Monthly Archives: July, 2021
बचपन की ईद की वो खौफ़नाक यादें जो आज भी डराती है
बड़े मामा को गुस्ल करके ईद के कपड़े पहनने के लिए तकादा देने का कोई लाभ नहीं था। आखिरकार हारकर नानी बोली, ''तूने ईद तो किया नहीं तो क्या इस वक्त खाएगा भी नहीं?
जीकेसी के सौजन्य से टॉक शो ‘फैशन एंड लाइफ स्टाइल’ का आयोजन
प्रेम कुमार ने कहा,जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें लक्ष्य की जरूरत होती है। बिना किसी लक्ष्य के किसी भी दिशा में आगे बढ़ना मुश्किल है। इसलिए महत्वपूर्ण यही है कि आगे बढ़ते हुए हमारे
मीरा बाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में कई रेकॉर्ड तोड़े
चानू से इस स्पर्धा में मेडल की उम्मीद थी जिस पर वह खरी उतरीं। उन्होंने 49 किग्रा कैटेगरी में 87 किलो, जबकि क्लीन एंड जर्क में 115 किलोग्राम भार उठाया। इस तरह उन्होंने कुल मिलाकर
हनुमान चालीसा का जाप कर बगैर बेहोश हुए ऑप्रेशन कराया
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर ने बताया कि यह इसलिए किया गया ताकि सर्जरी के दौरान ब्रेन का वह हिस्सा जो आवाज को नियंत्रित करता है वह डैमेज न हो. इस वजह से उनका लगातार
भारत के विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में पुनः शामिल होने के संकेत
विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत का पुनः शामिल हो जाना, महज एक इत्तेफाक नहीं है।
सांसद मनोज तिवारी जी ने कलाकारों की सहायता हेतु दस लाख का सहयोग दिया
मनोज तिवारी ने कलाकारों की सहायता के लिए संस्कार भारती द्वारा चलाए जा रहे 'पीर पराई जाणे रे' अभियान को समर्थन करते हुए कहा-‘ संकट में खड़े रहना, हम भारतीयों की रीत है।
ब्राडकास्टिंग दिवस पर करनाल जेल के बंदियों का बनाया थीम सॉन्ग जारी
इस गाने को तैयार करने में जले की उप अधीक्षक शैलाक्षी भारद्वाज का विशेष योगदान रहा। वे संगीत में विशेष रुचि रखती है, और खुद कुशल गायिका भी हैं!
सैलानियों का आकर्षण अनूठे और विस्मयकारी जोधपुर के संग्रहालय
उम्मेद भवन पैलेस का संग्रहालय जोधपुर के शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल की गई प्राचीन वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करता है।
कोटा में बजे खुशियों के ढोल, एक बार फिर ऑफलाइन कोचिंग शुरु होने से व्यापार को मिलेगी गति
कोटा में करीब 3200 से ज्यादा हॉस्टल है, जिनमें लाखों बच्चे रह सकते हैं। यहां पर कोरोना के प्रोटोकॉल की भी पूरी पालना हो सकती है।
जन-जन की पीड़ा व संघर्ष को वाणी देने वाले अमर कथाकार – प्रेमचंद
प्रणय कुमार - 0
किसी भी उदार, गतिशील एवं जागरूक समाज में विमर्श और विश्लेषण सतत ज़ारी रहना चाहिए। परंतु भारतीय मनीषा ने उससे एक क़दम आगे बढ़ते हुए भिन्न-भिन्न मतों के बीच एकत्व या समन्वय साधने की अद्भुत कला विकसित की है।