Saturday, May 4, 2024
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जलवायु परिवर्तन को लेकर वैश्विक स्तर पर भारत की सार्थक भूमिका

भारतवर्ष में नदियों को माता की संज्ञा दिया जाता है।नदियां संस्कृतियों की वाहक होती हैं ।कोई भी सांस्कृतिक आंदोलन की सफलता का श्रेय नदियों को जाता है। व्यक्तियों के स्वास्थ्य स्वच्छ पर्यावरण पर निर्भर करता है। भारत में पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास की अवधारणा को स्वीकार किया गया है ।भारत में विकास और पर्यावरण संरक्षण का तादात्म्य संबंध की संकल्पना पर निर्भर है ।आज भारत की अधिकांश आबादी पर्यावरण के नुकसान को संरक्षित कर रही है बल्कि ,पर्यावरण सुरक्षा के साथ विकास पथ पर उर्जित है ।स्वच्छ पर्यावरण निर्मल गंगा की पिथिका है ,क्योंकि गंगा जी की स्वच्छता मुख्यतः स्वच्छ पर्यावरण पर निर्भर है।

वैश्विक स्तर पर भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक वैश्विक नेतृत्व के रूप में उभरा है ।भारत विकासशील देशों खासकर (3Aदेश अर्थात एशिया ,अफ्रीका एवं अमेरिका (लैटिन अमेरिका )देश और दक्षिण के देश का नेतृत्व कर रहा है ।भारत नवीकरणीय ऊर्जा के भरपूर उपयोग पर ,भारत पर्यावरण संरक्षण के लिए हो रहे वैश्विक वैश्विक प्रयासों का अगुवाई कर रहा है।

भारत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम को बढ़ाया है। पिछले महीने नई दिल्ली के इंडिया गेट के पास पहली बार हरित हाइड्रोजन जनित लंबी दूरी की बस सेवा का शुभारंभ हुआ है ।इस तरह के परिवहन से ध्वनि प्रदूषण नगण्य होता है। वैश्विक स्तर पर भारत में जलवायु परिवर्तन की दशा को सुधारने में नेतृत्व कर रहा है ।भारत दर्शक और निष्क्रिय भागीदार होने के बजाय जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक रोड मैप को सकारात्मक दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।जलवायु न्याय के सिद्धांत में समानता और न्याय को न्याय पूर्ण विषय के अंतर्गत रखा जा रहा है ।भारत का न्याय पूर्ण वार्ता पर जोड़ है और वह वैश्विक मंचों पर विकासशील देशों की आवाज के रूप में उभर रहा है ।भारत का सक्रिय भागीदारी ने आश्वस्त किया है कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं पर्यावरण के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकती हैं। भारत जलवायु से संबंधित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सफल हो रहा है। भारत में 2014 के पश्चात सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 1900 प्रतिशत बड़ी है ।पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार ने उजाला योजना के अंतर्गत 38 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण किया है।

भारत के प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए संसार को “पंचामृत ” का मंत्र दिए हैं। भारत में जलवायु प्रतिबद्धताओं पर मजबूत प्रगति की है ,और बढ़ती महत्वाकांक्षा और कम कार्बन उत्सर्जक वाले भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हित धारक बना हुआ है। भविष्य में ग्रीन हाउस गैस(GHG )के शमन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है, और इसके साथ ही अत्यधिक गर्मी, सुखा और बाड़ के कारण करोड़ों व्यक्तियों को जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता है। देश के अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है, और भविष्य की ऊर्जा पूर्ति अभी भी स्थापित की जानी है ।भारत को विकासशील देशों के उज्जवल भविष्य एवं सतत विकास के लिए कम ग्रीनहाउस गैसेस विकास का प्रतिमान स्थापित करना है, क्योंकि बदलते परिवेश में भारत ने G- 20 की सफलतम अध्यक्षता करके, वैश्विक संस्थानों में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करके वैश्विक स्तर पर भारत एक जिम्मेदार, सहयोगी एवं शक्तिशाली राष्ट्र होने का गौरव प्राप्त किया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा को अद्यतन निर्धारित योगदान को मंजूरी प्रदान किया है ।भारत के पंचामृत को उन्नत जलवायु लक्ष्य में बदल दिया है ।भारत 2070 तक ‘ शून्य कार्बन उत्सर्जक ‘ प्राप्त करने का संकल्प लिया है । यह एक व्यापक दृष्टिकोण है ,जिसका संपूर्ण वैश्विक समुदाय बारंबार अनुसरण करता है ,इससे पर्यावरण की दिशा में गुणात्मक सुधार होगा ।ऊर्जा थिंक टैंक अंबर की रपट के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 की पहली छमाही में सौर ऊर्जा उत्पादन की वैश्विक वृद्धि में 12% का योगदान दिया है ।वैश्विक पटल पर इतना ही योगदान संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)और यूरोपियन यूनियन(EU ) का है ।

रपट में विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में जून, 2023 तक 78 देशों में बिजली के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था जो वैश्विक बिजली का 92 प्रतिशत भाग पूरा करता है। वैश्विक स्तर पर विगत वर्ष की अवधि की तुलना में इस वर्ष सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन में 16% की वृद्धि दर्ज की गई है। पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण में भारत की उपादेयता सराहनीय रहा है। भारत ने 1.1 करोड़ टन उत्सर्जन की वृद्धि को रोक दिया है। भारत में 26 प्रतिशत सौर ऊर्जा का उन्नयन हुआ है ,जो पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में संकट मोचक की भूमिका निभाया है ।भारत ने 2023 की पहली छमाही में 7.1 प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा से प्राप्त किया है। 2023 की पहली छमाही में 5.5% वैश्विक बिजली उत्पादन हुआ है। एक रपट के अनुसार, पवन और सौर ऊर्जा में वृद्धि से वैश्विक बिजली क्षेत्र का उत्सर्जन स्थिर हुआ है। वैश्विक बिजली क्षेत्र का उत्सर्जन विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई है।

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