Saturday, April 27, 2024
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आवासीय निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ता भारत

भारत में किसी परिवार के पास रहने के लिए यदि अपनी छत है तो इसे उस परिवार की समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। आर्थिक समृद्धि के शुरुआती दौर में केवल अपनी छत होने को ही उस परिवार विशेष के लिए आर्थिक सफलता का एक पैमाना माना जाता है। परंतु, धीरे धीरे वह परिवार आर्थिक तरक्की करते करते इस स्तर पर पहुंच जाता है कि उसे इस छोटे से मकान के स्थान पर सर्वसुविधा युक्त एक बड़े मकान की आवश्यकता महसूस होने लगती है। इस प्रकार का आर्थिक विकास किसी भी देश के लिए शुभ माना जा सकता है। हाल ही के समय में भारत में भी यह सब होता हुआ दिखाई दे रहा है। अभी हाल ही में दिल्ली के पास गुरुग्राम में एक सर्वसुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी। इस आवासीय प्रोजेक्ट में 7,200 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 1113 फलैट्स मात्र 3 दिन में ही बिक गए थे। यह भारत की आर्थिक सम्पन्नता को दर्शाता है। वैसे भी भारत में मकान खरीदने को एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा जाता है और इसे भावनात्मक अनुभव एवं वित्तीय सुरक्षा की गारंटी माना जाता है। इस दृष्टि से भारत में आवासीय निर्माण के लिए वर्ष 2023 एक अति सफल वर्ष साबित हुआ है और इसके आधार पर यह कहा जा रहा है कि वर्ष 2024 इससे भी अधिक बढ़िया वर्ष साबित होने जा रहा है।

विदेशी आक्रांताओं एवं अंग्रेजों द्वारा भारत को पिछले 1000 से अधिक वर्षों के दौरान लूटा खसोटा गया है। अब जाकर भारत का पुनर्निर्माण काल प्रारम्भ हुआ है। अभी तक भारतीय नागरिकों का लक्ष्य अपने सर पर छत होना अधिक महत्वपूर्ण कार्य था परंतु अब इसे सर्वसुविधा युक्त आवास के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। भारत को मिली राजनैतिक स्वतंत्रता के बाद के समय से विभिन्न सरकारों द्वारा देश में पब्लिक हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रारम्भ किए गए थे। इन प्रोजेक्ट के माध्यम से विभिन्न सरकारों द्वारा नागरिकों के लिए घर बनाकर उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। साथ ही, बाद के खंडकाल में सरकारों द्वारा देश में भूमि सुधार कार्यक्रम भी लागू किए गए ताकि खाली पड़ी जमीन को शहरों में रिहायशी इलाकों के तौर पर विकसित किया जा सके।

इन भूमि सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के बाद निजी क्षेत्र में भी रिहायशी मकानों को बनाने की अनुमति प्रदान की गई। इसके बाद से तो देश में सर्व सुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की जैसे बाढ़ ही आ गई। इन विभिन्न प्रोजेक्ट के अंतर्गत निर्मित होने वाले सर्व सुविधा युक्त मकान हाथो हाथ बिकने भी लगे। अब तो देश में बड़े बड़े रिहायशी मकान के प्रोजेक्ट, सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, शॉपिंग माल्स आदि भारी मात्रा में विकसित किए जा रहे हैं। अब तो अति महंगे एवं बड़े आकार के फलैट्स भी भारत में आसानी से हाथों हाथ बिकने लगे हैं। वर्ष 2024 आते आते भारत का रियल एस्टेट बाजार अब पूरे विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ता बाजार बन गया है। आज भारत के समस्त बड़े महानगरों में एक बात सामान्य सी नजर आती है कि यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। वर्ष 2023 में भारत का रियल एस्टेट बाजार लगभग 26,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था जो 2030 में बढ़कर एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने वाला है और 2047 तक 5.8 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का।

वर्तमान में रियल एस्टेट बाजार भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत का योगदान करता है एवं इस क्षेत्र में 5 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। रियल एस्टेट क्षेत्र के आगे बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े अन्य कई उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है। जैसे सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग, ग्लास उद्योग, आदि। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2047 तक रियल एस्टेट बाजार का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 15 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

भारत में वर्ष 2022 में 3.27 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मकान बेचे गए थे एवं वर्ष 2023 में 4.5 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मकान बेचे गए। इस प्रकार वर्ष 2023 में इस क्षेत्र में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है। इस क्षेत्र में मांग बहुत अधिक तेज बनी हुई है। भारत में रिहायशी मकानों की दृष्टि से सबसे बड़े 7 बाजार हैं – मुंबई, दिल्ली एनसीआर, बंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, एवं पुणे। यह भारत के सबसे बड़े महानगर भी माने जाते हैं।

भारत में रिहायशी मकानों के बिक्री में इतनी अधिक वृद्धि दर इसलिए दर्ज हो रही है क्योंकि भारत में आर्थिक विकास ने तेज गति पकड़ ली है। गरीब वर्ग, मध्यम वर्ग बन रहा है तो मध्यम वर्ग अमीर वर्ग। इसलिए महंगे महंगे फलैट्स की मांग अधिक तेजी से बढ़ रही है। दूसरे, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों को पिछले लम्बे समय से स्थिर रखा हुआ है। साथ ही, भारत में मुद्रा स्फीति की दर भी अब घटने लगी है। भारत के मध्यम वर्ग की आय बढ़ी है और वे रियल एस्टेट में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। केंद्र सरकार भी नागरिकों को इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहन दे रही है। आय कर की दरें कम की गई हैं। नए मकान खरीदने वालों को केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है। “स्कीम फोर अफोर्डबल हाउस” लागू की गई है। परंतु, भारत में केवल अफोर्डबल मकान ही नहीं खरीदे जा रहे हैं बल्कि अब नागरिक सर्वसुविधा युक्त महंगे मकानों में भी निवेश कर रहे हैं।

किसी मकान की कीमत 1.5 करोड़ रुपए से अधिक होने पर उसे सर्वसुविधा युक्त मकान की श्रेणी में गिना जाता है एवं मुंबई में 2.5 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत वाले मकान को सर्व सुविधा युक्त श्रेणी के मकान में गिना जाता है। भारत में वर्ष 2023 में सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री 130 प्रतिशत बढ़ गई हैं। भारत में वर्ष 2022 में 3000 सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री हुई थी जबकि वर्ष 2023 में 6900 सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री हुई है।

जिन रिहायशी मकानों की कीमत 40 करोड़ रुपए से अधिक होती है उन्हें अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न रिहायशी मकान की श्रेणी में गिना जाता है। वर्ष 2023 में इन मकानों की बिक्री 200 प्रतिशत बढ़ गई है। देश के 7 महानगरों में लगभग 600 अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न मकान भारत में बिके हैं। यह दर्शाता है कि भारत में अति समृद्ध नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में करोड़पति (मिलिनायर) नागरिकों की जनसंख्या 69 प्रतिशत बढ़ गई है। अल्ट्रा हाई नेटवर्थ (3 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की आय) नागरिकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।

एक अनुमान के अनुसार भारत में अगले तीन वर्षों में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ नागरिकों की संख्या 19000 होने जा रही है। इस श्रेणी के नागरिक अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न मकान चाह रहे हैं। इसी प्रकार कार्यालय के लिए स्थान, मॉल के लिए स्थान, ई-कामर्स कम्पनियों को अपना स्टॉक रखने के लिए बहुत बड़े आकर के गोडाउन की आवश्यकता भी भारत में अब लगातार बढ़ रही है। इस तरह के निर्माण में विदेशी निवेशक भी अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2023 के प्रथम 6 माह में विदेशी निवेशकों ने 400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निजी निवेश भारत में किया है। इसमें से आधा यानी 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर रियल एस्टेट के क्षेत्र में किया गया है। विदेशी निवेशक अब चीन में अपना निवेश घटाते हुए भारत में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। भारत में विदेशी निवेशकों को तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था मिल रही है, युवाओं की अधिक संख्या के चलते मांग अधिक मिलती है एवं स्थिर केंद्र सरकार के चलते आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है।

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