Thursday, May 2, 2024
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कमला गोइन्का फाउंडेशन की ओर से राजस्थानी साहित्य पुरस्कार समारोह

डॉ मंगत बादल की अध्यक्षता में हुआ कमला गोइन्का फाउंडेशन की ओर से राजस्थानी साहित्य पुरस्कार समारोह आयोजित, ‘अशांत’ को एक लाख ग्यारह हजार रुपए का मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार, पंवार, गोयल व मेनारिया भी हुए सम्मानित, 31 हजार रुपए के राजस्थानी महिला लेखन पुरस्कार की घोषणा

साहित्य अकादेमी अवार्ड से पुरस्कृत राजस्थानी के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी ने कहा है कि वर्तमान समय में समाज व संस्कृति पर जो आक्रमण व अतिक्रमण हो रहे हैं, भाषा ही उनसे मुकाबला कर सकती है। भाषा व साहित्य के माध्यम से ही संस्कृति जीवित रहती है।

     

डॉ. भाटी रविवार शाम शहर के मातुश्री कमला गोइन्का टाऊन हॉल में आयोजित राजस्थानी साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी दुनिया की सशक्त भाषाओं में से एक है और इसकी ध्वन्यात्मकता और नाद-सौंदर्य इसे एक अग्रणी भाषा के रूप में स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी के युवा लेखकों में अपार संभावनाएं हैं और इन्हें देखकर कहा जा सकता है कि राजस्थानी भाषा और साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है।

     

समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मंगत बादल ने कहा कि जो लोग राजस्थानी भाषा के स्वरूप और मान्यता आंदोलन पर सवाल उठाते हैं, उन्हें किसी भाषा से कोई मतलब नहीं और केवल अपनी रोटियां सेंकनी है। उन्होंने युवा लेखकों का आह्वान किया कि कविता-कहानी से इतर दूसरी विधाओं में भी कलम चलाएं और कम से कम एकाध पुस्तकों के अनुवाद अवश्य करें। अनुवाद से हमें पता चलता है कि एक भाषा के रूप में हम कहां खड़े हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी की मान्यता का सवाल यहां के लोगों के वजूद और उनके पेट से जुड़ा सवाल है और सबको एकजुट होकर इस दिशा में प्रयास करने चाहिए।

     

एक लाख ग्यारह हजार के मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार से पुरस्कृत राजस्थानी साहित्यकार बी एल माली ‘अशांत’ ने कहा कि राजस्थानी भाषा का सवाल यहां के लोगों के रोजगार से जुड़ा मसला है और मान्यता मिलने पर प्रदेश के लोगों को नौकरियों में अपना वाजिब हक मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थानी एक वैदिक और ऋषि-मुनियों की भाषा है और इस भाषा में अकूत साहित्य का सृजन हुआ है।

रावत सारस्वत पत्राकारिता पुरस्कार से सम्मानित कुरजां पत्रिका के संपादक जमशेदपुर के डॉ. मनोहर लाल गोयल ने पत्राकारिता उनके लिए कोई पेशा नहीं अपितु एक जुनून है और मातृभूमि राजस्थान उनके लिए किसी भी तीर्थ से बढकर है। गोइन्का राजस्थानी साहित्य सारस्वत सम्मान से सम्मानित चूरू के वयोवृद्ध साहित्यकार बैजनाथ पंवार ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता की बात जब किसी के भी मुंह से वे सुनते हैं तो उनमें एक ऊर्जा सी भर जाती है।

     

किशोर कल्पनाकांत युवा पुरस्कार से सम्मानित उदयपुर री रीना मेनारिया ने कहा कि यह केवल उनका नहीं अपितु पूरे मेवाड़ का सम्मान है और इस पुरस्कार से मिली जिम्मेदारी को वे राजस्थानी में अधिक बेहतर सृजन कर निभाने का प्रयास करेंगी।

आयोजक कमला गोइन्का फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्यामसुंदर गोइन्का ने आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्यिक राजनीति, गुटबंदी और खेमेबाजियों से इतर साहित्यिक क्षेत्रा में ईमानदारी से काम करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने का यह उनका एक विनम्र प्रयास है। फाउंडेशन की ललिता गोइन्का ने स्वागत किया। श्यामसुंदर शर्मा ने आभार जताया। इससे पूर्व कैलाश जाटवाला, माधव शर्मा, दुलाराम सहारण, कमल शर्मा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ एल एन आर्य, हनुमान कोठारी, डॉ रामकुमार घोटड़, उम्मेद गोठवाल, उम्मेद धानियां, देवेंद्र जोशी, शोभाराम बणीरोत, बसंत शर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, पत्राकार व नागरिक मौजूद थे। संचालन सरोज हारित ने किया।

     

अशांत को एक लाख ग्यारह हजार का पुरस्कार: कार्यक्रम के दौरान राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के लिए अब तक उद्घोषित पुरस्कारों में सर्वाधिक राशि एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपए का मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार वर्ष 2013 के लिए मूर्धन्य राजस्थानी साहित्यकार बीएल माली ‘अशांत’  को उनकी पुस्तक ‘बुरीगार नजर’ एवं उनकी समग्र साहित्य साधना के लिए दिया गया। वरिष्ठ साहित्यकार बैजनाथ पंवार को गोइन्का राजस्थानी साहित्य सारस्वत सम्मान, कुरजां के संपादक डॉ मनोहर लाल गोयल को ‘रावत सारस्वत पत्राकारिता सम्मान’ तथा उदयपुर की रीना मेनारिया को उनकी पांडुलिपि ‘तकदीर रा आंक’ के लिए ‘किशोर कल्पनाकांत युवा साहित्यकार

 

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ये लड़ाई पैसे के लिए नहीं थी, 6 करोड़ तो मुकदमेबाजी में ही खर्च हो गए!

चिकित्सीय लापरवाही के एक मामले में लगभग छह करोड़ रुपये का मुआवज़ा पाने वाले कुणाल साहा का कहना है कि उनकी लड़ाई कभी भी पैसे के लिए नहीं थी.  अमरीका में रहने वाले भारतीय मूल के डॉक्टर साहा का कहना है कि ये लड़ाई भारत में चिकित्सीय लापरवाही के हालात के खिलाफ़ थी जिसके फ़ैसले से आने वाले समय में कई लोगों की जान बच सकेगी.

 

उन्होंने साल 1998 में अपनी पत्नी की भारत के एक अस्पताल में मौत होने के बाद उस अस्पताल पर लापरवाही का मुक़दमा किया था.  गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फ़ैसला देते हुए अस्पताल को आदेश दिया कि वो डॉक्टर साहा को क़रीब छह करोड़ रुपये बतौर मुआवज़ा दे.

 

अमरीका के ओहायो राज्य के कोलंबस शहर से बीबीसी के साथ ख़ास बातचीत में डॉक्टर कुणाल साहा ने कहा, "मैं मुआवज़े की राशि को लेकर ख़ुश नहीं हूं क्योंकि ये लड़ाई कभी पैसे के लिए नहीं थी. ये लड़ाई भारत में चिकित्सीय लापरवाही के हालात के ख़िलाफ़ थी."  मामला  डॉक्टर साहा की पत्नी डॉक्टर अनुराधा साहा साल 1998 में भारत आई थीं जहां त्वचा से जुड़ी एक असाधारण बीमारी के लिए इलाज के लिए उन्हें कोलकाता के एडवांस मेडिकेयर रिसर्च इंस्टिट्यूट, एएमआरआई, अस्पताल में भर्ती कराया गया.  एएमआरआई में इलाज के बाद अनुराधा साहा की हालत बिगड़ने पर उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था जहां टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस (एनइटी) से उनकी मौत हो गई.

 

पत्नी की मौत के बाद कुणाल साहा ने अस्पताल के ख़िलाफ़ लापरवाही का मुक़दमा किया था.  "ये लड़ाई कभी पैसे के लिए नहीं थी. ये लड़ाई भारत में चिकित्सीय लापरवाही के हालात के ख़िलाफ़ थी. इस फ़ैसले का असर भारत की चिकित्सा प्रणाली पर पड़ेगा और इससे आने वाले समय में बहुत सी जाने बच सकेंगी." डॉ़क्टर कुणाल साहा  साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने एएसआरआई को मेडिकल लापरवाही का दोषी पाया था और इस मामले को नेशनल कंस्यूमर डिसप्यूट रिड्रेसल कमीशन को रेफर किया गया था जिसने मुआवज़े की राशि 1.7 करोड़ तय की थी. लेकिन डॉक्टर साहा को नामंज़ूर थी और उन्होंने मुआवज़े की राशि बढ़ाने के लिए अदालत में अपील की थी.

 

डॉक्टर साहा ने बताया कि उन्होंने 77 करोड़ रुपये का दावा किया था और पिछले 15 साल में इस लड़ाई को लड़ने के लिए उन्होंने ख़ुद पांच-छह करोड़ रुपये खर्च किए हैं.  सिस्टम को बदलने की ज़रूरत  उन्होंने कहा, "आज से 15 साल पहले अनुराधा की मौत हुई थी लेकिन ऐसी और बहुत अनुराधा आज भी भारत में मर रही हैं. आज जो ये फ़ैसला आया है इसका असर भारत की चिकित्सा प्रणाली पर पड़ेगा और इससे आने वाले समय में बहुत सी जाने बच सकेंगी."

 

ओहायो स्टेट युनिवर्सिटी में एड्स के एक बड़े रिसर्चर डॉक्टर कुणाल साहा ने एएमआरआई के तीन डॉक्टरों के ख़िलाफ़ मामले भी दर्ज करवाए थे जो अनकी पत्नी के इलाज से जुड़े हुए थे. इस मामले में 17 डॉक्टरों की अदालत में पेशी हुई थी.  लेकिन इसके बावजूद वो कहते हैं कि वो डॉक्टरों के ख़िलाफ़ नहीं हैं.  

 

डॉक्टर अनुराधा साहा साल 1998 में भारत आई थीं जहां त्वचा से जुड़ी एक असाधारण बीमारी में उनकी मौत हो गई थी. डॉ़क्टर साहा ने कहा, "मैं डॉक्टरों के खिलाफ़ नहीं हूं. मैं ख़ुद भी डॉक्टर हूं और मेरे बहुत से दोस्त और परिवार में डॉक्टर हैं. लेकिन हमारे समाज में आज जैसे डॉक्टरी हो रही है, मेडिसिन एक व्यापार हो गया है, ये ठीक नहीं है."  उनका ये भी आरोप है कि भारत में पैसा देकर मेडिसिन की डिग्री खरीदी जा सकती है.

 

उन्होंने कहा, "मेरे पिता भी डॉक्टर थे. मैंने देखा था कि उन्हें कितनी इज़्ज़त मिलती है. लेकिन आज ये इज़्ज़त कहां हैं? मेडिसिन में जो शीर्ष पर हैं वो अपनी जानकारी और इल्म की वजह से नहीं बल्कि राजनीति करने और पैसा देने से बनते हैं. आज भारत में पैसा देकर एमबीबीएस की डिग्री भी खरीदी जा सकती है. ऐसे लोग कैसे डॉक्टर बनेंगे?"  डॉक्टर साहा का कहना है कि इस सिस्टम को बंद करना पड़ेगा और इसके लिए अच्छे डॉ़क्टरों को सामने आना होगा. वे मानते हैं कि उनके मामले में दिए गए फ़ैसले से डॉक्टरों में थोड़ा डर पैदा होगा जिससे इस तरह के हालात की रोकथाम में मदद मिलेगी.  डॉक्टर कुणाल साहा का कहना है कि ये लड़ाई उनके लिए आसान नहीं रही है. लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्योंकि ये काम एक पूरी पीढ़ी के लिए है और इंसान की जान बचाने के लिए है.

 

वो कहते हैं कि उनकी पत्नी उनके लिए आज भी ज़िंदा हैं.  पेशे से बच्चों की डॉक्टर रहीं अनुराधा साहा की मौत के बाद से ही उनके पति मेडिकल लापरवाही के मामलों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. उन्होंने ‘पीपल फ़ॉर बेटर ट्रीटमेंट’ नाम की एक संस्था बनाई और मेडिकल लापरवाहियों के खिलाफ आवाज़ और बुलंद की.  क्या अप्रवासी भारतीय या एनआरआई होने की वजह से उन्हें कुछ फ़ायदा हुआ?  डॉक्टर साहा कहते हैं कि इस बात का फ़ायदा और नुकसान दोनों ही रहे.  वे कहते हैं, "इन सालों में मुझे भारत के कई चक्कर लगाने पड़े. अपना काम छोड़कर कोई 50-60 बार भारत आना पड़ा जो कि बहुत मुश्किल था. हां, लेकिन एनआरआई होने की वजह से मैं इतना ख़र्च कर सकता हूं जो एक आम भारतीय नहीं कर सकता था. इसलिए इस सिस्टम को बदलना ही होगा."

डॉ. कुणाल साहा द्वारा देश के आम मरीजों कि लिए बनाई गई वेब साईट http://pbtindia.com/

साभार-बीबीसी हिन्दी से

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आम आदमी’ का गाना गाएंगे रब्बी शेरगिल

कांग्रेस के पंजाबी गायक दलेर मेहंदी व भाजपा के भोजपुरी गायक मनोज तिवारी की टक्कर में आम आदमी पार्टी ने ‘बुल्ला की जाणा मैं…’ फेम सूफी गायक रब्बी शेरगिल पर दांव लगाया है।

अरविंद केजरीवाल व संजय सिंह की मौजूदगी में बृहस्पतिवार रात रब्बी ने औपचारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर एक शिव नगर एक्सटेंशन, जेल रोड पर पार्टी की सिख शाखा की तरफ से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। रब्बी अब पार्टी के पक्ष में दिल्लीवासियों को लामबंद करेंगे।

रब्बी शेरगिल ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मुझे किसी पार्टी से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जब इनके नेताओं की बात सुनता हूं तो देश की किस्मत बदलने वाली कोई खिड़की खुलती नहीं दिखती। सब घिसी-पिटी बातें दोहराते रहते हैं।

आजादी से पहले अंग्रेज राज कर रहे थे, अब सत्ता भूरे अंग्रेजों के हाथ में है। लेकिन मौजूदा चुनाव में उम्मीद अरविंद से बनती है। यह ऐसी आवाज हैं जो हमें खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

रब्बी ने कहा कि यह चुनाव आखिरी मौका है। अगर अब न संभले तो देश का आधार ढह जाएगा। अरविंद चरमराती दीवार को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। इनका दर्शन हमारे महान संतों की वाणी की पराकाष्ठा है, जो हमें राजा बनाती है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि अगली बार की मुलाकात में अरविंद मुख्यमंत्री होंगे और हम सबको अपने फैसले पर गर्व हो। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने रब्बी के पार्टी में शामिल होने का स्वागत किया और भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और भाजपा पर तीखा निशाना साधा।

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हिन्दी का नवीन स्पैल चैकर सॉफ्टवेअर

जगदीप डांगी द्वारा विकसित एक और नवीन हिंदी सॉफ्टवेयर उपकरण सक्षम जारी किया गया। यह सॉफ्टवेयर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय – वर्धा, द्वारा कुलपति श्री विभूति नारायण राय (आई.पी.एस.) की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के माननीय प्रति कुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन जी द्वारा जारी किया गया।� इस आयोजन की मुख्य अतिथि कार्य-परिषद सदस्‍य एवं प्रसिद्ध हिंदी आलोचक प्रो. (श्रीमती) निर्मला जैन जी थीं।

क्या है सक्षम सॉफ्टवेयर?

सक्षम – यूनिकोड हिंदी देवनागरी हेतु वर्तनी परीक्षक

(Saksham – Unicode Based Devanagari Hindi Spell Checker)

यह यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी हिंदी पाठ के लिए वर्तनी परीक्षक सॉफ़्टवेयर है। इसके माध्यम से यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी हिंदी में लिखे गए पाठ की वर्तनी को जाँचने, सुधारने एवं संशोधन करने में सहायता मिलती है। यह पाठ के शब्दों की वर्तनी में हुई अशुद्धियों को हाइलाइट करते हुए शब्दों की लगभग सभी शुद्ध वर्तनियों को दर्शाता है। यह विंडोज के एम.एस. वर्ड सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में पूर्ण सक्षम है। वर्तमान में इसके लिए प्रयुक्त डाटाबेस में हिंदी के 69000 शब्द संग्रहीत हैं भविष्य में लगभग पाँच लाख मानक शब्द संग्रहित करने का लक्ष्य है।

विशेषताएँ:-

1.�� विंडोज के एम.एस. वर्ड सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में पूर्ण सक्षम है।

2.�� यह यूनिकोड आधारित मानक हिंदी के लिए पहला वर्तनी परीक्षक सॉफ्टवेयर है।

3.�� सॉफ्टवेयर का संपूर्ण इंटरफ़ेस देवनागरी लिपि (हिंदी भाषा) में है।

4.�� यह यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी एवं रोमन फ़ॉन्ट में लिखे हुए द्विभाषी पाठ में से यह रोमन फ़ॉन्ट में लिखे हुए पाठ को छोड़ कर सिर्फ़ देवनागरी पाठ की वर्तनी जाँचने में पूर्ण सक्षम है।

5.�� तालिका के रूप में लिखे हुए पाठ पर भी यह सॉफ़्टवेयर कार्य करने में पूर्ण सक्षम है।

6.�� यह परीक्षण के दौरान प्राप्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द को हाइलाइट करता है एवं उक्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द के लिए कुछ शुद्ध वर्तनी युक्त संभावित शब्द भी सुझाता है।

7.�� परीक्षण के दौरान हाइलाइट वाले शब्द को उपयोगकर्ता अपने शब्दकोश में सम्मिलित भी कर सकता है और उसे छोड़ भी सकता है इसके लिए उपयुक्त कमांड कुंजियाँ दी गईं हैं।

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डेमो लिंक :-

http://www.4shared.com/zip/sDlfPkkU/Saksham.html

https://www.hightail.com/download/OGhmbUpRcG84Q1JqQThUQw

विकासकर्ता

जगदीप सिंह दांगी

एसोसिएट प्रोफेसर – भाषा विद्यापीठ

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय – वर्धा

http://hindivishwa.org/

जानकारी के लिए :-� इससे पूर्व भी हमने हिंदी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं। जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है।

��� प्रखर देवनागरी फ़ॉन्ट परिवर्तक (अस्की/इस्की फ़ॉन्ट से यूनिकोड फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)
��� यूनिदेव (यूनिकोड फ़ॉन्ट से अस्की/इस्की फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)
��� शब्द-ज्ञान (यूनिकोड आधारित हिंदी-अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश)
��� प्रखर देवनागरी लिपिक (यूनिकोडित रेमिंगटन टंकण प्रणाली आधारित)
��� प्रलेख देवनागरी लिपिक (यूनिकोडित फ़ॉनेटिक इंग्लिश टंकण प्रणाली आधारित)
��� आई-ब्राउजर++ (प्रथम हिंदी इंटरनेट एक्सप्लोरर) – लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – 2007 में दर्ज
��� अंग्रेजी-हिंदी शब्दानुवादक (ग्लोबल वर्ड ट्रांसलेटर)
��� शब्दकोश (हिंदी-अंग्रेजी-हिंदी)
��� शब्द-संग्राहक

प्रखर देवनागरी फ़ॉन्ट परिवर्तक

(अस्की/इस्की फ़ॉन्ट से यूनिकोड फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)

यह एक बहुत उपयोगी फ़ॉन्ट परिवर्तक सॉफ़्ट्वेयर है। इस सॉफ़्ट्वेयर के द्वारा कंप्यूटर पर किसी भी प्रकार के विभिन्न देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) ट्रू टाइप एवम् टाइप-1 अस्की/इस्की (8 बिट कोड, कृतिदेव, चाणक्य, भास्कर ,शुषा आदि) फ़ॉन्ट्स आधारित पाठ को यूनिकोड (16 बिट कोड, मंगल) फ़ॉन्ट आधारित पाठ में पूरी शुद्धता के साथ बदल सकते हैं। यह टेक्स्ट-तालिका (Text-Table) के पाठ को भी पूरी शुद्धता के साथ टेक्स्ट-तालिका के रूप में ही परिवर्तित करने में पूर्ण सक्षम है। द्विभाषी अंग्रेज़ी-हिंदी मिश्रित सामग्री को भी जस का तस फ़ॉर्मेटिंग इत्यादि बनाए रखते हुए यूनिकोड में बदल देता है। इस फ़ॉन्ट परिवर्तक में लगभग 275 तरह के विभिन्न देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) फ़ॉन्ट को यूनिकोड में परिवर्तित करने की सुविधा है। वर्तमान में इसका उपयोग देश-विदेश के अनेक संस्थानों में किया जा रहा है।

यूनिदेव

(यूनिकोड फ़ॉन्ट से अस्की/इस्की फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)

इस सॉफ़्ट्वेयर के माध्यम से यूनिकोड (मंगल) फ़ॉन्ट आधारित पाठ्य सामग्री को कृतिदेव, चाणक्य, शिवा आदि फ़ॉन्ट में पूरी शुद्धता के साथ बदला जा सकता है। मानाकि आज यूनिकोड का चलन है लेकिन अभी भी कई सॉफ़्ट्वेयर ऐसे हैं जोकि यूनिकोड का समर्थन नहीं करते जिनमें कोरेल ड्रॉ,फोटोशॉप, पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस प्रमुख हैं। उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही यूनिदेव को विकसित किया गया है। इससे हम यूनिकोड (मंगल) फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि) लिपि को शत-प्रतिशत शुद्धता के साथ कृतिदेव 010, कृतिदेव 020, चाणक्य (True Type एवम् Type-1), संस्कृत 99, एसडी-टीटीसुरेख, शिवा (Type -1), वॉकमैन-चाणक्य-902 एवम् वॉकमैन-चाणक्य-905 (Type -1) फ़ॉन्ट में बदल सकते हैं। यह टेक्स्ट-तालिका (Text-Table) के पाठ को भी पूरी शुद्धता के साथ टेक्स्ट-तालिका के रूप में ही परिवर्तित करने तथा द्विभाषी अंग्रेज़ी-हिंदी मिश्रित सामग्री को भी जस का तस फ़ॉर्मेटिंग इत्यादि बनाए रखते हुए भी परिवर्तित करने में पूर्ण सक्षम है।

शब्द-ज्ञान

(यूनिकोड आधारित हिंदी-अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश)

यह यूनिकोड आधारित सॉफ़्ट्वेयर है और इसे ऑफ़लाइन उपयोग करने की दृष्टि से तैयार किया गया है। यह दोनों अवस्थाओं अर्थात् हिंदी से अंग्रेजी व अंग्रेजी से हिंदी में कार्य करने में पूर्ण सक्षम हैं, तथा खोजे जा रहे अंग्रेजी या हिंदी शब्द के अर्थ के अलावा अन्य समानार्थी शब्द भी उच्चारण सहित तुरंत दिखाता है व एक समानांतर कोश यानी 'थिसारस' की तरह भी उपयोगी है। इसमें शब्दों के अर्थ के साथ-साथ मुहावरे व वाक्य-खण्डों का भी संग्रह है। इस हिंदी सॉफ़्ट्वेयर उपकरण से उपयोगकर्ता अपने किसी भी हिंदी/अंग्रेजी शब्द के कई पर्यायवाची शब्दों को खोज सकता है, इस बाबत इसमें कई प्रकार से शब्दों को फिल्टर करने के लिये विशेष फलन दिये गये हैं। इन फलनों की सहायता से उपसर्ग या प्रत्यय के आधार पर भी शब्दों को अपने अनुसार खोज निकालने की सुविधा है। इस सॉफ़्ट्वेयर में एक द्वि-भाषी ऑन स्क्रीन (फ़ॉनेटिक इंग्लिश टंकण प्रणाली आधारित) कुंजीपटल की विशेष सुविधा भी दी गई है, जिसे माउस द्वारा कमांड किया जा सकता है। वर्तमान में लगभग 39,000 शब्दों का शब्दकोश इसमें अंतर्निर्मित है और इसका शब्दकोश परिवर्धनीय भी है जिसे उपयोगकर्ता अपने अतिरिक्त शब्दों को सम्मिलित कर और भी समृद्ध बना सकता है।

प्रखर देवनागरी लिपिक

(यूनिकोडित रेमिंगटन टंकण प्रणाली आधारित)

यह रेमिंगटन टंकण प्रणाली आधारित एक सरल शब्द संसाधक है। इस सॉफ़्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर पर साधारण हिंदी रेमिंगटन टंकण (हिंदी टाइपिंग) जानने वाले यूनिकोड आधारित देवनागरी लिपि (हिंदी, मराठी, संस्कृत) युक्त पाठ को एवम् रोमन लिपि (अंग्रेजी) युक्त पाठ को अपने मन पसंद की-बोर्ड लेआउट यानि के रेमिंगटन की-बोर्ड लेआउट में संयुक्त रूप से सहजता से टंकण कर सकते हैं। इस सॉफ़्टवेयर का संपूर्ण इंटरफ़ेस हिंदी में होकर यूनिकोड आधारित देवनागरी लिपि में है। आज हमारे देश में लाखों लोग ऐसे हैं जोकि हिंदी टाइप-राइटर पर हिंदी टाइपिंग (रेमिंगटन की-बोर्ड लेआउट) जानते हैं, लेकिन यदि वही लोग जब कंप्यूटर पर टाइपिंग करना चाहते हैं, तब “प्रखर देवनागरी लिपिक” एक महत्वपूर्ण व उपयोगी सॉफ़्ट्वेयर है।

प्रलेख देवनागरी लिपिक

(यूनिकोडित फ़ॉनेटिक इंग्लिश टंकण प्रणाली आधारित)

यह सॉफ़्ट्वेयर यूनिकोड आधारित देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) पाठ को फ़ॉनेटिक इंग्लिश की टंकण शैली अनुसार टंकित करने की विशेष सुविधा प्रदान करता है। इस सॉफ़्ट्वेयर के माध्यम से देवनागरी लिपि एवम् रोमन लिपि युक्त पाठ को संयुक्त रूप से एक ही पृष्ठ पर आसानी से टंकित किया जा सकता है। यह सॉफ़्ट्वेयर विशेष तौर पर उन उपयोगकर्ताओं के लिये है, जोकि अंग्रेजी की टंकण शैली में टंकण जानते हैं। अंग्रेजी टंकण शैली के अनुसार ही उपयोगकर्ता इस सॉफ़्ट्वेयर के माध्यम से देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) पाठ को टंकित कर सकते हैं।

आई-ब्राउजर++

(प्रथम हिंदी इंटरनेट एक्सप्लोरर) – लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – 2007 में दर्ज

यह विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित सॉफ़्टवेयर है। यह विंडोज़ एक्सप्लोरर एवं इंटरनेट एक्सप्लोरर का संयुक्त रूप है। हिंदी एक्सप्लोरर की विशेषता यह है कि इसका संपूर्ण इंटरफेस हिंदी भाषा में होकर देवनागरी लिपि में है। इसकी सहायता से कोई भी साक्षर हिंदी भाषी व्यक्ति इसका उपयोग सहजता से कर सकता है। इसमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुविधा है और वह है शब्द रूपांतरण (अनुवाद) की जिसकी मदद से वेब-पेज पर उपस्थित अंग्रेजी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करने पर उस शब्द का हिंदी में अर्थ एवं उच्चारण बतला देता है। इसके अलावा इसमें और भी अन्य खूबियाँ हैं, जैसे कि वेब पृष्ठ पर स्थाई शब्दानुवाद, एडिट मोड ऑन ऑफ, 'इंग्लिश-हिंदी' डिजिटल डिक्शनरी, वेब पृष्ठ पर उपस्थित शब्दों को हाइलाइट करने आदि की सुविधाएँ हैं।

अंग्रेजी-हिंदी शब्दानुवादक

(ग्लोबल वर्ड ट्रांसलेटर)

यह एक ऐसा सॉफ़्टवेयर है जो कि विंडोज़ के किसी भी सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में सक्षम है, तथा संबंधित अंग्रेजी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करते ही उसका हिंदी अनुवाद विभिन्न समानार्थी शब्दों के साथ-साथ उच्चारण सहित कर देता है। इस सॉफ़्टवेयर का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है की यह विंडोज़ के किसी एक विशेष अनुप्रयोग पर निर्भर नहीं है बल्कि इसको विंडोज़ के किसी भी एप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर जैसे कि एमएस वर्ड, वर्डपैड, नोटपैड, एमएसआइई, फायरफोक्स ब्राउज़र आदि के अंदर संयोजन कर अनुवाद की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है। उपयोगकर्ता इसका उपयोग ऑनलाइन व ऑफ़लाइन दोनों ही अवस्थाओं में कर सकता है।

शब्द-संग्राहक

यह एक ऐसा सहज सॉफ़्ट्वेयर है जिसकी सहायता से देवनागरी हिंदी पाठ में से चाहे गए शब्दों को वर्णक्रम अनुसार सूची के रूप में संचित करता है साथ ही सूची में समान शब्दों की पुनरावृत्ति को रोकता है। यह विंडोज के एम.एस. वर्ड सॉफ़्ट्वेयर के अंदर कार्य करता है।

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उत्तराखंड सरकार की नाकामी के खिलाफ धरना प्रदर्शन

जून माह के दौरान उत्तराखण्ड में आई भीषण त्रासदी को चार माह से अधिक समय बीतने के बाद भी उत्तराखण्ड़ सरकार आज तक पीडि़त परिवारों का पुर्नवास तो क्या करती अभी तक ठीक से राहत भी नहीं पहुंच पा रही है। बल्की उल्टा लोगों के लोकतात्रिक अधिकारों की घोर उपेक्षा कर रही है। 7 नवम्बर से शुरू हो रहे प्रदेश भर के आन्दोलन कारियों के उपवास में ये मांगे प्रमुखता उठाई जा रही है। 

1.  आपदा से प्रभावित लोगों के लिए राहत कि सारी जिम्मेदारी सरकार तत्काल पंचायत को दे।

2.   ग्राम सभा और ग्राम पंचायत को मिले 73वां 74 संविधान संशोधन और वन अधिकार कानून 2006 द्वारा संवैधानिक अधिकारों और कनूननी ताकतो को मानने के लिए राज्य सरकार बाध्य है। ग्राम सभा के इजाजत के बिना कोई भी परियोजना नहीं लगाई जायेगी। ग्राम सभा जंगल की सुरक्षा और प्रवन्धन करेगा और लोगों द्वारा वनों की जरूरतों पर भी निर्णय करेगा। राज्य सरकार इन तीनों कानून का घोर उलघंन कर रही है।
3 राज्य सरकार एक स्पष्ट आदेश निकाले कि उत्तराखण्ड़ के पहाड़ी इलाके में रहने वाले समुदाई जो वनो पर निर्भर है। उनके लिए वनाधिकार कानून लागू है। इस कानून पर इमानदारी से अमल हो और हर ग्राम सभा को अधिकार पत्र दें जिससे वे अपने समुदाईक वन संसाधनो का इस्तेमाल कर सके।

4. 73 वां संविधान संसोधन में ग्राम पंचायत को जो अधिकार दिये हैं उसे राज्य सरकार तत्काल मान्यता दें। इसके लिए राज्य सरकार को उत्तराखण्ड़ पंचायती राज कानून को संसोधन करने और उसे अमल में लाने के लिए एक समिति का गठन करें, उस समिति में जनान्दोलन के प्रतिनिधियों को शामिल करें।

5.  जितनी परियोजनायें चल रही है और सरकार ने जो स्वीकृत की है, हमारा मानना है कि वे सब गैर कानूनी है। उन्हे तत्काल रद्द किया जाय। जो अधिकारी इन गैर कानूनी कामों के लिए जिम्मेदार है उनके उपर सरकार तत्काल कानूनी कार्यवाही करे।
6 राज्य सरकार वन विभाग को तत्कान आदेश दे कि वनाधिकार कानून की धारा 5 के अनुसार ग्राम सभा की अनुमति के बिना वे जंगल में एक पेड़ भी नहीं काट सकते।

संपर्क

चेतना आन्दोलन                                      

उत्तराखण्ड महिला मंच
Shankar Gopalakrishnan <[email protected]>

Smt. Nirmala Bisht, Uttarakhand Mahila Manch (9897310667)
Trepan Singh Chauhan, Chetna Andolan (9927665683)

Shankar Gopalakrishnan, Chetna Andolan / Campaign for Survival and Dignity (7409315867)

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कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. जमाल.ए.खान का सम्मान

देश के जाने-माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ जमाल.ए.खान को प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के तत्वाधान में चलाए जा रहे ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान’ ने बहुत प्रभावित किया है। पिछले दिनों अपने मुम्बई प्रवास के दौरान उन्होंने संस्था के अधिकारियों से मुलाकात की और कैंसर के रोकथाम की दिशा में अपनी पहल की जानकारी भी दी। गौरतलब है कि डॉ जमाल ने भारत में सर्वप्रथम कैंसर इम्यूनोथेरेपी का ईलाज 2005 में आरम्भ किया था।  तबसे अब तक हजारों मरीजों को कैंसर रोगमुक्त कर चुके हैं। यह थेरेपी 90 दिनों का होता है। डॉ जमाल का डैनवेक्स क्लिनिक दिल्ली, गुडगाँव, नॉएडा, बैगलोर, चेन्नई, कोचि तथा मलेशिया में स्थित है। बातचीत में उन्होंने बताया कि शीघ्र ही मुंबई में भी एक क्लिनिक खोलेंगे। इस मौके पर संस्था के चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत ने फूलों का गुलदस्ता देकर उन्हें सम्मानित किया। संस्था के नेशनल को-आर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह ने डॉ. जमाल.ए.खान की कैंसर के क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की। इस मौके पर संस्था की ओर से दिवाकर शर्मा, मधुप श्रीवास्तव, शैलेन्द्र सिंह, निर्भय यादव सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।

 
संपर्क
आशुतोष कुमार सिंह
नेशनल को-आर्डिनेटर, प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान
08108110151

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एक शाम गुलज़ार के नाम, दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में

हिंदी सिनेमा के सौ बरस के मौके पर हिंदी विभाग हिन्दू कॉलेज में प्रख्यात गीतकार गुलज़ार ने सिनेमा के कई पहलुओं पर रौशनी डाला। उनके मुताबिक  किस्सागोई की परंपरा को तकनीक के सहारे सिनेमा ने नया विस्तार दिया है और गीत संगीत भारतीय सिनेमा की कमजोरी नहीं बल्कि उसकी ताकत है बशर्ते उसका इस्तेमाल कथानक को गति देने के लिए हो। श्रोताओं की इस शिकायत पर कि इस दौर की गीतों और धुनों में पहले वाली मिठास नहीं रही वो कहते है कि आपाधापी भरे इस दौर में जब जिन्दगी में सुकून कम हो रहा है तो इसका असर तो सिनेमा समेत तमाम कलाओं पर पड़ना लाजमी ही है। साथ ही श्रोताओं की पसंद भी बदल रही है। 

फिल्म ओमकारा के '' बीड़ी जलइले '' के लिए शिकायत करने वालों को वे याद दिलाते हैं की इसी फिल्म में  ''ओ साथी रे '' और '' नैना ठग लेंगे '' जैसे गाने भी थे जिसकी चर्चा कम होती है। बिल्लो , लंगड़ा त्यागी जैसे किरदार  'बीड़ी जलइले' सरीखे गीत ही गायेंगे ग़ज़ल नहीं। गीत लिखते वक़्त फिल्म की कहानी , गाने की सिचुवेंशन और किरदारों का ख्याल तो रखना ही पड़ता है। ' मोरा गोरा रंग लै ले ' से शुरुआत करने वाले गुलज़ार ने बताया कि वो बदलते वक़्त के साथ कदम मिलाने की कोशिश करते हैं ' गोली मार भेजे में ' या 'कजरारे' सरीखे गीत इसी का नतीजा हैं। लेकिन ऐसे गीतों की उम्र कम होती है इसके जवाब में  दूसरे पहलू की तरफ भी ध्यान दिलाते है। 

वो कहते हैं कि पहले आल इंडिया रेडियो पर केवल ४ घंटे गीत के कार्यक्रम होते थे लोग अपने नाम के साथ फरमाइश भेजते थे लेकिन अब रेडियो पर ही २४ घंटे गीत बजते हैं इस ओवरडोज़ ने भी हमारी यादास्त को कमजोर किया है और गीतों की उम्र घटी है। गुलज़ार को इस बात का मलाल भी है कि भारत में विभाजन पर कम फिल्मे बनी हैं लेकिन ' तमस ' को इस विषय पर बनी संवेदनशील फिल्म मानते हैं। गुलज़ार के रचनात्मकता पर बात करते हुए हिंदी विभाग के डॉ रामेश्वर राय ने लोक को उनकी गीतों का प्राण तत्त्व बताते हुए कहा कि दिल्ली और मुंबई में जिन्दगी का ज्यादातर वक़्त बिताने के बावजूद गीतों में, उनका ग्रामीण मन झांकता है।  

विभाग की अध्यापिका डॉ रचना सिंह के मुताबिक गुलज़ार की कलम का स्पर्श पाते शब्द संस्कारित हो जाते हैं इसलिए उनके बिलकुल भदेश गीतों में भी एक गरिमा है।  कॉलेज के प्राचार्य प्रदुम्न कुमार ने खुद को उनका फैन बताते हुए कहा कि यह कॉलेज का सौभाग्य है की आज गुलजार साब हमारे बीच हैं।  हिंदी विभाग की वरिष्ठ शिक्षिका डॉ विजया सती  ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए इस उल्लेखनीय गीतकार ,फ़िल्मकार के प्रति आभार जताया। 

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प्रो. बृज किशोर कुठियाला नेशनल एजुकेशन लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति   प्रो. बृज किशोर कुठियाला को नेशनल एजुकेशन लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया है। स्टार आफ द इंडस्ट्रीज ग्रुप द्वारा दिया गया यह सम्मान उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है। 23 अक्टूबर 2013 को मुम्बई के होटल ताज लैण्ड्स एंड में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में प्रो. कुठियाला को यह सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कम्युनिकेशन] मीडिया] एडवरटाईजिंग] मार्केटिंग कम्युनिकेशन] इंजीनियरिंग एवं टेक्नालाजी से जुड़े हुए अनेक शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने] शोध एवं नवाचारी प्रयोगों को आरंभ करने के लिए सम्मानित किया गया है।

        

सम्मान ग्रहण करते हुए प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक चुनौतियाँ हैं। आने वाले समय में विश्व के सर्वाधिक युवा हमारे देश में होंगे। अतः हमें वैश्विक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए अपनी शिक्षा पद्धति एवं शोध गतिविधियों को इस तरह तैयार करना होगा कि हमारे देश के युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकें। इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश के शिक्षा संस्थानों की है। आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों की आवश्यकता है] इसलिए शिक्षाविदों का दायित्व और बढ़ गया है।

        

प्रो. बृज किशोर कुठियाला विगत चार दशकों से भी अधिक समय से संचार] जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय] हरियाणा तथा गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय] हिसार में संचार] जनसंचार] मीडिया टेक्नालाजी तथा प्रिंटिंग टेक्नालाजी से विभिन्न पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विगत चार वर्षों में उन्होंने मीडिया मैनेजमेंट] एंटरटेंनमेंट कम्युनिकेशन] मार्केटिंग कम्युनिकेशन तथा कारपोरेट कम्युनिकेशन एम.बी.ए. पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए। इन पाठ्यक्रमों को ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा भी सराहा गया। उन्होंने कम्युनिकेशन रिसर्च तथा न्यू मीडिया टेक्नालाजी विभाग की स्थापना करते हुए मीडिया रिसर्च] मल्टीमीडिया] ग्राफिक्स तथा एनीमेशन जैसे नवीन पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया। मीडिया शिक्षा में नवाचारी प्रयोग के लिए पब्लिक रिलेशन्स काउंसिल आफ इंडिया द्वारा भी प्रो. कुठियाला को पी.आर.सी.आई. चाणक्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

 

(डा. पवित्र श्रीवास्तव)

विभागाध्यक्ष] जनसंपर्क विभाग

 

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श्रद्धा कपूर है ब्लफमास्टर!!!

-जूम के जेनेक्सट, फ्यूचर ऑफ बॉलीवुड में इस बार इस खूबसूरत अभिनेत्री को देखिए दोस्ती, प्यार, शरारतों और बहुत कुछ पर खुल कर बात करते हुए-

श्रद्धा कपूर, आशिकी 2 में अपनी खूबसूरती और मासूमियत से सब का दिल चुरा लिया है। इस सप्ताह ये प्रतिभाशाली अभिनेत्री बॉलीवुड में अपनी शुरुआत पर खुल कर बाते करेगी। बॉलीवुड के एक चर्चित खलनायक की बेटी का सिनेमा से परिचय काफी छोटी उम्र से ही हो गया था, पर वह छोटी उम्र से ही बॉलीवुड फिल्म में आने के विचारों को ही झटक देती थी। वह, शायद तब ये नहीं जानती थी कि उसका भाग्य तो पहले ही लिखा जा चुका है!

इस सप्ताह जेनेक्सट-फ्यूचर अॉफ बॉलीवुड में, ये डीवा जूम के साथ बातचीत में बॉलीवुड का हिस्सा बनने के प्रति अपने जुनून और अपनी शर्तों पर सफलता पाने के बारे में बातचीत करेगी। क्या आप जानते हैं कि श्रद्धा की “ाुरूआत वैसी ही हुई थी जैसी आषिकी 2 में आरोही की हुई थीं? देखिए अलग अंदाज वाले डायरेक्टर मोहित सूरी को श्रद्धा के साथ पहली मुलाकात के बारे में बात करते हुए। वहीं दो अन्य डायरेक्टर विवेक भूषण (बंपी) और महेश भट्ट को उसके उन पहलुओं के बारे में बताते हुए भी देखिए, जिनके चलते वे सभी दर्शकों की पसंद बन गई हैं।

देखिए श्रद्धा को बॉलीवुड में आने से पहले अपनी जिंदगी के राजों को खोलते हुए, चोरी चोरी परीक्षाओं में चीटिंग करने से, सेमि-फाइनल एग्जाम में प्रश्नपत्र की चोरी से लेकर ऋतिक रौशन पर क्रश तक, श्रद्धा बिना हिचकिचाए सभी को मानती है! शक्ति कपूर की प्यारी बेटी लगती चुपचाप है लेकिन है बहुत शैतान। आइये श्रद्धा के प्रिय पिताश्री और उनके फिक्रमंद भाई से जाने उनकी श्रद्धा के बॉडीगार्ड बनने का अनुभव, वो भी उसकी उसकी 100 करोड़ ब्लॉकबस्टर फिल्म की रिलीज से पहले।

श्रद्धा ने अपनी फिल्म से चाहे नई पीढ़ी के रोमांस की प्रतीक बन गई है लेकिन उसका दिल अभी भी पुरानी रोमांटिक क्लासिक-प्यासा में ही अटका है जो कि उसकी पसंदीदा फिल्म है। देखिए श्रद्धा को ब्लफमास्टर के रूप में, अपने पिता की नन्हीं राजकुमारी और एक प्यारी लड़की के रूप में, जिसने अपने दम पर बॉलीवुड में धमाका किया है, इस सप्ताह जेनेक्सट, फ्यूचर अॉफ बॉलीवुड में।

देखिए, �जेनेक्सट, फ्यूचर ऑफ बॉलीवुड, सोमवार 28 अक्टूबर, 2013, �रात 8 बजे, सिर्फ जूम पर-भारत का नंबर 1 बॉलीवुड चैनल

मीडिया संपर्क
Kripa Nayak/ Gitanjali Khatau
LINOPINION – The Lowe Lintas PR Division
M:9819826335 /9833011128
Email:[email protected]/[email protected]

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अणुव्रत लेखक पुरस्कार से श्री ललित गर्ग सम्मानित

नई दिल्ली। अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट नैतिक एवं आदर्श लेखन के लिए प्रदत्त किया जाने वाला ‘अणुव्रत लेखक पुरस्कार’ वर्ष-2011 के लिए लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में जैन विश्व भारती, लाडनूं (राजस्थान) में आयोजित राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक सम्मेलन में दिनांक 26 अक्टूबर 2013 को प्रदत्त किया गया। अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग को इक्यावन हजार रुपए की राशि का चैक, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदत्त कर उन्हें सम्मानित किया। श्री गर्ग पिछले तीन दशक से राष्ट्रीय स्तर पर लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं प्रदत्त करते हुए अणुव्रत आंदोलन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। विदित हो वर्तमान में श्री गर्ग सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी (रजि॰) द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल के विकास एवं मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन है।

आचार्यश्री महाश्रमण ने श्री गर्ग की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए कहा कि श्री गर्ग सृजनशील प्रतिभा हैं जिनमें सरलता, सादगी और नैतिक निष्ठा दिखाई देती है। ये संस्कार इन्हें इनके पिता वरिष्ठ पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार स्व॰ श्री रामस्वरूपजी गर्ग से विरासत में प्राप्त हुए हैं। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने वाले इनके पिताजी ने अणुव्रत आंदोलन की सक्रिय सेवाएं की हैं। श्री ललित गर्ग भी अणुव्रत आंदोलन, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और हमारे वर्तमान कार्यक्रमों में विशिष्ट सहयोगी हैं। आचार्य श्री महाश्रमण ने अणुव्रत महासमिति के इस चयन को सही बताया और गर्ग की धर्मसंघ के प्रति सेवा और समर्पण भावना की सराहना की। आचार्य श्री महाश्रमण ने आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी की चर्चा करते हुए कहा कि देश में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की स्थापना में अणुव्रत आंदोलन का विशिष्ट योगदान है। उन्होंने लेखकों को सामाजिक विचारधारा का वाहक बताया और लेखन में नैतिकता अपनाने का आह्वान किया। अणुव्रत लेखक पुरस्कार की चर्चा करते हुए कहा कि उत्कृष्ट और नैतिक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे लेखकों की विशेषताओं को स्वीकार कर हम उनका सम्मान करें, आदर करें, इससे एक बड़ी शक्ति का प्रस्फुटन हो सकता है।

अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग और उनके परिवार द्वारा की गई उल्लेखनीय समाज सेवा चर्चा करते हुए कहा कि श्री ललित गर्ग हमारे समाज की एक विशिष्ट प्रतिभा है। साहित्य, पत्रकारिता और जनसंपर्क की दृष्टि से इनकी समाज को विशिष्ट सेवाएं प्राप्त हो रही हैं। अणुव्रत आंदोलन को उन्होंने पिछले तीन दशक में राष्ट्रव्यापी स्तर पर स्थापित करने में उल्लेखनीय सहयोग किया।

अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित श्री गर्ग ने आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए महान् संत पुरुषों का आशीर्वाद है। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे बचपन से ही आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्य श्री महाश्रमण का असीम अनुग्रह, स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। बचपन में जहां गांधी, विनोबा भावे और आचार्य तुलसी के साथ पिताजी से जुड़े निकटता के अनूठे संस्कारों से शिक्षित होने का अवसर मिला। आज प्राप्त पुरस्कार पिताजी की अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय सेवाओं का ही अंकन है। उन जैसी सरलता, सादगी, समर्पण और नैतिक निष्ठा को जीना दुर्लभ है। फिर भी गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण से ऐसे आशीर्वाद की कामना है कि उनके नैतिक और मानवतावादी कार्यक्रमों में अपने आपको अधिक नियोजित करते हुए समाज और राष्ट्र की अधिक-से-अधिक सेवा कर सकूं।

इस अवसर पर श्री ठाकरमल सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गर्ग का जीवन प्रेरक है क्योंकि इन्हें बचपन से ही एक आदर्श पिता के साथ-साथ आचार्य तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण जैसे महान पुरुषों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। ये सम्मान प्रतिभा के साथ-साथ संस्कारों का भी सम्मान है। अणुव्रत महासमिति के महामंत्री श्री संपत सामसुखा ने प्रशस्ति पत्र का वाचन करते हुए कहा कि श्री गर्ग ने पत्रकारिता के क्षेत्र में नैतिक दर्शन और मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की दृष्टि से प्रयत्न किए हैं। आपने पंद्रह वर्षों तक ‘‘अणुव्रत पाक्षिक’’ का संपादन किया। ‘‘अणुव्रत लेखक मंच’’ के संयोजक के रूप में लेखकों को संगठित करने और उन्हें नैतिक लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशिष्ट प्रयत्न किए। वर्तमान में भी ‘समृद्ध सुखी परिवार’ मासिक पत्रिका के संपादक के अलावा अन्य पत्र-पत्रिकाओं का संपादकीय दायित्व निभा रहे हैं। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए डाॅ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी रत्नेश ने श्री ललित गर्ग की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी की चर्चा करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई दी।

स्वर्गीय ‘शासनभक्त’ हुकुमचंद सेठिया, जलगाँव (महाराष्ट्र) की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले अणुव्रत लेखक पुरस्कार से अब तक स्व॰ श्री धरमचंद चोपड़ा, डाॅ. निजामुद्दीन, श्री राजेन्द्र अवस्थी, श्री राजेन्द्र शंकर भट्ट, डाॅ. मूलचंद सेठिया, डाॅ. के. के. रत्तू, डाॅ. छगनलाल शास्त्री, श्री विश्वनाथ सचदेव, डाॅ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, डाॅ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा जैन एवं प्रो. उदयभानू हंस सम्मानित हो चुके हैं।

संपर्क
(बरुण कुमार सिंह)
ए-56/ए, प्रथम तल, लाजपत नगर-2
नई दिल्ली-110024
मो. 9968126797

फोटो परिचयः
(1) आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में अणुव्रत महासमिति का राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक पुरस्कार पत्रकार और साहित्यकार श्री ललित गर्ग को प्रदत्त करते हुए महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा एवं अन्य।

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