Saturday, April 27, 2024
spot_img
Homeपाठक मंचलोग बाहुबली देखा चाहते हैं सिनेमाघर फिल्म नहीं लगा रहे हैं

लोग बाहुबली देखा चाहते हैं सिनेमाघर फिल्म नहीं लगा रहे हैं

कुछ महीनों पहले यह बात सामने आई थी कि सिनेमाघरों में वही शो चलाएं जाते हैं जिन्हें लोग देखने आते हैं। परन्तु पिछले हफ्ते में जो कुछ हुआ है उससे मुझे नहीं लगता कि हिंदी भाषा क्षेत्र के सिनेमाघर मात्र बिकनेवाली फ़िल्में दिखाते हैं। मुझे ऐसा इसलिए लगा कि मैंने पाया कि अधिक लोग दक्षिण भारत में निर्मित हुई फिल्म बाहुबली देखना चाहते हैं। परन्तु फिल्म 'बजरंगी भाईजान' की रिलीस के साथ बाहुबली के शोस को एक दम काम कर दिया गया। मैंने खुद युटुब पर दोनों फिल्मो के रिव्यू डाले और बाहुबली के रिव्यू को दोगुने लोगों ने देखा। अर्थात कहीं-न-कहीं सिनेमाघरों के मालिकों पर दक्षिण भारत की फिल्म 'बाहुबली: डी बिगनिंग' न दिखाने पर दबाव रहा या कहिए कि सिनेमाघरों के मालिकों ने जानबूझ कर उसे दूसरे हफ्ते में ही कम-से-कम प्रदर्शित किया, जबकि बजरंगी भाईजान को बाहुबली से काम व्यवसाय करने पर भी दूसरे हफ्ते में अधिक सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया। 

इसका कारण हो सकता है कि हिंदी फिल्म प्रोडुसरों का दबाव, अथवा सिनेमा मालिकों को भय कि कहीं हिंदी फिल्मों के दर्शकों को दक्षिण की फ़िल्में भाने लगी तो दक्षिण भारतियों का फिल्म व्यवसाय पर वर्चस्व न हो जाए। अब प्रश्न यह उठता है कि यदि यह रवैया भेदभाव पूर्ण है तो अमरीका की (हॉलीवुड) की फिल्मों के साथ भी क्या ऐसा होता? उत्तर है नहीं। क्योंकि यदि हिंदी फिल्म निर्माण और प्रदर्शन से जुड़े अमरीकी फिल्मों के साथ ऐसा करते हैं तो अमरीकी व्यवसाय और तकनिकी से साथ खो देते हैं। तो कुलमिलाकर यदि यह भेदभावपूर्ण रवैया हो रहा है, तो मुझे भय है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का यह कार्य भारतीय सिनेमा के लिए सही नहीं है। क्योंकि इससे वह भारत में बनी एक उत्तम फिल्म को लोगों तक पहुँचने नहीं दे रहे जिसकी वजह से भारतीय सिनेमा पिछड़ेगा और अमरीकी सिमेना आगे बढ़ेगा। एक तरफ चीन अपने सिनेमा को अमरीकी सिनेमा से टक्कर देने की कोशिश कर रहा है और इसमें वहाँ की सरकार अपनी फिल्मों को पूरा सहयोग दे रही है वहीं भारत में न ही तो सरकार कोई सही भूमिका निभा रही है और न ही फिल्म निर्माण से जुड़े लोग इस बात को समझ पा रहे हैं कि खुद का विकसित करना कितना आवश्यक हैं। केवल चंद स्वार्थी लोग, केवल अपना ही स्वार्थ देख रहे हैं, देश का विकास नहीं। – 

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार