Friday, April 26, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकला-संस्कृतिग़ज़लों व शायरी से सराबोर ‘महफिल-ए-खुशरंग’ में घुली रागों की मिठास

ग़ज़लों व शायरी से सराबोर ‘महफिल-ए-खुशरंग’ में घुली रागों की मिठास

नई दिल्ली। ; गुलाबी ठंडक भरती शाम और संगीत की रूहानियत भरी शाम का अपना ही आनन्द है, जो न केवल रोजमर्रा की भागम-भाग से अलग सुकून प्रदान करती है बल्कि गीत-संगीत के माध्यम से एक अलग ऊर्जा का संचार करती है। यहां हर शख़्स ज़िंदगी की हकीकत को उन लफ्ज़ों में खोजता है, खुद से जुड़ा महसूस करता है फिर भी खुशहाल है! हर स्थिति में समान व खुशहाल रहना ज़िंदगी का एक फलसफा भी है।

कुछ ऐसा ही खुशनुमा रंग की छटा बिखेरती एक संगीतमय संध्या गैर-सरकारी संस्था साक्षी-सियेट द्वारा राजधानी के इंडिया हैबीटेट सेंटर में आयोजित की गयी। डॉ. मृदुला टंडन के नेतृत्व में ‘महफ़िल-ए-खुशरंग’ शीर्षक से आयोजन ग़ज़ल व शायरी की इस महफिल में खुशी के रंग बिखेरे उस्ताद शकील अहमद और प्रख्यात कवि लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने। जहां एक तरफ शकील अहमद का काबिले तारीफ प्रदर्शन था वहीं लक्ष्मी शंकर बाजपेयी द्वारा साझा की गई शायरी व ग़ज़ल की बारीकियों को भी उपस्थित श्रोताओं ने सुना और समझा, जिसने इस संध्या को बतौर संगीतप्रेमी उनके लिए अविस्मरणीय सौगात बना दिया। ग़ज़ल व शायरी से सजी यह संध्या स्व. श्रीमति गिरिजा देवी को समर्पित थी।

विधिवत् अंदाज़ में शमा जलाकर संध्या की शुरूआत की गई। जिसके बाद डॉ. मृदुला टंडन ने कलाकारों व कार्यक्रम के विषय में सभी को बताया। इसके बाद उस्ताद शकील अहमद ने अपने गायन व प्रख्यात कवि लक्ष्मी श्ांकर बाजपेयी ने अपने चिर-परिचित अंदाज व ज्ञान सागर से ग़ज़ल की जबरदस्त यात्रा प्रदान की।

कार्यक्रम के दौरान लक्ष्मी शंकर बाजपेयी शायरी प्रस्तुति करने के साथ-साथ ग़ज़ल के विषय में जानकारी प्रदान की और इसके बनने से सुनने के सफर को भी बयां किया। उनके द्वारा प्रस्तुत शेरों में साहिर का‘‘माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार करे सके, कुछ खार कम तो कर गये गुज़रे जिधर से हम..’’ को खासी वाह-वाही मिली। एक तरफ जहां लक्ष्मी शंकर बाजपेयी जी का अंदाज श्रोताओं को प्रभावित कर रहा था उनकी उत्सुकता बढ़ा रहा था, वहीं उस्ताद शकील अहमद के गायन ने सभी को उनके कला-कौशल का कायल किया। उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण में एक के बाद एक ग़ज़ल प्रस्तुत करके उपस्थित मेहमानों व अन्य को मंत्र-मुग्ध कर दिया। शकील अहमद ने ‘देखो तो..’, ‘चांदी का बदन..’, ‘ऐसा हुआ दीवाना मैं, खुद को नहीं पहचाना मैं..’, ‘खिज़ान की ज़र्द सी रंगत..’ जैसी ग़ज़लों से महफिल को गुंजायेमान किया।

मौके पर डॉ. मृदुला टंडन, अध्यक्ष, साक्षी ने कहा कि फेस्टिवल का समय चल रहा है, खुशियों का माहौल है, लेकिन भाग-दौड़ की थकान भरे जीवन में सुकून और खुशरंग घोलने के लिए हमने इस महफिल का आयोजन किया है। शकील अहमद साहब हों या बाजपेयी जी, दोनों की पकड़ और इनका प्रस्तुतिकरण दर्शकों व श्रोताओं पर अपनी अद्भुत छाप छोड़ता है। साथ ही लगातार चल रहे हमारे प्रयास के तहत आम लोगों व युवा श्रोताओं को कला-संस्कृति से जोड़ने, ग़ज़ल की मूलभूत संरचना और इसकी विविधताओं से परिचित कराना है। जिससे श्रोता संगीत का लुत्फ उठाने के साथ-साथ इसकी बारीकियों का भी समझ पायें और अधिक एन्जॉय करें। दोनों ही कलाकारों ने हमारे इस प्रयास में सराहनीय योगदान दिया है।

उस्ताद शकील अहमद ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों के दौरान आपको न केवल दर्शकों से जुड़ने का मौका मिलता है बल्कि उनका मिजाज़ समझने का भी अवसर एक कलाकार के पास रहता है। ऐसे में नया कायाकल्प और हरकतें लेना उन्हें अलग अहसास कराता है। बाजपेयी जी के साथ कार्यक्रम करना बढ़िया अनुभव रहा है जिसके लिए डॉ. मृदुला टंडन बधाई की पात्र है, उनके प्रयास सराहनीय हैं।

लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने कहा कि ग़ज़ल का सफर अपने आप ने अद्भुत व अनोखा है और हमारे देश में एक से बढ़कर एक कलाकार हुए हैं जिन्होंने इसे लोकप्रिय बनाने में अहम् भूमिका निभायी है। हमने प्रयास किया है श्रोताओं को इन कलाकारों व उनकी अद्भुत रचनाओं से परिचित कराने का।

कार्यक्रम के दौरान श्रोताओं ने गालिब, मीर, दाग देहलवी, मोमिन खान मोमिन सहित अन्य श्रेष्ठ कलाकारों की रचनाओं से रूबरू होने का मौका मिला। चाहे बाजपेयी जी की शेरो-शायरी हो या उनकी सटीक जानकारी अथवा शकील अहमद का गायन, संगीत के प्रति उनकी समझ, कविताओं व गज़ल के प्रति उनके प्यार ने श्रोताओं को एक जादुई दुनिया में ले गये जिसका प्रभाव श्रोताओं पर बखूबी दिखायी दिया।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें; शैलेश नेवटिया – 9716549754, भूपेश गुप्ता – 9871962243

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार