बच्चों के दिलों की धड़कनों को सुनने के लिए लगता है कि सचमुच बच्चों जैसा कोमल दिल चाहिए। एक मासूम-सी चाहत जहाँ अनजाने में ही आने वाले कल को कुछ कर दिखाने का वचन दे रही हो उस चाहत को किसी भी सूरत में आहत नही न होने देना वास्तव में एक बड़ी जिम्मेदारी और समझदारी से भरा काम है। शायद यही वज़ह है कि हरेक दिल में छुपा कोई बच्चा बार-बार बेचैन हो कर पुकार उठता है कि मुझे अगर सुनना है तो सयानेपन से नहीं, मुझ जैसी मासूमियत से ही बात बन सकती है।
लिहाज़ा, दिल के मामले में भी बच्चों की तकलीफों को दिल से जानने और समझने की सख्त दरकार हमेशा रही है।और इस लिहाज़ से अगर देखें तो कहना न होगा कि हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना वास्तव में वरदान सिद्ध हुई है। संस्कृति, सम्पदा और संवेदना की कर्मभूमि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह जी की बच्चों में अभिन्न रूचि और ह्रदय रोग से पीड़ित बच्चों की पुकार से उनके गहन सरोकार ने इस महत योजना को मानवता के नाम एक महान सन्देश की शक्ल में ढाल दिया है।
असर की चंद मिसालें
दूर क्या जाना,यहीं, अभी कुछ मिसालें पहले देख लीजिये – दुर्ग जिले के ग्राम जेवरा सिरसा निवासी डोमन लाल साहू के अनुसार उनकी ढाई वर्षीय बेटी हेतल जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित थी। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण अपनी बेटी का इलाज कराना संभव नहीं हो पा रहा था। उनका परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। बेटी के जन्म पश्चात् ही उसके हृदय में छेद होने की जानकारी मिलने पर उनका परिवार बहुत दुखी था। बेटी का इलाज कराने में असमर्थ होने के कारण पूरा परिवार बच्ची की जिंदगी की सलामती के लिए सिर्फ दुआ ही कर सकता था।
इस दौरान श्री साहू को पता चला कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना संचालित की गई है। योजना में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के एक साल से 15 वर्ष तक उम्र के हृदय रोगी बच्चों का निःशुल्क इलाज और निःशुल्क ऑपरेशन किया जाता है। फिर क्या, भिलाई नगर स्थित अपोलो बीआरएस अस्पताल में उन्होंने अपनी बेटी का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। वहां उसका ऑपरेशन हो गया है। ऑपरेशन पूरी तरह कामयाब है। बच्ची के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है।अपनी बेटी का निःशुल्क इलाज होने से श्री साहू का परिवार काफी खुश है। स्वाभाविक है कि श्री साहू ने इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह जी और अस्पताल प्रबंधन के प्रति आभार व्यक्त किया।
राज्य शासन से इस योजना के लिए अधिकृत अपोलो बी.एस.आर.अस्पताल भिलाई नगर में मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना के तहत बच्चों की ह्रदय शल्य चिकित्सा का सिलसिला जारी है। अपोलो बीएसआर भिलाई नगर में गुण्डरदेही की खोमिन को बहुत गंभीर स्थिति में लाया गया था, लेकिन इस योजना के तहत उसका सफल आपरेशन किया गया। जटिल शल्य क्रिया कर उसके दिल का वाल्व बदला गया। 14 दिन अस्पताल में रहकर खोमिन हँसते-मुस्कुराते अपने घर चली गई। राजनांदगांव के एक छोटे से गाँव केसला की दस साल की बालिका रौशनी को भी इस योजना से ज़िंदगी की नई रौशनी मिल चुकी है।अपोलो बीआरएस अस्पताल में ही इलाज करा चुके तेजस्वी पिता श्री खोमलाल साहू निवासी कातलबाही (डोंगरगढ़/राजनांदगांव), पूजा ठाकुर पिता श्री देवसिंग (तरौद/बालोद), अरूण प्रधान पिता श्री परशुराम प्रधान (करतमा/सुरजपुर) ने भी मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया है। यह योजना प्रदेश में विभिन्न मान्यता प्राप्त और अनुबंधित अस्पतालों में 28 जुलाई 2008 से चल रही है।
बच्चों को मिली नई ज़िंदगी
अपोलो बीआरएस अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. ए.पी.सावंत ने बताया कि राज्य सरकार ने उनके अस्पताल को इस योजना में शामिल किया है। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना शासन की बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है। जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का निःशुल्क इलाज होने पर छत्तीसगढ़ में ऐसे हजारों बच्चों को नई जिंदगी मिली है। उन्होंने इस आलेख के लेखक से को बताया कि अपोलो बीआरएस अस्पताल में बच्चों का निःशुल्क ऑपरेशन योजना अंतर्गत मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना की शुरूआत की गई थी। प्रदेश के पन्द्रह वर्ष आयु तक के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को सात प्रकार के हृदय रोगों का सरकारी व्यय पर इलाज के साथ उनकी शल्य क्रिया मान्यता प्राप्त चिकित्सालयों मे कराई जाती है। एक वर्ष से कम उम्र के ऐसे पीड़ित बच्चे जिन्हें तत्काल उपचार आवश्यक है को शासन द्वारा गठित तकनीकी समिति से अनुमोदन प्राप्त किया जाकर प्रदेश एवं देश के मान्यता प्राप्त संस्थानों में चिकित्सकों की अनुशंसा उपरांत उपचार हेतु भेजा जाता है। अपोलो बीएसआर भिलाई के सीएमडी डॉ.एम.के.खंडूजा के मागदर्शन में ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ.दिलीप रत्नानी, कार्डियक सर्जन डॉ.निमिष राय और अन्य विधाओं के चिकित्सकों और कर्मठ स्टाफ सहयोग से मुख्यमंत्री बाल ह्रदय सुरक्षा योजना जैसी मानवीय गतिविधि को सफलता पूर्वक संपादित किया जाता है। सर्जरी के समय तमाम मुफ्त सुविधाओं की अलावा तीन फॉलोअप का क्रम भी बाकायदा चलता है।
निराशा में नव-प्राण का संचार
लेखक से चर्चा करते हुए ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ.दिलीप रत्नानी ने कहा कि बच्चे ही देश के भविष्य हैं जिनकी सेहत और सुरक्षा पर देश की आन-बान-शान निर्भर है। इसलिए बच्चों के दिल की कठिनाइयों को दिल से सुनना और उसे दूर करने की मुहिम चलाना बेशक बड़ी बात है। मुख्यमंत्री बाल ह्रदय ह्रदय सुरक्षा योजना ने प्रदेश के उन तमाम बच्चों और उनके अभिभावकों में नई आशा और नए विश्वास का सृजन किया है जो साधन और सामर्थ्य की कमी या दीगर कारणों से प्रदेश के बाहर बड़े अस्पतालों में इलाज करवाने जा नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के ह्रदय रोग को लेकर हताश और निराश हुए लोगों में इस योजना ने नव-प्राण फूके हैं। इसे ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
महतारी की संतानों को सहारा
वही,डॉ.सावंत भी जोर देकर कहते हैं कि मान्य और अधिकृत अस्पतालों की तमाम सुविधाओं और तल्लीन सेवाओं को प्रदेश सरकार की इस अति महत्वपूर्ण योजना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए अधिक और सतत आर्थिक सम्बल की जरूरत है। उन्होंने योजना को लेकर सीएम डॉ.रमन सिंह की सोच दाद देते हुए कहा बाल ह्रदय सुरक्षा योजना छत्तीसगढ़ महतारी की संतानों की जिंदगी में नई ज्योत, नई किरण का पर्याय बन गई है। परिजनों की तो क्या कहें, सीएम भी जब इन बच्चों को सर्जरी के बाद हँसते-खेलते-मुस्कुराते देखते हैं तो प्रसन्न हो जाते हैं।
इस योजना के तहत ऑपरेशनों के लिए राज्य शासन द्वारा अपोलो बी एस आर भिलाई, एस्कॉर्ट हार्ट सेन्टर रायपुर, रामकृष्ण केयर रायपुर और अपोलो अस्पताल बिलासपुर को अधिकृत किया गया है। समय गवाह है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ने अपने जनदर्शन कार्यक्रम में बच्चों के हृदय से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए सहायता मांगने वालों की संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना की शुरूआत 2008 में की थी। यह योजना अब हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान और संवेदनशील छत्तीसगढ़ की पहचान बन गई है। आइये हम भी तय करें कि बच्चों की मासूम मुस्कान को परवान चढाने और उनकी उड़ान को गगन की हर ऊंचाई तक ले जाने के ऐसे हर महान अनुष्ठान में हर संभव भागीदारी करेंगे।
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हिन्दी विभाग,
शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगाँव।
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