Friday, April 26, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवभारतीय नववर्ष मनाने का उद्देश्य

भारतीय नववर्ष मनाने का उद्देश्य

१. सृष्टि संवत्सर-सृष्टि की उत्पत्ति, वसन्त ऋतु चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हुई थी। अतः सृष्टि संवत्सर का शुभारम्भ इसी समय हुआ था। ज्योतिष के हिमाद्रि ग्रन्थ के अनुसार-
चैत्रमासि जगद् ब्रह्म ससर्ज प्रथमेऽहनि।
शुक्लपक्षे समग्रन्तु तदा सूर्योदये सति।।
चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा को सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही प्रथम सूर्योदय होने पर मेष संक्रान्ति और काल के विभाजन वर्ष, अयन, ऋतु, मास, पक्ष, तिथि, दिन, नक्षत्र, मुहूर्त, लग्न, पल, विपल आदि एक साथ प्रारम्भ हुए। उसी समय से यह सृष्टि संवत्सर के नाम से प्रचलित हुआ।

२. मानव संस्कृति, धर्म, कर्म, ज्ञान, उपासना के मूलाधार पवित्र ग्रन्थ वेद हैं। ऋग्, यजु:, साम और अथर्व इन चारों वेदों का ज्ञान उस निराकार परमपिता परमात्मा ने मानव-सृष्टि के आदि में अग्नि, वायु, आदित्य और अङ्गिरा ऋषियों के हृदय में प्रकाशित किया था। वेदों का ज्ञान सदैव सत्य, सनातन, शाश्वत, अपरिवर्तनीय, सार्वभौम, अपौरुषेय एवं सर्वमान्य है। अतः वेदों का प्रादुर्भाव भी मानव-सृष्टि के आदि में हुआ था, जिससे सूर्य के प्रकाश के साथ-साथ वेदज्ञान का प्रकाश भी चहुंदिशि विस्तृत हुआ।

३. विक्रमी संवत् महान् सम्राट् चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की महत्त्वपूर्ण विजयों के उपलक्ष्य में विक्रमी संवत् का शुभारम्भ हुआ। आज भी यह संवत् हमें अन्याय पर विजय-प्राप्ति व स्वराज्य की रक्षा करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

४. वैदिक धर्म के सतत प्रचारार्थ और मानव जाति के उपकार के लिए आर्यसमाज की स्थापना महर्षि दयानन्द सरस्वती ने बम्बई (मुम्बई) में चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा संवत् १९३२ तदनुसार ७ अप्रैल, १८७५ में किया था, जो आज भी वैदिक सन्देशों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु प्रयासरत है।

५. चैत्रमास में वसन्त ऋतु का आगमन होता है। इस ऋतु में प्रकृति की अनुपम छटा होती है। आकाश स्वच्छ और निर्मल होता है। पेड़-पौधों एवं लताओं पर रंग-बिरंगे खिले हुए फूलों को देखकर मन की कली भी खिल उठती है। यह मौसम चित्त और मन के लिए सुखदायी होता है, इसलिए वसन्त ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है। अतः इसी वसन्त ऋतु में नववर्ष का प्रारम्भ मानना वैज्ञानिक दृष्टि से उचित है।

प्रत्येक नववर्ष हमारे लिए आत्मोन्नति का पर्व होता है। हमें सम्पूर्ण वर्ष में किए गए कार्यों का निरीक्षण करना चाहिए। शुभ कार्यों को धारण करने में और अशुभ कार्यों को छोड़ने में बाध्य होना चाहिए। यह नववर्ष आप सभी के जीवन के लिए सुख, समृद्धि, प्रेम, गौरव, उन्नति और प्रसन्नता से परिपूर्ण हो। इस परम पुनीत अवसर पर हम सभी सेवा, परोपकार, सदाचार, सद्व्यवहार, मानवकल्याण, राष्ट्रीय एकता, अखण्डता, संस्कृति, सभ्यता, प्राचीन गौरव को प्राप्त करने का व्रत लें। इसी सन्देश के साथ आप सभी को नववर्ष विक्रम संवत् 2079 की हार्दिक शुभकामनाएं!

-Arya Samaj Team

https://www.facebook.com/arya.samaj/

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार