Saturday, November 23, 2024
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“गुलज़ार” हुआ अमेरिका….

कुछ लोग बड़े ख़ास होते हैं क्योंकि उनके संसर्ग में होना, उनकी आवाज़ के साये में बैठना और उनके जीवन भर की धूप से थोड़ी सी रौशनी पा लेना, थोड़ा और इंसान बना देना जैसा होता है! सम्पूरण सिंह कालरा “गुलज़ार” के सानिध्य में होना बिलकुल ऐसा ही है।

“गुलज़ार” इन दिनों अपने प्रोग्राम “इज़ाज़त” को लेकर अपनी टीम के साथ अमेरिका के टूर पर हैं। इसी सिलसिले में सैन जोस, कैलिफ़ोर्निया में उनके प्रोग्राम में उनको सुनने का, उनको देखने का और उनसे मिलने का मौका मिला। 87 वर्ष के गुलज़ार साहब अभी भी, प्यार, जज़्बात और जोश से भरे हुए हैं। सफ़ेद लिबास में लिपटी उनकी काया के भीतर अभी भी एक मासूम बच्चे सा दिल है जो बातें करना चाहता है, लोगों से मिलना चाहता है, साइकिल चलाना चाहता है और आइसक्रीम खाना चाहता है। वे फोटो खींचने वाली परम्परा से ज़्यादा दिल से रूबरू होने में ज़्यादा यक़ीन रखते हैं। जब मैंने उनसे एक फोटो का आग्रह किया तो मेरा मन रखते हुए, मुझे न तो नहीं कहा पर बड़े ही प्यार से बोले अरे कभी बिना फोटो के बिना भी बात हो। अब कैसे कहती कि उनके साथ एक फ्रेम में होना, थोड़ा सा “गुलज़ार” हो जाना है।

मुझे याद नहीं है की इससे पहले मैंने किसी 87 वर्ष के फ़िल्मकार, गीतकार, शायर, लेखक और कवि को इतनी ऊर्जा से बात करते सुना और देखा है। लगभग तीन घण्टे के प्रोग्राम को आकार दिया श्री अजय जैन (Ajay Jain) ने और उसे अंज़ाम दिया, गुलज़ार (Gulzar) साहब ने, रक्षंदा (Rakshanda Jalil) जी ने और नए गायकों की टीम ने। कार्यक्रम के पहले भाग में गुलज़ार ने अपनी नज़्मों और अपनी कविताओं के बारे में बात की। उनकी आवाज़ में उनकी नज़्मों को पुरसुकून से कैलिफ़ोर्निया ने सुना और सराहा। एक मोहतरमा ने दर्शकों में से कहा “गुलज़ार साहब, मुझे आपसे मोहब्बत हो गयी है” और ये सुनकर गुलज़ार जी मुस्कराते हुए बोले, मोहतरमा, बड़ी देर कर दी आपने आते-आते! ये सुनकर पूरा हाल ठहाकों से गूँज उठा! पूरा हॉल दर्शकों से खचाखच भरा था और पूरे तीन घंटों तक लोग उन्हें सुनते रहे और उनकी आवाज़ के समन्दर में बहते रहे। उनके लिखे गीतों को पुणे के तीन गायकों (Swarada Godbole, Hrishikesh Ranade, Jitendra Abhyanka) ने बड़ी ख़ूबसूरती से गाया और रक्षंदा जी ने बड़े ही अदब और सहजता से कार्यक्रम का संचालन किया।

गुलज़ार साहब के साये में गुज़री इस शाम के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है और लिखा जा सकता है पर शब्द लिखे जा सकते हैं, अहसास नहीं, इसलिए सिर्फ इतना ही कह सकती हूँ कि गुलज़ार साहब अपने रंग में थे और हम सब उन रंगों में सराबोर हो रहे थे। हर नज़्म में एक बात थी, एक सन्देश था, एक अहसास था। ऐसे प्रोग्राम हर दिन नहीं होते और ऐसे मौके हर बार नहीं आते।

कार्यक्रम के दूसरे भाग में, रक्षंदा जी ने गुलज़ार साहब से एक साहित्यकार की ज़िम्मेदारियों और समाज के बारे में बात की। इस संज़ीदा विषय पर बात करते हुए गुलज़ार जी ने बड़े ही मर्यादित तरीके से समाज के अवाँछित तत्वों को वो सब कुछ कहा जो एक अच्छे और सच्चे साहित्यकार को कहना चाहिए।

कार्यक्रम के तीसरे भाग में, दर्शकों और पत्रकारों को भी मौका मिला की वो अपने दिल की बात पूछ सकें। जब मैंने उनसे पूछा की अक्सर इंसान की कविता और शायरी के पीछे एक चेहरा, एक प्रेरणा होती है और उनकी शायरी की प्रेरणा कौन है, तो बड़ी चतुराई से उन्होंने कहा- कहीं अँगरेज़ी में पढ़ा था की हर आदमी की सफलता के पीछे एक औरत होती है, लेकिन मेरी सफलता के पीछे कोई प्रेरणा नहीं है, हाँ कोई भावना हो सकती है और सबको उनका जवाब सुनकर बड़ा मज़ा आया। वो बड़ी खूबसूरती से अपने दिल की बात छुपा गए।

कार्यक्रम के इस भाग में इसके अलावा, उन्होंने अपने साथी कलाकारों को याद किया जिसका ज़िक्र उन्होंने अपनी नयी किताब में किया है। पंचम को याद करते हुए बोले की अचानक से उसका फ़ोन आता था की क्या कर रहे हो और मैं कहता था की कुछ नहीं, तो कहते थे कि मैं आ रहा हूँ। फिर मिलते थे और कोई धुन, ताल देकर बोलते थे कि इस पर कोई बोल दे दो। मैं थोड़ी देर में उन्हें बोल दे देता था और फिर मुझसे कहता था अब तुम घर जाओ, मुझे डिस्टर्ब मत कर करो क्योंकि उसे गाने पर काम करना होता था। मैं भी उसका बुरा नहीं मानता था, चला आता था क्योंकि पंचम ऐसा ही था। किशोर कुमार के बारे में कई दिलचस्प बातें बतायीं की कैसे वो लता और आशा जी को रिकॉर्डिंग के समय अपनी प्यारी शरारतों से तंग किया करते थे और प्रोडूसर से बिना पैसे लिए वो गाना नहीं गाते थे।

कार्यक्रम के अंत में तीनों गायकों ने गुलज़ार के गीतों का एक गुलदस्ता पेश किया, जिसमें आंधी, मेरे अपने, माचिस, घर, परिचय, इज़ाज़त, मासूम और Slumdog Millionaire के गानों से समां बाँध दिया। गुलज़ार जी, कार्यक्रम समाप्त होने तक, वहीँ बैठकर गीतों का मज़ा लेते रहे और कार्यक्रम के अंत में San Jose में इस कार्यक्रम को instant karma ने करवाया था। कार्यक्रम की आयोजक instant karma की CEO भाविनी जोशी (Bhavini Joshi) ने अपने पति अमिताभ भार्गव (Amitabh Bhargava) के साथ सबका धन्यवाद किया। ये रिपोर्ट लिखते हुए ये बात ज़रूर कह सकती हूँ कि कलाकार और आयोजक दोनों को इस तरह के आयोजन के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए वे सब बधाई के पात्र हैं।

गुलज़ार साहब न्यूयॉर्क से कैलिफ़ोर्निया आये थे और अमेरिका में रहने वाले जानते हैं की दोनों शहरों के बीच तीन घंटे समय का फर्क है। ऐसे में नींद और भूख सब प्रभावित होते हैं और इस सबके बाद भी जिस सहजता से सबने कार्यक्रम किया वो क़ाबिले तारीफ़ था। कार्ल कालरा (Karl Kalra) जो इस शो के नेशनल प्रोमोटर हैं, उनके लिए भी ये आसान नहीं रहा होगा कि हर शहर में साथ-साथ जाना और ये सुनिश्चित करना की प्रोग्राम ठीक ढंग से चल सके। ऐसे कार्यक्रम स्पोंसर के बिना नहीं हो सकते तो इस कार्यक्रम की ग्रैंड स्पोंसर हिना जोशी जी का भी बहुत बहुत आभार। सभी आयोजकों, कलाकारों और दर्शकों को इस सफल कार्यक्रम के लिए बधाई और यही शुभकामना है की हमारे “गुलज़ार” हमेशा “गुलज़ार” रहें!!

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