं माना। लेकिन अब परिजन गर्व कर रहे हैं।

यूपीएससी की परीक्षा में टॉप 2 रैंक हासिल करने वाले अनिमेष मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की है। उनका संस्थान इंजीनियरिंग कैटेगरी के तहत नवीनतम NIRF 2023 में 16वें स्थान पर है।

अनन्या रेड्डी दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से जियोग्राफी में ग्रेजुएट हैं। उन्होंने यूपीएससी-सीएसई की परीक्षा में टॉप 3 रैंक हासिल की है। एनआईआरएफ रैंकिंग में कॉलेज टॉप स्थान पर रहा। वर्ष 2021 में ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हैदराबाद में यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी।

केरल के रहने वाले सिद्धार्थ यूपीएससी की परीक्षा में चौथे स्थान पर रहे हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई केरल विश्वविद्यालय से की है। यहां से वह आर्किटेक्ट में ग्रेजुएट हैं। वह हैदराबाद में आईपीएस अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं।

यूपीएससी की परीक्षा में टॉप 5 रैंक हासिल करने वाली रुहानी दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं। उन्होंने अपने छठे प्रयास में यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने में सफल रहे हैं। रूहानी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की हैं। उन्होंने भारतीय आर्थिक सेवा अधिकारी के रूप में नीति आयोग में दो साल तक काम भी किया है।

दिल्ली की रहने वाली सृष्टि ने पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की हैं। वह वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक के मुंबई कार्यालय में ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर की रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में भी काम किया है। उनके पिता भी दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर थे। उन्होंने पहले प्रयास में ही टॉप 10 में जगह बनाई है।

जम्मू-कश्मीर की रहने वाली अनमोल ने गुजरात की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट की हैं। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की हैं किश्तवाड़ की लड़की ने पिछले साल जेकेएएस परीक्षा में भी टॉप किया था। वह जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के तहत JKAS ऑफिसर के तौर पर ट्रेनिंग ले रही हैं।

आशीष कुमार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर (IIT Kharagpur) से डुअल डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा को पास करने में सफल रहे हैं। वह खाना पकाने को अपनी ताकत में से एक मानते हैं।

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एक निवेदन

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