Saturday, May 4, 2024
spot_img
Homeआपकी बातनासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा

नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा

बात उन दिनों की है जब मेरा तबादला किसी दूरदराज़ स्थान पर हुआ था। घर-परिवार और परिजनों से दूरी असहनीय होती जा रही थी। सरकारी तंत्र ऐसा था कि खूब गुहार लगाने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही थी।तब मुझे किसी हितैषी ने सलाह दी कि मैं हनुमान-चालीसा का कुछ दिनों तक नियमित पाठ करूँ। बजरंगबली ने चाहा तो मेरा तबादला वापस अपने स्थान पर ही जायेगा। अत्यधिक परेशानी और कठिनाई में घिरा व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है।

मैं उसी दिन हनुमान चालीसा की एक सुन्दर प्रति कहीं से खरीद लाया और नित्य दो बार सुबह-शाम हनुमान चालीसा का मनोयोगपूर्वक पाठ करने लगा।

मेरे आश्चर्य की सीमा तब नहीं रही जब कुछ ही दिनों में बजरंगबली ने मेरी पुकार सुन ली और मेरे पास सरकारी आदेश आ गए कि मेरा स्थानांतरण मेरे चाहे गए स्थान पर हो गया है।तभी से बजरंगबली हनुमान पर मेरी आस्था और भक्ति का भाव दृढतर होता चला गया।

कहा जाता है कि हनुमानजी की महिमा और भक्तों के प्रति उनका परोपकारी स्वभाव के कारण ही श्री तुलसीदास जी ने संकट मोचन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए श्री हनुमान चालीसा की रचना की। भक्तों में मान्यता है कि इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना ना सिर्फ सरल और आसान है, बल्कि इसके कई अद्भुत लाभ भी हैं।हनुमान चालीसा में हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नवनिधि के दाता कहा गया है। इसका अर्थ है कि जो नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, हनुमानजी उसको आठ सिद्धियां और नौ निधियों से संपन्न होने का आशीष प्रदान करते हैं।हनुमानजी स्वयं ‘विद्यावान गुणी अति चातुर/बुद्धिमान’ हैं। जो लोग भक्ति-भाव से हनुमान-चालीसा का पाठ करते हैं उनमें हनुमानजी इन गुणों का संचार करते हैं।

विश्वास किया जाता है कि मानव-जीवन का अंतिम लक्ष्य मुक्ति यानी शरीर त्यागने के बाद परमधाम की प्राप्ति माना जाता है। हनुमान चालीसा में लिखा है ‘अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि–भक्त कहाई। और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।

अर्थात जो व्यक्ति हनुमानजी का ध्यान करता है, उनकी पूजा करता है और नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसका सर्वोच्च स्थान का मार्ग आसान हो जाता है।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार