Sunday, April 28, 2024
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काशी विश्वनाथ धामः पाँच हजार से पांच लाख वर्ग फीट में फैला पूरा क्षेत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम केवल मंदिर ही नहीं यात्री सुविधाओं के नजरिये से भी खास बनाया गया है। पूरा परिसर आनंद-कानन की अनुभूति भी कराएगा। बेल व रुद्राक्ष के पेड़ तो होंगे ही अशोक, नीम व कदंब की भी छाया परिसर में मिलेगी। पहले पांच हजार स्क्वायर फीट में बना मंदिर परिसर अब 5 लाख स्क्वायर में फैल गया है। सबसे खास ये है कि पहले गंगा घाट से स्नान कर तंग गलियों से होते हुए मंदिर आना होता था। अब गंगा घाट से विश्वनाथ मंदिर जुड़ गया है।

काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था। एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे परिसर को विशिष्ट क्षेत्र घोषित किया था। इसकी कुल लागत लगभग 900 करोड़ रुपए है।

काशी में ही वेद व्यास द्वारा चारों वेदों का प्रथम उपदेश, काशी में 56 विनायक, काशी में मोक्ष प्रदान करने वाली सातों नगरी, काशी में पांच तीर्थ, भगवान शिव के आदेश पर आए अष्ट भैरव की स्थापना, भगवान शंकर का 64 योगिनियों का काशी में भेजना, काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी, भोलेनाथ द्वारा अष्ट मातृकाओं की स्थापना और महाकवि कालिदास द्वारा शिव स्तुति आदि का वर्णन किया गया है, ये सभी जानकारियां चित्र, संस्कृत के श्लोक, हिंदी में अनुवाद के साथ उकेरी गई हैं। इसके अलावा किस ग्रन्थ, उपनिषद, वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख है, श्लोक संख्या समेत वर्णित किया गया है।
इसके साथ ही 7 लाख परिवारों तक 14 लाख लड्डू प्रसाद के रूप में बांटे जाएंगे. इसकी तैयारी जोरों पर की जा रही है. बाबा के इस महाप्रसाद को घर-घर तक पहुंचाने के लिए एक तरफ जहां सरकारी कर्मचारियों को लगाया जा रहा है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को प्रसाद के पैकेट घर-घर पहुंचाने के लिए लगाया जा रहा है.इसमें शिव मंदिर अन्य मंदिरों के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय चौराहे और गलियां शामिल हैं. लड्डू के पैकेट को लोगों तक पहुंचाने के लिए 15,000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को 3,000 से ज्यादा अलग-अलग केंद्रों से ऑपरेट करने के लिए लगाया जा रहा है.

ये सभी लड्डू के पैकेट बनारस के अलग-अलग कुल 7 स्थानों पर तैयार किए जा रहे हैं. इनको 12 तारीख की शाम तक मंदिर प्रशासन तक पहुंचाया जाएगा और वहां बाबा विश्वनाथ को भोग लगाए जाने के बाद इसे घर-घर तक पहुंचाने का काम 14 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा.

विश्वनाथ धाम में अब मां गंगा भी मौजूद दिखेंगी। मंदिर गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का पाद प्रक्षालन खुद मां गंगा करेंगी। बाबा विश्वनाथ से गंगा के सीधे जुड़ाव के लिए एक पाइप लाइन बिछा दी गई है।

एक पाइप लाइन से गंगा का जल बाबा के गर्भगृह तक आएगा जबकि दूसरी पाइप लाइन से गर्भगृह में चढ़ने वाला दूध और गंगाजल वापस गंगा में समाहित हो जाएगा। जल और दूध को गंगा तक पहुंचाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन का ट्रायल बुधवार हुआ।

पूरब में गंगा द्वार से मंदिर चौक, मंदिर परिसर होते हुए धाम के पश्चिमी छोर तक 108 पेड़ व वनस्पतियां लग रहे हैं। पेड़ों में बेल, अशोक और शमी को प्रमुखता दी गई है।

विश्वनाथ मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नक्काशीदार खंभों के पीछे की दीवार पर साहित्य और पाषाण शिल्प का अनूठा संगम है। सूर्यास्त के बाद यह गैलरी बहुरंगी प्रकाश में अनूठी आभा बिखेरेगा। गैलरी के पूर्वी हिस्से में शिव महिम्न स्तोत्र और संध्या वंदन का विधान संगमरमर के पत्थर पर उकेरा गया है। वगैलरी के दक्षिणी हिस्से में संगमरमर से उकेरी गई थ्रीडी आकृतियों में बाबा विश्वनाथ और माता गंगा से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया गया है। उन चित्रों के नीचे उस प्रसंग का सार भी अंकित है।

गंगा द्वार और मुख्य परिसर के बीच बना मंदिर चौक 30 हैवी लाइट से जगमग हो गया है। ये लाइटें उत्तर से दक्षिण की ओर पांच कतारों में लगाई जाएंगी। प्रत्येक कतार में छह हैवी लाइट हैं।

विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के बाहर से ताड़केश्वर और रानीभवानी के शिवालयों तक फासाड लाइटिंग पूरे परिसर को अद्भुत लुक दे रही हैं।
विश्वनाथ धाम के दोनों ओर बसे मोहल्लों में लोगों को सरस्वती फाटक और पांचों पंडवा की ओर जाने के लिए लंबा चक्कर नहीं लगाना होगा। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही सरस्वती फाटक और नीलकंठ द्वार जनता के लिए खोल दिए जाएंगे।

काशी विश्वनाथ धाम को खुबसूरत और भव्य बनाने के साथ ही उसकी सुरक्षा पर भी गंभीरता बरती गई है। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस कंट्रोल रूम बनाया गया है। कॉरिडोर में सभी प्रवेश द्वार के अलावा अलग-अलग जगहों पर तैयार वाच टावर पर अत्याधुनिक असलहे से लैस जवानों की तैनाती है। तीन शिफ्ट में 24 घंटे इनकी तैनाती होगी।

काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य परिसर को छोड़ शेष हिस्से में बनाए गए 23 भवनों का नामकरण काशी के धार्मिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए किया गया है। विश्वनाथ धाम के 24 खंडों में से कुछ को वाईएसके (यात्री सुविधा केंद्र), टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर, वाराणसी गैलरी, सिटी म्यूजियम, स्प्रीचुअल बुक सेंटर, लिट्रेचर गैलरी, फोटो गैलरी के अस्थाई नाम से पुकारे जा रहे हैं।

परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में ही हरियाली का खाका खींच लिया गया था। धाम परिसर में जो पेड़ लगाए गए हैं उनके लिए खास इंतजाम किया गया है। सीधे मिट्टी के संपर्क में ये पेड़ होंगे। इनमें पाइप लगा कर भीतर-भीतर ही हवा-पानी का इंतजाम किया गया है। स्थान अनुसार इन गड्ढों में छह से 15 फीट तक के पेड़-पौधे लगे हैं।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए योगी सरकार ने कैबिनेट की 9 बैठकें अलग अलग समय पर कीं। इन्हीं बैठकों में परियोजना के विभिन्न चरणों को मंजूरी दिलाई गई। शुरुआत 19 जून 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक से हुई। इसी बैठक में श्री काशी विशिष्ट क्षेत्र विकास प्राधिकरण वाराणसी अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी गई, जिसके जरिए उसका नाम श्री काशी विश्वनाथ क्षेत्र विकास परिषद रखा गया।

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