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शब्द-साधक व हिंदी कर्मयोगी, अरविंद कुमार नहीं रहे

27 अप्रैल 2021 (भारत): शब्द-साधक व हिंदी कर्मयोगी ‘अरविंद कुमार’ का 26 अप्रैल को निधन हो गया। आज उनकी अंत्येष्टि कर दी गई।

“वह कई दिनों से कोरोना से संक्रमित थे। घर पर रहकर ही इलाज करवा रहे थे। कल देहांत हो गया। आज अंत्येष्टि हो गई।” डॉ विजय कुमार मल्होत्रा ने बताया।

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हिंदी समाज को अरविंद कुमार का कृतज्ञ होना चाहिए कि उन्होँ ने ऐसा अद्भुत कोश बनाया

“बहुत दुखद ॐॐ” केंद्रीय हिन्दी संस्थान शिक्षा मण्डल, आगरा के उपाध्यक्ष, अनिल शर्मा ने श्रद्धांजलि दी।

वरिष्ठ पत्रकार, राहुल देव हतप्रभ थे, अरविंद जी का समाचार सुनकर, वे केवल इतना कह पाए, “हे प्रभु…”

अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के नारायण कुमार ने अरविंद जी को श्रद्धांजलि देते हुआ कहा, “अरविंद जी, मॉडल टाउन में भी मेरे पडोसी थे और रामप्रस्थ में भी। उनका महाप्रस्थान हिन्दी कोशविज्ञान के लिए अपूरणीय क्षति है। माधुरी के सम्पादक के रूप मे उन्होंने फिल्म समीक्षा को रचनात्मक स्वरूप प्रदान किया था। अपनी सृजनात्मकता उपलब्धियों के कारण अरविंद अमर रहेंगे। आदरणीया भाभी जी, मीता और उनके परिवार और प्रशंसकों को ईश्वर यदि सचमुच कहीं हैं, तो इस अससहनीय अवसाद को सहने करने की शक्ति प्रदान करे। सादर श्रद्धांजलि।”

हिंदी के प्रसिद्ध हास्य कवि, अशोक चक्रधर ने अरविंद कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने इसे ‘अत्यंत दुखद’ बताया।

“हिंदी को विश्व का विशालतम शब्दकोश देकर अतुलनीय योगदान दिया अरविंद जी ने..उनकी मित्रता पर गर्व है।” हिंदी के वरिष्ठ कवि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा।

“ईश्वर अरविन्द जी को अपने चरणों मे स्थान थे। बहुत जुझारू इंसान थे अरविन्द जी। बहुत मीठी स्मृतियाँ हैं, उन के साथ भोपाल विश्व हिन्दी सम्मेलन की।” अनूप भार्गव ने बताया।

“अरविन्द जी के जाने का समाचार बहुत दुखद है।” प्रवासी संसार के सम्पादक राकेश पांडेय ने कहा।

अरविंद कुमार भारत-दर्शन के साथ इंटरनेट के शुरुआती दिनों से जुड़े हुए थे और उनके अनेक आलेख भारत-दर्शन में प्रकाशित हैं।

अरविंद जी का जन्म 17 जनवरी 1930 को मेरठ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।

आपकी मुख्य कृतियों में समांतर कोश, द पेंगुइन इंगलिश-हिंदी एंड हिंदी-इंगलिश थिसारस एंड डिक्शनरी, अरविंद तुकांत कोश व ब्रह्म विद्या योग शास्त्र हैं। आपने विक्रम सैंधव (जुलियस सीजर), फाउस्ट : एक त्रासदी अनुवाद भी किए हैं।

आप माधुरी व सर्वोत्तम के संपादक रह चुके हैं।

17 जनवरी 2021 को आपने इक्यानवें वर्ष में प्रवेश किया था।

समांतर कोश से अब तक उनके केवल कोश ही प्रकाशित हुए हैं लेकिन पहली बार यह पुस्तक एक अलग तरह का प्रकाशन होगा। इसकी सामग्री नौ संभागोँ मेँ विभाजित है। इसमें 21 पृष्ठ निजी जीवन के बारे में व शेष सारी सामग्री उनके काम के बारे में है।

 

 


रोहित कुमार ‘हैप्पी’
संपादक, भारत-दर्शन हिंदी पत्रिका
इंटरनेट पर विश्व का पहला हिंदी प्रकाशन – प्रति अंक 10 लाख से भी अधिक पठनीय पृष्ठ
न्यूज़ीलैंड।

Rohit Kumar ‘Happy’
Editor, Bharat-Darshan
2/156, Universal Drive
Henderson, Waitakere – 0610
Auckland (New Zealand)
Ph: (0064) 9 837 7052
Mobile: 021 171 3934
http://www.bharatdarshan.co.nz

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1 COMMENT

  1. अरविंद कुमार जी बहुत ही सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी थे सदा शांत रहते और अपने काम के प्रति सजग रहते थे । मेरा सौभाग्य रहा है कि मेरी पुस्तक की भूमिका भी उन्होंने लिखी थी , २०१५ में उनसे मिलना हुआ था साथ साथ २-३ घंटे बिताने का अवसर मिला था। एक एक दृश्य आँखो के सामने आ जाता है जब उन्होंने अपने द्वारा रचित शब्दकोश की एक प्रति भी मुझे भेंट स्वरूप दी थी। प्रभु उन्हें अपनी शरण में ले। पूरे परिवार को इस असह्य दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ओम् शांति।

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