Friday, May 3, 2024
spot_img
Homeचर्चा संगोष्ठीअभिज्ञात अपनी तरह के अलग कवि हैं-केदारनाथ सिंह

अभिज्ञात अपनी तरह के अलग कवि हैं-केदारनाथ सिंह

कोलकाता में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से आयोजित सात दिवसीय युवा संस्कृति उत्सव व हिन्दी मेला में ‘इतिहास और संस्कृति : मुक्तिबोध का साहित्य’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में अभिज्ञात के काव्य संग्रह ‘बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई’ का लोकार्पण ज्ञानपीठ से सम्मानित प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अभिज्ञात मेरे प्रिय कवि हैं। मैं उन्हें अरसे से पढ़ता रहा हूं और सुख पाता रहा हूं। उन्होंने कहानी व गद्य भी लिखा है।

यह संग्रह पिछले संग्रहों से एक चयन है जो मुझे अच्छा लगा। वे विलक्षण कविताएं लिखते हैं। वे अपनी तरह के अलग कवि हैं। वे जो भी लिखते हैं पहली बार लिखते हैं। यह संग्रह अलग तरह का है। इस अवसर पर मानिक बच्छावत के काव्य संग्रह ‘प्रकृति राग’ एवं अरुण कुमार की पुस्तक ‘बोले गीत गगन के तारे’ का भी लोकार्पण केदारनाथ सिंह ने किया। इस अवसर पर अरुण कमल, डॉ.शंभुनाथ, अरुण कुमार, रणेन्द्र एवं आशीष मिश्र मंचासीन थे l मंच संचालन संजय जायसवाल ने किया l


डॉ.अभिज्ञात
कोलकाता
मोबाइल-09830277656

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार