Saturday, November 23, 2024
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रेल यात्रियों की सुरक्षा में चूक कहाँ?

भारत में रेल यात्रा सस्ता किफायती और आरामदायक माना जाता हैं। मुंबई और दिल्ली के समीपवर्ती क्षेत्रों के लिए रेलगाड़ी व मेट्रो जीवन रेखा मानी जाती है, क्योंकि सस्ते में अधिक दूरी की यात्रा संभव होती है, वही तुलनात्मक रूप से अन्य मार्ग महंगा और कष्टदायक होते हैं ।सवाल यह है कि रेलगाड़ियां मध्यम वर्ग और आम वर्ग की जीवन रेखा हैं तो फिर
१. रेलगाड़ियों में होने वाले हादसों और घटनाओं पर सरकार, रेल मंत्रालय और नागरिक समाज कितना सक्रिय हैं ?
२. क्या किया जाए कि रेल हादसा व घटनाएं कम हो?

वर्तमान में रेल मंत्रालय और भारतीय रेलवे अपने देश में अधिक से अधिक सेमी हाई स्पीड और हाई स्पीड ट्रेन में शामिल करके रेलवे का कायाकल्प बदलना चाहते हैं ,जिससे रेलवे से अधिक से अधिक लोग जुड़ सकें ।भारत में रेलवे क्षेत्र का लक्ष्य अर्थव्यवस्था के मॉडल फ्रेट शेयर के 45 % का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करके देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2% का योगदान हैं।दुनिया का सबसे बड़े आबादी वाले देश में रेलवे नेटवर्क एक लाइफलाइन हैं। अब भारतीय रेलवे नई और तेज रफ्तार की गाड़ियों को शामिल कर भारतीयों को भरोसा कायम करना चाहता है कि औपनिवेशिक काल से चले आ रहे इस यातायात व्यवस्था में अमृत काल की स्वराज भावना को प्रतियमान किया जाए, जिससे भारतीय रेलवे व भारतीयों में” स्व” का बोध हो सके। भारतीय रेलवे के विजन के अनुसार आने वाले सालों में वंदे भारत जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन और अहमदाबाद – मुंबई बुलेट हाई स्पीड ट्रेन आने वाली है,जिससे भारतीयों के समय, व्यवस्था और व्यवसाय में गत्यात्मक बदलाव किया जा सके।

भारतीय रेलवे ने स्वदेशी तकनीक ‘ कवच’ को विकसित किया है, जो रेलवे हादसा और दुखद घटनाओं को रोकने में सहयोग कर सकें। कवच के बारे में निम्न तथ्य हैं:-
१.खतरे में सिग्नल पार करने से रोकना(SPAD) ;
२. ड्राइवर मशीन इंटरफेस के समय सिग्नल की स्थिति दिखाना ;
३.रेलगाड़ी की आवाजाही का निरंतर अपडेट ;
४.ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए स्वचालित ब्रेक लगाना ;
५.समपार फाटक के पास पहुंचते समय ऑटो सीटी बजाना ;
६.कवच प्रणाली से लैस दो इंजनों के बीच टकराव को रोकना ;
७.आपातकालीन स्थितियों के दौरान SOS संदेश और;
८. नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम से आवाजाही की लाइव निगरानी।

सुरक्षा प्रणाली पर सुधांशु मनि, जो इंडियन कोच के जनरल मैनेजर थे ,उनके कार्यकाल में ट्रेन-18 का डिजाइन तैयार किया गया था, जिसके बाद में “वंदे भारत ” नाम दिया गया था।” ट्रेनों में सिर्फ कवच व्यवस्था लगा देने से पूरी तरह काम नहीं करेगा बल्कि इसके लिए रेलवे ट्रैक पर हर 1 किलोमीटर पर आईएफ आईडी लगाना पड़ेगा, जो कंट्रोल सेंटर को हर मिली सेकंड पर सूचना देता है”. रेलवे के विशेषज्ञ अधिकारी बताते हैं कि कवच जैसा व्यवस्था तभी प्रभावी होगा जब ये सभी रूटों पर लगाया जाए। एक दो रूट पर लगाने से काम नहीं चल सकता है। रेल मंत्रालय से जुड़े आरडीएसओ( शोध ,डिजाइन एवं मानक संगठन) ने कवच प्रणाली विकसित किया हैं।

यह व्यवस्था एक ही पटरी पर आ रही दो ट्रेनों की टक्कर को रोकने के लिए लोको पायलट को अलर्ट करता हैं। अगर लोको पायलट की तरफ से निर्देश नहीं मिलने पर यह प्रणाली स्वतः ब्रेक लगा देता है। सुरक्षा प्रणाली को लेकर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक(CAG) ने 2021 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि:-
१. फंड के बावजूद भारतीय रेलवे में पटरी से उतरने की दुर्घटनाओं पर आलोचना भी की है।
२.साल २०१७- २०१८ में एक लाख करोड़ रुपए से भारतीय रेल सुरक्षा कोष बनाया गया था। विभाग को प्रत्येक वर्ष सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कार्यों पर ₹20000 खर्च करने थे;
३. भारतीय रेलवे ने इस मद में २०१७- २०१८ में १६०९१ रुपए खर्च किए ;जबकि २०१८- २०१९ में ₹18000 खर्च किए गए ;
४.कैग की 2022 की रिपोर्ट में कहा है कि कोष से प्राथमिकता वाले कामों का कुल खर्च 2020 में 81.55% से घटकर 73.75% हो गया है;
५.ट्रैक को अपग्रेड किए जाने के में होने वाले आवंटन में भी यही धारणा दिखता है,२०१८- २०१९ में 9607.10 करोड़ रुपए २०१८- २०१९ में7417 करोड़ रुपए हो गया हैं
६. इसके अलावा भी आवंटित राशि का पूरा सदुपयोग नहीं हो पाया था;कैग के अनुसार 2017 से 2021 के दौरान पटरी से उतरने की घटनाओं में 289(26%)पटरी से अपग्रेड होने से जुड़ी हैं।

भारत में रेल पर सुधार के उपायों में 2020 में किए गए अध्ययन के मुख्य लेखक प्रकाश कुमार सेन ने रॉयटर्स को बताया कि ” सुरक्षा के प्रतिशत बमें बहुत सुधार है”। इस तरह के हादसों के लिए मानवीय गलतियां और ट्रैक रखरखाव पर कम ध्यान आम कारक हैं। वर्कर कुशल नहीं होते हैं या उन पर काम का बहुत ज्यादा दबाव है, और उनको आराम करने की फुर्सत ना मिलना हादसों का प्रमुख कारक हैं। पहले की सरकारों की तुलना में वर्तमान सरकार का रेलवे रखरखाव, सुरक्षा एवं यात्रियों के हिफाजत पर कार्य सराहनीय हैं।

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