लोकतंत्र को जनता का ,जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन माना जाता है। गणितीय भाषा में कहें तो लोकतंत्र जनता की सहभागिता का प्रतीक है।
अब यह यक्ष प्रश्न उठता है कि जनता की भावनाओं को ना सुनने पर ,जनता के लोकतांत्रिक मूल्यों के मर्दन होने पर क्या किया जाए ?क्योंकि समाज, राज्य एवं व्यवस्था में उभरते प्रवृत्तियों का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो दिखावा और भौकाली संस्कृति का उदय हो रहा है ।(सहभागिता का क्षरण ,मौलिक मूल्यों का क्षरण का संकेत दिखाई दे रहा है।)
वैश्विक परिदृश्य से देखकर आगे बढ़ते हैं ।सामान्य तौर पर समाज का चरित्र है कि ताकतवर/ शक्तिशाली ही शक्ति के पर्याय होते जा रहे हैं ।संयुक्त राज्य अमेरिका ,जिसको लोकतंत्र का आदर्श प्रतिमान माना जाता है ।सहभागिता एवं लोकतांत्रिक मूल्य के रक्षर के आधार पर कहे तो वहां 97% लोकतांत्रिक शासकीय व्यवस्था है। एलजीबीटी (LGBT)समुदाय के अधिकार की बात हो या अश्वेत व्यक्तियों के गरिमामय जीवन की बात हो ,उनके अधिकारों के मर्दन पर क्या करें ?इस प्रश्न का सामान्य समाधान है और वह है कि आलोचना का अधिकार ।लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को सरकार की आलोचना करने का अधिकार है। अपने अधिकारों के अतिक्रमण व हनन की अवस्था में आलोचना सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अस्त्र हैं।इससे नागरिक सचेतना का संकेत मिलता है;एवं नागरिक जागरूकता का आभास होता है।
मध्य एशिया के इस्लामिक देश में महिला अपने नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं ।यह संघर्ष ईरानी महिलाओं के अधिकारों के दमन व अतिक्रमण के लिए संघर्ष किया जा रहा है। इस आंदोलन की पृष्ठभूमि यह है कि महसा अमीनी को हिजाब ठीक से न पहनने को लेकर गिरफ्तार करके उत्पीड़न किया गया ,जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
निरंकुश सरकार (जनता के प्रति उत्तरदाई ना होकर स्वयं के प्रति उत्तरदाई होना) के बड़बोले का परिचय इस तथ्य में निहित है कि ईरान की खमैनी सरकार ने यह कहा है कि तोड़फोड़ करने वाले और दंगे के आरोप में सार्वजनिक रूप से मुकदमा चलाया जाएगा ,यहां पर आलोचना करने वाले को देशद्रोही कहा जाता है।
हिजाब के खिलाफ शुरू हुए इस विरोध व प्रदर्शन की आंच भारत के केरल राज्य तक पहुंच चुकी है ;यहां की कुछ महिलाएं हिजाब जलाकर के एकजुटता का संकेत दे रही है ।इस विरोध से हमें यह समझ लेना चाहिए कि :-
1. लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में निरंकुशता का कोई स्थान नहीं हैं;
2. लोकतंत्र में नागरिक स्वतंत्रता प्रत्येक नागरिक का मौलिक एवं मानव अधिकार है;
3.सहमति पर आधारित शासन स्थिर व ताकतवर/शक्तिशाली होती है;
4.राजनीतिक व्यवस्था में आलोचना का अधिकार प्रत्येक नागरिक का ब्रह्मास्त्र है,इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग नागरिक आम चुनाव या चुनाव के दिन करता है।
( डॉक्टर सुधाकर कुमार मिश्रा,राजनीतिक विश्लेषक हैं)