एक हैं सांसद अनुराग ठाकुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से जनप्रतिनिधि हैं। साथ ही बीसीसीआई के सह सचिव भी। मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं। इसलिए पानी की कीमत पैसों में तौलते हैं। शायद उनको पता नहीं कि जब पैसे याने मुद्रा का चलन भी नहीं हुआ था। तब से पानी की कोई कीमत नहीं लगा सका। लेकिन आईपीएल के मैचों को लेकर इतना बौखलाए हुए हैं कि याचिका में पानी की बर्बादी का आरोप क्रिकेट पर कैसे लगा दिया।
आज टीवी पर बयान देते सुना। कह रहे थे कि क्या लोगों ने लॉन में पानी से सींचना बंद कर दिया। हाई कोर्ट के लॉन में भी पानी नहीं डाला जाता आदि आदि। सफाई यह कि कुल कितना कम पानी खर्च कर रहे हैं पिचों को मेंटेंन करने में। साथ ही तुर्रा यह कि महाराष्ट्र के सूखे पानी विहीन इलाकों के लिए पैसा दे रहे हैं। माफ करें अनुराग जी यह पैसा आपका नहीं जनता का है जो उसने मैचों के लिए दिया है। काश कभी उस इलाके में कुछ दिन गुजारते जहां पानी की तंगी है। उनकी तरह जीने की कोशिश करते तो पानी की कीमत जानते। यह वह पानी है जो शरीर के पांच तत्वों में एक है। अगर पैसों से कर सकते हो तो उस इलाके में पानी की बारिश करवा दो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीखते जो ट्रेन से पानी पहुंचवा रहे हैं और आप पानी को बर्बाद करने के लिए कुतर्क दे रहे हैं।
काश रहीम दास को सुन और समझ लिया होता… रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।। पद और सत्ता के मद में चूर रावण, कंस, दुर्योधन भी इसी तरह के तर्क देते थे। आपने तो कांग्रेस के पप्पू को भी पीछे छोड़ दिया। मीडिया में आपके चमचे, कुछ लालची पत्रकार आप के प्रचार और तर्कों को भले ही प्रचारित प्रसारित कर लें पर चैत्र मास के पवित्र नवरात्रों मे आपने जिस अंहकार और धन के मद का परिचय दिया है उसने हम जैसी भारत मां की औलादों की नजर में आप एक सत्ता और धन के मद में चूर एक राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त कुछ और नहीं दिखाया। शायद संस्कार में यह मिला है आपको। पर क्या बिन पानी जो तड़प रहे हैं उनकी आहें आपको चैन से सोने देंगी। क्या भाजपा में भी सत्ता के नशे में हृदय हीन युवाओं की संस्कृति शुरू हो गई है। जिनके लिए अपनी जिद ही सर्वोपरि है। कुछ कड़ा लगा तो माफ करेंगे। पर सच तो सच होता है । यह बीसीसीआई के पद लोगों की मतिभ्रष्ट कर देता है। एक श्री निवासन का हाल देखा है सब ने अब दूसरे किसी और की तैयारी है।
साभार-नीशिथ जोशी के फेसबुक पेज से